नमस्कार आज हम हिंदी व्याकरण के अध्याय में से एक हिंदी मुहावरे (Muhavare in hindi) के बारे में अध्ययन करेंगे। इस अध्ययन के दौरान हम जानेंगे की मुहावरा किसे कहते हैं?, मुहावरा क्या है, मुहावरा का अर्थ, मुहावरे के बारे में अध्ययन करेंगे।
मुहावरा किसे कहते हैं?
किसी भी भाषा को और अधिक प्रभावपूर्ण, सरल और सौन्दर्यपूर्ण बनाने के लिए मुहावरों का प्रयोग किया जाता है। अर्थात् मुहावरे किसी भाषा में चार चाँद लगाने का काम करते हैं।
मुहावरे का अर्थ–
‘मुहावरा’ अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है– बातचीत करना या उत्तर देना। मोटे तौर पर जिस सुगठित शब्द-समूह से लक्षणाजन्य और कभी-कभी व्यंजनाजन्य कुछ विशिष्ट अर्थ निकलता है उसे मुहावरा कहते हैं। जो किसी भाषा में प्रयुक्त अर्थ को और अधिक प्रभावशाली बनाने का काम करता है।
मुहावरों की विशेषताएँ
क्र. सं. | मुहावरों की विशेषताएँ |
1 | मुहावरा, शब्दों का वह समूह होता है, जो अपने प्रचलित अर्थ को छोड़कर किसी दूसरे/लाक्षणिक अर्थ को व्यक्त करता है। |
2 | मुहावरे शब्द समूह/वाक्यांश होते हैं। |
3 | मुहावरा, वाक्य के प्रारंभ, मध्य अथवा अंत में कहीं भी आ सकता है। |
4 | मुहावरे को वाक्य में प्रयोग के अनुसार परिवर्तित करना आवश्यक होता है। |
5 | मुहावरे के अंत में प्राय: ‘ना’ प्रयुक्त होता है। |
6 | मुहावरे का प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं किया जा सकता। |
7 | मुहावरे मनगढ़त होते हैं, जो प्रयोग पर आधारित होते हैं। |
हिंदी मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग
- अंग-अंग ढीला होना – अत्यधिक थक जाना
- अंधे के हाथ बटेर लगना – बिना प्रयास के कीमती वस्तु मिल जाना
- अँगूठा दिखाना – मौके पर मना कर देना
- अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना – अपनी प्रशंसा स्वयं करना
- आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना
- अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि भ्रष्ट होना
- आँख खुलना – वास्तविकता का बोध होना
- कोल्हू का बैल होना – रात-दिन काम में लगे रहना
- एक आँख न भाना – जरा भी अच्छा न लगना
- उल्लू बनाना – मूर्ख बनाना
- आटे दाल का भाव मालूम होना – कठिनाई का ज्ञान होना
- आग में घी डालना – क्रोध को और भड़काना
- कुएँ का मेंढक – सीमित ज्ञान वाला
- तलवार सिर पर लटकी रहना – भयंकर खतरा बने रहना
- एक ही थैली के चट्टे-बट्टे – एक जैसे लोग
- चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना – घबरा जाना
- जमीन आसमान एक करना – बहुत अधिक परिश्रम करना
- छाती पर मूँग दलना – दु:ख देना
- कड़वा घूँट पीना – चुपचाप अपमान सहना
- टस से मस न होना – कुछ असर न पड़ना
- ढोल पीटना – बात को प्रचारित करना
- डींग मारना – बढ़ चढ़कर बातें करना
- गागर में सागर भरना – थोड़े शब्दों में अधिक कहना
- घाव पर नमक छिड़कना – कष्ट को और बढ़ाना
- चादर देखकर पाँव फैलाना – आय के अनुसार व्यय करना
- चुल्लू भर पानी में डूब मरना – शर्मिंदा होना
- कलेजे पर पत्थर रखना – जी कड़ा करना
- ओखली में सिर देना – जान बूझकर मुसीबत में पड़ना
- घोड़े बेचकर सोना – निश्चित होकर सोना
- आस्तीन का साँप – धोखेबाज मित्र
- तिल का ताड़ बनाना – छोटी सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना
- तीसमार खाँ बनना – अपने को शूरवीर समझना
- गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी बातें उठाना
- तेल निकालना – बहुत अधिक काम करा लेना
- थाली का बैंगन – सिद्धांतरहित व्यक्ति
- दंग रह जाना – चकित हो जाना
- दाल गलना – युक्ति सफल होना
- गाँठ बाँधना – अच्छी तरह याद रखना
- नमक मिर्च लगाना – बढ़ा-चढ़ा कर कहना
- गुड़ गोबर कर देना – काम बिगाड़ देना
- दो नावों पर पैर रखना – दो विरोधी पक्षों का आश्रय लेना
- दूर के ढोल सुहावने – दूर की वस्तुएँ अच्छे लगना
- नाक में दम करना – बहुत परेशान करना
- घर फूँककर तमाशा देखना – अपनी हानि करके मौजमस्ती करना
- नाक कटना – प्रतिष्ठा नष्ट होना
- दाँत खट्टे करना – परास्त करना
- चिकना घड़ा – निर्लज्ज व्यक्ति
- दाल में कुछ काला होना – आशंका/संदेह होना
- पल्ला झाड़ना – पीछा छुड़ा लेना
- पगड़ी उछालना – अपमान करना
- पाँचों उँगलियाँ घी में होना – सब प्रकार से लाभ ही लाभ
- पाँव जमीन पर न पड़ना – अत्यधिक खुश होना
- पेट पर लात मारना – आजीविका से वंचित करना
- पिंड छुड़ाना – पीछा छुड़ाना
- फूँक-फूँक कर कदम रखना – सावधान होकर काम करना
- जान हथेली पर रखना – जान की परवाह न करना
- बाएँ हाथ का खेल होना – आसान कार्य
- बाल-बाल बचना – संकट से कठिनाई से बचना
- मुँह फूलाना – अप्रसन्न होना
- जूतियाँ चटकाना – व्यर्थ इधर-उधर घूमना
- रूह काँपना – बहुत डरना
- लोहे के चने चबाना – बहुत कठिन कार्य करना
- श्री गणेश करना – कार्य आंरभ करना
- टेढ़ी खीर होना – कार्य का बहुत कठिन होना
- सिर पर पाँव रखकर भागना – बहुत तेज भागना
- साँप सूंघ जाना – निश्चेष्ट हो जाना/ एकदम चुप हो जाना
- त्रिशंकु होना – अधर में लटकना
- हरी झंडी दिखाना – आगे बढ़ने का संकेत देना
- हाथ पाँव फूल जाना – घबरा जाना
- नाक में नकेल डालना – नियंत्रण में करना
- रंगा सियार – धोखेबाज
- एक ही राग अलापना – एक ही बात बार-बार कहना
- मक्खन लगाना – चापलूसी करना
- भैंस के आगे बीन बजाना – मूर्ख के सामने ज्ञान की बातें करना
- गंगा नहाना – कठिन कार्य पूरा होना
- मक्खियाँ मारना – बेकार बैठना
- आपे से बाहर होना – क्रोध से अपने वश में न रहना
- कदम उखाड़ना – भाग खड़े होना
- डकार जाना – हड़प लेना
- अठखेलियाँ सूझना – दिल्लगी करना/ मजाक मस्ती करना
- बट्टा लगाना – कलंक लगाना
- मैदान मारना – लड़ाई जीतना
- चैन की बंशी बजाना – मौज करना/ सुख से जीवन बिताना
- लहू का घूँट पीकर रह जाना – अपमान सहन कर लेना
- गूलर का फूल होना – दुर्लभ होना
- होम कर देना – नष्ट कर देना
- उड़ती चिड़िया पहचानना – दूसरे के मन की बात जानना
- ढाक के तीन पात – सदा एक-सी स्थिति
- दाने-दाने को तरसना – बहुत अधिक अभावग्रस्त होना
- गूँगे का गुड़ – अवर्णनीय अनुभव
- आँखों से गिरना – आदरभाव घट जाना
- गाल बजाना – बकवास करना
- मुँह की खाना – बुरी तरह हारना
- लाल-पीला होना – बहुत गुस्सा करना
- गाँठ बाँधना – अच्छी प्रकार याद रखना
- आकाश पाताल एक करना – कठिन परिश्रम करना
- डंके की चोट पर कहना – खुलेआम कहना
- हाथ पाँव फूलना – भय से घबराना
- आँखे फेर लेना – प्रतिकूल होना
- कल पड़ना – चैन मिलना
- टूट पड़ना – आक्रमण कर देना
- नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना
- अन्धे के हाथ बटेर लगना – अयोग्य व्यक्ति को कोई कीमती वस्तु मिल जाना
- चोली दामन का साथ – घनिष्ठ संबंध होना
- जहर का घूँट पीना – गुस्सा मन में दबा लेना/कड़वी बात सहना
- टका सा जवाब देना – साफ इनकार करना
- हाथ मलते रह जाना – पछताना
- तलवार की धार पर चलना – संकटपूर्ण कठिन काम करना
मुहावरा – अर्थ
- अपना घर समझना – बिना संकोच के व्यवहार करना
- अपना उल्लू सीधा करना – बेवकूफ बनाकर काम निकालना
- अपनी डफली आप बजाना – अपने मन की करना
- अपने पैरों पर खड़ा होना – स्वावलम्बी होना
- अक्ल का दुश्मन – मूर्ख होना
- अक्ल के घोड़े दौड़ाना – कल्पनाएँ करना
- अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि भ्रष्ट होना
- अक्ल का पुतला – बहुत बुद्धिमान
- अक्ल दंग होना – चकित होना
- अंधे की लकड़ी – एकमात्र सहारा
- अंधों में काना राजा – अज्ञानियों में अल्पज्ञान वाले का सम्मान होना
- अक्ल का अजीर्ण होना – आवश्यकता से अधिक बुद्धिमान
- अक्ल चरने जाना – बुद्धि की कमी होना
- अक्ल मारी जाना – बुद्धि भ्रष्ट होना
- अंक भरना – लिपटा लेना
- अंग टूटना – बहुत थक जाना
- अंग-अंग फूले न समाना – आनंदविभोर होना
- अंग-अंग ढीला होना – बहुत थकना
- अंगार सिर पर धर लेना – कठिन विपत्ति सहना
- अंगार बनना – लाल होना
- अंगारों पर लोटना – क्रुद्ध होना
- अंगारों पर पैर रखना – अपने को खतरे में डालना
- अंगार उगलना – कठोर वचन कहना
- अंगार बरसना – कड़ी धूप होना
- अन्त पाना – भेद पाना
- अन्तर-पट खुलना – ज्ञान प्राप्त होना
- अँधेरे मुँह – प्रात:काल, तड़के
- अँधेरे का दीपक – इकलौता पुत्र
- अन्न को कन्न करना – बनी बात को बिगाड़ना
- अगर-मगर करना – बहाने बनाना
- अरण्य रोदन – निष्फल निवेदन
- अखाड़े में आना – मुकाबले में खड़ा होना
- अरमान निकालना – इच्छाएँ पूरी करना
- अपना रंग जमाना – प्रभावित करना
- अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना – मूर्खतापूर्ण कार्य करना
- अन्तर के पट खोलना – विवेक से काम लेना
- अड़चन डालना – बाधा उपस्थित करना
- अँचरा पसारना – माँगना, याचना करना
- अंडे का शाहजादा – अनुभवहीन
- अँधेर नगरी – जहाँ धाँधली और अन्याय होता है
- अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना – अपनी तारीफ आप करना
- अढ़ाई चावल की खिचड़ी पकाना – सबसे अलग रहना
- आग में घी डालना – किसी के क्रोध को भड़काना, झगड़ा बढ़ाना
- आग उगलना – क्रोध प्रकट करना
- आग में कूद पड़ना – खतरा मोल लेना
- आग से पानी होना – क्रोध करने के बाद शांत हो जाना
- आग का पुतला – क्रोधी व्यक्ति
- आग पर आग डालना – जले को जलाना
- आग पर पानी डालना – क्रुद्ध को शांत करना, झगड़ने वालों को समझाना
- आग पानी का बैर – सहज बैर
- आग बबूला होना – अति क्रुद्ध होना
- आग बोना – झगड़ा लगाना
- आगा-पीछा करना – हिचकना
- आकाश से बातें करना – बहुत ऊँचा होना
- आकाश छुना – बहुत ऊँचा होना
- आकाश-पाताल एक करना – अत्यधिक उद्योग/परिश्रम करना
- आकाश से तारे तोड़ना – कठिन कार्य करना
- आसमान दिखाना – पराजित करना
- आसमान पर चढ़ाना – अत्यधिक प्रशंसा करना
- आड़े हाथों लेना – झिड़कना, बुरा-भला कहना
- आड़े समय पर काम आना – मुसीबत में सहायक होना
- आस्तीन का साँप होना – कपटी मित्र
- आठ-आठ आँसू रोना – विलाप करना, बुरी तरह पछताना
- आँधी के आम – सस्ती प्राप्त वस्तु
- आबनूस का कुन्दा – अत्यन्त काले रंग का मनुष्य
- आधा तीतर आधा बटेर – बेमेल तथा बेढंगा होना
- आटे-दाल की फिक्र होना – जीविका की चिन्ता होना
- आन की आन में – फौरन ही
- आन रखना – मान रखना
- आटे-दाल का भाव पता होना – सांसारिक समस्याओं का ज्ञान होना
- आग लगाकर तमाशा देखना – झगड़ा कराकर उसमें आनंद लेना
- इधर-उधर करना – टालमटोल करना
- इंद्र का अखाड़ा – ऐश-मौज की जगह
- ईमान बेचना – अपने कर्तव्य से हट जाना
- ईंट का जवाब पत्थर से देना – दुष्ट के साथ दुष्टता करना
- उड़ती चिड़िया के पंख गिनना – अत्यंत चतुर होना
- उलट–फेर होना – परिवर्तन होना
- उठ जाना – मर जाना
- उल्लू बोलना – उजाड़ होना
- उल्टे उस्तरे से मूँडना – पूरी तरह ठगना
- उगल देना – सच बोलना
- उल्टी गंगा बहाना – परम्पराओं के विपरीत कार्य करना
- उड़न छू होना – संकट देखकर भागना
- उड़ती खबर – बिना सिर-पैर की बात
- उठते-बैठते – हर समय
- उठा रखना – बाकी रखना
- उन्नीस-बीस होना – बहुत कम अन्तर होना
- उल्लू सीधा करना – अपना स्वार्थ साधना
- उँगली उठाना – आरोप लगाना
- उँगली पर नचाना – पूरी तरह नियंत्रण में रखना
- ऊँचा-नीचा सुनाना – भला-बुरा कहना
- ऊँचा सुनना – कम सुनना
- ऊँट के गले में बिल्ली – सर्वथा बेमेल साथ
- ऊँट के मुँह में जीरा होना – अधिक खुराक वाले को कम देना
- उलटी पट्टी पढ़ाना – गलत शिक्षा देना
- एक आँख से देखना – समान व्यवहार करना
- एक लकड़ी से हाँकना – अच्छे-बुरे की पहचान न करना
- एक न चलना – कोई उपाय सफल न होना
- एक आँख न भाना – तनिक भी अच्छा न लगना
- एक से तीन बनाना – खूब नफा करना
- एक थैली के चट्टे-बट्टे होना – समान प्रवृत्ति का होना
- एड़ियाँ घिसना – दौड़-धूप करना
- एक और एक ग्यारह होना – संगठन से शक्ति बढ़ जाना
- ओस के मोती – क्षणभंगुर
- औंधी खोपड़ी का होना – बेवकूफ होना
- कमर कसना/बाँधना – दृढ़ संकल्प होना
- कलेजा ठंडा होना – संतुष्ट एवं शांत होना
- कलेजे पर पत्थर रखना – दु:ख या कष्ट को दिल मजबूत करके सहन करना
- कलेजे पर साँप लोटना – अंतर्दाह होना
- कलेजा मुँह को आना – घबरा जाना
- कलम तोड़ना – बहुत सुन्दर लिखना
- कलई खुलना – पोल खुलना
- कच्चे घड़े पानी भरना – ठीक ढंग से काम न करना
- करवटें बदलना – बेचैन रहना
- काठ मार जाना – स्तब्ध हो जाना
- काठ का उल्लू होना – मूर्ख होना
- काम तमाम करना – मार डालना
- काँटा बिछाना – अड़चन डालना
- कीचड़ उछालना – बदनाम करना
- काला नाग होना – अत्यधिक खतरनाक
- कामकाज में कोरा होना – काम न जानना
- काम निकालना – प्रयोजन सिद्ध करना
- कागज काला करना – बेकार की बातें लिखना
- कागजी घोड़े दौड़ाना – व्यर्थ की लिखा-पढ़ी करना
- किरकिरी होना – आनंद बिगड़ जाना
- कच्ची गोटी खेलना – अनुभवहीन होना
- काँटे बोना – बुराई करना
- काँटों में घसीटना – संकट में डालना
- काला अक्षर भैंस बराबर – निरक्षर होना
- किनारा करना – अलग होना
- किस्मत ठोकना – पश्चाताप करना
- किताब का कीड़ा होना – बराबर पढ़ते रहना
- कुएँ में बाँस डालना – बहुत खोजबीन करना
- कुएँ में भाँग पड़ना – सबकी अक्ल मारी जाना
- कन्नी काटना – बचकर निकल जाना
- कंधा लगाना – सहारा देना
- कौड़ी का तीन समझना – तुच्छ समझना
- कचूमर निकालना – खूब पीटना
- कोहराम मचाना – दुखपूर्ण चीख-पुकार
- कटे पर नमक छिड़कना – विपत्ति के समय और दु:ख देना
- खटाई में पड़ना – व्यवधान आ जाना
- खरी-खोटी सुनाना – भला-बुरा कहना
- खाक छानना – भटकना, बहुत ढूँढना
- खाक में मिलना – बर्बाद होना
- खा-पचा जाना – बर्बाद करना
- खेत आना – युद्ध में मारा जाना
- खेल खिलाना – परेशान करना
- खुशामदी टट्टू – मुँहदेखी करना
- ख्याली पुलाव – सिर्फ कल्पना करना
- गड्ढा खोदना – हानि पहुँचाने का उपाय
- गिरगिट की तरह रंग बदलना – एक बात पर न रहना
- गढ़ जीतना – कठिन कार्य पर विजय पा लेना
- गला छूटना – पिंड छूटना, मुक्त होना
- गजभर की छाती होना – उत्साहित होना
- गले का हार होना – अत्यन्त प्रिय होना
- गंगा नहाना – कठिन कार्य पूरा होना
- गले पड़ना – जबरदस्ती मुसीबत आना
- गाँठ पड़ना – स्थायी दुश्मनी हो जाना
- गाँठ बाँधना – पूर्ण रूप से याद रखना
- गागर में सागर भरना – थोड़े में बहुत कुछ कहना
- गुड़ गोबर होना – बना काम बिगाड़ देना
- गुदड़ी का लाल – गरीबी में भी प्रतिभावान होना
- गुल खिलाना – कोई बखेड़ा खड़ा करना
- गुड़ियों का खेल होना – सहज काम
- गुरुघंटाल – बहुत चालाक
- गूलर का फूल – दुर्लभ चीज
- गोटी लाल होना – लाभ होना
- गुस्सा पीना – क्रोध सहकर रह जाना
- गोबर गणेश – महाबुद्धू
- गुड़ देकर मारना – कपटपूर्ण व्यवहार करना
- गच्चा खाना – किसी के फेर में पड़कर धोखा खाना
- गर्दन न उठाना – अधीन होना/अत्यधिक लज्जित होना
- गाजर मूली समझना – निर्बल समझना
- गत बनाना – दुर्दशा करना
- घर-पर गंगा आना – बिना श्रम के काम सिद्ध होना
- घर बसाना – विवाह करना
- घर बसना – घर में पत्नी का आना
- घर का उजाला – कुलदीपक
- घर का मर्द – बाहर डरपोक
- घर का आदमी – कुटुम्ब, इष्ट-मित्र
- घास खाना – घोर मूर्खता का परिचय देना
- घास खोदना (काटना) – व्यर्थ समय नष्ट करना
- घाट-घाट का पानी पीना – अनुभवी होना
- घाव हरा करना – भूले दु:ख की याद दिलाना
- घाव पर नमक छिड़कना – दुखी को और दु:ख देना
- घात लगाना – मौके की तलाश में रहना
- घी के दिये जलाना – खुशियाँ मनाना, आनंद-मंगल होना
- घुटा हुआ – अत्यन्त चालाक
- घड़ों पानी पड़ना – शर्मिन्दा होना
- घड़ियाँ गिनना – व्यग्र होकर प्रतीक्षा करना
- घोड़े बेचकर सोना – निश्चिंत होना/बेफिक्र होना
- घुटने टेकना – हार मानना
- घोड़े पर चढ़कर आना – लौटने की जल्दी मचाना
- घर का न घाट का – कहीं का न रहना
- चलते बनना – भाग जाना/खिसक जाना
- चल निकलना – प्रगति करना, बढ़ना
- चम्पत हो जाना – भाग जाना
- चकमा देना – धोखा देना
- चलती गाड़ी में रोड़ा अटकाना – बने काम में विघ्न डालना
- चरबी छाना – घमंड होना
- चाँदी का जूता मारना – रुपये का जोर (रिश्वत देना)
- चाँदी की ऐनक लगना – किसी न किसी प्रकार प्रतिष्ठा बनाए रखना
- चाँदी काटना – आनंद से जीवन बिताना
- चाँद पर थूकना – भले आदमी पर कलंक लगाना
- चार दिन की चाँदनी – क्षणिक सुख
- चादर के बाहर पैर पसारना – क्षमता से अधिक व्यय करना
- चिकना घड़ा होना – बात का असर न होना
- चांडाल चौकड़ी – निकम्मों की दोस्ती
- चार चाँद लगना – शोभा में और शोभा होना
- चिराग तले अँधेरा – अपने दोष न देख पाना
- चण्डूखाने की गप – झूठी गप
- चिकने घड़े पर पानी पड़ना – उपदेश का कोई प्रभाव न होना
- चींटी के पर निकलना – मृत्यु के समीप होना
- चिराग से चिराग जलाना – एक से दूसरे का काम बनना
- चुनौती देना – ललकारना
- चुल्लूभर पानी में डूब मरना – अत्यन्त लज्जित होना/मुँह न दिखाना
- चूना लगाना – नुकसान देना
- चूड़ियाँ पहनना – औरतों की भाँति डरपोक होना
- चुटकी लेना – हँसी उड़ाना
- चुपड़ी और दो-दो – सभी ओर से लाभ
- चेहरे की हवाइयाँ उड़ना – उदास होना
- चैन की बंसी बजाना – सुख से समय बिताना
- चोटी का पसीना एड़ी तक आना – कठोर परिश्रम करना
- चोली-दामन का साथ – घनिष्ठ सम्बन्ध/अंतरंग मित्र
- चोर के कान पड़ना – बात फैलना
- चोरी और सीना जोरी – अपराध करके अकड़ना
- चौदहवी का चाँद – बहुत सुन्दर होना
- छठी का दूध याद आना – घोर संकट में पड़ जाना
- छक्के छुड़ाना – खूब परेशान करना
- छक्का-पंजा भूल जाना – दाँव-पेच न सूझना
- छप्पर फाड़कर देना – अनायास लाभ होना
- छह पाँच करना – आनाकानी करना
- छाती पर मूँग दलना – कष्ट देना
- छाती पर पत्थर रखना – चुपचाप दु:ख सहना
- छाती ठोकना – विश्वास दिलाना
- छाती से लगाकर रखना – किसी वस्तु से अत्यधिक लगाव रखना
- छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या करना
- छाती पर पत्थर रख लेना – असह्य दु:ख को दिल में ही दबा लेना
- छोटा मुँह बड़ी बात – योग्यता से बढ़कर बोलना
- छूमंतर होना – गायब हो जाना
- जबान को लगाम देना – सोच-समझकर बोलना
- जमीन पर पैर न पड़ना – अभिमानी होना
- जहाज का पंछी होना – एक पर आश्रित होना
- जड़ उखाड़ना – पूर्ण नाश करना
- जंगल में मंगल करना – शून्य स्थान को भी आनंदमय कर देना
- जबान पर लगाम न होना – बिना सोचे-समझे बोलना
- जमीन चूमने लगना – धराशायी होना
- जलती आग में घी डालना – झगड़ा बढ़ाना
- जहर उगलना – चुभने वाली बात कहना
- जमीन आसमान का फर्क – भारी अन्तर
- जमीन में गड़ना – शर्म से सिर नीचा होना
- जली-कटी सुनाना – बुरा-भला कहना
- जहर का घूँट पीना – कड़वी बात सहना
- जमीन आसमान एक करना – बहुत मेहनत करना
- जान पर खेलना – प्राणों की बाजी लगाना
- जान छूटना – हानि से बचना
- जान के लाले पड़ना – प्राण संकट में पड़ना
- जिस थाली में खाना उसी में छेद करना – कृतघ्न होना
- जान खाना – तंग करना
- जी भर आना – दु:ख से द्रवित होना
- जी लगना – मन लगना
- जी टूटना – दिल टूटना
- जी चुराना – किसी काम से भागना
- जी खट्टा होना – खराब अनाव होना/मन फिर जाना
- जी का गुबार निकालना – मन के असंतोष को व्यक्त करना
- जीती मक्खी निगलना – जान-बूझकर बेईमानी करना या जानबूझकर झूठ बोलना
- जूतियाँ चाटना/तलवे चाटना – खुशामद करना/चापलूसी करना
- जूतियों में दाल बाँटना – झगड़ा होना
- जोड़-तोड़ बैठाना – अवैध उपाय करना
- जौहर खुलना – भेद का पता लगना
- झाडू फेरना – नष्ट करना
- झूठे की कब्र तक जाना – झूठे का झूठ साबित करके उसे लज्जित करना
- टपक पड़ना – अकस्मात् आ जाना
- टस से मस न होना – अनुनय-विनय से न पसीजना
- टका-सा जवाब देना – तुरन्त अस्वीकार कर देना
- टका-सा मुँह लेकर रह जाना – लज्जित होना
- टक्कर लेना – मुकाबला करना
- टांग अड़ाना – दखल देना
- टाटा उलटना – दिवाला निकालना
- टाँय-टाँय फिस होना – काम बिगड़ना
- टिप्पस लगाना – सिफारिश करवाना
- अट पड़ना – भारी संख्या में पहुँचना
- टुकड़ों पर पलना – दूसरों की कमाई पर गुजारा करना
- टेक निभाना – प्रण पूरा करना
- टेढ़ी खीर होना – कठिन काम
- टोपी उछालना – अपमानित करना
- टेढ़ी उँगली से घी निकालना – चालाकी से काम निकालना
- ठन-ठन गोपाल – कंगाल होना
- ठकुर सुहाती बातें करना – हाँ में हाँ मिलाना/चापलूसी करना
- ठिकाने लगाना – बिल्कुल समाप्त कर देना
- ठठेरे-ठठेरे बदला – समान बुद्धिवाले से काम पड़ना
- डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना – अलग-अलग होकर काम करना
- डंक मारना – कटु वचन बोलना
- डंडी मारना – कम तौलना
- डंका बजाना – ख्याति प्राप्त करना
- डोरे डालना – प्रेमपाश में बाँधना, प्रेम में फँसाना
- डोरी ढीली करना – छूट देना
- डींग हाँकना – शेखी बघारना
- डूबते को तिनके का सहारा – संकट में पड़े को थोड़ी मदद
- ढपोर शंख – बेवकूफ
- ढाक के वही तीन पात – सदा एक-सा
- ढिंढोरा पीटना – प्रचार करना
- ढेर करना – मार डालना
- ढेर होना – मर जाना
- ढील देना – अधीनता में न रखना/छूट देना
- तह-पर-तह देना – खूब खाना
- तख्ता पलटना – सरकार बदलना
- तलवा चाटना – खुशामद करना
- तबियत भर लेना – पूरी तसल्ली कर देना
- तवे की बूँद होना – तुरन्त नष्ट हो जाना
- तलवे धोकर पीना – ज्यादा खुशामद करना
- तारे गिनना – चिंता में रातभर जागना
- ताड़ लेना – समझ जाना
- तालु में जीभ न लगना – चुप न रहना
- ताना मारना – व्यंग्य वचन बोलना
- ताल ठोकना – ललकारना, चुनौती देना
- ताक पर रखना – उपयोगिता कम होने पर हटा देना
- तिनके की ओट में पहाड़ – अल्पसाधन में अधिक काम हो जाना
- तुक में तुक मिलाना – खुशामद करना
- तिल का ताड़ करना – बड़ा-चढ़ाकर कहना
- तिनके को पहाड़ करना – छोटी बात को बड़ी बनाना
- तीर मारना – बड़ा काम करना
- तीन तेरह करना – तितर-बितर करना
- त्रिशंकु होना – बीच में लटक जाना
- तेली का बैल होना – हर समय काम में लगे रहना
- तोते की तरह आँखें फेरना – पुराने संबंधों को एकदम भुला देना
- तंग करना – हैरान करना
- तंग हाथ होना – निर्धन होना
- थाली का बैंगन – सिद्वांतहीन, अवसरवादी
- थूक कर चाटना – अपनी बात से मुकर जाना
- थू-थू करना – घृणा प्रकट करना
- थू-थू होना – बेइज्जती होना
- दमड़ी के तीन होना – अत्यन्त सस्ता होना
- दम भरना – दावा करना
- दर-दर की ठोकरें खाना – कष्ट उठाना
- दाम लगाना – मूल्य आँकना
- दाहिना हाथ – अत्यन्त विश्वसनीय सहायक
- दाल गलना – कामयाब होना, प्रयोजन सिद्ध होना
- दाल न गलना – बस न चलना
- दाई से पेट छिपाना – जानकार से बात छिपाना
- दाल में काला होना – शक होना/संदेह की बात होना
- दिन में तारे दिखाई देना – अजीब स्थिति होना/घोर संकट में पड़ जाना
- दिल दरिया होना – उदार होना
- दिल छोटा करना – हतोत्साहित होना
- दिए तले अँधेरा – अपने दोष स्वयं न देखना
- दिल बढ़ाना – साहस भरना
- दिमाग आसमान पर चढ़ना – बहुत घमंडी होना
- दुम दबाकर भागना – डरकर भाग जाना
- दूर की हाँकना – बढ़-चढ़कर बातें करना
- दूर के ढोल सुहावने लगना – अनदेखी वस्तु भाना
- दूध का दूध पानी का पानी – उचित निर्णय करना
- दीदे का पानी ढल जाना – बेशर्म होना
- दिमाग खाना – बकवास करना
- दूध का धुला होना – निर्दोष या निष्कलंक होना
- दूध के दाँत न टूटना – अनुभवहीन होना
- दो नावों पर सवार होना – दोनों तरफ रहना
- दो टुक जवाब देना – साफ-साफ कहना
- द्रौपदी का चीर – कभी समाप्त न होना
- दायें-बायें देखना – सावधान होना
- दो कौड़ी का आदमी – गरीब, नालायक
- धज्जियाँ उड़ाना – दुर्गति करना/बेइज्जत करना
- धाक जमाना – रौब दिखाना
- धूल छानना – मारे-मारे फिरना
- धूप में बाल सफेद करना – अनुभवहीन होना
- धूप में बाल सफेद न होना – अनुभव होना
- धोबी का कुत्ता होना – किसी काम का न होना
- धरती पर पाँव न रखना – घमंडी होना
- धोती ढीली होना – डर जाना
- नशा उतरना – घमंड उतरना
- नकेल हाथ में होना – पूर्ण नियंत्रण होना
- न तीन में न तेरह में – किसी काम का न होना
- नमक अदा करना – फर्ज पूरा करना
- नमक-मिर्च लगाना – बढ़ा-चढ़ाकर कहना
- नजर पर चढ़ना – पसंद आ जाना
- नानी याद आना – संकट का अहसास होना
- नानी के आगे ननिहाल की बातें – अधिक ज्ञान वाले के आगे अपने ज्ञान की शेखी मारना
- निन्यानवे के फेर में पड़ना – धन-संग्रह में लगे रहना
- नौ-दो ग्यारह होना – गायब हो जाना/भाग जाना
- नसीब चमकना – भाग्य चमकना
- नींद हराम होना – तंग आना, सो न पाना
- नेकी और पूछ-पूछ – बिना कहे ही भलाई करना
- पते की बात कहना – रहस्य या चुभती हुई काम की बात कहना
- पल्ला छुड़ाना – छुटकारा पाना
- पहाड़ टूट पड़ना – भारी विपत्ति में आ जाना
- पट्टी पढ़ाना – सिखा-पढ़ा देना, बहका देना
- पगड़ी उछालना – बेइज्जत करना
- पगड़ी बदलना – पक्की मित्रता होना
- पगड़ी रखना – दया की भीख माँगना
- पलक बिछाना – स्वागत के लिए उत्सुक होना
- पट गँवाना – मान-मर्यादा का ना होना
- पहेली बुझाना – घुमा-फिराकर बात करना
- पसीने-पसीने होना – घबरा जाना
- पोल खुलना – रहस्य प्रकट करना
- पल्ला पकड़ना – सहारा लेना
- पत्थर पर दूध जमाना – असंभव बात करना
- पारा चढ़ना – क्रोध करना
- पीठ ठोकना – साहस बँधाना
- पापड़ बेलना – कष्ट उठाना
- पेट में चूहे कूदना – भूख से परेशान होना
- प्राण हथेली पर लेकर चलना – मृत्यु के लिए तैयार रहना
- प्राण पखेरू उड़ना – मर जाना
- पाँव फूँक-फूँककर रखना – अत्यधिक सावधानी बरतना
- पाँव उखड़ना – हारकर भाग जाना
- पाँचों उँगलियाँ घी में होना – सभी तरह से लाभ ही लाभ होना
- पानी पीटना – व्यर्थ का काम करना
- पानी देना – तर्पण करना
- पानी पीकर कोसना – हर घड़ी किसी का अमंगल चाहना
- पानी पर नींव डालना – ऐसी वस्तु को आधार बनाना जो टिकाऊ न हो
- पानी-पानी होना – अधिक लज्जित होना
- पानी लगना – स्थान विशेष के वातावरण का असर होना
- पानी न माँगना – तत्काल मर जाना
- पानी पीकर जात पूछना – काम निकलने के बाद सोचना
- पानी का बुलबुला होना – क्षणभंगुर होना
- पानी में आग लगाना – असंभव को संभव बनाना
- पानी से पहले मोजा उतारना – किसी कार्य को करने से पूर्व ही डर जाना
- पानी रखना – मर्यादा की रक्षा करना
- पानी उतर जाना – शर्म न रहना
- पानी-पानी करना – बेइज्जत करना
- पानी की तरह बहाना – अंधाधुंध धन खर्च करना
- पीठ दिखाना – धोखा देना/डरकर भाग जाना
- पौ फटना – प्रात:काल होना
- पानी फेर देना – बर्बाद कर देना
- पौ-बारह होना – लाभ ही लाभ होना
- पानी का बुलबुला – क्षणभंगुर वस्तु
- फूला न समाना – काफी खुश होना
- फूलना-फलना – उन्नति करना
- फूल झड़ना – प्रिय वचन बोलना
- फूटी आँख न देखना – घृणा करना
- फफोले फोड़ना – बैर साधना
- फबतियाँ कसना – ताना मारना
- फूँक-फूँक कर कदम रखना – सावधान होकर काम करना
- बट्टा लगाना – कलंक लगाना
- बछिया का ताऊ – मूर्ख
- बगुला भगत होना – ठग होना
- बसंत की कोकिल – वैभवशाली का गुणगान करने वाला
- बहती गंगा में हाथ धोना – अवसर का लाभ उठाना
- बरस पड़ना – क्रोध करना
- बच्चों का खेल होना – अत्यन्त सरल कार्य
- बखिया उधेड़ना – किसी की गुप्त बात को प्रकट करना
- बड़े घर की हवा खाना – जेल जाना
- बल्लियाँ उछलना – अत्यन्त प्रसन्न होना
- बाग-बाग होना – अत्यधिक प्रसन्न होना
- बाल की खाल निकालना – बात की तह तक जाना/अधिक तर्क-वितर्क करना
- बाएँ हाथ का खेल – बहुत आसान
- बालू की भींत – क्षणभंगुर होना
- बाल भी बाँका न होना – साफ-साफ बच जाना
- बालू से तेल निकालना – असंभव को संभव कर दिखाना
- बाजार गर्म होना – काम धंधा चलना
- बाछें खिलना – अत्यन्त प्रसन्न हो जाना
- बिल्ली के गले में घंटी बाँधना – स्वयं को मुसीबत में डालना
- बीड़ा उठाना – कार्य करने का संकल्प लेना
- बेपेंदे का लोटा – ढुलमुल नीति वाला व्यक्ति
- बात ही बात में – अतिशीघ्र
- बातों में उड़ाना – हँसी-मजाक में उड़ा देना
- बोली मारना – ताना देना
- बात का धनी – वादे का पक्का, दृढ़प्रतिज्ञ
- बात चलाना – चर्चा करना
- बात न पूछना – निरादर करना
- बात पर न जाना – विश्वास न करना
- बात पी जाना – सुनकर भी ध्यान न देना
- भाड़ झोंकना – व्यर्थ समय नष्ट करना
- भनक पड़ना – उड़ती हुई खबर सुनना
- भाड़े का टट्टू – खरीदा जा सकने वाला व्यक्ति
- भगीरथ प्रयास – असाधारण प्रयत्न
- भांडा फूटना – भेद खुल जाना
- भिड़ के छत्ते में हाथ डालना – झगड़ालू को चिढ़ाना
- भीगी बिल्ली बनना – सहमे रहना
- भुजा उठाकर कहना – प्रतिज्ञा करना
- भूत चढ़ना या सवार होना – किसी बात की जिद
- मर मिटना – बर्बाद होना
- मन मैला करना – खिन्न होना
- मन के लड्डू – ख्यालों में प्रसन्न रहना
- मन खट्टा होना – मन फिर जाना
- मक्खियाँ मारना – निठल्ला बैठना
- मजा चखाना – बदला लेना
- मन मसोसना – विवश होना
- मन की मन में रहना – इच्छा पूरी न होना
- म्याऊँ का ठौर पकड़ना – खतरनाक काम करना
- मखमली जूते मारना – मीठी बातों से लज्जित करना
- माथा ठनकना – अनिष्ट की आशंका होना
- मक्खी की तरह निकाल देना – किसी को किसी काम से उपेक्षापूर्ण अलग कर देना
- मिट्टी के मोल बिकना – बहुत सस्ता होना
- मिट्टी कर देना – चौपट कर देना
- मिट्टी पलीद करना – जलील करना
- मिट्टी का माधो – निपट मूर्ख
- मिट्टी में मिला देना – नष्ट कर देना
- मूँछ मुँड़ाना – हार मानना
- मुट्ठी में करना – रिश्वत देना
- मैदान मारना – लड़ाई जीतना
- मोम होना – द्रवीभूत होना, दया से पिघलना
- माँस नोचना – तंग करना
- मीन मेख करना – कमियाँ निकालना
- मोटा आसामी – मालदार आदमी
- यश गाना – प्रशंसा करना, अहसान मानना
- यश मानना – कृतज्ञ होना
- युग-युग – बहुत दिनों तक
- युगांतर उपस्थिति करना – किसी पुरानी प्रथा के स्थान पर नई प्रथा चलाना
- रंग उतरना – फीका होना
- रास्ते पर आना – सुधर जाना
- रंगा सियार होना – धूर्त होना
- रंग लाना – असर दिखाना
- रंग बदलना – परिवर्तन आना
- रंग जाना – पूरी तरह प्रभावित होना
- रंग में भंग पड़ना – आनंद में विघ्न पड़ना
- रग फड़कना – उत्साह भर जाना
- रास्ते पर चलना – कुमार्ग का त्याग कर सुमार्ग पर चलना
- रसातल चला जाना – एकदम नष्ट हो जाना
- राम-नाम सत्य होना – मर जाना
- रीढ़ टूटना – आधार ही न रहना
- रोंगटे खड़े होना – भयभीत होना
- रेलमपेल होना – अत्यधिक भीड़-भाड़
- रफूचक्कर होना – भाग जाना
- रोटियाँ तोड़ना – बैठे-बैठे खाना
- रोना-रोना – दुखड़ा सुनाना
- लकीर का फकीर होना – परम्पराओं का अनुकरण करना
- लहू के आँसू पीना – दु:ख सह लेना
- लाख से लीख होना – कुछ न रह जाना
- लाले पड़ना – मोहताज होना
- लल्लो-चप्पों करना – खुशामद करना
- लहू का प्यासा होना – जान से मारने को तत्पर
- लट्टू होना – मुग्ध होना/रीझना
- लाल-पीला होना – गुस्सा आना
- लाख टके की बात कहना – अत्यन्त उपयोगी बात
- लंगोटिया यार होना – गहरी मित्रता होना
- लेने के देने पड़ना – लाभ के बदले हानि
- लुटिया डुबोना – काम बिगाड़ना
- लोहा बजना – युद्ध होना
- लोहे के चने चबाना – कठिन काम करना
- लोहा मानना – श्रेष्ठता स्वीकार करना
- लोहा लेना – टक्कर लेना
- वचन देना – जबान देना
- वचन हारना – जबान हारना
- वक्त पर काम आना – विपत्ति में मदद करना
- शर्म से गड़ जाना – अधिक लज्जित होना
- शर्म से पानी-पानी होना – बहुत लजाना
- शान में बट्टा लगना – इज्जत में धब्बा लगना
- शेर की सवारी करना – खतरनाक कार्य करना
- शेर के कान काटना – अत्यधिक चालाक होना
- शेखी बघारना – डींग हाँकना
- शैतान की आँत – बहुत बड़ा/लम्बा
- शीशे में उतारना – वश में करना
- शैतान की खाला – झगड़ालू स्त्री
- श्वान निद्रा – सजग निद्रा
- शिकार हाथ लगना – आसामी मिलना
- श्रीगणेश करना – आरंभ करना
- शेर के दाँत गिनना – साहस का कार्य करना
- साढ़े साती लगना – विपत्ति का समय आना
- समुद्र मंथन करना – कठोर परिश्रम करना
- समझ पर पत्थर पड़ना – विवेक नष्ट होना
- सोने पर सुहागा – अच्छे पर अच्छा
- सब्जबाग दिखाना – बड़ी-बड़ी आशाएँ दिलाना
- सिक्का जमाना – प्रभुत्व जमाना
- साँप-छछूंदर की हालत – दुविधा में पड़ना
- सितारा चमकना या बुलंद होना – भाग्योदय होना
- सीधे मुँह बात न करना – घमंड करना
- सुबह का चिराग होना – समाप्ति पर आना
- सन्नाटे में आना/सकते में आना – स्तब्ध हो जाना
- सब धान बाईस पंसेरी – सबके साथ एक-सा व्यवहार
- सींग कटाकर बछड़ों में – वास्तविकता छिपाकर कार्य शामिल होना करना
- सेमल/रोहिड़े का फूल होना – बनावटीपन
- सैकड़ों घड़े पानी पड़ना – बहुत लज्जित होना
- सुबह-शाम करना – टाल-मटोल करना
- सूरत नजर आना – बहुत दिनों के बाद दिखाई देना
- सुर्खाब का पर लगाना – विशिष्ट होना
- हथियार डालना – हार मान लेना
- हक्का-बक्का रह जाना – भौंचक्का रह जाना
- हवा लगना – संगति का प्रभाव (बुरे अर्थ में)
- हवा से बातें करना – बहुत तेज गति से चलना
- हवाई किले बनाना – कल्पित बातें करना
- हाल पतला होना – आर्थिक स्थिति खराब होना
- हथेली पर सरसों उगाना – तत्काल कार्य करने का प्रयास करना
- होम करते हाथ जलना – भला करने में बुराई मिलना
- हड़प जाना – हजम कर जाना
- हल्का होना – तुच्छ होना, कम होना
- हृदय पसीजना – द्रवित होना
अंग संबंधी मुहावरे–
अँगूठा
- अँगूठा चूमना – खुशामद करना
- अँगूठा नचाना – चिढ़ाना
- अँगूठा दिखाना – देने से इंकार करना
आँख
- आँख खुलना – होश में आना/सच्चाई पता चलना
- आँख में पानी रखना – मर्यादा रखना
- आँख रखना – ध्यान रखना
- आँख मारना – इशारा करना
- आँख लगना – नींद लग जाना
- आँख फड़कना – सगुन आभास
- आँखें चुराना – सामने आने से परहेज करना
- आँखें खुलना – सजग होना
- आँखों का पानी ढल जाना – लज्जारहित हो जाना
- आँखों का प्यारा या पुतली होना – बहुत प्यारा होना
- आँख का अंधा गाँठ का पूरा – मूर्ख किन्तु धनवान
- आँखें नीली-पील करना – नाराज होना
- आँखों में खटकना – बुरा लगना
- आँखों में चर्बी छाना – घमंडी होना
- आँखें थकना – प्रतीक्षा में निराश होना
- आँखें लाल करना – क्रोध की नजर से देखना
- आँखें लड़ना – देखादेखी होना, प्रेम होना
- आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना
- आँख भर आना – आँसू आना
- आँखें बिछाना – बेसब्री से प्रतीक्षा करना
- आँखें फेरना – नजर बदलना
- आँखों पर बिठाना – आदर करना
- आँख दिखाना – क्रोध प्रकट करना
- आँखें ठंडी होना – इच्छा पूरी होना
- आँखें चार होना – सामना होना, प्रेम होना
- आँखें लड़ाना – प्रेम करना
- आँखों से गिरना – कोई महत्त्व न रहना
- आँख का काँटा होना – बुरा लगना, अप्रिय होना
- आँखें नीची होना – लज्जित होना
- आँख का काजल होना – अत्यधिक प्रिय होना
- आँखों में पानी होना – शर्मदार होना
- आँखों में खून उतरना – अत्यधिक क्रोधित होना
- आँखें बंद होना – मृत्यु हो जाना
आँसू
- आँसू पोंछना – धैर्य बँधाना
- आँसू पीकर रह जाना – चुपचाप दु:ख सहन करना
- आँसू बहाना – खूब रोना
- आँसू पीना – दु:ख को दबाना
उंगुली
- उँगली से पुँचा पकड़ना – आश्रय पाकर अधिकार जमाना
- उँगली उठाना – आरोप लगाना
- सीधी उँगली से घी न निकलना – भलमनसाहत से काम न होना
- पाँचों उँगलियाँ घी में होना – सब प्रकार से लाभ ही लाभ होना
- कानों में उँगली देना – किसी बात को सुनने की चेष्टा न करना
कलेजा
- कलेजा ठंडा होना – मन को शांति मिलना
- कलेजा धक से रह जाना – भयभीत होना
- केलेजे का टुकड़ा होना – बहुत प्रिय पुत्र
- कलेजा मुँह को आना – घबरा जाना
- कलेजा काँपना – भयभीत होना
- कलेजे पर साँप लोटना – ईर्ष्या करना
- कलेजे से लगाना – प्यार करना, छाती से चिपका लेना
- कलेजा निकालकर रख देना – अतिप्रिय वस्तु अर्पित करना
- कान भरना – चुगली करना
- कान काटना – अपेक्षाकृत अच्छा कार्य करना
- कान पकड़ना – भूल स्वीकार करना
- कान का कच्चा – किसी की बात सुनकर उस पर शीघ्र विश्वास कर लेना
- कान खड़ होना – सचेत होना/होशियार होना
- कानों में तेल डालकर बैठना – किसी की बात न सुनना
- कान पर जूँ न रेंगना – बेपरवाह/संवेदनहीन होना
- कान कतरना – शिकस्त देना
- कान खोलना – सावधान करना
- कान में डालना – अवगत करा देना
- कान लगाना – ध्यानपूर्वक सुनना
- कानों-कान खबर न होना – बात न फैलना
खून
- खून खौलना – क्रोध से लाल–पीला होना
- खून के आँसू पीना – गुस्सा दबा जाना
- खून सूखना – भयभीत होना
- खून सफेद होना – निर्दय होना
- खून-पसीना एक करना – कठिन परिश्रम करना
- खून सवार होना – किसी को मार डालने के लिए तैयार होना
- खून पीना – परेशान करना
- खून का प्यासा – जान से मारने पर उतारू
गाल
- गाल बजाना – डींग हाँकना
- गाल फुलाना – रूठना
- काल के गाल में जाना – मृत्यु के मुख में पड़ना
- गले पड़ना – पीछे पड़ना
- गले का हार होना – अत्यंत प्रिय होना
- गला काटना – अहित करना
गर्दन
- गर्दन न उठाना – अधीन होना
- गर्दन उठाना – प्रतिवाद करना
- गर्दन पर सवार होना – पीछा न छोड़ना
- गर्दन पर छुरी फेरना – अत्याचार करना
दाँत
- दाँत खट्टे करना – बुरी तरह परास्त करना
- दाँतों तले उँगली दबाना – आश्चर्य करना
- दाँत से दाँत बजाना – अधिक ठंड पड़ना
- दाँत काटी रोटी – घनिष्ठ मित्रता
- दाँत गिनना – उम्र बताना
- दाँत जमाना – अधिकार पाने के लिए दृढ़ता दिखाना
- दाँत गड़ाना – किसी वस्तु को पाने के लिए गहरी चाह
- तालु में दाँत जमना – बुरे दिन आना
नाक
- नाक काटना – इज्जत नष्ट करना
- नाक कटना – इज्जत जाना
- नाक रखना – प्रतिष्ठा रखना
- नाक रगड़ना – मिन्नत करना
- नाक में दम करना – तंग करना
- नाक में दम आना – तंग होना
- नाक पर सुपारी तोड़ना – बहुत परेशान करना
- नाक में नकेल डालना – वश में करना
- नाक का बाल – अत्यधिक प्रिय होना
- नाक-भौं सिकोड़ना – घृणा करना
- नाक पर मक्खी न बैठने देना – खरे स्वभाव का होना
मुँह
- मुँह फुलाना – नाराज होना
- मुँह बंद होना – चुप होना
- मुँह बनाना – असंतुष्ट होना
- मुँह लगाना – सिर चढ़ाना
- मुँह रखना – लिहाज रखना
- मुँह चुराना – संकोच करना
- मुँह भरना – घूस देना
- मुँह लटकाना – दुखी होना
- मुँह आना – मुँह की बीमारी होना
- मुँह सूखना – भयभीत होना
- मुँह की खाना – परास्त होना
- मुँह ताकना – किसी का आसरा चाहना
- मुँह फेरना – अकृपा करना
- मुँह में पानी भर आना – ललचाना
- मुँह से लार टपकना – बहुत लालची होना
- मुँह की खाना – पराजित होना
- मुँह से फूल झड़ना – मधुर बोलना
पेट, पीठ
- पेट काटना – आधा खाना
- पेट पर पट्टी बाँधना – भूखा रहना
- पेट में चूहे कूदना – भूख लगना
- पीठ दिखाना – धोखा देना
सिर
- सिर हथेली पर रखना – मरने के लिए तैयार होना
- सिर ऊँचा होना – सम्मान में वृद्धि होना
- सिर से तिनका उतारना – जरा-सा उपकार करना
- सिर उठाना – विरोध करना, फुरसत पाना
- सिर चढ़ाना – ज्यादा लाड़ लड़ाना
- सिर खाना – परेशान करना
- सिर आँखों पर होना – सहर्ष स्वीकार होना
- सिर झुकाना – आत्मसमर्पण करना
- सिर फिर जाना – पागल हो जाना, घमंड होना
- सिर चढ़कर बोलाना – छिपाए न छिपना
- सिर मारना – प्रयत्न करना
- सिर पर खेलना – प्राण दे देना
- सिर पाँव रखकर भागना – बहुत जल्द भागना
- सिर पर चढ़ना – हावी होना
- सिर पर उठाना – शोर मचाना
- सिर पर हाथ होना – सामर्थ्यवान का समर्थन होना
हाथ
- हाथ जोड़ देना – हार मान लेना
- हाथ मलना – पछताना
- हाथ-पाँव फूलना – घबरा जाना
- हाथ साफ करना – चोरी करना
- हाथ कटना – अधिकार न होना
- हाथ का मैल होना – तुच्छ वस्तु होना
- हाथ को हाथ न सूझना – घोर अंधकार
- हाथ चूमना – हर्ष व्यक्त करना
- हाथ पर हाथ धरे बैठना – बेकार बैठे रहना
- हाथ मारना – उड़ा लेना, लाभ उठाना
- हाथापाई करना – मुठभेड़ होना
पैर
- पैरों तले जमीन खिसकना – आश्चर्यचकित होना
- पैरों में मेंहदी लगाकर बैठना – कहीं न जा सकना
- पैर पकड़ना – क्षमा चाहना
माथा
- माथा ठनकना – अनिष्ट की आशंका होना
- माथा ठोक लेना – बदकिस्मती के कारण दुखी
अन्य अध्ययन सामग्री
संज्ञा | कारक |
सर्वनाम | वाक्य विचार |
विशेषण | वाच्य |
क्रिया | काल |
शब्द | अविकारी शब्द |
क्रिया विशेषण | मुहावरे |
संधि | लोकोक्तियाँ |
लिंग | वर्ण विचार |
वचन | विराम चिन्ह |
समास | वाक्यांश के लिए एक शब्द |
उपसर्ग | पारिभाषिक शब्दावली |
प्रत्यय | कारक चिन्ह |
अनेकार्थी शब्द | विलोम शब्द |
तत्सम शब्द | तद्भव शब्द |
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हिंदी मुहावरे संबंधित प्रश्न-उत्तर
Q.1
‘लगातार काम में जुटे रहना’ भावार्थ को प्रकट करने वाला मुहावरा है–
1
काठ का उल्लू
2
कोल्हू का बैल होना
3
कान लगाना
4
कमर कसना
Q.2
‘सिर पर भूत सवार होना’ मुहावरे का भावार्थ है–
1
भूत का साया होना
2
दूसरों को लड़ाकर खुश होना
3
धुन सवार होना
4
दुविधा में पड़ना
Q.3
‘लोभ में पड़ना’ भावार्थ के लिए उपयुक्त मुहावरा है–
1
डोरे डालना
2
जोड़-तोड़ करना
3
निन्यानवें का फेर
4
सिक्का जमाना
Q.4
‘पानी-पानी होना’ मुहावरे का सही प्रयोग किस वाक्य में हुआ है?
1
इतनी वर्षा हुई कि आँगन में पानी-पानी हो गया।
2
शरीर में पानी ही पानी है।
3
दाल में पानी-पानी हो गया।
4
चोरी पकड़ी जाने पर वह पानी-पानी हो गया।
Q.5
निम्नलिखित में से ‘शीघ्र नष्ट हो जाने’ का आशय किस विकल्प में है?
1
अंग-अंग ढीला होना
2
ओस का मोती होना
3
पका आम होना
4
बाँबी में हाथ डालना
Q.6
कौन-सा विकल्प सही नहीं है?
1
होनहार बिरवान के होते चीकने पात– मुहावरा
2
अक्ल के घोड़े दौड़ाना– मुहावरा
3
हथेली पर सरसों नहीं उगती– लोकोक्ति
4
विष दे पर विश्वास न दे– लोकोक्ति
Q.7
किस विकल्प में सही अर्थ नहीं है?
1
हाथ कंगन को आरसी क्या– प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या
2
साँप-छछूंदर की गति होना– डर जाना
3
सावन हरे ना भादो सूखा– हमेशा एक जैसा रहना
4
लिखे ईसा पढ़े मूसा– न पढ़ने योग्य लिखावट
Q.8
निम्नलिखित में से मुहावरे का गलत युग्म है–
1
एड़ियाँ घिसना– दौड़ धूप करना
2
उल्टी माला फेरना– अहित सोचना
3
गीदड़ भभकी– दिखावटी गुस्सा
4
गाल फुलाना– बकवास करना
Q.9
‘पेट में दाढ़ी होना’ मुहावरे का सही अर्थ है–
1
कोई गम्भीर बीमारी होना
2
अच्छे सपने देखना
3
न समझने योग्य कार्य/बात होना
4
बाल्यावस्था में ही समझदार हो जाना
Q.10
‘उड़ता तीर लेना’ मुहावरे का अर्थ है–
1
अकारण मुसीबत मोल लेना
2
जादू दिखाना
3
माया का बंधन
4
संशय में पड़ना
Q.11
‘आँखे तरेरना’ मुहावरे का अर्थ है–
1
सान्त्वना देना
2
अचानक विपत्ति आना
3
वश में करना
4
क्रोध से देखना
Q.12
‘धूल फाँकना’ मुहावरे का अर्थ है–
1
अभिमानी होना
2
दर-दर की ठोकरे खाना
3
दुर्गति करना
4
भाग जाना
Q.13
‘नाकों चने चबवाना’ मुहावरे का अर्थ है–
1
बदनाम करना
2
असंभव कार्य करना
3
शर्मिन्दा होना
4
अत्यंत परेशान करना
Q.14
‘कुएँ में भाँग पड़ना’ मुहावरें का अर्थ है–
1
अल्पज्ञ होना
2
काम शुरू करना
3
भाग्य को कोसना
4
सब की बुद्धि मारी जाना
Q.15
‘कसौटी पर कसना‘ मुहावरें का अर्थ है–
1
परीक्षण करना
2
सन्तुष्ट होना
3
तैयार होना
4
साथ देना
Q.16
‘कलेजा थामकर रह जाना‘ मुहावरे का अर्थ है–
1
असह्य बात सहन कर रह जाना
2
अत्यन्त प्रिय
3
ताने मारना
4
अत्यधिक मर्मस्पर्शी रचना करना
Q.17
आज के जमाने में स्वार्थपरता बढ़ जाने के कारण कुछ लोग …………। रिक्त स्थान के लिए सही मुहावरा है–
1
स्वार्थी बनकर लूटते हैं।
2
विरोधियों के दाँत खट्टे करते हैं।
3
थाली के बैंगन बन जाते हैं।
4
अपना प्रभाव जमाते हैं।
Q.18
‘गाँठ बाँधना’ मुहावरे का सही भावार्थ होगा–
1
द्वेष का स्थायी हो जाना
2
स्थायी रूप से याद रखना
3
दया भाव न रहना
4
अत्यन्त निकटता
Q.19
‘शेर को सामने देखकर…’ यह वाक्य किस मुहावरे से पूर्ण होगा?
1
मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया
2
मैं आग बबूला हो उठा
3
मैंने आसमान सिर पर उठा लिया
4
मेरे प्राण सूख गए
Q.20
‘पहाड़ टूट पड़ना’ मुहावरे का सही अर्थ है–
1
व्यक्ति का बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
2
पहाड़ के नीचे दब जाना।
3
अपने को असमर्थ मानना।
4
पर्वत से पत्थर का गिरना।
निष्कर्ष
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