इस लेख में हम शब्द विचार के विषय में जानेंगे। शब्द से सम्बंधित विभिन टॉपिक को यहाँ पर विस्तृत रूप से बताया गया हैं जैसे :-
(1) शब्द किसे कहते हैं ?(Shabd kise kahate hain)
(2) शब्द की परिभाषा क्या हैं ?
(3) शब्द के भेद / प्रकार कितने होते हैं ?
इत्यादि के विषय में यहाँ पर बताया गया है।
शब्द किसे कहते हैं? Shabd kise kahate hain
जैसा की हमे ज्ञात हैं ध्वनि भाषा की सबसे छोटी इकाई हैं, लेकिन अर्थ के आधार पर लघुतम इकाई शब्द हैं। क, च, अ आदि ध्वनियाँ हैं पर इनका कोई अर्थ नहीं, किन्तु कमल, चमच्च शब्दों में ये ध्वनियाँ ही अन्य ध्वनियों के संयोग से ऐसे ध्वनि समूहों की रचना करती हैं जिनका कोई अर्थ होता हैं और ऐसी सार्थक ध्वनि या ध्वनि समूह ही शब्द कहलाते हैं।
शब्द की परिभाषा :-
दो या दो से अधिक वर्णों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं। शब्द के दो भेद हैं।
(1) सार्थक शब्द
(2) निरर्थक शब्द
1. सार्थक शब्द :- जिन शब्दों के अर्थ ग्रहण किए जाते हैं, उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं।
जैसे :- सब्जी, दूध, रोटी, पानी, सामने, पता इत्यादि
2. निरर्थक शब्द :- जिन शब्दों के अर्थ ग्रहण नहीं किए जाते, उन्हें निरर्थक शब्द कहते हैं। इन शब्दों का प्रयोग सदैव सार्थक शब्दों के साथ ही होता हैं।
और यह इनके साथ ही लग कर ये अपना अर्थ निकलवा लेते हैं।
जैसे :- अता, आमने, ताछ, वाय
शब्द के भेद / शब्द का वर्गीकरण :-
शब्द की उत्पत्ति या स्रोत, रचना या बनावट, प्रयोग तथा अर्थ के आधार पर निम्न भागो में बांटा गया है।
(अ) अर्थ के आधार पर : –
अर्थ के आधार पर शब्द को निम्न भागों में बांटा गया है।
(1) एकार्थी शब्द :-
जहां शब्द का एक ही अर्थ ग्रहण किया जाता हैं, उन्हें एकार्थी शब्द कहते है।
जैसे :- सड़क, जूता, नदी,आदमी
(2) अनेकार्थी शब्द :-
जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ ग्रहण किए जाते हैं, उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते है ।
जैसे :- हार, कर, कनक, व्यंजन
(3) पर्यायवाची शब्द :-
पर्यायवाची शब्द किसे कहते हैं :-
वे शब्द जिनका अर्थ समान होता है। अर्थात एक ही शब्द के अनेक समानार्थी शब्द पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
(4) विलोम शब्द :-
विलोम शब्द किसे कहते हैं :-
वे शब्द जो एक दूसरे का विपरीत अर्थ देते हैं, उन्हे विलोम शब्द कहते हैं।
(ब) बनावट / रचना/ व्युत्पत्ति के आधार पर :–
1. रूढ़ शब्द :-
जिन शब्दों के सार्थक खंड नहीं किए जा सकते, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। इन्हें मूल शब्द भी कहते हैं। जैसे – घर, नदी, किताब
2. यौगिक शब्द :-
जिन शब्दों के सार्थक खंड या टुकड़े किए जा सकते हैं, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं। इन शब्दों का निर्माण तीन प्रकार से किया जा सकता है । उपसर्ग द्वारा, प्रत्यय द्वारा, समास द्वारा
जैसे :- अपमान, रसोईघर, माता – पिता
3. योगरूढ शब्द :-
जिन शब्दों के सार्थक टुकड़े तो किए जा सकते हैं। अर्थात जो यौगिक तो होते है। परंतु अर्थ ग्रहण करने के लिए उन्हें एक करना पड़ता हैं। अर्थात रूढ़ करना पड़ता है, उन्हे योग रूढ़ शब्द कहते है।
जैसे – लंबोदर, जलज, दशानन
(स) उत्पत्ति/ स्रोत/ इतिहास के आधार पर :-
(1) तत्सम शब्द किसे कहते हैं :-
तत्सम शब्द ‘तत्+ सम’ के योग से बना हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ हैं ‘उसके समान’ । अर्थात जो शब्द संस्कृत भाषा से ज्यों के त्यों हिंदी भाषा में ग्रहण कर लिए गए, उन्हे तत्सम शब्द कहते है।
जैसे :- यूथ, घृत, रक्षा, रात्रि, चंद्रिका, अग्नि, दुग्ध
(2) तद्भव शब्द किसे कहते हैं :-
तद्भव शब्द ‘तत्+ भव ‘ के योग से बना हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘उससे जन्म’ अर्थात जो शब्द संस्कृत भाषा से हजारों वर्षो की यात्रा के बाद हिंदी भाषा में परिवर्तित रूप में ग्रहण किए गए हैं। तद्भव शब्द कहते हैं।
जैसे :- जूथ, घी, राखी, रात, चांदनी, आग,दूध
3. देशज शब्द :-
देशज शब्द किसे कहते हैं :-
जिन शब्दों को हिंदी भाषा ने अपनी छेत्रीय भाषाओं से ग्रहण किया है, उन्हे देशज शब्द कहते हैं। इन शब्दों के लिखित स्रोत नहीं मिलते हैं।
जैसे :- पाग, रिंगडा, जूता, डाभ, छाती, खिचड़ी, बाजरा
4. विदेशी शब्द :-
जो शब्द हिंदी भाषा ने विदेशी भाषाओं से ग्रहण किए गए हैं, उन्हे विदेशी शब्द कहते हैं।
1. अरबी :- अल्लाह, इरादा, इशारा, ईमान, किताब, जिला, तहसील, नकद, हलवाई, अखबार, अदालत, आइना, इंतजार, इंसाफ, इम्तहान, इस्तीफा, औरत,कब्र, कसाई, कानून।
2. फारसी :- अमरूद, आमदनी, असमान, आदमी, कारीगर, कारोबार, खुशामद, गवाह, गुब्बारा,चिराग, चिलम, जंजीर, जमीन, जहर, जानवर, जलेबी, जुकाम, तराजू, दर्जी।
3. तुर्की :- उर्दू, काबू, कुली, कुरता, कैंची, चाकू, चेचक, चम्मच, तोप, बंदूक, बारूद, बेगम, बहादर, लाश, सौगात, सराय, भड़ास, खच्चर, चोंगा, बीबी, तमगा, तमचा।
4. पुर्तगाली :-
आलपिन, इस्पात, गमला, चाबी, तौलिया, नीलगाय, पपीता, पादरी, फीता, बाल्टी, मिस्त्री, संतरा, साबुन, काजू, गोभी, परात, बिस्कुट,बोतल, कप्तान, कमरा, कनस्तर, आलू।
5. अंग्रेजी :-
कोट, फीस, अपील, पुलिस, टैक्स, ऑफिस, डॉक्टर, स्कूल, पेन, इंच, रेल बटन इत्यादि।
(द) रूप/ प्रयोग के आधार पर :-
(1) विकारी शब्द किसे कहते हैं? :-
जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक, पुरुष, काल के द्वारा, परिवर्तन किया जा सकता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं।
विकारी शब्द के 4 भेद हैं :-
(1) संज्ञा
(2) सर्वनाम
(3) विशेषण
(4) क्रिया
(2) अविकारी शब्द किसे कहते हैं? :-
जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक, पुरुष व काल के हिसाब द्वारा कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं।
अविकारी शब्द के चार भेद हैं :-
(1) क्रिया विशेषण
(2) समुच्चय बोधक अव्यय
(3) विस्मयादि बोधक अव्यय
(4) संबंध बोधक अव्यय
हिंदी व्याकरण के अन्य अध्याय :-
संज्ञा | कारक |
सर्वनाम | वाक्य विचार |
विशेषण | वाच्य |
क्रिया | काल |
शब्द | अविकारी शब्द |
क्रिया विशेषण | मुहावरे |
संधि | लोकोक्तियाँ |
लिंग | वर्ण विचार |
वचन | विराम चिन्ह |
समास | वाक्यांश के लिए एक शब्द |
उपसर्ग | पारिभाषिक शब्दावली |
प्रत्यय | कारक चिन्ह |
अनेकार्थी शब्द | विलोम शब्द |
तत्सम शब्द | तद्भव शब्द |
एकार्थक शब्द | अन्य सभी लेख |
शब्द शुद्धि
- करण प्रत्यय से पूर्व प्राय: ई का प्रयोग होता है।
- अनुस्वार/अनुनासिक सम्बन्धी नियम
(ं ) ( ँ )
चांद / चाँद
चांदनी / चाँदनी
गांधी / गाँधी
अंधेरा / अँधेरा
(i) तत्सम शब्दों में (ii) तद्भव शब्दों में
अंधकार अँधेरा
गांधी गाँधी
पंच पाँच
ग्रंथि गाँठ
चंद्रिका चाँदनी
चंद्र चाँद
(ii) स्वर के पीछे स्वर के साथ
चाँद
(च्+आँ+द्+अ्)
(iii) अनुस्वार का रूप परिवर्तित
संबंध= म्,न् इसका रूप परिवर्तित नहीं होता है
(iv) उच्चारण- नाक से मुख + नासिका
(मुख नासिका वचनो इति अनुनासिक)
- रूमाल-रुमाल र संबंधि नियम-
(i)ु ू रु/रू (ii)् प्रेम= प्+र+म, ट्+र = ट्र (्) (iii) (रेफ)- जिस वर्ण पर रेफ लगता है, उच्चारण उसके पूर्व होता है। गोवर्धन, अन्तर्निहित, ज्योतिर्मय, पुनर्विवाह, जुनर्जागरण, प्रादुर्भाव।
मरु-मरू
गुरु-गुरू
गुरूपदेश-गुरुपदेश
मरूद्यान- मरुद्यान
- जिस वर्ण पर अनुस्वार लगता है,उच्चारण उसके बाद होता है।
पंचांग- (पंच+अंग)-(पञ्चाड्.ग)
भयंकर, आतंक, संलग्न/संलग्न, अनुषंग, कंटक
संबंध= (पंचवर्ण रूप-संबंध,) कलंक, पंत, पतंजलि
- एक वचन शब्द के अंत में दीर्घ मात्रा के आने पर बहुवचन बनाने पर छोटी मात्रा में बदल जाती है।
इकाई/इकाइयाँ
हिन्दू/हिन्दुओं
मंत्री/मंत्रियों
भालू-भालुओं
भारतीय-भारतीयों
दवाई-दवाइयाँ
संन्यासी-संन्यासियों
प्राणी-प्राणियों
स्वामी-स्वामियों
विद्यार्थी-विद्यार्थियों
- संज्ञा वाची शब्दों में कारक चिह्न अलग से लगता है।
राम ने, रावण को, बाण से, सीता के लिए, लंका में
सेवा में (सम्मान जनक संकेत-पत्रों में)
- सर्वनाम वाची शब्दों में कारक चिह्न साथ में लगता है।
हमने,हमारा, हमसे, उसने, मैंने, उसकों, हमपर, उसपर, मुझपर
यदि सर्वनाम के साथ दो कारक चिह्न आये, तो पहले वाला साथ में और दूसरा वाला अलग से। – उसके लिए, हमारे लिए, तुम्हारे लिए
- ड़, ढ़ संबंधी नियम- उत्क्षिप्त/द्विगुण/ताड़नजात
ड- ट वर्ग का तीसरा वर्ण
ड.- क वर्ग का पंचम वर्ण
(i) उत्क्षिप्त व्यंजनों से कोई शब्द शुरू ही नहीं होता।
ढाणी/ढ़ाणी
ढोल/ढ़ोल
ढक्कन/ढ़क्कन
(ii) उत्क्षिप्त व्यंजनों का प्रयोग शब्द के मध्य/अंत में होता है।
सड़क
गढ़
लड़का
पढ़ाई
मारवाड़
लड़का
लकड़ी
(iii) अनुनासिक व अनुस्वार के साथ उत्क्षिप्त व्यंजनों का प्रयोग नहीं होता।
मेंढक/मेंढ़क, दंड
ढुँढना, खांड
अपवाद- सूँड़ , मुँड़ेर
(iv) उत्क्षिप्त व्यंजनों के साथ हल (्) का प्रयोग नहीं होता।
धनाड्.य/धनाढ्य /धनाढ़्य
गुणाढ्य/गुणाढ़्य
पाड्य/पाड्.य
(v) अंग्रेजी शब्दों में उत्क्षिप्त व्यंजनों का प्रयोग नहीं होता।
रोड/रोड़
रेडियो/रेड़ियो
मैडम/मैड़म
- ए/ये संबंधी नियम
(i) चाहिए अर्थ वाली धातुओं में ‘ए’ आता है ये नहीं कीजिए, लीजिए, दीजिए, पधारिए, बैठिए पीजिए।
(ii) भूतकाल, एकवचन, पुल्लिंग धातु के अंत में ‘या’ आये तो बहुवचन बनाने पर ‘या’ के स्थान पर ‘ये’ स्त्रीलिंग बनाने पर ‘या’ के स्थान पर ‘यी’ हो जाता है।
गया- भूतकाल, एकवचन, पुल्लिंग
गये, गयी
(iii) भूतकाल, एकवचन, धातु के अंत में ‘आ’ आये तो बहुवचन बनाने पर ‘आ’ के स्थान पर ‘ए’ हो जाता है और स्त्रिलिंग बनाने पर ‘आ’ के स्थान पर ‘ई’ हुआ, हुए, हुई।
शुद्ध | अशुद्ध |
सम्राज्ञी | साम्राज्ञी |
युवावस्था | यौवनावस्था |
अवनति | अवन्नति |
लाजवंती | लाजवती |
भरणी | भरिणी |
सुलोचना | सुलोचिनी |
हतभाग्या | हतभागिनी |
कोमलांगी | कोमलांगिनी |
कृशांगी | कृशांगिनी |
चातकी | चातकिनी |
श्वेतांगी | श्वेतांगिनी |
कामायनी | कामायिनी |
त्रिनयना | त्रिनयिनी |
अनाथा | अनाथिनी |
कृतघ्न | कृतघ्नी |
अट्टालिका | अट्टारी |
अप्सरा | अप्सरी |
अहल्या | अहिल्या |
दिगंबरा | दिगंबरी |
यमुना | जमुना |
नर्मदा | नर्बदा |
भगीरथ | भागीरथी |
तृष्णा | तृष्ण |
अहोरात्र | अहोरात्रि |
दिवारात्र | दिवारात्रि |
नवरात्र | नवरात्रि |
सहस्र | सहस्त्र |
स्राव | स्त्राव |
स्रोत | स्त्रौत |
अजस्र | अजस्त्र |
अधीन | आधीन |
सीधा-सादा | सीधा-साधा |
ऋद्धि-सिद्धि | रिद्धि-सिद्धि |
अभयारण्य | अभ्यारण्य |
निशाकर | निशिकर |
दृढ़वत | दृढ़वती |
दृढ़निश्चय | दृढ़निश्चयी |
अक्षुण्ण | अक्षुण्य |
अंतरात्मा | अंतर्रात्मा |
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