दीर्घ संधि किसे कहते हैं? परिभाषा, प्रकार, 100+ उदाहरण Dirgh Sandhi

नमस्कार आज हम हिंदू व्याकरण के महत्वपूर्ण अध्याय में से एक दीर्घ संधि के बारे में अध्ययन करेंगे। इस अध्ययन के दौरान हम विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा करेंगे जैसे दीर्घ संधि किसे कहते हैं? दीर्घ संधि की परिभाषा, दीर्घ संधि के भेद अथवा प्रकार, दीर्घ संधि के उदाहरण इत्यादि के बारे में चर्चा करेंगे। इस अध्याय के अध्ययन के बाद आपका Dirgh Sandhi के बारे में विभिन्न सवालों के जवाब अपने आप मिल जायेंगे। वैसे तो यह बिंदु परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि आपने देखा ही होगी विगत ने हुई विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में इस टॉपिक से बहुत से प्रश्न पूछे जाते है।

सही तरीके से अध्ययन नही करने और इस बिंदु पर अधिक ध्यान नही देने की वजह से यह टॉपिक काफी कमजोर रह जाता है इसलिए हमने यहां आप आपके सुविधा के लिए बहुत ही बेसिक स्तर से दीर्घ संधि (Dirgh Sandhi) के बारे में जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है। आपको यहां पर दीर्घ संधि के उदाहरण के साथ साथ कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न भी दिए गए है जिनके अध्ययन से आप आसानी से अपनी तैयारी की जांच भी कर सकते हैं। तो आइए चलिए शुरू करते है Dirgh Sandhi का अध्ययन वो भी पूर्णतया In Hindi में ।

दीर्घ संधि किसे कहते हैं? परिभाषा, प्रकार, 100+ उदाहरण Dirgh Sandhi

प्रस्तावना

दीर्घ संधि के बारे में अध्ययन शुरू करने से पहले आपको संधि से संबंधित सामान्य जानकारी तो होनी ही चाहिए, आप जानतें है तो बढ़िया बात है लेकिन आपको इसके बारे में ज्ञान नही है तो आपको हम अवगत करा देते है की :-

“दो शब्दों का मेल होने पर प्रथम शब्द की अंतिम ध्वनि तथा दूसरे शब्द की प्रथम ध्वनि में जो ध्वनि विकार ( परिवर्तन) होता है, उसे संधि कहते हैं।”

इस प्रकार बने विकारजन्य शब्द को पुनः अलग करने की प्रक्रिया को संधि विच्छेद कहते हैं ।

संधि के 3 भेद होते हैं – 1 ) स्वर संधि, 2 ) व्यंजन संधि, 3 ) विसर्ग संधि ।

जिसमे से हम एक भेद स्वर संधि के उपभेद यानी Dirgh संधि के बारे में अध्ययन करेंगे।

दीर्घ संधि किसे कहते हैं?

सर्वप्रथम हमारे सामने एक ही प्रश्न उठ कर आता है के दीर्घ संधि किसे कहते हैं? है तो आपको बता दे की:-

‘ जब एक ही स्वर के दो रूप लघु या दीर्घ एक-दूसरे के बाद आए, तो दोनों के स्थान पर दीर्घ स्वर हो जाता हैं’

जैसे:-

हिम + आलय – हिमालय

युग + अंतर – युगांतर

दीर्घ संधि की परिभाषा

दीर्घ संधि की परिभाषा कुछ इस प्रकार है की :-

यदि हृस्व या ीर्घ स्वर (अ, इ, ) के बाद समान हृस्व या दीर्घ स्वर आए तो, दोनों के स्थान पर दीर्घ एकादेश हो जाता हैं ।

दीर्घ संधि का सूत्र

दीर्घ संधि का सूत्र के ज्ञान से आप आसानी से किसी भी शब्द की जाँच कर पाएंगे की यह Dirgh Sandhi का उदाहरण है या नहीं है। पहचान सूत्र की साहयता से आप आसानी से उस संधि के टुकड़े और मेल कर सकते हैं। इसलिए आपको पहचान सूत्र का ज्ञान होना आवश्यक है जो की यहां निचे दिए गया है।

• / + / = 
• / + / = 
• / + /

दीर्घ संधि की पहचान

आपको यदि किसी संधि का संधि विच्छेद करना है तो आपको उस संधि की पहचान का ज्ञान होना बहुत ही जरूरी है क्योंकि बिना दीर्घ संधि की पहचान की जानकारी के आप किसी भी प्रकार से संधि विच्छेद करने में सही नही हो पाओगे इसलिए आपको पहचान का ज्ञान होना बहुत ज़रूरी है । हम यहां पर आपको दीर्घ संधि की पहचान बताने जा रहे है जिसे ध्यान पूर्वक अध्ययन करे ।

“दीर्घ संधि युक्त शब्दों में अधिकांशत (अा, ई, ऊ) की मात्राएं आती है , और इनका विच्छेद भी इन्ही मात्राओं से किया जाता हैं।”

दीर्घ संधि के नियम

प्रत्येक संधि के कुछ नियम होते है जिनके माध्यम से हम उस संधि की पहचान या विच्छेद करते हैं । दो शब्दों की संधि भी उन्ही नियम के आधार पर ही होती है । नियम का ज्ञान होने पर आप आसानी से कभी भी कहीं भी इस संधि का हल कर पाएंगे । इसलिए आप नीचे दिए गए नियम को ध्यान पूर्वक समझे और पढे ।

नियम 1:

यदि हृस्व या ीर्घ स्वर (अ, इ, ) के बाद समान हृस्व या दीर्घ स्वर आए तो, दोनों के स्थान पर दीर्घ एकादेश हो जाता हैं ।

जैसा की आपको यह ऊपर बताया गया नियम है इसी नियम के माध्यम से आप Dirgh Sandhi के विभिन्न प्रश्न का हल कर पाएंगे ।

दीर्घ संधि के उदाहरण

किसी भी अध्याय के अध्ययन के दौरान उसके उदाहरणों का अध्ययन ही उस टॉपिक के प्रति समझ विकसित करता है इसलिए हम यहाँ आपके दीर्घ संधि के उदाहरण लेके आए है जिनके माध्यम स आप अपनी समझ की जांच सकते है की आप के समझ यह आया के नही आया ।

दीर्घ संधि के 100 उदाहरण PDF सहीत दिए गए है जिन्हे आप आसानी से बाद मे भी पढ़ सकते है , पीडीएफ़ के लिए आपको हमारे telegram चेनल पर जाना होगा ।

•  +  = आ
ध्यान + अवस्था = ध्यानावस्था
मलय + अनिल = मलयानिल
कुश + अग्र = कुशाग्र
ज्ञान + अभाव = ज्ञानाभाव   
कोष + अध्यक्ष = कोषाध्यक्ष
स + अवधान = सावधान
स + अवयव = सावयव
काल + अन्तर = कालान्तर

 अ + आ = आ
एक + आकार = एकाकार
घन + आनन्द = घनानन्द
कुठार + आघात = कुठाराघात
परम + आनंद = परमानंद
रस + आस्वादन = रसास्वादन
चतुर + आनन = चतुरानन
कुसुम + आयुध = कुसुमायुध
हिम + आलय = हिमालय

 आ + अ = आ
रेखा + अंकित = रेखांकित
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
आशा + अतीत = आशातीत
भाषा + अन्तर = भाषान्तर
द्राक्षा + अवलेह = द्राक्षावलेह
सभा + अध्यक्ष = सभाध्यक्ष
लेखा + अधिकारी = लेखाधिकारी
सीमा + अंकन = सीमांकन

 आ + आ = आ
कृपा + आचार्य = कृपाचार्य
कृपा + आकांक्षी = कृपाकांक्षी
तथा + आगत = तथागत
प्रेक्षा + आगार = प्रेक्षागार
वार्ता + आलाप = वार्तालाप
शिला + आसन = शिलासन
द्राक्षा + आसव = द्राक्षासव
महा + आशय = महाशय

 इ + इ = ई
रवि + इन्द्र = रवीन्द्र
मुनि + इन्द्र = मुनीन्द्र
अति + इन्द्रिय = अतीन्द्रिय
अति + इव = अतीव
हरि + इच्छा = हरीच्छा
यति + इन्द्र = यतीन्द्र
अति + इत = अतीत
अभि + इष्ट = अभीष्ट

 इ + ई = ई
कपि + ईश = कपीश
मुनि + ईश्वर = मुनीश्वर
रवि + ईश = रवीश
गिरि + ईश = गिरीश
अभि + ईप्सा = अभीप्सा
अधि + ईक्षक = अधीक्षक
परि + ईक्षा = परीक्षा
परि + ईक्षण = परीक्षण

 ई + इ = ई
नारी + इच्छा = नारीच्छा
महती + इच्छा = महतीच्छा
मही + इन्द्र = महीन्द्र

 ई + ई = ई
फणी + ईश्वर = फणीश्वर
सती + ईश = सतीश
नारी + ईश्वर = नारीश्वर
मही + ईश्वर = महीश्वर
रजनी + ईश = रजनीश
श्री + ईश = श्रीश
पृथ्वी + ईश्वर = पृथ्वीश्वर

 उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
लघु  + उत्तर = लघूत्तर
वधू + उल्लास = वधूल्लास
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
सरयू + ऊर्मि = सरयूर्मि
गुरु + उपदेश = गुरुपदेश
वधू + उत्सव = वधूत्सव
भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
सु + उक्ति = सूक्ति
भू + उपरि = भूपरि
भानु + उदय = भानूदय
विधु + उदय = विधूदय
सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि

Dirgh Sandhi Ke 10 Udaharan

स + अवयव = सावयव
भग्न + अवशेष =भग्नावशेष
स + अनुरोध = सानुरोध
मर्म + अंतक = ममतक
शत + अब्दी (अप् + दी) = शताब्दी
सहस्र + अब्दी (अप् + दी) =सहस्राब्दी
विरह + अनल =विरहानल
आनंद + अतिरेक = आनंदातिरेक
रस + अनुभूति = रसानुभूति
पाठ + अंतर = पाठांतर
पत्र + अंक = पत्रांक
स्वत्व + अधिकार = स्वत्वाधिकार
पोषण + अभाव =पोषणाभाव
ग्राम + अंचल = ग्रामांचल
धर्म + अधिकारी = जन धर्माधिकारी

दीर्घ संधि के अपवाद

प्रत्येक अध्याय के कोई न कोई अपवाद जरूर होते है यहाँ अपवाद से तात्पर्य है जो उस संधि के नियमों का पालन नहीं करते है लेकिन होते उसी संधि के भाग है । तो आइए जानते है दीर्घ संधि के अपवाद कौन कौन से है ।

शक + बंधु = शकबन्धु
कर्क + अन्धु = कर्कन्धु
मातृ + ऋण = मातृण
विश्व + मित्र = विश्वामित्र
मुसल +धार = मुसलाधार

अन्य अध्ययन सामग्री

यहां पर आपके हिंदी व्याकरण के ज्ञान को और अधिक बढ़ने के लिए सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण के विभिन अध्ययन सामग्री को दिया गया है ताकि आप आसानी से हिंदी व्याकरण का अध्ययन कर सके।

संज्ञाकारक
सर्वनामवाक्य विचार
विशेषणवाच्य
क्रियाकाल
शब्दअविकारी शब्द
क्रिया विशेषणमुहावरे
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तत्सम शब्दतद्भव शब्द
एकार्थक शब्दअन्य सभी लेख

महत्वपूर्ण प्रश्न

दीर्घ संधि के उदाहरण क्या है?

स + अवयव = सावयव
भग्न + अवशेष =भग्नावशेष
स + अनुरोध = सानुरोध
मर्म + अंतक = ममतक

दीर्घ संधि का सूत्र क्या होता है?

• / + / = 
• / + / = 
• / + /

Q.35
‘शरत्काल’ शब्द का सही संधि-विच्छेद है–

1
शरद् + काल

2
शरद + काल

3
शरत् + काल

4
शरत + काल

Q.36
‘शंकर’ शब्द में संधि है–

1
दीर्घ स्वर संधि

2
विसर्ग संधि

3
व्यंजन संधि

4
अयादि स्वर संधि

Q.37
‘सन्निहित’ शब्द का सही संधि-विच्छेद है–

1
सम् + निहित

2
सम + निहित

3
सन् + निहित

4
सन + निहित

Q.38
परिच्छेद, अनुषंगी शब्दों में संधि है–

1
दीर्घ स्वर संधि

2
व्यंजन संधि

3
विसर्ग संधि

4
यण् स्वर संधि

Q.39
‘दृष्टि’ शब्द का सही संधि-विच्छेद है–

1
दृष् + टि

2
दृश् + ति

3
दृष् + ति

4
दृष + ति

Q.40
निम्नलिखित में से किस विकल्प में संधि-विच्छेद शुद्ध है?

1
तृष् + णा = तृष्णा

2
परि + नाम = परिणाम

3
प्रति + इष्ठा = प्रतिष्ठा

4
शाल + आच्छादन = शालाच्छादन

Q.41
‘नमस्ते’ शब्द में संधि है–

1
दीर्घ स्वर संधि

2
व्यंजन संधि

3
विसर्ग संधि

4
यण् स्वर संधि

Q.42
‘स्वयंवर’ शब्द का सही संधि-विच्छेद होगा–

1
स्वयं + वर

2
स्वयम् + वर

3
स्वयम + वर

4
स्वय + वर

Q.43
निम्नलिखित में से किस विकल्प में संधि-विच्छेद शुद्ध है?

1
तरु + छाया = तरुच्छाया

2
सुस् + मिता = सुस्मिता

3
उत्कृष + ट = उत्कृष्ट

4
उद् + छिन्न = उच्छिन्न

Q.44
‘अहोरूप’ शब्द में संधि है–

1
यण् स्वर संधि

2
व्यंजन संधि

3
गुण स्वर संधि

4
वृद्धि स्वर संधि

Q.45
निम्नलिखित में से किस विकल्प में शब्द व उससे संबंधित संधि अशुद्ध है?

1
पल्लव – व्यंजन संधि

2
अधुनैव – वृद्धि स्वर संधि

3
तट्‌टीका – यण् स्वर संधि

4
महौषधि – वृद्धि स्वर संधि

Q.46
निम्नलिखित में से किस विकल्प में शब्द व उससे संबंधित संधि शुद्ध है?

1
दयार्द्र – यण् स्वर संधि

2
महेन्द्र – दीर्घ स्वर संधि

3
वित्तैषणा – गुण स्वर संधि

4
विद्युल्लेखा – व्यंजन संधि

Q.47
‘मरुद्धारिणी’ शब्द में संधि है–

1
व्यंजन संधि

2
यण् स्वर संधि

3
अयादि स्वर संधि

4
गुण स्वर संधि

Q.48
‘श्रीमच्छरच्चंद्र’ शब्द का सही संधि-विच्छेद है–

1
श्रीमत् + शरद् + चंद्र

2
श्रीमत् + शरत् + चंद्र

3
श्रीमत + शरत् + चंद्र

4
श्रीमच् + शरत् + चंद्र

Q.49
‘पयआदि’ शब्द में संधि है–

1
दीर्घ स्वर संधि

2
विसर्ग संधि

3
व्यंजन संधि

4
गुण स्वर संधि

Q.50
‘मनउच्छेद’ शब्द का सही संधि-विच्छेद है–

1
मन: + उच्छेद

2
मनु: + च्छेद

3
मनो: + उच्छेद

4
मन + उच्छेद

निष्कर्ष

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नमस्कार, मेरा नाम अजीतपाल हैं। मैंने हिंदी साहित्य से स्नातक किया है। मेरा शुरूवात से ही हिंदी विषय के प्रति लगाव होने के कारण मैंने हिंदी विषय के बारे में लेखन का कार्य आरभ किया। हाल फ़िलहाल में Pathatu एजुकेशन प्लेटफार्म के लिए लेखन का कार्य कर रहा हूँ।

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