नमस्कार प्यारे पाठको, आज हम फिर से एक बार और उपस्थित है आपके बिच आज हम हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण अध्याय संज्ञा(Sangya) के प्रकारो में से एक अयादि संधि के बारे में अध्ययन करेंगे। इस अध्ययन के दौरान आपको बहुत से ऐसे बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा जिससे आप इस अध्याय को अच्छे से समझ पायेंगे । यहाँ आपको इस अयादि संधि से जुड़े बहुत से ऐसे महत्वपूर्ण प्रश्न दिए गए है जिनके द्वारा आप अपनी तैयारी को और भी अधिक अच्छी कर पाएंगे ।
आपको पहले से पता है की हिंदी व्याकरण से आजकल बहुत से प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते है और संज्ञा टॉपिक से आने वाले प्रश्नो की संख्या भी काफी अधिक है इसलिए आप अगर इस अध्याय को अच्छे तरीके से अध्ययन करे तो आपके बहुत से नंबर आपके हाथ में होंगे। इसलिए यदि आप भी औरो की तरह इस अध्याय में अच्छे नंबर पाने के इच्छुक है तो आप बिलकुल ध्यान से पढ़े और हमारे दिए हुवे प्रश्नो के माध्यम से आप आसानी से अभ्यास भी कर सकते है। तो आइये शुरू करते है अध्ययन।
अयादि संधि किसे कहते हैं?
‘ए’ के बाद असमान स्वर हो तो ‘ए’ का ‘अय्’ हो जाता है। ऐ के बाद असमान स्वर हो तो ‘ऐ’ का ‘आय’ हो जाता है। यदि ‘ओ’ या ‘औ’ के बाद “ओ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो ‘ओ’ का ‘अ’ तथा ‘औ’ का आवृ हो जाता है। इसे अयादि स्वर संधि कहा जाता है।
अयादि संधि की परिभाषा
यदि ‘ए/ऐ/ओ/औ’ के बाद कोई असमान स्वर आ जाए तो ‘ए’ का ‘अय्’, ‘ऐ’ का ‘आय्’, ‘ओ’ का ‘अव्’ और ‘औ’ का ‘आव्’ हो जाता है।
जैसे:-
ए + अ = अय् | ऐ +अ = आय् |
ऐ+इ=आयि | ओ+इ=अव् |
ओ+अ=अव | औ+आ = आव् |
अयादि संधि का सूत्र
किसी भी संधि के बनने या उसकी पहचान सम्बंधित ज्ञान के लिए आपको उस संधि सूत्र ज्ञात होना चाहिए । जिसकी सहायता से आप आसानी से दो अलग अलग शब्दों की संधि कर पाएंगे और उनकी पहचान भी कर पाएंगे । इस सूत्र की मदद से आप काम शब्दों मे भी इस संधि को याद रख पाएंगे इसलिए यह अयादि संधि का सूत्र काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है ।
अयादि संधि के उदाहरण
यहाँ पर आपको बहुत सारे Ayadi Sandhi Ke Udaharan दिए गए है । जिनके अध्ययन से आप इस टॉपिक को अच्छे से समझ पाएंगे । यहाँ पर आपकी सहूलियत के लिए हमने अयादि संधि के 100 उदाहरण PDF सहीत दिए है जिनको आप बाद मे ऑफलाइन प्रिन्ट आउट निकाल सकते है ।
ए + अ = अय् बनने वाले अयादि संधि के उदाहरण
ने+अन=नयन | संचे + अ = संचय |
जे + अ = जय | अने + अ = अनय (अमंगल) |
ने+अ=नय (मंगल) | चे + अन = चयन |
शे + अयन=शयन | अने + अ = अनय |
चै + अ = चय (राशि) | ने + अनी नयनी (पुतली) |
ने + अर = नयर | चे + अना =चयना |
चे + अनिका = चयनिका | ने+अनपट=नयनपट |
ने + अनकारी = नयनकारी | चे+अनीय = चयनीय(चुनने योग्य) |
ने + अक = नयक (न्याय करने वाला) |
ऐ + अ = आय् बनने वाले अयादि संधि के उदाहरण
नै + अक = नायक | गै+ अन = गायन |
गै + अक= गायक | विधै + अक = विधायक |
ऐ + इ = आयि बनने वाले अयादि संधि के उदाहरण
गै+ इका = गायिका | नै+ इका = नायिका |
दै + इनी = दायिनी | दै + इनी = दायिनी |
ओ + अ = अव् बनने वाले अयादि संधि के उदाहरण
हो + अन = हवन | पो + अन = पवन |
भो + अन = भवन | भो + अति = भवति |
ओ + इ = अवि बनने वाले अयादि संधि के उदाहरण
‘ओ’ के बाद इ आए तो अवि बन जाता है।
भो + इष्य = भविष्य | पो + इत्र = पवित्र |
औ+अ=आव् बनने वाले अयादि संधि के उदाहरण
पौ + अन = पावन | पौ + अक = पावक |
भौ + अक = भावक | शौ + अक = शावक |
श्रौ + अण=श्रावण | धौ + अक = धावक |
सौ + अ = सावत् (ईर्ष्या) | भौ + अना = भावना |
ओ + इ = अवि बनने वाले अयादि संधि के उदाहरण
नो + इक = नाविक |
ओ + ई = अवी
गो + ईश = गवीश |
अयादि संधि के नियम
अयादि संधि के नियम की बात करे तो आपको इनके बारे मे ज्ञान होना बहुत ही ज्यादा आवश्यक हो जाता है । क्योंकि समय रहते अगर आप किसी प्रश्न को हल करने की कोशिश करेंगे तो इसमे आपको यह नियम बहुत काम आने वाले है । यह नियम आपको संधि एंव संधि विच्छेद दोनों मे काम आते हैं ।
प्रथम नियम:
‘ए’ के बाद असमान स्वर हो तो ‘ए’ का ‘अय्’ हो जाता है।
द्वितीय नियम:
ऐ के बाद असमान स्वर हो तो ‘ऐ’ का ‘आय’ हो जाता है।
तृतीय नियम:
यदि ‘ओ’ या ‘औ’ के बाद “ओ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो ‘ओ’ का ‘अ’ तथा ‘औ’ का आवृ हो जाता है।
अन्य अध्ययन सामग्री
महत्वपूर्ण शब्द
अयादि संधि का उदाहरण क्या है?
ने+अन=नयन
अयादि शब्द का क्या अर्थ है?
यदि ‘ए/ऐ/ओ/औ’ के बाद कोई असमान स्वर आ जाए तो ‘ए’ का ‘अय्’, ‘ऐ’ का ‘आय्’, ‘ओ’ का ‘अव्’ और ‘औ’ का ‘आव्’ हो जाता है।