वाच्य किसे कहते हैं? परिभाषा, प्रकार, भेद और उदाहरण, वाच्य परिवर्तन Vachya in Hindi PDF

नमस्कार आज हम हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण अध्याय में से एक वाच्य (Vachya in Hindi) के बारे में अध्ययन करेंगे। इस अध्ययन के दौरान हम वाच्य किसे कहते हैं? वाच्य की परिभाषा, वाच्य के प्रकार, वाच्य के भेद और उदाहरण, वाच्य परिवर्तन Vachya in Hindi PDF इत्यादि के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे।

वाच्य किसे कहते हैं? परिभाषा, प्रकार, भेद और उदाहरण, वाच्य परिवर्तन Vachya in Hindi PDF

वाच्य किसे कहते हैं?

वाक्य में प्रयुक्त क्रिया रूप कर्ता, कर्म या भाव किसके अनुसार प्रयुक्त हुआ है, इसका बोध कराने वाले कारकों को वाच्य कहते हैं।

 वाच्य का अर्थ– बोलने का विषय’

वाच्य की परिभाषा

वाक्य में प्रयुक्त क्रिया रूप कर्ता, कर्म या भाव किसके अनुसार प्रयुक्त हुआ है, इसका बोध कराने वाले कारकों को वाच्य कहते हैं।

क्रिया के उस परिवर्तन को वाच्य कहते हैं जिसके द्वारा इस बात का बोध होता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता, कर्म अथवा भाव इनमें से किसकी प्रधानता है तथा इनमें से किसके अनुसार क्रिया के लिंग, वचन, पुरुष इत्यादि आए हैं अर्थात् वाक्य में क्रिया के लिंग, वचन या तो कर्ता के अनुसार होंगे या कर्म के अनुसार या फिर भाव के अनुसार; जैसे–सोनिया खेल रही है। इस वाक्य में खेलने का मुख्य विषय ‘सोनिया’ अर्थात् कर्ता है इसलिए यह ‘कर्तृ’ वाच्य है और क्रिया के लिंग एवं वचन भी कर्ता के अनुसार है।

वाच्य के प्रकार अथवा भेद

वाच्य तीन प्रकार के होते हैं–

1. कर्तृवाच्य

2. कर्मवाच्य

3. भाववाच्य

1. कर्तृवाच्य– 

जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा और प्रधान सम्बन्ध कर्ता से होता है अर्थात् क्रिया के लिंग एवं वचन कर्ता के अनुसार प्रयुक्त होते हैं, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं; जैसे–

1. लड़का दूध पीता है।

2. लड़कियाँ दूध पीती हैं।

प्रथम वाक्य में ‘पीता है।’ क्रिया कर्ता ‘लड़का’ के अनुसार पुल्लिंग, एकवचन की है जबकि द्वितीय वाक्य में ‘पीती हैं।’ क्रिया कर्ता ‘लड़कियाँ’ के अनुसार स्त्रीलिंग, बहुवचन की है।

• नोट– कर्तृवाच्य में क्रिया अकर्मक या सकर्मक कोई भी हो सकती है।

• विशेष– आदरार्थ ‘आप’ के लिए क्रिया सदैव बहुवचन में होती है; जैसे– आप जा रहे हैं।

• विशेष– यह ध्यान दे कि यदि वाक्य में कर्ता कारक हो और वह विभक्ति चिह्‌न ‘ने’ से जुड़ा हो तब भी कर्तृवाच्य ही होगा बशर्ते क्रिया कर्म के अनुसार परिवर्तित हो रही हो। क्योंकि उस समय भी क्रिया का मुख्य विषय कर्ता को ही बनाया जाता है न कि कर्म को; जैसे–

रचना ने पत्र लिखा।

श्याम ने पुस्तक पढ़ी।

2. कर्मवाच्य– 

जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा सम्बन्ध वाक्य में प्रयुक्त कर्म से होता है अर्थात् क्रिया के लिंग एवं वचन कर्ता के अनुसार न होकर कर्म के अनुसार होते हैं, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। कर्मवाच्य सदैव सकर्मक क्रियाओं का ही होता है क्योंकि इसमें ‘कर्म’ की प्रधानता रहती है तथा कर्ता के बाद ‘से/द्वारा/के द्वारा’ जुड़ा रहता है; जैसे–

प्रकाश के द्वारा पत्र लिखा जाता है।

प्रिया के द्वारा चित्र बनाया जाता है।  

उपर्युक्त प्रथम वाक्य में क्रिया ‘लिखा जाता है’ पुल्लिंग, एकवचन है जो वाक्य में प्रयुक्त कर्म ‘पत्र’ (पुल्लिंग एवं एकवचन) के अनुसार आई है। द्वितीय वाक्य में प्रयुक्त क्रिया ‘बनाया जाता है’ पुल्लिंग एवं एकवचन में है जो वाक्य में प्रयुक्त कर्म ‘चित्र’ (पुल्लिंग एवं एकवचन) के अनुसार है।

• नोट– कर्मवाच्य में केवल सकर्मक क्रिया होती है।

3. भाववाच्य– 

जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया न तो कर्ता के अनुसार होती है, न कर्म के अनुसार बल्कि असमर्थता के भाव के साथ वहाँ भाववाच्य होता है; जैसे– आँखों में दर्द के कारण मुझ से पढ़ा नहीं जाता। इस स्थिति में अकर्मक क्रिया का ही प्रयोग भाव वाच्य में होता है।

नोट–

•  भाववाच्य में क्रिया सदैव एकवचन, पुल्लिंग, अकर्मक तथा अन्य पुरुष में रहती है।

• कर्ता के आगे ‘से/द्वारा/के द्वारा’ जुड़ा रहता है।

• इसमें असर्मथता का भाव होने के कारण वाक्य प्राय: नकारात्मक होते हैं; जैसे–

उससे बैठा नहीं जाता।

पूजा से खाया नहीं जाता।

वाच्य परिवर्तन–

(i) कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना– 

कर्तृवाच्य में कर्ता की प्रधानता होती है, जबकि कर्मवाच्य में कर्म की। अत: किसी वाक्य को कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय, वाक्य में कर्ता को प्रधानता न देकर उसे गौण बना दिया जाता है तथा कर्म को प्रधानता दी जाती है। कर्ता की गौण स्थिति भी दो प्रकार से हो सकती है। एक कर्ता को करण कारक या माध्यम के रूप में प्रयुक्त कर, उसके साथ ‘से/द्वारा/के द्वारा’ विभक्तियाँ लगाकर या दूसरी स्थिति में कर्ता का लोप ही कर दिया जाता है; जैसे–

“राम पत्र लिखेगा।“ कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य रूप बनेगा “राम के द्वारा पत्र लिखा जाएगा।“

क्र.सं.कर्तृवाच्यकर्मवाच्य
1कलाकार मूर्ति गढ़ता है।कलाकार के द्वारा मूर्ति गढ़ी जाती है।
2वह पत्र लिखता है।     उसके द्वारा पत्र लिखा जाता है।
3प्रशान्त ने पुस्तक पढ़ी।प्रशान्त के द्वारा पुस्तक पढ़ी गई।
4दादी कहानी सुनाएगी।दादी के द्वारा कहानी सुनाई जाएगी।
5मैं व्यायाम करता हूँ।मेरे द्वारा व्यायाम किया जाता है।

(ii) कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना– 

कर्तृवाच्य में क्रिया कर्ता के अनुसार प्रयुक्त होती है जबकि भाववाच्य में प्रयुक्त क्रिया न कर्ता के अनुसार होती है, न कर्म के अनुसार बल्कि वह असमर्थता के भाव के अनुसार होती है। अतः कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाते समय कर्ता के साथ ‘से/द्वारा/के द्वारा’ लगाया जाता है या कर्ता का उल्लेख ही नहीं होता, किन्तु कर्ता के उल्लेख न होने की स्थिति तब होती है, जब मूल कर्ता सामान्य (लोग) हो। साथ ही मुख्य क्रिया के पूर्ण कृदन्ती क्रमों के बाद संयोगी क्रिया ‘जा’ लगती है।

क्र. सं.कर्तृवाच्यभाववाच्य
1.मैं अब चल नहीं पाता।मुझसे अब चला नहीं जाता।
2.गर्मियों में लोग खूब नहाते हैं।गर्मियों में खूब नहाया जाता है।
3.वे गा नहीं सकते। उनसे गाया नहीं जा सकता।

(iii) कर्मवाच्य/भाववाच्य से कर्तृवाच्य बनाना– 

कर्तृवाच्य में कर्ता की प्रधानता होती है जबकि कर्मवाच्य में कर्म की। अत: कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाते समय पुन: कर्ता के अनुसार क्रिया प्रयुक्त कर देंगे; जैसे–

क्र. सं.कर्मवाच्य/भाववाच्यकर्तृवाच्य
1.उसके द्वारा पत्र लिखा जाएगा।वह पत्र लिखेगा।
2.बच्चों द्वारा चित्र बनाए गए।बच्चों ने चित्र बनाए।
3.गधे द्वारा बोझा ढोया गया।गधे ने बोझा ढोया।

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वाच्य से समबन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न MCQ

वाच्य किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं?

 वाक्य में प्रयुक्त क्रिया रूप कर्ता, कर्म या भाव किसके अनुसार प्रयुक्त हुआ है, इसका बोध कराने वाले कारकों को वाच्य कहते हैं। 1. कर्तवाच्य. 2 कर्मवाच्य और 3 भाववाच्य

वाच्य शब्द का अर्थ क्या होता है?

वाच्य का अर्थ है ‘बोलने का विषय

निष्कर्ष

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