नमस्कार आज हम भारतीय भूगोल के महत्वपूर्ण अध्याय में से एक भारत में ऊर्जा संसाधन के बारे में अध्ययन करेंगे। इस अध्ययन के दौरान हम जानेंगे की किस प्रकार से भारत के ऊर्जा संसाधन का रखरखाव किया जा सकता हैं। साथ ही भारत में ऊर्जा संसाधन से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्न, मैप इत्यादि का समावेश किया गया है। तो चलिए आइये शुरू करते है भारत में ऊर्जा संसाधन Power Resources in India in Hindi [PDF] का अध्ययन।
भारत में ऊर्जा संसाधन
ऊर्जा (शक्ति) संसाधन किसी भी देश के सर्वांगीण विकास में महत्त्वपूर्ण संसाधन है।
ऊर्जा संसाधन का उपयोग मानव सभ्यता और उसके आर्थिक विकास से जुड़ा हुआ है।
शक्ति के संसाधन किसी भी देश के औद्योगिक विकास में आवश्यक तत्त्व है।
आधुनिक औद्योगिक युग में शक्ति के साधनों का किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का मुख्य आधार है।
कोयला
– भारत में कोयला शक्ति का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है।
– ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के आधार पर कोयले को उद्योगों की जननी, काला सोना और शक्ति का प्रतीक कहा जाता है।
– आधुनिक औद्योगीकरण का सूत्रपात करने का श्रेय कोयले को ही है।
– कोयला उत्पादन में चीन तथा अमेरिका के बाद भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।
– भारत में कोयले का उपयोग प्राचीनकाल से होता आया है। कोयला खनन उद्योग का विकास 1774 ई. में आरम्भ हुआ, जब अंग्रेजों द्वारा रानीगंज में कोयले का पता लगाया गया।
– भारत में कुल विद्युत उत्पादन में कोयले का योगदान लगभग 70 प्रतिशत है।
– भारत के कुल संचित भंडार का लगभग 96% कोयला गोंडवाना संरचना में पाया जाता है। जिसका निर्माण मुख्यत: कार्बोनीफेरस एवं पर्मियन काल में हुआ है, शेष कोयला टर्शियरी काल का है।
· गोंडवाना कोयला क्षेत्र– दामोदर, सोन, महानदी, गोदावरी, पेंच, वर्षा आदि नदी घाटियों का कोयला क्षेत्र है। यह कोयला मुख्यत: बिटुमिनस प्रकार का है एवं मुख्यत: प्रायद्वीपीय पठार में संचित है।
· टर्शियरी कोयला क्षेत्र– इस काल का कोयला लिग्नाइट से लेकर एंथ्रेसाइट प्रकार का है। यह प्रायद्वीपीय भारत के बाहर भी पाया जाता है। कश्मीर में चट्टानों के टूटने के कारण अधिक दबाव के फलस्वरूप यह एंथ्रेसाइट में परिवर्तित हो गया है।
· मेघालय– दारंग्गिरी, चेरापूंजी, लेतरिंग्यू, माआलौंग, लांगरिन क्षेत्र हैं।
· ऊपरी असम – माकुम, जयपुर, नजीरा क्षेत्र हैं।
· अरुणाचल प्रदेश – नामचिक, नामरूक, डिंगराक (डफला पहाड़ी क्षेत्र)।
· जम्मू कश्मीर – कालाकोट क्षेत्र।
कोयले के प्रकार
कार्बन एवं जलवाष्प की मात्रा के आधार पर कोयले को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है-
एन्थ्रेसाइट
– यह सर्वोत्तम कोटि का कोयला है, जिसमें कार्बन की मात्रा 80 से 95 प्रतिशत तक होती है।
– यह कोयला जलते समय धुआँ नहीं देता तथा ऊष्मा, ऊर्जा और ताप बहुत अधिक देता है।
– इस प्रकार का कोयला जम्मू-कश्मीर (रियासी जिले) में पाया जाता है।
– अमेरिका में अप्लेशियन श्रेणियों के दक्षिण में इस प्रकार का कोयला पाया जाता है।
– यह कोयला कोक बनाने के काम आता है जो इस्पात निर्माण के लिए अति आवश्यक है।
बिटुमिनस
– यह मध्यम श्रेणी का कोयला है, जिसमें कार्बन की मात्रा 45 प्रतिशत से 65 प्रतिशत तक होती है।
– भारत का अधिकांश कोयला इसी प्रकार का है। हमारे देश में प्रायद्वीपीय क्षेत्र का अधिकांश कोयला इसी प्रकार का है। भारत में रानीगंज, झरिया, कर्णपुरा, वीरमित्रपुरा, कोरबा, गिरिडीह, बोकारो आदि कोयला क्षेत्रों में इसी प्रकार का कोयला मिलता है। भारत में ऊर्जा संसाधन
लिग्नाइट
– यह निम्न श्रेणी का कोयला है, इसका रंग भूरा होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 30 से 50 प्रतिशत तक होती है।
– कोयला परतदार चट्टानों के बीच में पाया जाता है।
– भारत में कोयले की प्राप्ति तीन युग चट्टानों से होती है-
(i) गोंडवाना काल
(ii) मेसोजोइक काल
(iii) टर्शियरी काल
– मेसोजोइक काल के कोयले का महत्त्व संचित भण्डार एवं उत्पादन की दृष्टि से नगण्य है।
भारत के प्रमुख लिग्नाइट खनन केन्द्र–
1.नवेली, दक्षिणी अर्काट जिला, तमिलनाडु
2.पलाना (बीकानेर, राजस्थान)
3. लखीमपुर (असम)
4. करेवा क्षेत्र (कश्मीर)
5. उमरसर (गुजरात)
पीट
– यह कोयला बनने की प्रक्रिया में मध्यवर्ती अवस्था है। इसमें लकड़ी के अंश स्पष्ट रूप में होते हैं। पीट में कार्बन की मात्रा 50% से कम होती है।
प्रकार | कार्बन की मात्रा | क्षेत्र |
एन्थ्रेसाइट (चमकीला कोयला) | 80%-95% | रियासी (जम्मू-कश्मीर) |
बिटुमिनस (काला कोयला) | 60%-80% | झरिया, बोकारो (झारखण्ड) तलचर (ओडिशा), रानीगंज, डाल्टनगंज (पश्चिम बंगाल) |
लिग्नाइट (भूरा कोयला) | 40%-60% | ओर्काट (तमिलनाडु), पलाना, गिरल, रानेरी (राजस्थान) दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) लखीमपुर (असम) |
पीट (जैविक कोयला) | 40% से कम | ब्रह्मपुत्र घाटी |
प्रमुख कोयला क्षेत्र
गोंडवाना काल कोयला क्षेत्र
दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र:-
– इस घाटी में भारत का सर्वाधिक संचित भंडार है तथा यह देश का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक क्षेत्र भी है। इस झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में फैला हुआ है। झारखंड राज्य में धनबाद, हजारीबाग एवं पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान, पुरूलिया एवं बांकुड़ा जिले इस क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
– झारखंड में झरिया सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है। भारत में कुकिंग कोयले का यह सबसे बड़ा क्षेत्र है। इसके अलावा चन्द्रपुरा, बोकारो,गिरीडीह, उत्तरी एवं दक्षिणी कर्णपुरा, रामगढ़ आदि झारखंड के अन्य प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं।
सोन घाटी कोयला क्षेत्र
– इस क्षेत्र के अंतर्गत मुख्यत: मध्य प्रदेश के कोयला क्षेत्र उत्पादक आते हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में भी इसका विस्तार है।
– मध्य प्रदेश का सिंगरोली खनन क्षेत्र कोयला उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है।
– सोहागपुर, उमरिया, तातापानी, रामकोला मध्य प्रदेश के अन्य कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं।
महानदी घाटी कोयला क्षेत्र
– महानदी घाटी कोयला क्षेत्र का विस्तार छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा है। छत्तीसगढ़ में कोरबा, विश्रामपुर, झिलमिली, चिरमिरी (जिला-अम्बिकापुर) प्रमुख खनन केन्द्र हैं।
– तालचेर खनन क्षेत्र महानदी के उत्तर में अवस्थिति ब्राह्मणी नदी घाटी में स्थित है।
गोदावरी घाटी कोयला क्षेत्र
– आंध्र प्रदेश राज्य में विस्तृत गोदावरी नदी की घाटी में देश के लगभग 7.5 प्रतिशत कोयले के भण्डार हैं।
– यह मुख्यत: तेलंगाना में विस्तृत है। यहाँ आदिलाबाद, करीमनगर, खम्मम तथा वारंगल और पश्चिमी गोदावरी प्रमुख उत्पादक जिले हैं। यहाँ का सिंगरेनी (जिला खम्मम) कोयला क्षेत्र प्रसिद्ध है। तंदूर एवं सस्ती (तेलंगाना) अन्य प्रमुख खनन केन्द्र हैं।
सतपुडा कोयला क्षेत्र
– इसके अंतर्गत मध्य प्रदेश के मोहपानी (जिला नरसिंहपुरा, मध्य प्रदेश) एवं पाथरखेड़ा कोयला क्षेत्र आते हैं। यह नर्मदा नदी के दक्षिण तथा सतपुड़ा श्रेणी के मध्य स्थित है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के अधिकांश कोयला क्षेत्र इसी सतपुड़ा में फैले हैं।
वर्धा घाटी कोयला क्षेत्र
– इसके अंतर्गत महाराष्ट्र के बल्लारपुर, नागपुर, यवतमाल, चन्द्रपुर आदि जिलों के कोयला क्षेत्र आते हैं। यहाँ देश के कुल कोयला भण्डारों का 3 प्रतिशत है, कुल भण्डार 50 करोड़ टन कोयले के आंकलित किए गए हैं, यहाँ का कोयला हल्की किस्म और चूरे के रूप में मिलता है। इसका प्रयोग ताप विद्युत गृहों में ही किया जा रहा है।
राजमहल कोयला क्षेत्र
– ललमटिया इस क्षेत्र की प्रसिद्ध खान है, जहाँ से कोयले की आपूर्ति फरक्का एवं कहलगाँव के ताप विद्युत गृहों को की जाती है। यहाँ खुले खनन (ओपन कॉस्ट माइनिंग) के तहत कोयले का उत्पादन किया जाता है।
– भारत में यंत्रीकृत खुली खदान से कोयला निकालने की प्रौद्योगिकी अधिक प्रचलित है। देश का लगभग 80 प्रतिशत कोयला ओपन कॉस्ट पद्धति से निकाला जाता है।
कान्हन घाटी एवं पेंच घाटी कोयला क्षेत्र
– यह दक्षिणी मध्य प्रदेश में स्थित है। कान्हन घाटी क्षेत्र में 7 करोड़ टन कोयले के भण्डार हैं।
टर्शियरी काल के कोयला क्षेत्र
– भारत का 2 प्रतिशत कोयला टर्शियरी एवं मेसोजाइक काल की चट्टानों में प्राप्त होता है। इस प्रकार के कोयले के 225 करोड़ टन के भण्डार आंकलित किए गए हैं।
प्रमुख क्षेत्र
1. उत्तर-पूर्वी भारत-
– डफला कोयला क्षेत्र- अरुणाचल प्रदेश
– गारो, खासी, जयन्तिया कोयला क्षेत्र- मेघालय
– ऊपरी असम कोयला क्षेत्र – माकूल क्षेत्र
2. दार्जिलिंग क्षेत्र
3. जम्मू–कश्मीर कोयला क्षेत्र– इस राज्य के दक्षिण-पश्चिम भाग में करेवा संरचना में टर्शियरी काल का कोयला प्राप्त होता है।
लिग्नाइट कोयला क्षेत्र
कार्बन की मात्रा के अनुसार लिग्नाइट कोयला निम्न श्रेणी माना जाता है, परन्तु ताप विद्युत की दृष्टि से यह कोयला भी महत्त्वपूर्ण है।
प्रमुख क्षेत्र
तमिलनाडु– यहाँ लिग्नाइट कोयले का सबसे बड़ा भंडार है। यहाँ मुख्यत: दक्षिणी आर्काट जिले के नेवेली क्षेत्र से लिग्नाइट कोयला निकाला जाता है। इसके लिए नेवेली लिग्नाइट निगम की स्थापना की गई है। दक्षिण भारत के औद्योगिक विकास में लिग्नाइट कोयले का महत्त्वपूर्ण योगदान है
राजस्थान– राजस्थान के बीकानेर जिले में पलाना नामक स्थान पर लिग्नाइट किस्म का कोयला मिलता है। यह तीन वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला कोयला उत्पादन का क्षेत्र है, जहाँ 50 प्रतिशत की कार्बन मात्रा वाला कोयला उपलब्ध है। यह कोयला रेलों के लिए उपयोगी है।
अन्य- देश में कोयले के कई अन्य उत्पादन क्षेत्र है पुडुचेरी, गुजरात के कच्छ, जम्मू-कश्मीर के पूँछ, रियासी और उधमपुर जिलों में तथा उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में कोयला खनन किया जा रहा है।
खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस
– खनिज तेल मुख्यत: समुद्री परतदार चट्टानों में पाया जाता है। भारत में खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस टर्शियरी युग के जीवाश्म प्रधान शैलों में मिलते हैं। चट्टानों के वलन की स्थिति में ये अपनतीय भाग में पाए जाते हैं। भारत में खनिज तेल का कुल अनुमानित भंडार लगभग 400 करोड़ टन है। इसमें से केवल एक-चौथाई को ही निकाला जा सकता है।
इतिहास:- कच्चा पेट्रोल भारत में टर्शियरी काल की चट्टानों की अपनतियों और भ्रंशों में पाया जाता है। भारत में तेल की प्राप्ति अकस्मात् हुई है।
– विधिवत रूप से तेल के कुओं की खुदाई असम राज्य में 1886 ई. में माकूल नामक स्थान पर की गई जहाँ 36 मीटर की गहराई पर तेल प्राप्त हुआ।
– 1890 ई. में डिगबोई में 202 मीटर की गहराई पर तेल प्राप्त किया गया है। वर्ष 1960 से पूर्व केवल असम में तेल का उत्पादन हो रहा था।
– असम के बाहर वर्ष 1960 में अंकलेश्वर (गुजरात) क्षेत्र में पहला तेल कुआँ खोदा गया। इसका नाम ‘वसुधारा’ रखा गया।
– भारत का पहला अपतटवेधन गुजरात के आलियाबेट नामक द्वीप (भाव नगर से 45किमी. दूर) पर किया गया।
– सन् 1975 में मुम्बई हाई (मुम्बई का अपतटीय क्षेत्र) में तेल की खोज हुई तथा सन् 1976 से उत्पादन शुरू हुआ जिसे मुम्बई हाई के नाम से जाना जाता है।
तेल क्षेत्रों का वितरण
असम एवं मेघालय:-
– यह भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है। इसका विस्तार ब्रह्मपुत्र नदी घाटी में है इसके अंतर्गत निम्नलिखित है-
– डिग्बोई, नहरकटिया, हुगरीजान-मोरान एवं सुरमा घाटी असम के प्राचीन तेल क्षेत्र हैं।
– नहरकटिया एवं हुगरीजान-मोरान क्षेत्र का तेल पाइप-लाइन द्वारा नूनमाटी एवं बरौनी भेजा जाता है।
सूरमा घाटी क्षेत्र के अंतर्गत बदरपुर, पथरिया, मसीमपुर, प्रमुख उत्पादन केन्द्र हैं।
– असम का तेल गुवाहाटी, डिगबोई, नूनामाटी, बोगाईगाँव, बरीनी एवं हल्दिया में साफ किया जाता है।
गुजरात
– गुजरात में खनिज तेल की दो पेटियाँ है। प्रथम पेटी खंभात की खाड़ी के पूर्वी एवं उत्तरी तट पर स्थित है जबकि दूसरी पेटी महेसाणा एवं अहमदाबाद के बीच विस्तृत है।
1.अंकलेश्वर – यह गुजरात का सबसे बड़ा एवं पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है। यह नर्मदा नदी के दक्षिणी कछारी भाग में भरूच के निकट स्थित है। यहाँ से तेल शोधन हेतु ट्राम्बे एवं कोयली भेजा जाता है। यहाँ से उत्पादित प्राकृतिक गैस वड़ोदरा एवं उरण ताप विद्युत-गृह को भेजा जाता है।
2.खंभात तथा ल्यूनेज क्षेत्र– यह क्षेत्र खंभात की खाड़ी के उत्तरी सिरे पर बाड़सर में स्थित है।
– ये दोनों ही तेल क्षेत्र, प्रथम पेटी में स्थित है।दूसरी पेटी में अहमदाबाद, नवगांव, कोसम्बा, कलोन, सोभासन, सनन्द, महासाना प्रमुख तेल क्षेत्र हैं।
– उपर्युक्त दोनों ही पेटियों का तेल शोधन हेतु कोयली भेजा जाता है।
– गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के अलियाबेट द्वीप में भी नए तेल भंडार का पता लगा है।
भारत के अपतटीय तेल क्षेत्र
मुंबई हाई तेल क्षेत्र:-
– यह तेल क्षेत्र मुंबई से 175 किमी. उत्तर-पूर्व में अरब सागर में स्थित है। इस क्षेत्र से 1976 से तेल प्राप्त किया जा रहा है।
– यह भारत का सबसे बड़ा तेल उत्पादक क्षेत्र है। इस क्षेत्र के तेल गंधक नहीं पाया जाता है।
बसाई तेल क्षेत्र
– यह मुम्बई हाई के दक्षिण में स्थित है।
– 1900 मीटर की गहराई पर स्थित बसाई के तेल भण्डार मुम्बई हाई से अधिक समृद्ध है।
– बसीन क्षेत्र में नवीन तेल केन्द्र खोजे गए हैं जिनके नाम नीलम, मुक्ता, पन्ना हैं।
अलियाबेट क्षेत्र
तेल शोधन शालाएँ
देश में कुल 22 तेल शोधन कारखाने कार्यरत है। इनमें से 17 सार्वजनिक क्षेत्र में, 2 संयुक्त क्षेत्र तथा 3 निजी क्षेत्र में कार्यरत है।
क्र.स. | तेल शोधक कारखाने | शोधन का स्थान |
I. | सार्वजनिक क्षेत्र | |
1. | इण्डियन ऑयल कॉर्पो. लि. | गुवाहाटी |
2. | इण्डियन ऑयल कॉर्पो. लि. | बरौनी |
3. | इण्डियन ऑयल कॉर्पो. लि. | कोयली |
4. | इण्डियन ऑयल कॉर्पो. लि. | हल्दिया |
5. | इण्डियन ऑयल कॉर्पो. लि. | मथुरा |
6. | इण्डियन ऑयल कॉर्पो. लि. | डिगबोई |
7. | इण्डियन ऑयल कॉर्पो. लि. | पानीपत |
8. | इण्डियन ऑयल कॉर्पो. लि. | बोगाई गाँव |
9. | हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पो. लि. | मुम्बई |
10. | हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पो. लि. | विशाखापट्टनम |
11. | भारत पेट्रोलियम कॉर्पो. लि. | मुम्बई |
12. | भारत पेट्रोलियम कॉर्पो. लि. | कोच्चि |
13. | चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पो. लि. | मनाली |
14. | चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पो. लि. | नागट्टीनम |
15. | नुसालीगढ़ रिफाइनरी लि. | नुमालीगढ़ |
16. | मंगलौर रिफाइनरी एण्ड पेट्रो केमिकल्स लि. | मंगलौर |
17. | ऑयल एण्ड नेचुरल गैस कॉर्पो. लि. | तातीपाका |
II. | संयुक्त उद्यम क्षेत्र | |
18. | भारत ओमान रिफाइनरी लि. | बीना |
19. | एचपीसीएल लि. | भटिण्डा |
III. | निजी क्षेत्र | |
20. | रिलायन्स इण्डस्ट्रीज लि. | मोती खावडी, जामनगर |
21. | रिलायन्स पेट्रोलियम लि. | एस.ई.जेड. जामनगर |
22. | एस्सार ऑयल लि. | वादीनार |
पाइप लाइनें
– कच्चे तेल को साफ करने के लिए उत्पादक क्षेत्रों से तेल शोधन शालाओं तक पहुँचाना पड़ता है। देश में कुल 13000 किमी. लम्बी तथा पेट्रोलियम उत्पादों की 7700 किमी. लम्बी पाइप लाइनें है।
1. देश में सर्वप्रथम पाइप लाइन असम में नाहरकटिया से नूरमती होकर बरौनी (बिहार) तक 1152 किमी. लम्बाई में बिछाई गई।
2. द्वितीय प्रमुख पाइप लाइन मुम्बई हाई व गुजरात के तेल उत्पादन क्षेत्रों को कोयली तेल शोधनशाला से जोड़ती है। मुम्बई हाई से मुम्बई तट पर 210 किमी. लम्बी दो पाइप लाइनें (तेल व गैस के लिए पृथक्)बिछाई गई है।
3.एक अन्य पाइप लाइन कच्छ की खाड़ी के तट पर स्थित सलाया स्थान से मथुरा तक 1075 किमी. लम्बाई में विस्तृत है।
4.मथुरा से परिष्कृत तेल दिल्ली-अम्बाला होकर जालन्धर तक पाइप लाइन द्वारा भेजा जाता है।
5.कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश में पेट्रोलियम पदार्थों के परिवहन के लिए एक अन्य पाइप लाइन मुम्बई से पुणे तक बिछाई गई है।
6.विशाखापट्टनम-विजयवाड़ा-सिकन्दराबाद पाइप लाइन 572 किमी. लम्बी है।
7.हाजीरा (गुजरात)-विजयपुर-जगदीशपुर (HBJ) गैस पाइप लाइन 1750 किमी. लम्बी है।
8.कांडला (गुजरात)-भटिण्डा (पंजाब) पाइप लाइन 1331 किमी. है।
9.चेन्नई-त्रिची-मदुरे पाइप लाइन (683 किमी. लम्बी) IOC द्वारा निर्माणाधीन है।
प्राकृतिक गैस
– वर्तमान में प्राकृतिक गैस का प्रयोग विविध कार्यों में निरन्तर बढ़ता जा रहा है, यह रसोई में ईंधन, मोटर गाड़ियों में परिवहन, विद्युत उत्पादन, उद्योगों में चालक शक्ति (Motive Power) आदि के रूप में उपयोग में लाई जाती है।
– गैस तेल के कुओं से प्राप्त होती है। तेल के कुएँ से पहले गैस प्राप्त होती है फिर तेल प्राप्त होता है।
– स्वतंत्रता प्राप्ति के लगभग 40 वर्ष बाद गैस की खोज में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई।
– सन् 1988-89 में कावेरी अपतटीय क्षेत्र, खम्भात की खाड़ी में नन्दा, राजस्थान में जैसलमेर जिले में, दक्षिण बेसिन, तमिलनाडु, गुजरात, असम, आन्ध्र प्रदेश, मुम्बई अपतटीय क्षेत्रों, मुम्बई हाई आदि में गैस की खोज हुई।
– सन् 1997 में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में 17000 अरब घन फुट गैस का पता लगा।
– राजस्थान में बाड़मेर-सांचौर बेसिन क्षेत्र में तेल के साथ-साथ गैस भी प्राप्त हो रही है।
प्राकृतिक गैस का वितरण
1.असम-मेघालय क्षेत्र
2. गुजरात क्षेत्र
3. खंभात की खाड़ी क्षेत्र
4. मुम्बई हाई क्षेत्र
5.राभा संरचना क्षेत्र
6. तमिलनाडु का पेरानगुलम क्षेत्र
उपर्युक्त क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है। त्रिपुरा बेसिन क्षेत्र, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र एवं तमिलनाडु के रामनाथपुरम में प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार होने की संभावना व्यक्त की गई है।
जलविद्युत ऊर्जा
ऊर्जा के सभी रूपों में विद्युत शक्ति सबसे व्यापक और सहज है इसकी माँग देश के उद्योग, परिवहन, कृषि एवं घरेलू क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रही है। विद्युत शक्ति के अनेक विशिष्ट गुण है इसलिए इसकी माँग अधिक है।
विकास
भारत में जल विद्युत शक्ति गृह सर्वप्रथम 1898 में दार्जिलिंग में स्थापित किया गया था। इसके पश्चात् 1902 ई. में कर्नाटक में कावेरी नदी के शिवसमुद्रम जलप्रपात पर 4,200 किलोवॉट शक्ति का विद्युत गृह लगाया गया। वर्तमान समय में कुल स्थापित क्षमता में जल विद्युत का योगदान 25 प्रतिशत है।
– भारत में जल विद्युत की कुल संभावित क्षमता 85,554 मेगावॉट है (60% प्लांट लोड फैक्टर पर) परंतु वर्तमान समय में स्थापित क्षमता 23,488 मेगावॉट ही है। यह कुल संभावित क्षमता का मात्र 25% है।
विभिन्न राज्यों की प्रमुख जल विद्युत परियोजना इस प्रकार है-
जम्मू-कश्मीर
सलाल परियोजना – चिनाब नदी
बगलिहार परियोजना – चिनाब नदी
दुलहस्ती परियोजना – चिनाब नदी
किशन गंगा परियोजना – किशन गंगा नदी
बुरसर परियोजना – चिनाब नदी
उझ परियोजना – उझ नदी
तुलबुल परियोजना – झेलम नदी
उरी परियोजना – झेलम नदी
हिमाचल प्रदेश
नाथपा-झाकरी परियोजना – सतलज नदी
चमेरा परियोजना – रावी नदी
रनपुर परियोजना – सतलज नदी
खाब परियोजना – स्पीति नदी (सतलज की सहायक नदी)
रेणुका परियोजना – गिरी नदी (यमुना की सहायक नदी)
पंजाब
भाखड़ा परियोजना – सतलज नदी
देहर परियोजना – व्यास नदी
पोंग परियोजना – व्यास नदी
शाहपुर कांदी परियोजना – रावी नदी
उत्तराखण्ड
1. टिहरी परियोजना – टिहरी जल-विद्युत विकास निगम लिमिटेड (THDC) की स्थापना भारत सरकार और तत्कालीन उत्तर प्रदेश के संयुक्त उपक्रम के रूप में वर्ष 1988 में की गई थी। इसका उद्देश्य
टिहरी में भागीरथी एवं उसकी सहायक नदियों (भीलांगना आदि) के जल संसाधन का कुशल प्रबंधन करना था।
इस निगम को टिहरी के अलावा निम्नलिखित परियोजनाओं के विकास का भार सौंपा गया है-
(a) विष्णुगढ़ पीपलकोटी परियोजना – अलकनंदा नदी पर।
(b) किशाऊ बाँध परियोजना – टोंस नदी (यमुना की सहायक नदी)
(c) करमोली परियोजना- जाढ़गंगा नदी।
(d) गोहना ताल परियोजना – विरही गंगा नदी।
(d) मलेरी झेलम परियोजना – धौली-गंगा नदी।
2.टनकपुर परियोजना- काली नदी।
3.कोटेश्वर जल विद्युत परियोजना-भागीरथी नदी।
4. लखवर व्यासी परियोजना- यमुना नदी।
उत्तर प्रदेश
रिहन्द परियोजना- रिहन्द नदी (सोन की सहायक नदी)
रामगंगा परियोजना – रामगंगा नदी (गंगा की सहायक नदी)
माताटिला परियोजना – बेतवा नदी।
चिल्ला परियोजना – चिल्ला नदी
चिबरो परियोजना – टोंस नदी (गंगा की सहायक नदी)
मध्य प्रदेश
बाण सागर परियोजना – सोन नदी।
नर्मदा सागर परियोजना – नर्मदा नदी।
गाँधी सागर परियोजना – चम्बल नदी
पेंच परियोजना – पेंच नदी
माहेश्वर परियोजना – नर्मदा नदी
इंदिरा सागर परियोजना – नर्मदा नदी।
बारगी परियोजना – बारगी नदी।
तवा परियोजना – तवा नदी।
राजस्थान
राणा प्रताप सागर परियोजना – चम्बल नदी।
जवाहर सागर परियोजना – चम्बल नदी।
जवाई परियोजना – जवाई नदी।
गुजरात
उकाई परियोजना – तापी नदी।
सरदार सरोवर परियोजना- नर्मदा नदी।
कदाना परियोजना – माही नदी।
बिहार
कोसी परियोजना – कोसी नदी।
झारखण्ड
दामोदर घाटी परियोजना – दामोदर एवं इसकी सहायक नदियाँ।
स्वर्ण रेखा परियोजना – स्वर्णरेखा नदी।
मयूराक्षी परियोजना- मयूराक्षी नदी।
ओडिशा
बालीमेला परियोजना – सिलेरू नदी।
हीराकुंड परियोजना – महानदी नदी।
आंध्र प्रदेश
मचकुंड परियोजना – मचकुंड नदी पर।
लोअर एवं अपर सिलेरू परियोजना – सिलेरू नदी।
तेलंगाना
निजाम सागर परियोजना – मंजरा नदी (गोदावरी की सहायक नदी)
रामगुंडम परियोजना – गोदावरी नदी।
पोचम पाद परियोजना – गोदावरी नदी।
नागार्जुन सागर परियोजना – कृष्णा नदी (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा पर स्थित)
श्री सेलम परियोजना – कृष्णा नदी (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा पर स्थित)।
महाराष्ट्र
कोयला परियोजना – कोयला नदी।
टाटा जल विद्युत परियोजना – इसके अंतर्गत निम्नलिखित परियोजनाएँ शामिल हैं-
(क) खोपोली परियोजना
(ख) भिवपुरी परियोजना
(ग) भीरा परियोजना
टाटा जल विद्युत परियोजना महाराष्ट्र की प्रथम जल विद्युत परियोजना है।
जायकवाड़ी परियोजना – गोदावरी नदी
गिरना परियोजना – गिरना नदी ।
कर्नाटक
काली नदी परियोजना – काली नदी।
शरावती परियोजना – शरावती नदी।
शिवसमुद्रम परियोजना – कावेरी नदी।
भद्रा परियोजना – भद्रा नदी।
घाट प्रभा परियोजना – घाट प्रभा नदी।
अलमाटी परियोजना – कृष्णा नदी।
तुंगभद्रा परियोजना – तुंगा और भ्रदा नदी के संगम पर।
तमिलनाडु
मैटूर परियोजना – कावेरी नदी।
कुण्डा परियोजना – कुण्डा नदी।
पापनाशम परियोजना – ताम्रपर्णी नदी।
पायकारा परियोजना – पायकारा नदी।
पेरियार परियोजना – पेरियार नदी।
केरल
इडुक्की परियोजना – पेरियार नदी।
सबरीगिरि परियोजना – पम्बा नदी।
पल्लीवासल परियोजना – मदिरा पूझा नदी।
असम
कोपली परियोजना – कोपली नदी।
कुल्सी परियोजना – कुल्सी नदी।
अरुणाचल प्रदेश
रंगानदी परियोजना – रंगानदी नदी।
अपर लोहित परियोजना – लोहित नदी (ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी)
कामेंग परियोजना – कामेंग नदी (ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी)
अपर सियांग परियोजना – सियांग नदी।
नागालैण्ड
दोयांग परियोजना – दोयांग नदी (ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी)
मणिपुर
लोकटक परियोजना – मणिपुर नदी /इम्फाल नदी।
मिजोरम
थालेश्वरी परियोजना – थालेश्वरी नदी।
तुइरियल परियोजना – तुइरियल नदी।
तुइबाई परियोजना – तुइबाई नदी।
सिक्किम
रंगीत परियोजना – रंगीत नदी।
तीस्ता परियोजना – तीस्ता नदी।
N.H.P.C. ने नेपाल में ‘देवी घाट परियोजना’ तथा भूटान में करिछू परियोजना की स्थापना की है।
N.T.P.C. जो ताप विद्युत के उत्पादन हेतु स्थापित की गई थी, हिमाचल प्रदेश में 800 मेगावॉट की अपनी पहली कोलदम पनबिजली परियोजना को चालू कर रही है।
परमाणु ऊर्जा
परमाणु शक्ति के लिए रेडियोधर्मिता युक्त विशिष्ट प्रकार के खनिजों, यूरेनियम, थोरियम, बेरेलियम, ऐल्मेनाइट, जिरकन, ग्रेफाइट और एन्टीमनी का प्रयोग किया जाता हैं।
1.यूरेनियम- बिहार के सिंहभूम और राजस्थान की धारवाड़ एवं आर्कियन चट्टानों, उत्तरी बिहार, आंध्र प्रदेश के नेल्लौर, राजस्थान के अभ्रक के क्षेत्रों में पैग्मेटाइट चट्टानें में, केरल के समुद्र तटीय भागों में मोनोजाइट निक्षेपों में, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, चमोली जिलों की चट्टानों में यूरेनियम प्राप्त किया जाता है।
2.थोरियम– थोरियम मोनाजाइट तथा इल्मेनाइट से प्राप्त किया जाता है। विश्व में मोनाजाइट तथा इल्मेनाइट का सबसे बड़ा भंडार भारत में है। केरल के समुद्र तटीय रेत में 8-10 प्रतिशत तथा बिहार के रेत में 10 प्रतिशत तक मोनोजाइट खनिज प्राप्त होता है। यह केरल के तटीय बालू में पाया जाता हैं इसका सर्वाधिक केन्द्रीकरण कोल्लम एवं पलक्कड़ जिलों में है।इल्मेनाइट मुख्यत: रत्नागिरी (महाराष्ट्र) से केरल तक तटीय बालू में पाया जाता है। यह तमिलनाडु एवं ओडिशा के तटीय बालू में भी मिलता है। मोनोजाइट की प्राप्ति आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम तथा ओडिशा के महानदी डेल्टाई क्षेत्र से भी होती है।
3.बेरैलियम – राजस्थान, बिहार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु के अभ्रक खनन क्षेत्रों से बेरेलियम प्राप्त किया जाता है।
4.जिरकन – केरल की बालू रेत से जिरकन प्राप्त किया जाता है।
5.ग्रेफाइट- ओडिशा ग्रेफाइट का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। तमिलनाडु के रामनाथपुरम में इसका सबसे बड़ा संचित भंडार है। झारखण्ड, राजस्थान, आंध्र प्रदेश में भी इसके संचित भंडार है।
परमाणु शक्ति का विकास
– भारत में परमाणु कार्यक्रम के शुभारम्भ कर्ता डॉ. होमी जहाँगीर भाभा थे। वर्ष 1948 में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना हुई। वर्ष 1954 में परमाणु ऊर्जा संस्थान ट्रॉम्बे में स्थापित किया गया। जिसे वर्ष 1967 में भाभा अनुसंधान केन्द्र नाम दिया गया।
– भारत में प्रथम परमाणु विद्युत-गृह का निर्माण तारापुर (महाराष्ट्र) में सन् 1969 में किया गया। इसे अमेरिका के सहयोग से स्थापित किया गया था।
परमाणु विद्युत गृह
क्र.सं. | विद्युत गृह | प्रारम्भ होने का समय |
1. | तारापुर (महाराष्ट्र) | 1969, 1970 |
2. | रावतभाटा, कोटा (राजस्थान) | 1973, 1981 |
3. | कलपक्कम (तमिलनाडु) | 1984, 1986 |
4. | नरौरा (उत्तर प्रदेश) | 1911, 1992 |
5. | काकरापार (गुजरात) | 1993, 1995 |
6. | कैगा (कर्नाटक) | 2000, 2000 |
7. | रावतभाटा (राजस्थान) | 2000, 2000 |
8. | तारापुर (महाराष्ट्र) | 2006, 2006 |
9. | कैगा (कर्नाटक) | 2007 |
10. | रावतभाटा (राजस्थान) | 2008 |
11. | कुडनकुलम (तमिलनाडु) | 2007, 2008 |
12. | कलपक्कम (तमिलनाडु) | 2010 |
भारत के गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत
जिन संसाधनों का उपयोग अभी-अभी किया जाने लगा है, और जो नवीनतम संसाधन है ऐसे संसाधन गैर परम्परागत संसाधन कहलाते हैं। जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा और भूतापीय ऊर्जा आदि का उपयोग वर्तमान युग में किया जाने लगा है।
सौर ऊर्जा
– भारत में वर्ष में लगभग 300 दिन की धूप रहती है अत: यहाँ सौर ऊर्जा की असीम संभावना है। देश के प्रतिवर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 20 मेगावॉट सौर-बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
– वर्तमान में दो माध्यमों से सौर ऊर्जा को प्रयोग में लाया जा रहा है- सौर तापीय माध्यम एवं सौर फोटोवोल्टिक माध्यम। भारत विश्व के उन 6 देशों में है, जिन्होंने पॉली सिलिकन पदार्थ के निर्माण की प्रौद्योगिकी विकसित की है। इसका प्रयोग फोटो वोल्टेइक सेल में किया जाता है।
– राजस्थान के जोधपुर जिले के मथानिया गाँव में सौर ताप ऊर्जा केन्द्र की स्थापना की गई है।
– हरियाणा में गुरुग्राम जिला के ‘ग्वाल पहाड़ी’ नामक जगह पर सौर ऊर्जा अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई है।
– भारत सरकार ने राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं के वर्ष 2021-22 तक 20, 000 मेगावॉट के लक्ष्य को संशोधित कर वर्ष 2020-22 तक 1, 00, 000 मेगावॉट कर दिया है।
– वर्ष 2022 तक 100 गीगावॉट के लक्ष्य के मुकाबले अक्टूबर, 2018 तक 24.33 गीगावॉट की कुल स्थापित क्षमता के साथ फिलहाल भारत सबसे अधिक स्थापित सौर क्षमता वाला पाँचवाँ देश है। इसके अलावा 22.8 गीगावॉट क्षमता निर्माणाधीन अथवा निविदा प्रक्रिया में है।
– सौर ऊर्जा कोयला अथवा तेल आधारित संयंत्रों की अपेक्षा 7 प्रतिशत अधिक और नाभिकीय ऊर्जा से 10 प्रतिशत अधिक प्रभावी है। यह सामान्यत: हीटरो, फसल शुष्ककों (Crop Dryer) कुकर्स (Crookers) आदि जैसे उपकरणों में अधिक प्रयोग की जाती है।
– भारत के पश्चिमी भागों गुजरात तथा राजस्थान में सौर ऊर्जा के विकास की अधिक संभावनाएँ हैं।
पवन ऊर्जा
– पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता के लिहाज से भारत फिलहाल चौथा सबसे बड़ा देश है। पवन ऊर्जा पूर्णरूपेण प्रदूषण मुक्त और ऊर्जा का असमाप्य स्त्रोत है। प्रवाहित पवन से ऊर्जा को परिवर्तित करने की अभियांत्रिकी बिल्कुल सरल है।
– पवन की गतिज ऊर्जा को टरबाइन के माध्यम से विद्युत-ऊर्जा में बदला जाता है।
– सम्मार्गी पवनों व पछुआ पवनों जैसी स्थायी पवन प्रणालियाँ और मानसून पवनों को ऊर्जा के स्त्रोत के रूप में प्रयोग किया गया है। इनके अलावा स्थानीय हवाओं, स्थलीय और जलीय पवनों को भी विद्युत पैदा करने के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।
– वर्ल्ड विंड एनर्जी एसोसिएशन (WWEA) के अनुसार 2009 में भारत में पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता 50,000 मेगावॉट है।
– एनआईडब्ल्यूई द्वारा किए गए शुरुआती अध्ययन से गुजरात और तमिलनाडु के तटवर्ती क्षेत्रों में अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता के संकेत मिले हैं।
– पवन ऊर्जा संसाधनों के मूल्यांकन के लिए गुजरात तट से खंभात की खाड़ी के बीच नवंबर, 2017 में मोनोपाइल प्लेटफार्म पर एनआईडीएआर किया गया। गुजरात तट पर खंभात की खाड़ी क्षेत्र में 1 गीगावॉट अपतटीय विंडफार्म की स्थापना के लिए एनआईडब्ल्यू ने अभिरुचि पत्र (ईओआई) जारी किया।
– वर्ष 2022 तक 5 गीगावॉट और वर्ष 2030 तक 30 गीगावॉट अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ने का राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
– पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियाँ विद्यमान है।
ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा
– महासागरीय धाराएँ ऊर्जा का अपरिमित भंडार-गृह है। सत्रहवीं एवं अठारहवीं शताब्दी के प्रारंभ से ही अविरल ज्वारीय तरंगों और महासागरीय धाराओं से अधिक ऊर्जा तंत्र बनाने के निरंतर प्रयास जारी है।
– भारत के पश्चिमी तट पर वृहद् ज्वारीय तरंगें उत्पन्न होती है। यद्यपि भारत के पास तटों के साथ ज्वारीय ऊर्जा विकसित करने को व्यापक संभावनाएँ है परंतु अभी तक इनका उपयोग नहीं किया गया है।
– यह ऊर्जा समुद्री तरंगों से उत्पन्न दबाव पर आधारित है। ऊर्जा उत्पन्न करने यह महँगी प्रणाली है। तरंगों से ऊर्जा उत्पन्न करने का पहला संयंत्र ‘विजिंगम’ (तिरुअनंतपुरम, केरल) में लगाया गया है। इसके अलावा निकोबार के ‘मूस प्वांइट’ तथा केरल के ‘थनगेसरी’ में तरंग ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की गई है।
– अत्यधिक ज्वारीय विस्तार वाले तटीय क्षेत्रों में ज्वारीय बल का उपयोग विद्युत उत्पादन हेतु किया जाता है।
– भारत के पश्चिमी तट पर गुजरात में कच्छ की खाड़ी (मुख्यत:कांडला तट) एवं खम्भात की खाड़ी तथा पूर्वी तट पर सुंदरवन क्षेत्र (पश्चिम बंगाल) ज्वारीय ऊर्जा के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं।
– भारत में ज्वारीय ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की कुल संभावित क्षमता लगभग 9000 मेगावॉट है, जिनमें 7000 मेगावॉट की संभावित क्षमता अकेले खंभात की खाड़ी क्षेत्र में है।
– पश्चिम बंगाल के सुंदरवन क्षेत्र के ‘दुर्गादुआनी क्रीक’ में N.H.P.C. द्वारा 3.75 मेगावॉट क्षमता वाली ज्वारीय ऊर्जा आधारित विद्युत-गृह स्थापित करने की योजना है।
भूतापीय ऊर्जा
– जब पृथ्वी के गर्भ से मैग्मा निकलता है, तो अत्यधिक ऊष्मा निर्मुक्त होती है। इस ताप ऊर्जा को सफलतापूर्वक काम में लाया जा सकता है और इसे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
– इसके अलावा गीजर, कूपों से निकलते गर्म पानी से ताप ऊर्जा पैदा की जा सकती है। इसे लोकप्रिय रूप में भूतापी ऊर्जा के नाम से जानते हैं।
– इस ऊर्जा को अब एक प्रमुख ऊर्जा स्त्रोत के रूप में माना जा रहा है जिसे एक वैकल्पिक स्त्रोत के रूप में विकसित किया जा सकता है।
– मध्य काल से ही गर्म स्त्रोतों (झरनों) एवं गीजरों का उपयोग होता आ रहा है।
– भारत में, भूतापीय ऊर्जा संयंत्र हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण में अधिकृत किया जा चुका है।
– भूतापीय ऊर्जा प्रणाली के अंतर्गत भूगर्भीय ताप एवं जल की अभिक्रिया से उत्पन्न गर्म वाष्प के द्वारा ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।
– भारत में हिमाचल प्रदेश के ‘मणिकर्ण’ तथा लद्दाख के ‘पुगा घाटी’ में भूतापीय ऊर्जा उत्पादन एवं विकास की दिशा में परियोजना चलाई जा रही है।
– झारखण्ड के ‘सूरजखण्ड’ एवं उत्तराखण्ड के ‘तपोवन’ में भूतापीय ऊर्जा की मौजूदगी का पता चला है।
जैविक ऊर्जा
– जैविक उत्पादों से प्राप्त ऊर्जा को जैव ऊर्जा कहते हैं। इसमें कृषि अवशेष (धान की भूसी, गन्ने की खोई), शहरी कूडे़-कचरे एवं अपशिष्ट पदार्थों से ऊर्जा को उत्पन्न किया जाता है।
– जैविक ऊर्जा के विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार की बायोमास सामग्री का अधिकतम उपयोग करना है। इसमें वन और कृषि अपशिष्टों से ऊर्जा उत्पादन सम्मिलित है।
– शहरी, औद्योगिक एवं कृषि अपशिष्ट/अवशेष जैसे- नगर निगम के ठोस कचरे, सब्जी एवं अन्य बाजार अपशिष्ट, कचरागृह अपशिष्ट, कृषि अवशेष, औद्योगिक अपशिष्ट एवं प्रदूषक से बिजली उत्पादन के लिए भी अपशिष्ट ऊर्जा परियोजनाएँ स्थापित की जा रही है।
– वर्ष 2022 तक देश में 10 गीगावॉट बायो-पावर क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से अक्टूबर, 2018 तक ग्रिड से जुड़ी कुल 9.54 गीगावॉट की क्षमता स्थापित की जा चुकी है। इसमें बैगेज कोजेनेरेशन से 8.73 गीगावॉट, गैर-बैगेज कोजेनरेरेशन से 0.68 गीगावॉट और अपशिष्ट से 0.13 गीगावॉट ऊर्जा उत्पादन शामिल है।
अन्य लेख
भारत का भूगोल एवं भारत की स्थिति एवं विस्तार
भारत में ऊर्जा संसाधन से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
परमाणु ऊर्जा उत्पादन के क्या लाभ हैं?
परमाणु ऊर्जा उच्च ऊर्जा घनत्व, कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और निरंतर बिजली उत्पादन की क्षमता प्रदान करती है।
ऊर्जा के मुख्य स्रोत क्या है?
एकमात्र स्रोत जो हमें लगातार ऊर्जा देता है वह सूर्य है।
भारत में ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत कौन सा है?
कोयला
भारत में ऊर्जा संसाधन Quiz
Q.1
किन भारतीय प्रदेशों में भू-तापीय ऊर्जा की अधिकतम संभाव्यता है?
1
हिमालय एवं उत्तर-पूर्वी प्रदेश
2
गुजरात एवं राजस्थान
3
केरल एवं कर्नाटक
4
तमिलनाडु एवं ओडिशा
Q.2
तमिलनाडु राज्य ‘शिवगंगई गांव’ किसके लिए प्रसिद्ध है़?
1
परमाणु ऊर्जा परियोजना
2
सौर ऊर्जा परियोजना
3
जल-विद्युत परियोजना
4
भू-तापीय ऊर्जा
Q.3
सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए-
सूची-I (राज्य)
सूची-II (परमाणु शक्ति संयंत्र)
A
गुजरात
1.
रावत भाटा
B
महाराष्ट्र
2
नरोरा
C
उत्तर प्रदेश
3.
काकरापार
D
राजस्थान
4.
तारापुर
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-3, B-4, C-2, D-1
2
A-2, B-1, C-4, D-3
3
A-3, B-4, C-1, D-2
4
A-2, B-3, C-4, D-1
Q.4
सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिये-
सूची-I (ऊर्जा स्त्रोत)
सूची-II (शक्ति गृह)
A.
तापीय
1.
शवरीगिरि
B.
जलविद्युत
2.
काकरापार
C.
आणविक
3.
मुप्पानडल
D.
पवन
4.
इन्नोर
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-3, B-4, C-2, D-1
2
A-2, B-1, C-4, D-3
3
A-4, B-1, C-2, D-3
4
A-2, B-3, C-4, D-1
Q.5
एशिया का सबसे बड़ा पवन फार्म समूह कहाँ पर स्थित है?
1
गुजरात के लांबा में
2
सैलोजीपैली हैदराबाद के निकट
3
माधापार भुज के निकट
4
मुप्पण्डल तमिलनाडु में
Q.6
भारत में ज्वार ऊर्जा की उत्पत्ति के लिए सर्वाधिक सम्भाव्यता उपलब्ध है-
1
मालाबार तट पर
2
कोंकण तट पर
3
गुजरात तट पर
4
कोरोमण्डल तट पर
Q.7
यूरिया-अमोनिया उत्पादक KRIBHCO संयंत्र आधारित है-
1
ताप ऊर्जा पर
2
जलविद्युत ऊर्जा पर
3
पवन ऊर्जा पर
4
गैस ऊर्जा पर
Q.8
भारत में, उच्चतम ज्वार क्षेत्र ………… के पास देखा जाता है।
1
गुजरात तट
2
सुंदरबन क्षेत्र
3
विशाखापत्तनम
4
तमिलनाडु तट
Q.9
निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है?
1
राज्य-कर्नाटक, परमाणु शक्ति केन्द्र-कैगा
2
राज्य-तमिलनाडु, परमाणु शक्ति केन्द्र-कुडनकुलम
3
राज्य-महाराष्ट्र, परमाणु शक्ति केन्द्र-तारापुर
4
राज्य-गुजरात, परमाणु शक्ति केन्द्र-कलपक्कम
Q.10
सूची-I (परमाणु विद्युत संयंत्र/गुरुजल संयंत्र) को सूची-II (राज्य) के साथ सुमेलित कीजिए-
सूची-II
(परमाणु विद्युत संयंत्र/गुरुजल संयंत्र)
सूची-II
(राज्य)
A. थाल
- आन्ध्र प्रदेश
B. मानगुरु
- गुजरात
C. काकरापार
- महाराष्ट्र
D. कैगा
- कर्नाटक
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-3, B-4, C-2, D-1
2
A-2, B-1, C-4, D-3
3
A-4, B-1, C-2, D-3
4
A-3, B-1, C-2, D-4
Q.11
निम्नलिखित में से किस एक के लिए सतारा प्रसिद्ध है?
1
ऊष्मा विद्युत संयंत्र
2
पवन ऊर्जा संयंत्र
3
जल विद्युत ऊर्जा संयंत्र
4
नाभिकीय विद्युत संयंत्र
Q.12
निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा एक सही सुमेलित नहीं है?
1
परियोजना-जॉजपुर में एकीकृत इस्पात संयंत्र (उड़ीसा), कंपनी-भारतीय इस्पात प्राधिकरण
2
परियोजना-जामनगर में बिजली संयंत्र (गुजरात), कंपनी-ऐस्सार पॉवर
3
परियोजना-नवीनगर में बिजली संयंत्र (बिहार), कंपनी-भारतीय रेलवे
4
परियोजना-कायमकुलम बिजली संयंत्र (केरल), कंपनी-राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम
Q.13
सूची-I (बिजली घर) को सूची-II (राज्य) के साथ सुमेलित कीजिए-
सूची-I (बिजली घर)
सूची-II (राज्य)
A. कोठागुदेम
- आन्ध्र प्रदेश
B. रायचुर
- गुजरात
C. मेट्टूर
- कर्नाटक
D. वनकबोरी
- तमिलनाडु
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-3, B-4, C-2, D-1
2
A-1, B-3, C-4, D-2
3
A-4, B-1, C-2, D-3
4
A-3, B-1, C-2, D-4
Q.14
निम्नलिखित में से कौन-सा एक सुमेलित नहीं है?
1
शक्ति परियोजना-जवाहर सागर, राज्य-राजस्थान
2
शक्ति परियोजना-नागार्जुन सागर, राज्य-आन्ध्र प्रदेश
3
शक्ति परियोजना-शिवसमुद्रम, राज्य-केरल
4
शक्ति परियोजना-गाँधी सागर, राज्य-मध्य प्रदेश
Q.15
नेवेली ताप विद्युत संयंत्र का भरण किससे करते हैं?
1
गोंडवाना कोयला
2
तृतीयक कोयला
3
चतुर्थक कोयला
4
कैम्ब्रियन कोयला
Q.16
निम्नलिखित में से किस देश के सहयोग से ओबारा ताप विद्युत केन्द्र की स्थापना की गई थी?
1
अमेरिका की
2
जर्मनी की
3
जापान की
4
रूस की
Q.17
भारत में निम्नलिखित में से कौन-सा नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत सर्वाधिक संभाव्यता वाला है?
1
सौर शक्ति
2
जैवपुंज शक्ति
3
लघु जल विद्युत शक्ति
4
अपशिष्ट से अर्जित
Q.18
भारत में निम्नलिखित में से किस बंदरगाह में तेल शोधक कारखाना नहीं है?
1
कोचीन
2
चेन्नई
3
कांडला
4
विशाखापत्तनम
Q.19
सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए-
सूची-I (स्थान)
सूची-II (ऊर्जा स्रोत)
A. नुमालीगढ़
- कोयला
B. कहलगाँव
- तेल शोधन
C. जादूगुडा
- ताप विद्युत
D. कोरबा
- यूरेनियम
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-3, B-4, C-2, D-1
2
A-2, B-3, C-4, D-1
3
A-4, B-1, C-2, D-3
4
A-3, B-1, C-2, D-4
Q.20
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- काकरापार परमाणु विद्युत संयंत्र – ताप्ती नदी के किनारे स्थित है।
- कैगा परमाणु विद्युत संयंत्र – काली नदी के किनारे स्थित है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1
केवल 1
2
केवल 2
3
1 व 2 दोनों
4
न तो 1 व न ही 2