यण संधि : परिभाषा, प्रकार, नियम और उदाहरण [Yan Sandhi Ke Udaharan]

नमस्कार, स्वागत है आपका एक फिर से हमारे इस एजुकेशन पोर्टल पर, आज हम हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण अध्याय में से एक यण संधि (Yan Sandhi) के बारे में अध्ययन करेंगे। इस अध्ययन के दौरान आपको इस अध्याय से जुड़े विभिन्न बिन्दुओ पर जानकारी दी जाएगी जैसे की यण संधि किसे कहते हैं? यण संधि की परिभाषा, यण संधि के प्रकार अथवा भेद, यण संधि के नियम एवं सबसे महत्वपूर्ण यण संधि के उदाहरण (Yan Sandhi Ke Udaharan) जो की आप अध्ययन के लिए बेहद जरुरी हैं।

यदि आपने किसी भर्ती परीक्षा का एग्जाम दिया है या आप तैयारी कर रहे है तो आपको तो पता ही होगा की यह अध्याय परीक्षा की दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण हैं। लगभग 7 से 8 प्रश्न हिंदी व्याकरण के इस संधि वाले भाग से आते है। अब अगर आपकी तयारी इसी के पक्ष में कमजोर है तो नुकशान में रहेंगे। इसलिए हम आज आपके लिए लेके आ गए है इस टॉपिक से जुडी सम्पूर्ण जानकारी जिसे पढ़ कर आप आसानी से अपनी कमजोरी को दूर कर सकते हैं। तो आइये शुरू करते है यण संधि (Yan Sandhi) का अध्ययन।

यण संधि : परिभाषा, प्रकार, नियम और उदाहरण [Yan Sandhi Ke Udaharan]

प्रस्तावना

किसी भी अध्याय के अध्ययन में सबसे ज्यादा जरुरी है की आप उस टॉपिक से जुड़ा पहले का बेसिक ज्ञान रखते हो इसलिए हम यहां पर आपको सबसे संधि के बारे कुछ जानकारी देंगे, जैसे संधि किसे कहते हैं या संधि के भेद के बारे में। अगर आप पहले से जानते है तो बहुत अच्छी बात लेकिन अगर आपको इसके बारे कुछ कम ही जानकारी है तो आपको हम बताएंगे।

संधि की परिभाषा: आपसी निकटता रखने वाले दो वर्ण आपस में मिलकर एक विकार उत्पन्न करते है, इस बदलाव यानि विकार को संधि कहते है।

जैसे: विधा +आलय = विधालय

संधि के भेद: संधि के सामन्यता तीन भेद होते हैं। जिनके बारे आप जानते ही होंगे।

१) स्वर संधि २) व्यंजन संधि ३) विसर्ग संधि

आज हम यहां पर स्वर संधि के उपभेद यानी यण संधि (Yan Sandhi) के बारे में अध्ययन करेंगे। यदि आपने बाकि स्वर संधि के भेद में पढ़ रखा है तो अच्छी बात वरना आप यहां से ‘स्वर संधि व् उसके भेद’ के बारे में पढ़ सकते है।

यण संधि किसे कहते हैं?

“जब लघु या दीर्घ इ, उ, ऋ के उपरान्त अर्थार्त बाद में कोई असमान स्वर आये, तो इ, उ, ऋ के स्थान पर क्रमशः य् , व्, र् हो जाता है “

यदि आपको सही से समझ नहीं आया तो आप निचे दी गयी यण संधि की परिभाषा से समझ सकते है।

यण संधि की परिभाषा

Yan Sandhi Ki Paribhasha कुछ इस प्रकार हैं :

सबसे किसी भी छात्र के मन में एक प्रश्न आता है की आखिरकर यण संधि किसे कहते हैं? तो आइये जाते है:

यदि इ/ई , उ/ऊ , ऋ के बाद कोई असमान स्वर आ जाता है तो विकार स्वरूप क्रमशः य् , व्, र् बन जाते हैं।

संस्कृत के महान आचार्य पाणिनी ने य, र, ल, व को यण वर्ण कहा है। अतः विकार स्वरूप यह वर्ण प्राप्त हो जाते है इसलिए इस संधि का नाम यण संधि रखा गया हैं।

यण संधि का सूत्र

जैसा की आपको पता है की संधि को समझना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है इसलिए इसे याद रखने के लिए आपको यण संधि के सूत्र के बारे में ज्ञान होना जरुरी है। आप आसानी से किसी भी प्रश्न का हल yan sandhi ka sutra कुछ समय मे आपको दे देता है इसलिए आपके मन मे भी एक प्रश्न होगा की आखिरकर यण संधि का सूत्र है क्या तो हम बताते हैं ।

इस ऊपर दिए सूत्र के माध्यम से आप आसानी से सारे प्रश्न हल कर पाएंगे इसलिए इसे ध्यान पूर्वक याद कर लेवे ।

यण संधि के नियम

प्रत्येक संधि के कुछ नियम होते है जिनके माध्यम से आप उनके जैसे ही दिखनी वाली अन्य संधि मे भेद कर पते है इसलिए आपको भी पता होगा की इन नियमों को याद रखना कितना ज्यादा जरूरी है । तो आइए चलिए जानते है की यण संधि के नियम क्या क्या है ।

प्रथम नियम:

यदि इ/ई के बाद कोई आसमान स्वर आए तो इ/ई के स्थान पर “य्” हो जाता है ।

दूसरा नियम:

यदि उ/ऊ के बाद कोई आसमान स्वर आए तो उ/ऊ के स्थान पर “व्” हो जाता है ।

तीसरा नियम:

यदि ऋ के बाद कोई आसमान स्वर आए तो ऋ के स्थान पर “र्” हो जाता है ।

यण संधि की पहचान

आपको तो पता ही होगा की किसी संधि की पहचान कितनी जरूरी है खासकर जब सवाल संधि विच्छेद का हो तो क्योंकि इस दौरान आपको यह समझ आना बहुत ही मुस्किल हो जाता है की यह दिया गया यण संधि का उदाहरण इस संधि का है या नही है । इसी समस्या का समाधान के लिए एक पहचान का तरीका अपनाया गया जिसे के माध्यम से आप आसानी से यण संधि की पहचान कर पाएंगे ।

यण संधि की पहचान:

यण संधि (Yan Sandhi) युक्त शब्दों मे अधिकांशत य् , व्, र् वर्ण आपको देखने को मिलते है, और इनका विच्छेद इन्ही वर्ण के स्थान से होता है । इसलिए आप इसका खासकर ध्यान रखे की कब कहा और कैसे य् , व्, र् वर्ण आ रहे है ।

यण संधि के उदाहरण (Yan Sandhi Ke Udaharan)

किसी भी संधि का अध्ययन तभी पूर्ण होता है जब आप उस संधि से जुड़े विभिन्न प्रकार के उदाहरण को देख व समझ ले । इसलिए हम आपके लिए लेके आए पूरे 100+ यण संधि के उदाहरण (Yan Sandhi Ke Udaharan) जिन्हे आप यहाँ प्राप्त कर सकते है । इनके अध्ययन से आपकी समझ मे और अधिक विकाश होगा और आप आसानी से किसी भी प्रश्न को हल कर पाएंगे । तो आइए देखते है की कौन कौनसे है महत्वपूर्ण यण संधि के उदाहरण (Yan Sandhi Ke Udaharan):-

 इ/ई + असमान स्वर = य् वाले यण संधि के उदाहरण (Yan Sandhi Ke Udaharan)

अति + अंत = अत्यंत
परि + अवसान = पर्यवसान
ध्वनि + आलोक = ध्वन्यालोक
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
अति + उत्तम = अत्युत्तम
नारी + आदेश = नार्यादेश
प्रति + उत्पन्नमति = प्रत्युत्पन्नमति
प्रति + आघात = प्रत्याघात
परि + आवरण = पर्यावरण
अभि + अर्थी = अभ्यर्थी
स्त्री + उचित = स्त्र्युचित
नारी + आगमन = नार्यागमन
सुधि + उपास्य = सुध्युपास्य
नि + आय = न्याय

 उ/ऊ + असमान स्वर = व् वाले यण संधि के उदाहरण (Yan Sandhi Ke Udaharan)

अनु + अय = अन्वय
मधु + अरि = मध्वरि
गुरु + औदार्य = गुर्वौदार्य
ऋतु + अन्त = ऋत्वन्त
मधु + आलय = मध्वालय
सु + अच्छ = स्वच्छ
वधू + आगमन = वध्वागमन
सु + आगत = स्वागत
अनु + एषण = अन्वेषण
सु + अस्ति + अयन = स्वस्त्ययन
साधु + आचरण = साध्वाचरण
गुरु + ऋण = गुर्वृण  

 ऋ + असमान स्वर = र् वाले यण संधि के उदाहरण (Yan Sandhi Ke Udaharan)

पितृ + अनुमति = पित्रनुमति
मातृ + आदेश = मात्रादेश
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
मातृ + अनुमति = मात्रनुमति

अन्य अध्ययन सामग्री

यहां पर आपके हिंदी व्याकरण के ज्ञान को और अधिक बढ़ने के लिए सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण के विभिन अध्ययन सामग्री को दिया गया है ताकि आप आसानी से हिंदी व्याकरण का अध्ययन कर सके।

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महत्वपूर्ण प्रश्न

यण संधि का नियम क्या है?

यदि इ/ई , उ/ऊ , ऋ के बाद कोई असमान स्वर आ जाता है तो विकार स्वरूप क्रमशः य् , व्, र् बन जाते हैं।

यण संधि का उदाहरण क्या है?

अति + अंत = अत्यंत
परि + अवसान = पर्यवसान
ध्वनि + आलोक = ध्वन्यालोक

यण संधि के कितने नियम होते हैं

तीन

Q.15
‘स्त्र्युचित’ शब्द का सही संधि-विच्छेद होगा–

1
स्त्रि + उचित

2
स्त्री + उचित

3
स्त्र्यु + चित

4
स्त्री + ऊचित

Q.16
निम्नलिखित में से किस विकल्प में संधि-विच्छेद शुद्ध है?

1
अनु + ईक्षक = अन्वीक्षक

2
स्व + आगत = स्वागत

3
विनै + य = विनय

4
शै + यक = शायक

Q.17
‘वृक्ष’ शब्द में संधि है–

1
अयादि स्वर संधि

2
वृद्धि स्वर संधि

3
यण् स्वर संधि

4
गुण स्वर संधि

Q.18
‘विधायक’ शब्द का सही संधि-विच्छेद है–

1
विधै + अक

2
विधा + यक

3
विधै + यक

4
विधे + अक

Q.19
निम्नलिखित में से किस विकल्प में वृद्धि स्वर संधि का उदाहरण है‌?

1
मात्रादेश

2
परमौजस्वी

3
विजय

4
सूर्योदय

Q.20
‘प्रसव’ शब्द में संधि है–

1
दीर्घ स्वर संधि

2
अयादि स्वर संधि

3
गुण स्वर संधि

4
वृद्धि स्वर संधि

Q.21
‘प्रसाविका’ शब्द का सही संधि-विच्छेद है–

1
प्रसौ + इका

2
प्रसो + इका

3
प्रसौ + ईका

4
प्रसा + विका

Q.22
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द स्वर सन्धि का अपवाद है?

1
अभीप्सा

2
अभीष्ट

3
अधरोष्ठ

4
अतीत

Q.23
ह्रस्वीकरण के अनुसार स्वर सन्धि का अपवाद है–

1
मार्तण्ड

2
मतैक्य

3
महैश्वर्य

4
महौज

Q.24
दीर्घीकरण के अनुसार स्वर सन्धि का अपवाद है–

1
परीक्षण

2
प्रतीकार

3
परीक्षित

4
परीक्षा

निष्कर्ष

यदि आपको यह अध्ययन सामग्री “भारतीय संविधान की विशेषताएं पीडीएफ नोट्स” पसंद आई है तो अपने मित्र अथवा सहपाठियों के साथ जरूर शेयर करे। और भी अन्य प्रकार की अध्ययन सामग्री जो विभिन्न भर्ती परीक्षाओ मे आपके तैयारी को और भी आसानी बना सकती है, उसे आप यहाँ से प्राप्त कर सकते है । इसलिए आपसे निवेदन है की यण संधि : परिभाषा, प्रकार, नियम और उदाहरण [Yan Sandhi Ke Udaharan] के अलग अलग प्रश्न जैसे अन्य पाठ्य सामग्री के प्राप्त करने के लिए, हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़े ।

नमस्कार, मेरा नाम अजीतपाल हैं। मैंने हिंदी साहित्य से स्नातक किया है। मेरा शुरूवात से ही हिंदी विषय के प्रति लगाव होने के कारण मैंने हिंदी विषय के बारे में लेखन का कार्य आरभ किया। हाल फ़िलहाल में Pathatu एजुकेशन प्लेटफार्म के लिए लेखन का कार्य कर रहा हूँ।

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