अक्षांश और देशांतर क्या हैं? Latitudes and Longitudes in Hindi

नमस्कार आज हम भूगोल विषय के महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक “अक्षांश और देशांतर” के बारे में अध्ययन करेंगे। साथ ही जानेंगे की अक्षांश और देशांतर रेखा क्या हैं? अक्षांश और देशांतर रेखाएं कितनी होती है? Latitudes and Longitudes in Hindi, अक्षांश और देशांतर में अंतर तथा अक्षांश और देशांतर कैसे निकाले जाते है? इत्यादि प्रश्नो के बारे में भी बताया गया है। तो चलिए शुरू करते है आज की पाठशाला।

अक्षांश और देशांतर क्या हैं?

पृथ्वी की सतह पर किसी भी बिन्दु या स्थान की स्थिति अक्षांश व देशान्तर के द्वारा निर्धारित की जाती हैं। अक्षांश व देशान्तर वे कल्पित रेखाएँ है जो पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति का निर्धारण करती है। अंक्षाशों व देशान्तरों  को अंश (डिग्री)  में मापते हैं, क्योंकि ये कोणीय दूरी को प्रदर्शित करते हैं। प्रत्येक डिग्री को 60 मिनट (‘) में एवं प्रत्येक मिनट को 60 सेकेंड (”)  में विभाजित किया जाता है।

सभी अंक्षाशों व देशान्तरों  को क्रमश: उत्तर-दक्षिण तथा पूर्व-पश्चिम में दर्शाया जाता है। अक्षांश व देशान्तर रेखाओं को सामान्यत: भौगोलिक निर्देशांक कहा जाता है, क्योंकि ये सभी रेखाओं के जाल (Grid) का एक तंत्र बनाती है, जिस पर हम धरातल की भिन्न-भिन्न विशेषताओं को प्रदर्शित कर सकते हैं। अक्षांश व देशान्तर रेखाएँ एक-दूसरे को समकोण पर काटती है।

अक्ष- उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव को एक काल्पनिक रेखा आपस में जोड़ती है, जिसके मध्य बिन्दु को ‘अक्ष’ कहा जाता है। यह अक्ष रेखा पृथ्वी को दो बराबर भागों में विभक्त करती है।

ग्रिड- दो अंक्षाशों तथा दो देशान्तरों के मध्य स्थित भाग को ग्रिड (Grid) कहते हैं।

देशांतर रेखाएँ

– वे काल्पनिक रेखाएँ जो उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाती है, उन्हें देशांतर रेखाएँ कहा जाता है।

– इनकी कुल संख्या 360 होती है।

– देशांतर रेखाएँ अर्द्धवृत्त का निर्माण करती हैं।

– दो देशांतर रेखाओं के मध्य की सर्वाधिक दूरी भूमध्य रेखा पर होती है। यह दूरी 111.32 किमी. है। यह दूरी 30 डिग्री उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य 96.5 किमी., 60 डिग्री उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य 55.4 किमी., 80 डिग्री उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य 19.3 किमी. तथा 90 डिग्री उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य दूरी शून्य रह जाती है।

– देशांतर रेखाओं को डिग्री, मिनट व सेकण्ड में बाँटा जाता है जैसे– मुंबई का देशांतरीय विस्तार 72˚54’10’’ (72 डिग्री, 54 मिनट व 10 सेकण्ड) है।

– देशांतर रेखाओं के मध्य की दूरी भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर दूरी लगातार घटती जाती है और घटकर 0 किमी. हो जाती है। अर्थात् ध्रुवों पर एक बिंदु के रूप में मिल जाती है।

– दो देशांतर रेखाओं के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है। 0˚ देशांतर रेखा को अंतर्राष्ट्रीय समय रेखा के नाम से जाना जाता है।

– यह रेखा यू.के. राष्ट्र के ग्रीनविच नामक स्थान से होकर गुजरती है।

– देशांतर रेखाओं के आधार पर किसी भी स्थान की स्थिति व समय का निर्धारण किया जा सकता है।

– दो देशांतर रेखाओं के मध्य का स्थान गोरे नाम से जाना जाता है।

– पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा की ओर जाने पर समय को जोड़ा जाता है जबकि पूर्व दिशा की ओर जाने पर समय को घटाया जाता है।

– अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा – स्थलीय भागों के मध्य विभाजन नहीं हो और लोगों को दिनांक के संबंध में कोई भ्रम नहीं हो इसलिए इस रेखा को समुद्री भाग से होकर गुजारा गया है।

– 180˚ पश्चिमी देशांतर रेखा व 180˚ पूर्वी देशांतर रेखा वस्तुत: दोनों एक ही रेखा है। इसे अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के नाम से जाना जाता है। यह रेखा प्रशांत महासागर के बेरिंग जलसंधि से होकर गुजरती है। इस रेखा को काल्पनिक रूप से चार बार मोड़ा गया है।

– अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के पूर्व एवं पश्चिम दिशा में एक दिन का अंतर होता है। जब कोई जहाज अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को पार कर पश्चिम दिशा में यात्रा करता है। तब एक दिन जोड़ दिया जाता है तथा पूर्व दिशा में यात्रा करता है तो एक दिन घटा दिया जाता है।

– यह रेखा आर्कटिक महासागर, चुक्ची सागर, बेरिंग जलसंधि व प्रशांत महासागर से होकर गुजरती है। चुक्ची सागर में यह रेखा पूर्व की ओर तथा बेरिंग सागर में यह रेखा पश्चिम की ओर मोड़ी गई है। न्यूजीलैण्ड व फिजी द्वीप समूह को एक साथ रखने के लिए यह रेखा दक्षिणी प्रशांत महासागर में पूर्व दिशा की ओर मोड़ी गई है। यदि मान लीजिए साइबेरिया में जुलाई की 15 तारीख है तो अलास्का में जुलाई की 14 तारीख ही होती है।

180˚ देशांतर रेखा फिजी द्वीप समूह के एक द्वीप के मध्य से होकर निकलती है इसलिए तिथि रेखा के द्वारा एक ही द्वीप समूह के दो भागों के बीच समय में अंतर होने के कारण काफी असुविधा हो सकती है। अत: दक्षिणी गोलार्द्ध में यह रेखा फिजी व टोंगा द्वीपों को बचाते हुए इनके चारों ओर घूमकर जाती है। इन द्वीपों में न्यूजीलैण्ड के समान ही तिथि का अंकन होता है।

– इंटरनेशनल मेरिडियन कॉन्फ्रेंस – इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन सन् 1884 में संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन डी.सी. स्थान पर किया गया। इसी बैठक के दौरान अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (180 डिग्री पूर्वी देशांतर रेखा या 180 डिग्री पश्चिमी देशांतर रेखा) का निर्धारण किया गया।

– अंतर्राष्ट्रीय समय रेखा – यह रेखा 8 देशों से एवं 3 महाद्वीपों से होकर गुजरती है जिनका उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर क्रम इस प्रकार है:-

– यह रेखा आर्कटिक महासागर, नॉर्वे सागर, भूमध्य सागर, अटलांटिक महासागर व दक्षिणी महासागर से होकर गुजरती है। किसी विशेष स्थान का समय सारे देश में जाना जाए तब वह उस देश का प्रामाणिक समय कहलाता है। भारत में 82128ced71f5 f480 40c6 8c95 62efc92c5e32 ° पूर्वी देशांतर रेखा को स्थानीय प्रामाणिक समय माना गया है।

– किसी देश का मानक समय ग्रीचविच मीन टाईम के आधे घण्टे के गुणक के अंतर पर निर्धारित किया जाता है। कनाडा देश को 5 समय कटिबंधों में बाँटा गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 4 समय कटिबंध है। यूरोप महाद्वीप को 3 समय कटिबंधों में बाँटा गया है। सोवियत रूस को 11 समय कटिबंधों में बाँटा गया है। समय की पेटियाँ विषुवत् रेखा पर सबसे अधिक चौड़ी होती हैं तथा ध्रुवों की ओर वे संकड़ी होती जाती हैं।

– ग्लोब पर 0˚ भूमध्य रेखा से 30˚ उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य के क्षेत्र को निम्न अक्षांशीय क्षेत्र कहा जाता है।

– ग्लोब पर 30˚ से 60˚ उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य का क्षेत्र मध्य अक्षांशीय क्षेत्र कहा जाता है।

– ग्लोब पर 60˚ से 90˚ उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य का क्षेत्र उच्च अक्षांशीय क्षेत्र कहा जाता है।

– पृथ्वी अपने काल्पनिक अक्ष पर पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर घूमती है इसलिए ग्रीनविच से पूर्व के स्थानों का समय ग्रीनविच समय से आगे होगा और पश्चिम के स्थानों का समय पीछे रहेगा।

– किसी स्थान पर सूर्य जब आकाश में सबसे अधिक ऊँचाई/सीधा होता है तब दिन के 12 बजते हैं इस समय को वहां का स्थानीय समय कहा जाता है। एक देशांतर रेखा पर स्थित सभी स्थानों का स्थानीय समय एक ही होता है। संपूर्ण पृथ्वी को 24 समय कटिबंधों में बाँटा गया है।

पृथ्वी संबंधी महत्त्वपूर्ण तथ्य
1.भूमध्य रेखीय व्यास12,756 किमी.
2.ध्रुवीय व्यास12,713 किमी.
3.भूमध्य रेखीय परिधि40,077 किमी.
4.ध्रुवीय परिधि40,000 किमी.
5.पृथ्वी का कुल क्षेत्रफल510 मिलियन वर्ग किमी.
6.स्थलीय क्षेत्रफल149 मिलियन वर्ग किमी.
7.महासागरीय क्षेत्रफल361 मिलियन वर्ग किमी.
8.पृथ्वी का द्रव्यमान5.882×1021 टन
9.पृथ्वी का भार6,600 खरब टन
10.पृथ्वी का आयतन416 मिलियन क्यूबिक किमी.

– पृथ्वी 24 घण्टे में 360˚ देशांतर घूम जाती है। अत: 1 घण्टे में 15˚ देशांतर (1 घण्टा = 360 / 24 = 15˚) घूम जाती है। अत: 60 मिनट (1 घण्टा) में 15 देशांतर घूमती है या दो देशांतर रेखाओं के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है।

– प्रश्न 1: यदि 30˚ पूर्वी देशांतर पर दोपहर के 12 बजे हैं तब 40˚ पश्चिमी देशांतर पर समय कितना होगा?

– उत्तर: 30˚ पूर्वी देशांतर व 40˚ पश्चिमी देशांतर के मध्य कुल देशांतरीय अंतर = 70˚ है।

– अत: दो देशांतर रेखाओं के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है तब 70˚ देशांतर के मध्य अंतर = 70×4=280 मिनट का होगा (280 का तात्पर्य = 4 घण्टे 40 मिनट)

– पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा की ओर जाने पर समय को घटाया जाता है। अत: 40˚ पश्चिम देशांतर पर उस समय बजे होंगे = 12 – 4 घण्टा 40 मिनट = 7 घण्टा 20 मिनट

      अत: सुबह (AM) के 7 बजकर 20 होंगे।

– प्रश्न 2: यदि 70˚ पश्चिमी देशांतर पर सुबह के 9 बजे हैं तब 50˚ पूर्वी देशांतर पर कितना समय हुआ होगा?

– उत्तर: 70˚ पश्चिमी देशांतर व 50˚ पूर्वी देशांतर के मध्य कुल देशांतरीय अंतर = 120˚ (70˚+50˚) है।

– अत: दो देशांतर रेखाओं के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है, तब 120˚ के मध्य अंतर = 120 × 4 = 480 मिनट का होगा (480 मिनट का तात्पर्य = 8 घण्टे)

– पश्चिम दिशा के पूर्व दिशा की ओर जाने पर समय को जोड़ा जाता है।

– अत: 50˚ पश्चिमी देशांतर पर उस समय बजे होंगे = 9 + 8 = 17 बजे अर्थात् शाम को 5 बजे का समय होगा।

अक्षांश और देशांतर क्या हैं

अक्षांश रेखाएँ

– वे काल्पनिक रेखाएँ जो संपूर्ण ग्लोब या पृथ्वी पर पूर्व से पश्चिम दिशा या पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर खींची जाती हैं, अक्षांश रेखाएँ कहलाती हैं।

– इनकी कुल संख्या 181 होती है। (90+90+1) लेकिन अक्षांशीय वृत्तों की कुल संख्या 179 (181-2 = 179) होती है क्योंकि ध्रुव वाली रेखाएँ न होकर बिंदु के रूप में होती है।

– अक्षांश रेखाएँ पूर्ण वृत्त का निर्माण करती हैं।

– अक्षांश रेखाओं के मध्य की दूरी हमेशा समान होती है। अत: यह दूरी 111 किमी. होती है।

– सबसे लंबी अक्षांश रेखा 0˚ अक्षांश रेखा/विषुवत् रेखा/भूमध्य रेखा कहा जाता है। विषुवत् रेखा के उत्तर में भाग उत्तरी गोलार्द्ध व दक्षिणी भाग में दक्षिणी गोलार्द्ध कहते हैं।

– अक्षांश रेखाओं के आधार पर किसी भी स्थान की स्थिति का निर्धारण किया जा सकता है। 231°2 उत्तरी अक्षांश रेखा कर्क रेखा व 231°2 दक्षिणी अक्षांश रेखा मकर रेखा कहलाती है।

– 661°2 ˚ उत्तरी अक्षांश रेखा/आर्कटिक रेखा व 661°2 दक्षिणी अक्षांश रेखा/अंटार्कटिक रेखा कहलाती है। विषुवत् वृत्त के उत्तर में सभी अक्षांश उत्तरी अक्षांश व दक्षिण के सभी अक्षांश दक्षिणी अक्षांश कहलाते हैं। 661°2 से 90 डिग्री अक्षांशों के मध्य के क्षेत्र को ध्रुवीय क्षेत्र कहा जाता है।

– ध्रुवीय क्षेत्र में 6 महीने दिन व 6 महीने रात होती है। अक्षांश व देशांतर रेखाएँ एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं।

– महत्त्वपूर्ण अक्षांश रेखाओं (0˚ डिग्री अक्षांश, 231°2 उत्तरी अक्षांश, 231°2  दक्षिणी अक्षांश, 661°2  उत्तरी अक्षांश, 661°2 दक्षिणी अक्षांश) के द्वारा पृथ्वी को 5 ताप कटिबंधों में बाँटा जा सकता हैं।

विषुवत् रेखा/भूमध्य रेखा (Equator Line)

     विषुवत् रेखा विश्व के कुल 13 देशों से होकर गुजरती है जिसका    

      पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर क्रम इस प्रकार है:–

      1. इक्वेडोर                                       2. कोलंबिया

      3. ब्राजील                                        4. साओ टोमे प्रिंसेप

      5. कांगो गणराज्य                             6. गेबेन

      7. लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो        

      8. युगांडा                                        9. केन्या  

      10. सोमालिया                                 11. मालदीव

      12. इण्डोनेशिया                              13. किरीबाती

– यह रेखा प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर व हिंद महासागर से होकर गुजरती है।

मकर रेखा (Tropic of Capricon) 

       मकर रेखा विश्व के कुल 12 देशों से होकर गुजरती है, जिसका पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर क्रम इस प्रकार है:-

      1. चिली                                2. अर्जेण्टीना

      3. पराग्वे                               4. ब्राजील

      5. नामीबिया                         6. बोत्सवाना

      7. दक्षिणी अफ्रीका                8. मोजांबिक

      9. मेडागास्कर                       10. ऑस्ट्रेलिया

      11. टोंगा                              12. फ्रेंच पोलिनेशिया (फ्रांस)

– यह रेखा दक्षिणी प्रशांत महासागर, दक्षिणी अटलांटिक महासागर व दक्षिणी हिंद महासागर से होकर गुजरती है।

कर्क रेखा (Tropic of Cancer)

कर्क रेखा विश्व के कुल 18 देशों से होकर गुजरती है, जिसका पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर क्रम इस प्रकार है:-

      1. हवाई द्वीप                        2. मैक्सिको

      3. बहामास                           4. वेस्टर्न सहारा

      5. मॉरिटेनिया                        6. माली

      7. अलजीरिया                       8. नाइजर

      9. लीबिया                            10. मिश्र

      11. सऊदी अरब                   12. संयुक्त अरब अमीरात

      13. ओमान                           14. भारत

      15. बांग्लादेश                       16. म्यांमार

      17. चीन                               18. ताइवान

– यह रेखा उत्तरी प्रशांत महासागर, मैक्सिको की खाड़ी, उत्तरी अटलांटिक महासागर, लाल सागर, हिंद महासागर, ताइवान जलसंधि से होकर गुजरती है।

आकृटिक वृत्त (Arctic Circle)

– विषुवत् रेखा के उत्तर में 661°2 की कोणीय दूरी को आकृटिक वृत्त के रूप में दर्शाते है।

– यहाँ पर सूर्य की किरणों का तिरछापन ज्यादा रहता है।

– इस वृत्त से शीत कटिबन्ध का आरम्भ हो जाता है।

– आकृटिक वृत्त अलास्का (USA), कनाडा, ग्रीनलैण्ड (डेनमार्क), नार्वे, स्वीडन, फिनलैण्ड तथा रूस देशों से गुजरती है।

अंटार्कटिक वृत्त (Antartic Circle)

– विषुवत् रेखा से दक्षिण में 66 1°2 की कोणीय दूरी को अंटार्कटिक वृत्त के रूप में दर्शाया जाता है।

– यह वृत्त पूर्णत: अटार्कटिक महाद्वीप के चारों ओर विस्तृत है। यहाँ प्रमुख देशों के अनुसंधान संस्थान स्थित है।

– यहाँ पर सूर्य की किरणों का तिरछापन ज्यादा रहता है तथा शीत कटिबंध का आरम्भ भी हो जाता है।

– यहाँ महाद्वीपीय धरातल का अभाव पाया जाता है क्योंकि यह वर्षभर बर्फ से ढका रहता है।

अश्व अक्षांश (Horse Latitudes)

– 30° से 35° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य स्थित पेटियों को ‘अश्व अक्षांश’ कहा जाता है।

– इन अक्षांशों में उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी मिलती है अर्थात् यही वायुमंडल में स्थिरता और पवन संचार अत्यंत मंद होता है।

– प्राचीन काल में जब घोड़े से लदे हुए जलयान इस पेटी मे प्रवेश करते थे, तो शांत एवं अनुश्चित दिशा वाली पवनों के कारण उनके संचालन में कठिनाइयाँ आती थी, जिस कारण जलयान को हल्का करने के लिए कुछ घोड़ों (अश्व) को सागर में फेंकना पड़ता था। इसी कारण इस पेटी को ‘अश्व अक्षांश’ कहा जाने लगा।

      वृहत् वृत्त – वृहत् वृत्त वे वृत्त होते हैं जो पृथ्वी को दो समान भागों में विभाजित करते हैं। भूमध्य रेखा पृथ्वी को दो बराबर भागों में विभाजित करती है। अत: भूमध्य रेखा एक वृहत् वृत्त है। इसी प्रकार आमने-सामने की 2 देशांतर रेखाओं को मिलाने पर एक वृहत् वृत्त बनता है तब इसी प्रकार 360 देशांतर रेखाओं से 180 वृहत् वृत्त बनते है इस प्रकार देशातंर रेखाओं से 180 वृहत् वृत्त व भूमध्य रेखा से एक वृहत वृत्त बनता है अत: पृथ्वी पर वृहत् वृत्तों की कुल संख्या 181 (180+1) है।

अक्षांश और देशांतर रेखाओं में तुलना

अक्षांश व देशांतर रेखाओं में तुलना
अंतर का आधारदेशांतर रेखाएँअक्षांश रेखाएँ
कुल संख्या360181(90+90+1)
मध्य की दूरी111.32 किमी.111 किमी.
वृत्तअर्द्धवृत्त बनाती हैं।पूर्णवृत्त बनाती हैं।
समय व स्थितिसमय व किसी स्थान की स्थिति का निर्धारण करने में सहायककिसी स्थान की स्थिति का निर्धारण करने में सहायक। समय का निर्धारण नहीं किया जा सकता है।
मध्य की दूरीदो देशांतर रेखाओं के मध्य की सर्वाधिक दूरी भूमध्य रेखा पर एवं यहां से ध्रुवों की ओर जाने पर मध्य की दूरी घटती है।दो अक्षांश रेखाओं के मध्य की दूरी हमेशा समान रहती है।

महत्त्वपूर्ण तथ्य/ दोहराने योग्य तथ्य

1. देशातंर रेखाएँ – काल्पनिक रेखाएँ जो उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाती हैं।

2. देशातंर देखाएँ अर्द्धवृत्त का निर्माण करती है जबकि अक्षांश रेखाएँ पूर्ण वृत्त का निर्माण करती हैं।

3. देशातंर रेखाओं की कुल संख्या 360 होती है जबकि अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या 181 होती है इनमें से उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों पर दो रेखाएँ बिन्दु के रूप में होती है।

4. दो देशातंर रेखाओं के मध्य का स्थान गोरे नाम से जाना जाता है।

5. दो देशातंर रेखाओं के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है।

6. 0 डिग्री देशातंर रेखा को अंतर्राष्ट्रीय समय रेखा के नाम से जाना जाता है। यह रेखा यूनाइटेड किंगडम देश के ग्रीनविच स्थान से होकर गुजरती है।

7. 180 डिग्री पूर्वी देशातंर रेखा व 180 डिग्री पश्चिमी देशांतर रेखा एक ही है इसे अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के नाम से जाना जाता है।

8. अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा बेरिंग जलसंधि से होकर गुजरती है।

9. भारत की मानक समय रेखा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के निकट मिर्जापुर जिले के नैनी स्थान से होकर गुजरती है।

10. संपूर्ण पृथ्वी को 24 समय कटिबंधों में बाँटा जा सकता है।

11. सभी देशांतर रेखाएँ ध्रुवों पर एक बिंदु के रूप में मिल जाती हैं।

12. भारत का स्थानीय समय, ग्रीनविच मानक समय से 5 घण्टे आगे है।

13. वे काल्पनिक रेखाएँ जो संपूर्ण ग्लोब या पृथ्वी पर पूर्व से पश्चिम दिशा या पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर खींची जाती हैं अक्षांश रेखाएँ कहलाती हैं।

14. 231°2  उत्तरी अक्षांश रेखा कर्क रेखा कहलाती है।

15. 231°2  दक्षिणी अक्षांश रेखा मकर रेखा कहलाती है।

16.  661°2 उत्तरी अक्षांश रेखा आर्कटिक रेखा कहलाती है।

17.  66 डिग्री दक्षिणी अक्षांश रेखा अंटार्कटिक रेखा कहलाती है।

18. 0 डिग्री अक्षांश रेखा भूमध्य रेखा कहलाती है। यह रेखा पृथ्वी को दो भागों में विभाजित करती है। भूमध्य रेखा के उत्तर का आधा भाग उत्तरी गोलार्द्ध एवं दक्षिण का आधा भाग दक्षिणी गोलार्द्ध कहलाता है।

19. 0°अक्षांश रेखा व 0 डिग्री देशांतर रेखा एक-दूसरे को अटलांटिक महासागर के भाग गिनी की खाड़ी के क्षेत्र में काटती है।

20. अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अकरा अन्तर्राष्ट्रीय समय रेखा पर स्थित है।

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Faq

अक्षांश और देशांतर क्या होता है?

पृथ्वी की सतह पर किसी भी बिन्दु या स्थान की स्थिति अक्षांश व देशान्तर के द्वारा निर्धारित की जाती हैं। अक्षांश व देशान्तर वे कल्पित रेखाएँ है जो पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति का निर्धारण करती है। अंक्षाशों व देशान्तरों  को अंश (डिग्री)  में मापते हैं, क्योंकि ये कोणीय दूरी को प्रदर्शित करते हैं। प्रत्येक डिग्री को 60 मिनट (‘) में एवं प्रत्येक मिनट को 60 सेकेंड (”)  में विभाजित किया जाता है।

अक्षांश और देशांतर की संख्या कितनी होती है?

अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या (89 (दक्षिण) + 89 (उत्तर) + 1 (भूमध्य रेखा) = 179 अक्षांश) हैं। देशांतर रेखाओं की कुल संख्या 360 है। 

अक्षांश किसे कहते हैं?

अक्षांश भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण की दूरी को मापता है ।

भूमध्य रेखा अक्षांश और देशांतर में से क्या है?

भूमध्य रेखा उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव से समान दूरी पर स्थित रेखा है। यह 0 डिग्री अक्षांश की रेखा है।

निष्कर्ष

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