नमस्कार आज हम भारत के भूगोल में महत्वपूर्ण अध्याय “भारत के प्रमुख उद्योग एवं औद्योगिक प्रदेश (Industrial Regions of India)” के विषय में अध्ययन करेंगे। इस अध्ययन के दौरान हम जानेंगे की भारत के प्रमुख उद्योग के नाम, भारत के प्रमुख उद्योग प्रश्नोत्तरी एवं यहां आपको भारत के प्रमुख उद्योग pdf भी उपलब्ध करवाई गयी है। जिसकी मदद से आपका अध्ययन और भी आसान और सरल हो जायेगा।
भारत के प्रमुख उद्योग
देश में उद्योगों का वितरण समरूप नहीं है। उद्योग कुछ अनुकूल अवस्थितिक कारकों से कुछ निश्चित स्थानों पर केंद्रित हो जाते हैं।
उद्योगों के समूहन को पहचानने के लिए कई सूचकांकों का उपयोग किया जाता है, जिनमें प्रमुख हैं:
1.औद्योगिक इकाइयों की संख्या
2.औद्योगिक कर्मियों की संख्या
3.औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली प्रयुक्त शक्ति की मात्रा
4.कुल औद्योगिक निर्गत (output)
5.उत्पादन प्रक्रिया जन्य मूल्य आदि।
भारत के प्रमुख औद्योगिक प्रदेश और जिले
भारत के प्रमुख मुख्य औद्योगिक प्रदेश
1.मुंबई-पुणे प्रदेश
2.हुगली प्रदेश
3.बंगलुरु-तमिलनाडु प्रदेश
4.गुजरात प्रदेश
5.छोटानागपुर प्रदेश
6.विशाखापट्टनम- गुंटूर प्रदेश
7.गुरुग्राम-दिल्ली-मेरठ
8.कोलम-थिरुवनंथपुरम प्रदेश।
भारत के प्रमुख लघु औद्योगिक प्रदेश
1.अंबाला-अमृतसर
2.सहारनपुर-मुजफ्फरनगर-बिजनौर
3.इंदौर-देवास-उज्जैन
4. जयपुर-अजमेर
5.कोल्हापुर-दक्षिणी कन्नड़
6.उत्तरी मालाबार
7.मध्य मालाबार
8.अदीलाबाद-निजामाबाद
9.इलाहाबाद-वाराणसी-मिर्जापुर
10.भोजपुर-मुंगेर
11.दुर्ग-रायपुर
12.बिलासपुर-कोरबा
13.ब्रह्मपुत्र घाटी
भारत के प्रमुख औद्योगिक ज़िले
1.कानपुर 2.हैदराबाद
3.आगरा 4.नागपुर
5.ग्वालियर 6.भोपाल
7.लखनऊ 8. जलपाई गुड़ी
9.कटक 10.गोरखपुर
11.अलीगढ़ 12. कोटा
13.पूर्णिया 14. जबलपुर
15. बरेली।
मुंबई-पुणे औद्योगिक प्रदेश
– यह मुंबई-थाने से पुणे तथा नासिक और शोलापुर ज़िलों के संस्पर्शी क्षेत्रों तक विस्तृत है। इसके अतिरिक्त रायगढ़, अहमदनगर, सतारा, सांगली और जलगाँव जिलों में औद्योगिक विकास तेज़ी से हुआ है।
– इस प्रदेश का विकास मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना के साथ प्रारंभ हुआ। मुंबई में कपास के पृष्ठ प्रदेश में स्थिति होने और नम जलवायु के कारण मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग का विकास हुआ। 1869 ई. में स्वेज नहर के खुलने के कारण मुंबई पत्तन के विकास को प्रोत्साहन मिला।
– इस पत्तन के द्वारा मशीनों का आयात किया जाता था। इस उद्योग की आवश्यकता पूर्ति के लिए पश्चिमी घाट प्रदेश में जलविद्युत शक्ति का विकास किया गया।
– सूती वस्त्र उद्योग के विकास के साथ रासायनिक उद्योग भी विकसित हुए। मुंबई हाई पेट्रोलियम क्षेत्र और नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र की स्थापना ने इस प्रदेश को अतिरिक्त बल प्रदान किया।
– इसके अतिरिक्त, अभियांत्रिकी वस्तुएँ, पेट्रोलियम परिशोधन, पेट्रो-रासायनिक, चमड़ा, संलिष्ट और प्लास्टिक वस्तुएँ, दवाएँ, उर्वरक, विद्युत वस्तुएँ, जलयान निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर, परिवहन उपकरण और खाद्य उद्योगों का भी विकास हुआ। मुंबई, कोलाबा, कल्याण, थाणे, ट्राम्बे, पुणे, पिंपरी, नासिक, मनमाड, शोलापुर, कोल्हापुर, अहमदनगर, सतारा और सांगली महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र हैं।
विकास के कारण-
– मुंबई 7 द्विपों से निर्मित ऐल्सिट द्वीप था परन्तु मिश्रण एवं जमाव के कारण वर्तमान में यह भारत के तट क्षेत्र से संलग्न क्षेत्र के रूप में दिखता है। इसकी तटीय अवस्थिति प्राकृतिक बंदरगाह होना तथा भारत के पश्चिमी तट पर की स्थित इसके प्रारंभिक विकास में प्रमुख रहे।
जलवायु
– जलवायु दृष्टिकोण से यहाँ आर्द्र जलवायु क्षेत्र है जिससे सूती धागे से आसानी से नहीं टूटते है (बुनने के दौरान)।
– भू-संरचना के दृष्टिकोण से मुंबई चुतुर्दिक रूप से रेगुड मिट्टी से घिरा है जो कि कपास उत्पादन के लिए सर्वप्रमुख मिट्टी है।
– विदर्भ क्षेत्र, मध्य प्रदेश एवं दक्षिणी महाराष्ट्र से सस्ते श्रमिक उपलब्ध रहे।
– औद्योगीकरण का प्रारंभ 1854 ई. के सूती वस्त्र उद्योग से माना जा सकता है। वर्तमान में भी इसे ‘कॉटनोपॉलिस ऑफ इण्डिया’ कहते हैं।
– मुंबई में भाभा परमाणु संयंत्र की स्थापना एवं शहयाद्री नदी पर जल विद्युत परियोजनाएँ तथा मुंबई में तीन बंदरगाहों को निर्माण (नेहरू पोर्ट, न्दावारोवा, न्यू मुंबई पोर्ट) आयात-निर्यात के लिए हैं। इस क्षेत्र को विशेष बल दिया है। मुंबई हाई में पेट्रोलियम संसाधन व दक्षिणी बेसिन प्राकृतिक गैस की खोज से इस औद्योगिक क्षेत्र ने विकास के नए आयामों को प्राप्त किया।
– भारत में सभी औद्योगिक क्षेत्रों में सर्वाधिक वैशिष्टीकरण इसी क्षेत्र में है। वर्तमान में 150 सूती वस्त्र उद्योग, 500 से अधिक प्रगलन भट्टियाँ हैं। चमड़ा निर्माण उद्योग, हथकरघा उद्योग, औषधि एवं भैषजीक उद्योग, पेट्रो रसायन उद्योग (अल्पयूरिक अम्ल), मोटर कार उद्योग (फिएट) निकटवर्ती पुणे एवं नासिक को औद्योगिक संकुल के रूप में विकसित किया जा रहा है ताकि मुंबई का भार कम है। एनरिक में पिम्परी उद्योग HMT, द्वारा एवं फार्माप्रोसेसिंग, नासिक में एग्रो प्रोसेसिंग, कॉटन टेक्सटाइल।
हुगली औद्योगिक प्रदेश
– हुगली नदी के किनारे बसा हुआ यह प्रदेश उत्तर में बाँसबेरिया से दक्षिण में बिड़लानगर तक लगभग 100 किलोमीटर में फैला है। उद्योगों का विकास पश्चिम में मेदिनीपुर में भी हुआ है।
– कोलकाता-हावड़ा इस औद्योगिक प्रदेश के केंद्र हैं। इसके विकास में ऐतिहासिक, भौगोलिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों ने अत्यधिक योगदान दिया है ।
– इसका विकास हुगली नदी पर पत्तन के बनने के बाद प्रारंभ से हुआ। देश में कोलकाता एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा। इसके बाद, कोलकाता भीतरी भागों से रेलमार्गों और सड़क मार्गों द्वारा जोड़ दिया गया।
– असम और पश्चिम बंगाल की उत्तरी पहाड़ियों में चाय बागानों के विकास उससे पहले नील का परिष्करण और बाद में जूट संसाधनों ने दामोदर घाटी के कोयला क्षेत्रों और छोटानागपुर पठार के लौह-अयस्क के निक्षेपों के साथ मिलकर इस प्रदेश के औद्योगिक विकास में सहयोग प्रदान किया।
– बिहार के घने बसे भागों, पूर्वी उत्तर प्रदेश और ओडिशा से उपलब्ध सस्ते श्रम ने भी इस प्रदेश के विकास में योगदान दिया।
– कोलकाता ने अंग्रेजी ब्रिटिश भारत की राजधानी (1773-1911) होने के कारण ब्रिटिश पूँजी को भी आकर्षित किया। 1855 ई. में रिशरा में पहली जूट मिल की स्थापना ने इस प्रदेश के आधुनिक औद्योगिक समूहन के युग का प्रारंभ किया।
– जूट उद्योग का मुख्य केंद्रीकरण हावड़ा और भटपारा में है। वर्ष 1947 में देश के विभाजन ने इस औद्योगिक प्रदेश को बुरी तरह प्रभावित किया।
– जूट उद्योग के साथ ही सूती वस्त्र उद्योग भी पनपा। कागज, इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल मशीनों, विद्युत, रासायनिक, औषधीय, उर्वरक और पेट्रो-रासायनिक उद्योगों का भी विस्तार हुआ।
– कोननगर में हिंदुस्तान मोटर्स लिमिटेड का कारखाना और चितरंजन में डीज़ल इंजन का कारखाना इस प्रदेश के औद्योगिक स्तंभ हैं।
– इस प्रदेश के महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र कोलकाता, हावड़ा, हल्दिया, सीरमपुर, रिशरा, शिबपुर, नैहाटी गुरियह, काकीनारा, श्यामनगर, टीटागढ़, सौदेपुर, बजबज, बिडलानगर, बाँसबेरिया, बेलगुरियह, त्रिवेणी, हुगली, बेलूर आदि हैं।
– फिर भी इस प्रदेश के औद्योगिक विकास में दूसरे प्रदेशों की तुलना में कमी आई है। जूट उद्योग की अवनति इसका एक कारण है।
बंगलुरु चेन्नई औद्योगिक प्रदेश
– यह प्रदेश स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अत्यधिक तीव्रता से औद्योगिक विकास का साक्षी है। वर्ष 1960 तक उद्योग केवल बंगलुरु, सेलम और मदुरई जिलों तक सीमित थे लेकिन अब वे तमिलनाडु के विल्लुपुरम को छोड़कर लगभग सभी जिलों में फैल चुके हैं। कोयला क्षेत्रों से दूर होने के कारण इस प्रदेश का विकास पायकारा जलविद्युत संयंत्र पर निर्भर करता है जो वर्ष1932 में बनाया गया था। कपास उत्पादक क्षेत्र होने के कारण सूती वस्त्र उद्योग ने सबसे पहले पैर जमाए थे।
– सूती मिलों के साथ ही करघा उद्योग का भी तेजी से विकास हुआ। अनेक भारी अभियांत्रिकी उद्योग बंगलुरू में एकत्रित हो गए।
– वायुयान (एच.ए.एल.), मशीन उपकरण, टेलीफ़ोन और भारत इलेक्ट्रानिक्स इस प्रदेश के औद्योगिक स्तंभ हैं। टेक्सटाइल, रेल के डिब्बे, डीज़ल इंजन, रेडियो, हल्की अभियांत्रिकी वस्तुएँ, रबर का सामान, दवाएँ, एल्युमीनियम, शक्कर, सीमेंट, ग्लास, कागज़, रसायन, फ़िल्म, सिगरेट, माचिस, चमड़े का सामान आदि महत्त्वपूर्ण उद्योग हैं। चेन्नई में पेट्रोलियम परिशोधनशाला, सेलम में लोहा-इस्पात संयंत्र और उर्वरक संयंत्र अभिनव विकास हैं।
अवस्थिति के कारक-
– कपास उत्पादक क्षेत्र है।
– बंदरगाहों की अवस्थित (तूतीकोरन, कोच्ची, न्यू मंगलोर तथा चेन्नई) आदि बंदरगाह से निर्यात का उपयोग होता है।
– सस्ती श्रमिक।
– आर्द्र जलवायु तथा नदियों से जल संसाधन।
– ऐतिहासिक कारक- चोल एवं पाण्ड्य राजाओं के द्वारा हथकरघा उद्योग का विकास।
– यह क्षेत्र मुख्य रूप से सूती वस्त्र उद्योग एवं सिल्क उद्योग के लिए प्रसिद्ध हैं। बंगलुरु सबसे बड़ा औद्योगिक संकुल है। यहाँ एयरक्राफ्ट उद्योग (HAL), HMT, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क, सिल्क उद्योग, कपास उद्योग, चमड़ा उद्योग।
– कोयम्बटूर को ‘दक्षिण भारत का मैनचेस्टर’ कहते हैं। यहाँ एग्रो प्रोसेसिंग, सूती वस्त्र उद्योग।
गुजरात औद्योगिक प्रदेश
– इस प्रदेश का केंद्र अहमदाबाद और वड़ोदरा के बीच है लेकिन यह प्रदेश दक्षिण में वलसाद और सूरत तक और पश्चिम में जामनगर तक फैला है।
– इस प्रदेश का विकास 1860 ई. में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना से भी संबंधित है। यह प्रदेश एक महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग क्षेत्र बन गया।
– कपास उत्पादक क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस प्रदेश को कच्चे माल और बाज़ार दोनों का ही लाभ मिला।
– तेल क्षेत्रों की खोज से पेट्रो-रासायनिक उद्योगों की स्थापना अंकलेश्वर, वड़ोदरा और जामनगर के चारों ओर हुई। कांडला पत्तन ने इस प्रदेश के तीव्र विकास में सहयोग दिया।
– कोयली में पेट्रोलियम परिशोधनशाला ने अनेक पेट्रो-रासायनिक उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराया।
– औद्योगिक संरचना में अब विविधता आ चुकी है। कपड़ा (सूती, सिल्क और कृत्रिम कपड़े) और पेट्रो-रासायनिक उद्योगों के अतिरिक्त अन्य उद्योग भारी और आधार रासायनिक, मोटर, ट्रैक्टर, डीज़ल इंजन, टेक्सटाइल मशीनें, इंजीनियरिंग, औषधि, रंग रोगन, कीटनाशक, चीनी, दुग्ध उत्पाद और खाद्य प्रक्रमण हैं।
– अभी हाल ही में सबसे बड़ी पेट्रोलियम परिशोधनशाला जामनगर में स्थापित की गई है।
– इस प्रदेश के महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र अहमदाबाद, वड़ोदरा, भरूच, कोयली, आनंद, खेरा, सुरेंद्रनगर, राजकोट, सूरत, वलसाद और जामनगर हैं।
छोटानागपुर प्रदेश
– यह प्रदेश झारखंड, उत्तरी ओडिशा और पश्चिमी पश्चिम बंगाल में फैला है और भारी धातु उद्योगों के लिए जाना जाता है।
– यह प्रदेश अपने विकास के लिए दामोदर घाटी में कोयला और झारखंड तथा उत्तरी ओडिशा में धात्विक और अधात्विक खनिजों की खोज का ऋणी है।
– कोयला, लौह-अयस्क और दूसरे खनिजों की निकटता इस प्रदेश में भारी उद्योगों की स्थापना को सुसाध्य बनाती है।
– इस प्रदेश में छः बड़े एकीकृत लौह-इस्पात संयंत्र जमशेदपुर, बर्नपुर, कुल्टी, दुर्गापुर, बोकारो और राउरकेला में स्थापित है।
– ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ऊष्मीय और जलविद्युतशक्ति संयंत्रों का निर्माण दामोदर घाटी में किया गया है।
– प्रदेश के चारों ओर घने बसे प्रदेशों से सस्ता श्रम प्राप्त होता है और हुगली प्रदेश अपने उद्योगों के लिए बड़ा बाज़ार उपलब्ध कराता है।
– भारी इंजीनियरिंग, मशीन-औजार, उर्वरक, सीमेंट, कागज, रेल इंजन और भारी विद्युत उद्योग इस प्रदेश के कुछ महत्त्वपूर्ण उद्योग हैं।
– राँची, धनबाद, चैबासा, सिंदरी, हज़ारीबाग, जमशेदपुर, बोकारो, राउरकेला, दुर्गापुर आसनसोल और डालमियानगर महत्त्वपूर्ण केंद्र हैं।
विकास के कारण-
– लोहा, कोयला एवं मैंग्नीज की विशाल खानें।
– सस्ते श्रमिक।
– कलकत्ता एवं दिल्ली से परिवहन मार्ग से जुड़ा होना।
– दामोदर तैली कॉर्पोरेटा (DVC की स्थापना- वर्ष 1950-51में)
– कलकत्ता बंदरगाह की सुविधा, वर्ष 1975 के बाद पाराद्वीप पत्तन का निर्माण तथा हल्दिया बंदरगाह का खोला जाना।
– थर्मल पॉवर प्लांट की स्थापना।
विशाखापट्टनम गुंटूर प्रदेश
– यह औद्योगिक प्रदेश विशाखापत्तनम् ज़िले से लेकर दक्षिण में कुर्नूल और प्रकासम ज़िलों तक फैला है।
– इस प्रदेश का औद्योगिक विकास विशाखापट्टनम और मछलीपट्टनम पत्तनों, इसके भीतरी भागों में विकसित कृषि तथा खनिजों के बड़े संचित भंडार पर निर्भर है।
– गोदावरी बेसिन के कोयला क्षेत्र इसे ऊर्जा प्रदान करते हैं। जलयान निर्माण उद्योग का प्रारंभ वर्ष 1941 में विशाखापट्टनम में हुआ था।
– आयातित पेट्रोल पर आधारित पेट्रोलियम परिशोधनशाला ने कई पेट्रो-रासायनिक उद्योगों की वृद्धि को सुगम बनाया है।
– शक्कर, वस्त्र, जूट, कागज़, उर्वरक, सीमेंट, एल्युमीनियम और हल्की इंजीनियरिंग इस प्रदेश के मुख्य उद्योग हैं।
– गुंटूर जिले में एक शीशा-जिंक प्रगालक कार्य कर रहा है। विशाखापट्टनम में लोहा और इस्पात संयंत्र बेलाडिला लौह-अयस्क का प्रयोग करता है।
– विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, विजयनगर, राजमुंदरी, गुंटूर, एलूरू और कुर्नूल महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र हैं।
गुरुग्राम- दिल्ली मेरठ प्रदेश
– इस प्रदेश में स्थित उद्योगों में पिछले कुछ समय से बड़ा तीव्र विकास दिखाई देता है।
– खनिजों और विद्युतशक्ति संसाधनों से बहुत दूर स्थित होने के कारण यहाँ उद्योग छोटे और बाज़ार अभिमुखी हैं।
– इलेक्ट्रॉनिक, हल्के इंजीनियरिंग और विद्युत उपकरण इस प्रदेश के प्रमुख उद्योग हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ सूती, ऊनी और कृत्रिम रेशा वस्त्र, होजरी, शक्कर, सीमेंट, मशीन उपकरण, ट्रैक्टर, साईकिल, कृषि उपकरण, रासायनिक पदार्थ और वनस्पति घी उद्योग हैं जो कि बड़े स्तर पर विकसित हैं।
– सॉफ्टवेयर उद्योग एक नई वृद्धि है। दक्षिण में आगरा मथुरा उद्योग क्षेत्र है जहाँ मुख्य रूप से शीशे और चमड़े का सामान बनता है।
– मथुरा तेल परिशोधन कारखाना पेट्रो-रासायनिक पदार्थों का संकुल है। प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में गुरुग्राम, दिल्ली, शाहदरा, मेरठ, मोदीनगर, गाज़ियाबाद, अंबाला, आगरा और मथुरा का नाम लिया जा सकता है।
– मथुरा, मेरठ, सहारनपुर, आगरा का चापीय क्षेत्र जो कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पेट्रो रसायन उद्योग अवस्थित है। इस क्षेत्र में सहारनपुर एवं समीपवर्ती क्षेत्र में चीनी उद्योग तथा कृषि प्रसंस्करण उद्योग।
– मेरठ, मीदीनगर, गाजियाबाद क्षेत्र में कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र। मेरठ में चीनी व सूती वस्त्र उद्योग। गाजियाबाद में लौह प्रगलन भट्टीयाँ है।
– गुरुग्राम-फरीदाबाद-पानीपत का क्षेत्र –गुरुग्राम में आणुविकता उद्योगों का विकास हो रहा है। फरीदाबाद में ट्रैक्टर, ट्रक, मोटर वाहन उद्योग, कृषि यंत्र उद्योग। पानीपत में पेट्रो रसायन उद्योग प्रसिद्ध है।
अवस्थिति के कारक-
– दिल्ली का एक वृहद् बाजार क्षेत्र एवं देश की राजधानी होना।
– हरित क्रांति का क्षेत्र है तथा क्रय शक्ति का अधिक होना जो कि माँग को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। इसी कारण से सभी प्रमुख उद्योग मांग पर आधारित है।
– परिवहन तंत्रों का अभिसरण बिंदु है।
– सस्ता श्रमिक (बिहार, ओडिशा व मध्य प्रदेश, राजस्थान) उपलब्ध है।
कोल्लम-तिरुवनंतपुरम प्रदेश
– यह औद्योगिक प्रदेश तिरुवनंतपुरम, कोलम, अलवाय, अरनाकुलम् और अल्लापुझा जिलों में फैला हुआ है।
– बागान कृषि और जलविद्युत इस प्रदेश को औद्योगिक आधार प्रदान करते हैं।
– देश की खनिज पेटी से बहुत दूर स्थित होने के कारण, कृषि उत्पाद प्रक्रमण और बाज़ार अभिविन्यस्त हल्के उद्योगों की इस प्रदेश पर से अधिकता है। उनमें से सूती वस्त्र उद्योग, चीनी, रबड़, माचिस, शीशा, रासायनिक उर्वरक और मछली आधारित उद्योग महत्त्वपूर्ण हैं।
– खाद्य प्रक्रमण, कागज़, नारियल रेशा उत्पादक, एल्युमिनियम और सीमेंट उद्योग भी महत्त्वपूर्ण हैं।
– कोच्ची में पेट्रोलियम परिशोधनशाला की स्थापना ने इस प्रदेश के उद्योगों को एक नया विस्तार प्रदान किया है।
– कोल्लम, थिरुवनंथपुरम्, अलुवा, कोच्चि, अलापुझा और पुनालूर महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र हैं।
औद्योगिक गलियारे (Industrial Corridor)¨ देश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने हेतु एवं इसके अंतर्गत विनिर्माण क्षेत्र पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत सरकार द्वारा औद्योगिक गलियारों को विकसित करने की योजना है।¨ इसके तहत आधारभूत सुविधाओं के विकास में विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिसके लिए माल ढुलाई हेतु ‘डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर’ (अलग रेलवे लाइन) का विकास किया जाना महत्त्वपूर्ण है।¨ इन गलियारों के साथ ही स्मार्ट औद्योगिक नगर भी विकसित किए जाएँगे। इसके अंतर्गत निम्नलिखित औद्योगिक गलियारों को विकसित किया जाएगा।¨ दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (DMIC)¨ अमृतसर-कोलकाता-औद्योगिक गलियारा (AKIC)¨ बंगलुरु-मुंबई आर्थिक गलियारा (BMEC)¨ चेन्नई-बंगलुरु औद्योगिक गलियारा(CBIC)¨ पूर्वी तट आर्थिक गलियारा (ECEC) |
उद्योग की स्थिति को प्रभावित करने वाले कारक
– किसी उद्योग की स्थापना अकेले कोई कारक नहीं कर सकता और न अकेले उसका पूर्ण विकास कर सकता है। कई कारक मिलकर किसी उद्योग की स्थापना और विकास में योगदान देते हैं। कुछ कारक प्राकृतिक होते हैं और कुछ मानवकृत।
(i) प्राकृतिक कारक अथवा भौगोलिक कारक: कच्चा माल, शक्ति के साधन, श्रम, यातायात, बाजार, स्थल, जलापूर्ति, जलवायु
(ii) मानवकृत कारक: पूँजी, नीति, संस्था, बैंकिंग इन्श्योरेंस और तकनीकी ज्ञान
(iii) अन्य कारक: उद्योगों के जमघट का प्रभाव, औद्योगिक जड़ता
उद्योगों के प्रकार
A. कृषि आधारित उद्योग
B. खनिज आधारित उद्योग
C. वन आधारित उद्योग
(A) कृषि आधारित उद्योग
1. वस्त्र उद्योग 2. चीनी उद्योग 3. कागज उद्योग
1. वस्त्र उद्योग
– इसके अन्तर्गत सूती, ऊनी, रेशमी और कृत्रिम रेशों से बने वस्त्रों का उत्पादन होता है। कपड़ा उद्योग देश का संगठित क्षेत्र का एकमात्र सबसे बड़ा उद्योग है, जिसमें सबसे अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
वस्त्र उद्योग के प्रकार
(i) सूती वस्त्रोद्योग (ii) पटसन उद्योग
(iii) ऊनी वस्त्रोद्योग (iv) रेशमी वस्त्रोद्योग
(v) कृत्रिम रेशा
सूती वस्त्र उद्योग
– सबसे पहले 1818 ई. में फोर्ट ग्लास्टर में, जो कोलकाता के निकट है, सूती वस्त्रोद्योग की स्थापना हुई थी जो असफल रही।
– पहला सफल प्रयास 1854ई. में मुम्बई में सी.एन.देवधर (डाबर) द्वारा किया गया।
– प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में इस उद्योग को विकास करने का मौका मिला।
– वर्ष 1947 में बँटवारे के बाद इस उद्योग को भारी धक्का लगा। कपास का उत्पादन करने वाले क्षेत्र पाकिस्तान में चले गए और मिले भारत में ही रह गई।
– वर्तमान में यह सबसे बड़ा आधुनिक संगठित उद्योग है। इसमें कुल औद्योगिक पूँजी का 16% और श्रम का 20% से अधिक भाग लगा है।
– इसमें 15 मिलियन से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
– 40 लाख हैंडलूम और 5 लाख पावरलूम असंगठित क्षेत्र में हैं।
स्थापना के कारक
– यह उद्योग मुख्यतः उन्हीं क्षेत्रों में स्थापित किया गया है, जहाँ कुशल एवं सस्ते श्रमिक, विस्तृत बाजार, कच्चे माल ईंधन, रसायन, यंत्र आदि की सुविधा है। कच्चे माल की अपेक्षा बाजार की समीपता इस उद्योग को अधिक प्रभावित करती है।
भारत के वस्त्र उद्योग का वितरण
1.महाराष्ट्र – महाराष्ट्र 43% मिल के कपड़े का और 17% यार्न (धागा/तागा/डोर) का उत्पादन करता है। मुम्बई को मिलों की अधिकता के कारण सूती कपड़ों की राजधानी कहते हैं। यहाँ 62 मिलें हैं। मुम्बई की आर्द्र जलवायु, बड़ा बाजार और बंदरगाह सूती वस्त्रोद्योग के लिए उपयुक्त है। इसे भारत की सूती वस्त्र महानगरी (कॉटन मेगापॉलिस) कहते हैं। शोलापुर, पूना, कोल्हापुर, सतारा, वर्धा, नागपुर आदि अन्य महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं।
2.गुजरात – दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। 23% कपड़े का और 8% यार्न का उत्पादन होता है। अहमदाबाद सबसे महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। इसे भारत का मैनचेस्टर एवं बोस्टन कहते हैं। इसके विकास का कारण कपास उत्पादन क्षेत्र का नजदीक होना है। अन्य महत्त्वपूर्ण केन्द्र बड़ौदा, राजकोट, सूरत, पोरबंदर, मोरबी आदि हैं।
3.मध्य प्रदेश – इस उद्योग के विकास के पीछे जो महत्त्वपूर्ण कारण है, वह पिछड़ी अर्थव्यवस्था के चलते मिलने वाला सस्ता श्रम और कोयले से मिलने वाली ऊर्जा है।
महत्त्वपूर्ण केन्द्र – ग्वालियर, उज्जैन, इंदौर, देवास, रतलाम, जबलपुर आदि।
4.तमिलनाडु – यह भारत का 35% सूती वस्त्र धागा उत्पादन करता है। यहाँ सूती वस्त्र की सर्वाधिक 289 मिले हैं। कोयम्बटूर सबसे महत्त्वपूर्ण केन्द्र है, जहाँ 200 मिलें हैं। इसे दक्षिण भारत का मैनचेस्टर भी कहा जाता है।
महत्त्वपूर्ण केन्द्र – चेन्नई, मदुरई, तिरुनेलवेली
5.पश्चिम बंगाल – कोलकाता सबसे महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यहाँ इस उद्योग के विकास में यहाँ की आर्द्र जलवायु, बंदरगाह और समीपवर्ती क्षेत्रों से मिलने वाले कोयले का योगदान है।
केन्द्र – हावड़ा, मुर्शिदाबाद, हुगली, श्रीरामपुर
6.उत्तरप्रदेश – कानपुर सबसे बड़ा केन्द्र है और इसे उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।
अन्य केन्द्र – वाराणसी, अलीगढ़, सहारनपुर, आगरा, बरेली।
7.अन्य प्रदेश – आंध्र प्रदेश, केरल, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा भी महत्त्वपूर्ण उत्पादक हैं।
– नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन की स्थापना वर्ष 1973 में हुई, जिसका उद्देश्य वस्त्रोद्योग की समस्याओं को दूर करना है, खासकर रेशम वस्त्रोद्योग की।
पटसन उद्योग
– यह दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण वस्त्रोद्योग है।
– 1855 ई. में रिसरा, कोलकाता के समीप में उत्पादन प्रारम्भ हुआ। 1859 ई. में इसी मिल में पावरलूम से उत्पादन प्रारम्भ हुआ।
– इस उद्योग का निर्यात में महत्त्वपूर्ण योगदान था, लेकिन वर्ष 1947 में बँटवारे के बाद 81% जूट उत्पादन क्षेत्र पूर्वी पाकिस्तान में चले गए।
– कच्चे जूट का उत्पादन भारत मे हुगली बेल्ट में ब्रह्मपुत्र घाटी, तराई और पूर्वी तटीय भागों में होता है।
– प. बंगाल में पटसन उद्योग का सबसे ज्यादा संकेन्द्रण है। यहाँ 59 जूट की मिले हैं और 42615 लूम हैं, जो कुल मिलों का 76% और कुल लूम्स का 80% हैं।
ऊनी वस्त्रोद्योग
कानपुर में 1876 ई. में आधुनिक ऊनी वस्त्र उद्योग (लाल ईमली नामक ब्रांड से) का प्रारंभ हुआ। दूसरी धारीवाल में 1881 ई. में और तीसरी 1882 ई. में मुम्बई में।
वर्तमान में 625 बड़ी और छोटी मिले हैं। 1,100 हौजरी मिले और 155 यार्न स्पिनिंग इकाइयाँ भारत में हैं।
¨भारत का कॉटनोपोलिस – मुंबई¨भारत का मैनचेस्टर – अहमदाबाद¨पूर्व का बोस्टन – अहमदाबाद¨दक्षिण भारत का मैनचेस्टर – कोयम्बटूर¨उत्तर भारत का मैनचेस्टर – कानुपर |
– महत्त्वपूर्ण केन्द्र –
1.पंजाब – उत्पादन में पंजाब सबसे आगे है। यहाँ देश की कुल मिलों की 72% मिले अवस्थित हैं। धारीवाल भारत का सबसे बड़ा केन्द्र है।
अन्य केन्द्र-अमृतसर, लुधियाना और खारवेर
2.महाराष्ट्र – महाराष्ट्र दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। मुंबई महत्त्वपूर्ण केन्द्र है।
3.उत्तर प्रदेश- शाहजहाँपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, कानपुर
4.गुजरात – जामनगर, अहमदाबाद, वड़ोदरा
5.हरियाणा –पानीपत, फरीदाबाद, गुरुग्राम
6.राजस्थान – बीकानेर, अलवर, भीलवाड़ा
जूट वस्त्र उद्योग
जूट को सुनहरा रेशा (Golden Fibre) भी कहा जाता है।
भारत में जूट उत्पादन में प्रथम स्थान प.बंगाल तथा दूसरा स्थान बिहार का आता है।
भारत में जूट का प्रथम कारखाना जॉर्ज आकलैण्ड द्वारा 1859 ई. में ‘रिसरा नामक’ स्थान पर लगाया गया।
विश्व स्तर पर जूट के सामानों में भारत सबसे बड़ा उत्पादक तथा बांग्लादेश के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
भारत में जूट के 83 कारखानें हैं, जिसमें से सर्वाधिक प.बंगाल में 64 कारखानें स्थित हैं। प.बंगाल में जूट उत्पादन के प्रमुख कारखानें – टीटागढ़, जगतदल, बजबज, हावड़ा, रिसरा, श्रीरामपुर, श्याम नगर आदि।
रेशम वस्त्रोद्योग
– मलबरी, टसर, इरी, मूंगा का उत्पादन भारत में होता है। इटली और जापान से मिल रही चुनौतियों के कारण इसके विकास की गति धीमी हैं।
- रेशमी वस्त्र की पहली मिल 1832 ई. में हावड़ा (कलकत्ता) में स्थापित की गई।
- कर्नाटक महत्त्वपूर्ण उत्पादक (70% मलबरी सिल्क) राज्य है। मैसूर, बंगलुरु, कोलार, मांडया, तुमकुर, बेलगाँव महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं। यहाँ से कुल उत्पादन का 52% हिस्सा प्राप्त होता है।
- दूसरा महत्त्वपूर्ण उत्पादक प. बंगाल है जहाँ से कुल उत्पादन का 13% (मलबरी) प्राप्त होता है। प्रमुख केंद्र हैं : मुर्शिदाबाद बाकुरा, वीरभूम।
- जम्मू-कश्मीर, बिहार (8%), मध्य प्रदेश (2.5%), उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु अन्य महत्त्वपूर्ण उत्पादक राज्य हैं।
कृत्रिम रेशा उद्योग
– कृत्रिम रेशे के उत्पादन से वस्त्र उद्योग में क्रान्ति आ गई है। यह काफी मजबूत होता है। मानव निर्मित रेशों को दो भागों में बाँटा गया है:- सेल्यूलोज (रेयन और एसिटेट) और नॉन-सेल्यूलोज (नायलॉन, पॉलिस्टर)।
– बाँस, यूकलिप्टस और दूसरे मुलायम लकड़ियों से पल्प बनाया जाता हैं।
– रेशों को बनाने के लिए कास्टिक सोडा, सोडियम सल्फेट, सल्फ्यूरिक एसिड, कार्बन डाई सल्फाइड और सोडा सल्फेट का उपयोग किया जाता है।
– वर्ष 1950 में केरल के रायपुरम में पहली मिल ट्रावनकोट रेयन्स लि. स्थापित की गई थी। इसके बाद मुम्बई में और फिर हैदराबाद में। नागदा, ग्वालियर रेयन सिल्क कम्पनी महत्त्वपूर्ण केन्द्र है।
चीनी उद्योग
– चीनी उद्योग में उत्पादन भारत में परम्परागत रूप से गुड़ खाण्डसारी के रूप में प्राचीन काल से हो रहा है।
– गन्ना और चीनी का भारत विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक देश है। गुड़, खांडसारी और चीनी को मिलाकर भारत उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर है।
उद्योग केन्द्र-
– चीनी-उद्योग का कच्चे-माल वाले प्रदेशों में केन्द्रित होने के कारण–
– चीनी की अपेक्षा गन्ने की ढुलाई कठिन है।
– गन्ने की कटाई के 24 घंटों के अंदर इसकी पेराई का लेने से गन्ने से ज्यादा चीनी मिलती है।
– चीनी-उद्योग उत्तर प्रदेश और बिहार के मुख्य रूप से केन्द्रित है। इनके अलावा यह महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक और आन्ध्रप्रदेश में इसलिए केन्द्रित है क्योंकि ये प्रदेश गन्नों की खेती के लिए उपयुक्त हैं।
– इस उद्योग में बाहर से ऊर्जा की आपूर्ति की जरूरत नहीं हैं क्योंकि चीनी उत्पादन के क्रम में निकलने वाली खोई ही मशीन चलाने के लिए ऊर्जा देने हेतु पर्याप्त होती है।
– इस उद्योग में दक्षिण-भारत की ओर स्थानान्तरित होने की प्रवृत्ति दिख रही है क्योंकि वहाँ के गन्नों में चीनी की मात्रा अधिक होती है, वहाँ पेराई का मौसम ज्यादा लंबा होता है और सहकारी क्षेत्र में वहाँ के मिल अधिक प्रबंधित हैं।
उद्योग की समस्याएँ
– कृषि पर आधारित उद्योग होने के कारण मानसून के अनुसार इसके उत्पादन में परिवर्तन होता रहता है।
– चीनी उत्पादन गन्ने के उत्पादन पर निर्भर करता है, जो खाद्यान्न की तुलना में गन्ना के मूल्य पर निर्भर करता है और इसका संबंध गन्ने और गुड़ की कीमतों से भी है।
– उत्पादन क्षेत्र से मिल तक पहुँचने की धीमी और लंबी प्रक्रिया से गन्ने के स्तर में गिरावट आ जाती है।
– चीनी मिल केवल पेराई के मौसम में ही चलते हैं और शेष समय बंद रहते हैं क्योंकि दूर से गन्ना लाना मुश्किल है।
– गन्नों की गुणवत्ता और मात्रा की कमी।
– चीनी को अकुशल एवं अनार्थिक विधि से बनाने, कम उपज, पेराई का छोटा मौसम, गन्नों की ऊँची कीमत और ज्यादा उत्पाद-कर के कारण चीनी का उत्पादन महँगा हो जाता है।
– पुरानी तथा अक्षम मशीनरी।
कागज उद्योग
– कलकत्ता में 1870 ई. में पहला कागज मिल स्थापित हुआ।
– कागज उद्योग के कच्चा माल सेल्यूलोज लुग्दी, रंग, सरेस आदि हैं।
– बाँस, कोनिफर लकड़ी तथा घास से सेल्यूलोज लुग्दी बनाई जाती है।
– कागज-उद्योग की स्थापना के निर्धारक तत्त्व हैं उत्पादित कागज के लिए बाजार होना और कच्चे-माल की उपलब्धता।
– इन तत्त्वों की मौजूदगी के कारण प.बंगाल इस उद्योग में सबसे आगे है।
– यहाँ के उद्योग सुन्दरवन, बिहार, असम और ओडिशा से बाँस प्राप्त करते हैं।
– जहाँ कागज उद्योग विस्तृत रूप में हैं, वे राज्य महाराष्ट्र, ओडिशा, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश हैं।
– नेपानगर (म.प्र.) का नेपा कागज मिल, मैसूर कागज मिल तथा केरल न्यूजप्रिंट योजना समाचार पत्रों के लिए कागज बनाते हैं।
उद्योग की समस्याएँ
– कच्चे माल की कमी।
– उद्योग में लगने वाले रसायनों की कमी।
– श्रम-समस्या, निम्न-किस्म के कोयले के उपयोग, ढुलाई की ऊँची कीमत, आदि के कारण ऊँचा उत्पादन मूल्य।
– मिल लगाने में ऊँचा निवेश।
– छोटी इकाइयों का बीमार होना।
– अखबारी कागज की समय-समय पर होने वाली कमी।
B. खनिज आधारित उद्योग
1. लौह-इस्पात उद्योग
– लौह-इस्पात उद्योग औद्योगिक विकास की आधारशिला है, लौह-इस्पात का प्रति व्यक्ति उपभोग औद्योगिक विकास का सूचक भी है।
– 1830 ई. में पोर्टोनोवा, तमिलनाडु, में सर्वप्रथम लौह-इस्पात उद्योग की स्थापना का प्रयास असफल हो गया।
– वर्ष 1907 में साकची (जमशेदपुर) में टिस्को की स्थापना हुई।
कारक :
– कच्चे माल की आपूर्ति इस उद्योग की स्थापना का सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है, क्योंकि इस उद्योग के लिए भारी और अधिक मात्रा में कच्चे माल की आवश्यकता पड़ती है।
– इस कारण यह उद्योग या तो कोयला मिलने वाले क्षेत्र के पास या दोनों क्षेत्रों से समान दूरी वाले स्थानों पर स्थापित किए जाते हैं।
– उदाहरण-झारखंड, छत्तीसगढ़, प.बंगाल और ओडिशा में इस उद्योग को स्थापित किया गया है।
– विश्वेश्वरैया लौह-इस्पात उद्योग कोल क्षेत्र के समीप नहीं है।
– श्रावती से इसे इलेक्ट्रिक पॉवर मिलता है।
– विशाखापट्टनम (आंध्रप्रदेश) में इस उद्योग की स्थापना निर्यात को ध्यान में रखकर की गई है।
– इससे एक नए चलन का प्रारंभ हुआ, बंदरगाह के समीप इस उद्योग की स्थापना।
– अन्य उदाहरणों में मंगलौर और रत्नागिरि प्रमुख हैं।
उत्पादन के महत्त्वपूर्ण केन्द्र :
1. TISCO (स्थापना 1907) – भारत का सबसे बड़ा उपक्रम है। वर्ष 1912 में स्टील का उत्पादन प्रारम्भ हुआ।
– कच्चे माल का स्रोत-हेमेटाइट (नोआमुंडी);कोयला- रानीगंज, झरिया; मैंग्नीज (ओडिशा), डोलोमाइट, लाइमस्टोन, फायरक्ले-सुन्दरगढ़ (ओडिशा); जल-स्वर्णरेखा नदी, ऊर्जा-खरकाई डेम; सस्ता श्रम-बिहार, ओडिशा, बंगाल।
– टिस्को गोपालपुर (ओडिशा) में एक कॉम्पलेक्स का विकास कर रहा है। यह तटीय भाग में अवस्थित है और भारत का सबसे अधिक सक्षम प्लान्ट होगा।
2. IISCO इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी –वर्ष 1937 में बर्नपुर में और वर्ष 1908 में हीरापुर में प्लान्ट स्थापित किए गए। इन सबको मिलाकर IISCO की स्थापना हुई। वर्ष 1972 में इसको सरकार के नियंत्रण में लाया गया। हीरापुर में पीग आयरन का उत्पादन होता है, जिसको स्टील के उत्पादन हेतु कुल्टी भेजा जाता है।
कच्चे माल का स्रोत
लौह-अयस्क – गुआ माइन्स (झारखंड), मयूरभंज
कोयल- झारिया
ऊर्जा – दामोदर घाटी परियोजना
डोलोमाइट, लाइमस्टोन- सुन्दरगढ़
3. MISCO: मैसूर आयरन एंड स्टील कम्पनी
– वर्ष 1923 में मैसूर स्टेट द्वारा स्थापित किया गया। भद्रावती नदी के समीप अवस्थित है।
– वर्ष 1962 में इसका नाम विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील लिमिटेड रखा गया।
कच्चे माल का स्रोत –
हेमेटाइट आयरन – केमनगुंडी (चिकमंगलूर)
ऊर्जा – श्रावती पॉवर प्रोजेक्ट
लाइमस्टोन – मुंडीगुडा
मैंग्नीज – सिमोगा, चित्रदुर्ग
लाइमस्टोन, डोलोमाइट – स्थानीय क्षेत्रों में उपलब्ध
4. SAIL हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड – यह सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। द्वितीय पंचवर्षीय परियोजना में भिलाई, राउरकेला और दुर्गापुर में प्लान्ट की स्थापना हुई।
– भिलाई – दुर्ग जिले में इसकी स्थापना वर्ष 1957 में सोवियत संघ के सहयोग से हुई। स्थापना का उद्देश्य इस क्षेत्र को विकसित करना था।
– कच्चे माल का स्रोत
हेमेटाइट – डल्ली-राजहरा रेंज
कोयला – कोरबा, करगली फिल्ड्स
लाइमस्टोन – नंदिनी माइन्स
मैंग्नीज – भंडारा (महाराष्ट्र), बालाघाट (मध्य प्रदेश)
ऊर्जा – कोरबा थर्मल पॉवर
डोलोमाइट – विलासपुर
– राउरकेला – ओडिशा के सुन्दरगढ़ जिले में अवस्थित है। वर्ष 1959 में इसकी स्थापना हुई, पश्चिमी जर्मनी के सहयोग से।
– कच्चे माल का स्रोत
लौह-अयस्क – सुन्दरगढ़, क्योंझर
कोयला – झरिया, तालचेर
ऊर्जा – हीराकुंड, पॉवर प्रोजेक्ट
मैंग्नीज – बरागमयला
डोलोमाइट – बराडवार
लाइमस्टोन – पूर्णपाली
– दुर्गापुर – वर्ष 1962 में पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में इसकी स्थापना ब्रिटिश सहायता से हुई।
– कच्चे माल का स्रोत
लौह-अयस्क – बोलनी माइन्स और मयूरभंज
कोयला – झरिया, रानीगंज
लाइमस्टोन – वीरमित्रपुर (ओडिशा)
मैंग्नीज – क्योंझर (ओडिशा)
डोलोमाइट – वीरमित्रपुर
ऊर्जा – दामोदर घाटी कॉर्पोरेशन
जल – दामोदर नदी
– बोकारो: वर्ष 1972 में इस प्लान्ट का प्रारम्भ सोवियत सहयोग से हुआ। यह बोकारो और दामोदर नदियों के संगम के पास हजारीबाग जिले में स्थित है।
– बोकारो की स्थापना वर्ष 1968 में हुई थी परंतु वितीय एवं तकनीकी कारण से उत्पादन वर्ष 1972 में प्रारम्भ किया गया था।
– कच्चे माल का स्रोत
लौह-अयस्क – किरीबुरू (ओडिशा)
कोयला – झरिया
लाइमस्टोन – पलामू
ऊर्जा – दामोदर घाटी परियोजना
– चतुर्थ योजना में तीन नए प्लांट स्थापित हुए : सलेम (तमिलनाडु) विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश), विजयनगर (कर्नाटक)।
2. एल्युमिनियम उद्योग
– लौह-इस्पात उद्योग के बाद यह दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण उद्योग है। 50% के लगभग एल्युमिनियम की खपत विद्युत ऊर्जा के उत्पादन एवं वितरण से होती है। दूसरे अन्य क्षेत्र जहाँ एल्युमिनियम की खपत होती है वे हैं- बर्तन उद्योग (20%), ट्रांसपोर्ट (12%) और पैकिंग (8%)।
– एक टन एल्युमिनियम के उत्पादन में 18573 Kwh विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता हाती है। उत्पादन व्यय का 70% भाग सिर्फ इसी मद में खर्च होता है। अतः ऊर्जा और बॉक्साइट की प्राप्ति से ही यह निर्धारित होता है कि एल्युमिनियम संयंत्र की स्थापना कहाँ हो।
– INDALCO. एल्युमिनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना वर्ष 1937 में हुई। इसके संयंत्र ने जयकर्णनगर (JK Nagar) (प.बंगाल) में कार्य करना प्रारम्भ किया।
– INDAL Co. (इंडियन एल्युमिनियम कम्पनी लिमिटेड) अलुपुरम (केरल) में अपना संयंत्र वर्ष 1938 में स्थापित किया।
– वर्ष 1965 में कोरबा में BALCO के द्वारा रत्नागिरि में भी संयंत्र स्थापित किया गया।
– वर्ष 1965 MALCO मेट्टूर में।
– वर्ष 1981 में NALCO दमनजोड़ी (कोरापुट) में
– भारत का सबसे बड़ा संयंत्र अन्गुल, धोन्डानल जिला में।
3. ताम्र उद्योग (कॉपर स्मेलटिंग)
– वर्ष 1924 में इंडियन कॉपर कॉर्पोरेशन की स्थापना हुई।
– पहला संयंत्र घाटशिला (सिंहभूम में)।
– वर्ष 1967 में हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड की स्थापना।
– वर्ष1972 में इंडिया कॉपर लिमिटेड की स्थापना।
– वर्तमान में केवल दो संयंत्र काम कर रहे हैं-
1. घाटशिला (सिंहभूम)
2. खेतड़ी (झुंझुनूँ)
4. लेड और जस्ता उद्योग
– पहला लेड स्मेलटिंग प्लान्ट टून्डु (धनबाद) में स्थापित हुआ।
– राजस्थान के जावर और राजपुर दरीबा के अयस्क की प्राप्ति होती है।
– देश में चार जिंक स्मेल्टर हैं-
1. अलवाई – केरल
2. देबारी (उदयपुर) – राजस्थान
3. चन्देरिया (चित्तौड़गढ़) – राजस्थान
4. विशाखापट्टनम – आंध्र प्रदेश
5. सीमेन्ट उद्योग
– यह कच्चे माल पर आधारित उद्योग है। चूना-पत्थर मुख्य कच्चा माल है। कुल उत्पाद का 66% (1.5 टन) चूना-पत्थर का उपयोग एक टन सीमेंट के उत्पादन में होता है।
– वर्ष 1904 में प्रथम कारखाना चेन्नई में। प्रयास असफल साबित हुआ।
– वर्ष 1912-13 में पोरबंदर में इंडियन सीमेन्ट क. लिमिटेड की स्थापना।
– वर्ष 1915-कटनी में, वर्ष 1915-16 में लाखेरी (बूँदी) में क्लिक निक्सन कम्पनी द्वारा सीमेन्ट का कारखाना स्थापित किया गया।
– जपला (बिहार), शाहाबाद (कर्नाटक) कैगोर, बानमोर, मेहगाँव, द्वारका। प्रथम राजस्थान – राजस्थान 11%, तमिलनाडु 8.5%, गुजरात 8.5%।
भारत की प्रमुख एल्युमिनियम कम्पनियाँ | ||
एल्युमिनियम कम्पनी | स्थापना में सहायक देश | प्रमुख केन्द्र |
BALCO-1965 | सोवियत संघ | कोरबा (छत्तीसगढ), कोयना (महाराष्ट्र) |
NALCO-1981 | फ्रांस | दामनजोड़ी (ओडिशा), अंगुल (ओडिशा) |
HINDALCO-1958 | संयुक्त राज्य अमेरिका | रेणुकूट (उत्तर प्रदेश) |
INDALCO-1965 | कनाडा | जे.के. नगर (पश्चिम बंगाल), मुरी (झारखण्ड) अल्वाये (केरल) |
MALCO-1965 | इटली | चेन्नई, मेट्टूर, सलेम (तमिलनाडु) |
VEDANTA-1976 | जर्मनी | झारसुगुडा |
C. इंजीनियरिंग आधारित उद्योग
1. मशीन उपकरण
– मशीन टूल्स का उत्पादन वर्ष 1932 में किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड के द्वारा प्रारंभ हुआ ।
– वर्ष 1953 में हिन्दुस्तान मशीन टूल्स की स्थापना सार्वजनिक उपक्रम के रूप मे बंगलुरु में हुई, स्विट्जरलैंड के सहयोग से स्थापना हुई।
– हैवी इंजीनियरिंग निगम लि. राँची की स्थापना वर्ष 1958 में पूर्व सोवियत संघ के सहयोग से की गई।
– वर्ष 1966 में विशाखापट्टनम में भारी मशीनरी उद्योग की स्थापना चेक सहयोग से हुई।
– प्रजा टूल्स लिमिटेड, सिकंदराबाद में रक्षा उपकरण का उत्पादन होता है।
– जादवपुर इकाई (कोलकाता) में बहुमूल्य उपकरणों का निर्माण होता है।
– टेल्को (TELCO) – वर्ष 1951 में, जमशेदपुर
– भेल (BHEL) – भोपाल, इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव
2. रेलवे लोकोमोटिव्स
– चितरंजन लोकोमोटिव्स वर्क (CLW) – यह वर्धमान जिले (पश्चिम बंगाल) में है जिसकी स्थापना वर्ष 1950 में हुई। वर्ष 1972 से पहले यहाँ स्टीम लोकोमोटिव बनती थी। डीजल इंजन का कारखाना वाराणसी में है, जहाँ अब इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का निर्माण होता है।
1.इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, पेराम्बुर (तमिलनाडु) वर्ष 1955 में स्थापित।
2. कपूरथला कोच फैक्ट्री, कपूरथला (पंजाब)
3. रायबरेली कोच फैक्ट्री, रायबरेली (उत्तरप्रदेश) निर्माण कार्य प्रगति पर।
3. ऑटोमोबाइल्स उद्योग
– सर्वप्रथम जनरल मोटर्स लि. की स्थापना वर्ष 1928 में मुम्बई में हुई।
– फोर्ड मोटर्स, वर्ष 1980 में चेन्नई में।
– प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड कुर्ला (मुंबई)
– हिन्दुस्तान मोटर लि. उतरपाड़ा (कोलकाता)
– मोटर साइकिल – फरीदाबाद, मैसूर
– स्कूटर – लखनऊ, सतारा, आकुर्दी (पूना)
– मारुती – गुरुग्राम
– टेल्को – भारी और मध्यम कॉमर्शियल वाहन
4. हवाई जहाज उद्योग
– वर्ष 1940 में बंगलुरु में हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड उद्योग की स्थापना हुई। नासिक, कोयम्बटूर, हैदराबाद, कानपुर, लखनऊ अन्य महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं।
5. जलयान निर्माण उद्योग
– आधुनिक ढंग का जलयान बनाने का पहला कारखाना सिंधिया नेवीगेशन कम्पनी द्वारा वर्ष 1941 में विशाखापट्टनम में स्थापित किया। वर्ष 1952 में इसे केन्द्र सरकार ने अधिग्रहित किया। अब इसे हिन्दुस्तान शिपयार्ड कम्पनी चला रही है।
– हिन्दुस्तान शिपयार्ड लि.- विशाखापट्टनम में स्थापित है।
– गार्डन रीच वर्कशॉप- यह हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित है।
– मझगाँव डॉक, मुम्बई – यहाँ भारतीय नौसेना के फ्रिगेट किस्म के जहाज बनाए जाते हैं।
– कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड- कोच्चि (केरल) में विशाल जहाज और टैंकर बनाने के इस कारखाने की स्थापना वर्ष 1980 में की गई।
6.सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
– इस उद्योग का विकास भारत में वर्ष 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद से माना जाता है। तब से लेकर आज तक भारत में वैश्विक बाजार में अपनी साख स्थापित कर दी।
– भारत की संवृद्धि में इस उद्योग की भागीदारी सर्वाधिक है।
– बंगलुरु सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग का प्रमुख केन्द्र है, जिसे भारत का ‘सिलिकॉन वैली’ कहते हैं।
D. रसायन आधारित उद्योग
– वस्त्रोद्योग, लौह इस्पात उद्योग और मेटालॉजिकल उद्योग के बाद यह चौथा बड़ा उद्योग है। इस उद्योग में सल्फ्यूरिक अम्ल का प्रयोग सबसे ज्यादा होता है। मुख्यतः उर्वरक, प्लास्टिक, पेंट, कृत्रिम रेशे के उत्पादन में 90% सल्फर आयात करना पड़ता है। मुख्यतः केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और प. बंगाल में इकाइयाँ हैं।
1.उर्वरक
– पेट्रो रसायन उत्पादित करने वाले क्षेत्रों के समीप इस उद्योग को स्थापित किया जाता है।
– नाइट्रोजन उर्वरक का उत्पादन करने वाली इकाइयों में से 70% इकाइयाँ नेप्था का उपयोग कच्चे माल के रूप में करती हैं। नेप्था तेलशोधक इकाइयों का उप-उत्पाद होता है।
– नाइट्रोजन का उपयोग करने वाले संयंत्रों का चलन बढ़ रहा है।
– वर्ष 1906 में रानीपेट (तमिलनाडु) में पहला सुपर फॉस्फेट प्लान्ट स्थापित किया गया था।
– वर्ष 1951 में सिन्दरी (झारखण्ड) में पहला उर्वरक कारखाना आजादी के बाद स्थापित हुआ।
– भारत नाइट्रोजन उर्वरक का चौथा बड़ा उत्पादक देश है।
– FCI – फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया: इसकी चार इकाइयाँ हैं: सिंदरी, तालचेर, गोरखपुर और रमागुंडम (आंध्र प्रदेश)।
– NFL – (नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड) इसके निम्न संयंत्र हैं – भटिन्डा, पानीपत, विजयपुर तथा अन्य केन्द्र उद्योगमंडल, कोचीन, थाल, नामरूप, बरौनी, पारादीप, आमालोर आदि-
– HBJ गैस पाइपलाइन के माध्यम से हजीरा, विजयपुर, जगदीशपुर, आँवला, बाबराला और शाहजहाँपुर में प्लान्ट की स्थापना हुई है।
भारत के प्रमुख उद्योग प्रश्नोत्तरी
भारत में औद्योगिक प्रदेश कितने हैं?
8 प्रमुख एवं 13 लघु औद्योगिक प्रदेशों में विभाजित किया गया है ।
भारत के प्रमुख उद्योग कौन कौन सा है?
चमड़ा उद्योग, बर्तन निर्माण उद्योग और सूती वस्त्र उद्योग भी भारत के महत्वपूर्ण लघु उद्योग हैं
भारत का सबसे औद्योगिक राज्य कौन सा है?
तमिलनाडु
अन्य लेख
भारत का भूगोल एवं भारत की स्थिति एवं विस्तार
भारत के प्रमुख उद्योग mcq
Q.1
सूची-I का सूची-II से सुमेलित कीजिए-
सूची-I (स्थान)
सूची-II (उद्योग)
A.
बेंगलुरु
1.
लोहा-इस्पात
B.
कोरबा
2.
ताँबा
C.
जमशेदपुर
3.
वायुयान
D.
मालाजखंड
4.
एल्युमिनियम
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-3, B-4, C-1, D-2
2
A-1, B-3, C-4, D-2
3
A-4, B-1, C-2, D-3
4
A-3, B-1, C-2, D-4
Q.2
सूची-I (हस्तशिल्प केन्द्र) को सूची-II (राज्य) के साथ सुमेलित कीजिए-
सूची-I (हस्तशिल्प केन्द्र)
सूची-II (राज्य)
A.
मोन
1.
अरुणाचल प्रदेश
B.
नलबाड़ी
2.
असम
C.
पासीघाट
3.
मेघालय
D.
तूरा
4.
नागालैण्ड
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-3, B-4, C-1, D-2
2
A-1, B-3, C-4, D-2
3
A-4, B-2, C-1, D-3
4
A-3, B-1, C-2, D-4
Q.3
सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए-
सूची-I (उद्योग)
सूची-II (औद्योगिक केन्द्र)
A.
पर्ल फिशिंग
1.
पुणे
B.
ऑटोमोबाइल्स
2.
तूतीकोरिन
C.
पोत निर्माण
3.
पिंजोर
D.
इंजीनियरी सामान
4.
मर्मगाव
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-2, B-1, C-4, D-3
2
A-1, B-3, C-4, D-2
3
A-4, B-1, C-2, D-3
4
A-3, B-1, C-2, D-4
Q.4
सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए-
सूची-I (स्थान)
सूची-II (उद्योग)
A.
जामनगर
1.
एल्यूमीनियम
B.
हॉसपेट
2.
ऊनी वस्त्र
C.
कोरबा
3.
उर्वरक
D.
हल्दिया
4.
सीमेन्ट
5.
लोहा एवं इस्पात
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-4, B-3, C-1, D-2
2
A-2, B-5, C-1, D-3
3
A-4, B-5, C-2, D-3
4
A-2, B-1, C-4, D-3
Q.5
सूची-I का सूची-II से सुमेलित कीजिए-
सूची-I (नगर)
सूची-II (उद्योग)
A
शोलापुर
1.
तेल शोधन
B
राउरकेला
2.
भिलाई
C
लोहा और इस्पात
3.
टीटागढ़
D
खनिज तेल शोधनशाला
4.
लखेरी
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-4, B-3, C-2, D-1
2
A-1, B-2, C-3, D-4
3
A-2, B-3, C-4, D-1
4
A-3, B-2, C-1, D-4
Q.6
सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए-
सूची-I (नगर)
सूची-II (उद्योग)
A.
कोयम्बटूर
1.
तेल शोधन
B.
राउरकेला
2.
रेल डिब्बा
C.
कपूरथला
3.
लौह इस्पात
D.
बरौनी
4.
सूती वस्त्र
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-4, B-3, C-2, D-1
2
A-1, B-2, C-3, D-4
3
A-2, B-3, C-4, D-1
4
A-4, B-2, C-3, D-1
Q.7
निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है?
1
मुरी-झारखण्ड
2
अल्वाय-केरल
3
धर्मापुरी-ओडिशा
4
कोयली-गुजरात
Q.8
नीमराणा, जो टिकाऊ आर्थिक विकास का मॉडल है, अवस्थित है-
1
हरियाणा में
2
पंजाब में
3
राजस्थान में
4
उत्तर प्रदेश
Q.9
निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है?
1
अमलाई-छत्तीसगढ़
2
बल्लारपुर-महाराष्ट्र
3
ब्रजराजनगर-ओडिशा
4
राजमुन्द्री-आन्ध्र प्रदेश
Q.10
सूची-I का सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिये-
सूची-I
सूची-II
A.
रेल कोच फैक्ट्री
1.
बेंगलुरु
B.
व्हील एवं एक्सल संयंत्र
2.
पेराम्बूर
C.
डीजल लोकोमोटिव वर्क्स
3.
कपूरथला
D.
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री
4.
वाराणसी
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1
A-1, B-2, C-3, D-4
2
A-4, B-3, C-2, D-1
3
A-1, B-3, C-4, D-2
4
A-3, B-1, C-4, D-2
Q.11
निम्नलिखित में से मध्य प्रदेश का कौन-सा नगर कीटनाशक उद्योग हेतु प्रसिद्ध है?
1
भोपाल
2
ग्वालियर
3
इंदौर
4
जबलपुर
Q.12
भारत के निम्नलिखित औद्योगिक प्रदेशों में से किसमें शिवकाशी केन्द्र स्थित है?
1
छोटा नागपुर प्रदेश
2
अहमदाबाद-वडोदरा प्रदेश
3
मदुराई-कोयम्बटूर-बेंगलुरु प्रदेश
4
कोलकता-हुगली प्रदेश
Q.13
निम्नलिखित में से कौन सही सुमेलित नहीं है?
1
उद्योग-सीमेण्ट, केन्द्र-पोरबन्दर
2
उद्योग-पेट्रो रसायन, केन्द्र-नागथेन
3
उद्योग-चीनी, केन्द्र-सिलवासा
4
उद्योग-लोहा एवं इस्पात, केन्द्र-राउरकेला
Q.14
सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए-
सूची-I (केन्द्र)
सूची-II (उद्योग)
A.
काकीनारा
1.
कारपेट
B.
विरुधनगर
2.
जूट
C.
चन्नापटना
3.
सूती वस्त्र
D.
भदोही
4.
रेशम
कूट:-
1
A-1, B-2, C-3, D-4
2
A-4, B-3, C-2, D-1
3
A-2, B-3, C-4, D-1
4
A-3, B-2, C-1, D-4
Q.15
निम्नलिखित में से कौन-सा एक सुमेलित नहीं है?
1
बाल्को-रायपुर
2
हिण्डालको-पिपरी
3
नाल्को-भुवनेश्वर
4
एच.सी.एल.-खेत्री
Q.16
सूची-I का सूची-II से सुमेलित कीजिए-
सूची-I (उद्योग)
सूची-II(स्थान)
A.
भारी इंजीनियरिंग उद्योग
1.
सिंद्री
B.
मशीन औजार
2.
रेनूकूट
C.
एल्यूमीनियम
3.
राँची
D.
उर्वरक
4.
पिंजौर
कूट:-
1
A-3, B-4, C-2, D-1
2
A-4, B-3, C-1, D-2
3
A-4, B-3, C-2, D-1
4
A-1, B-2, C-3, D-4
Q.17
निम्नलिखित औद्योगिक कस्बों में कौन-सा छोटा नागपुर के पठार पर स्थित है?
1
भिलाई
2
रांची
3
आसनसोल
4
दुर्गापुर
Q.18
निम्नलिखित में से कौन-सी जोड़ी सुमेलित नहीं है?
1
औद्योगिक क्षेत्र-सिलतरा, जिला-रायपुर
2
औद्योगिक क्षेत्र-बोरई, जिला-दुर्ग
3
औद्योगिक क्षेत्र-सिरगिट्टी, जिला-बिलासपुर
4
औद्योगिक क्षेत्र-अंतनी, जिला-रायगढ़
Q.19
निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है?
1
बोंगाईगाँव-इंजीनियरिंग
2
जामुल-सीमेण्ट
3
नामरूप-उर्वरक
4
राजामुन्द्री-कागज
Q.20
प्रायद्वीपीय भारत के चीनी उद्योग के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा सही नहीं है?
1
गन्ने का प्रति हेक्टेयर उच्च उत्पादन
2
उच्चतर सूक्रोस अंश
3
लम्बी पेराई (संदलन) अवधि
4
प्रायद्वीप में अधिकांश मिलें मुख्यत: पूर्वी तट के समीप स्थित हैं।
Q.21
सूची-I को सूची-II के साथ सुमेलित कीजिए-
सूची-I (स्टील मिल)
सूची-II (राज्य)
A
कलिंगनगर
1.
पश्चिम बंगाल
B
विजयनगर
2.
तमिलनाडु
C
सेलम
3.
ओडिशा
D
दुर्गापुर
4.
कर्नाटक
कूट:-
1
A-1, B-4, C-2, D-3
2
A-1, B-2, C-4, D-3
3
A-3, B-4, C-2, D-1
4
A-3, B-2, C-4, D-1
Q.22
सूची-I तथा सूची-II का सुमेलित कीजिए-
सूची-I (उद्योग)
सूची-II (उत्पादन केन्द्र)
A.
एल्युमीनियम
1.
बेंगलुरु
B.
सीमेन्ट
2.
बोंगाईगांव
C.
इलेक्ट्रॉनिक्स
3.
डालमिया नगर
D.
पेट्रो-रसायन
4.
कोरबा
कूट:-
1
A-4, B-3, C-1, D-2
2
A-3, B-4, C-1, D-2
3
A-4, B-3, C-2, D-1
4
A-2, B-4, C-1, D-3
Q.23
केरल के अतिरिक्त, निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य प्रजनन के प्रतिस्थापित स्तर को प्राप्त कर चुका है?
1
असम
2
गुजरात
3
कर्नाटक
4
तमिलनाडु
Q.24
विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) को किस लिए विकसित किया गया है?
1
देश भर में अतिरिक्त आर्थिक गतिविधि उत्पन्न करने के लिए
2
उपनगरीय क्षेत्रों के सुन्दरीकरण के लिए
3
देहातों में सुविधाओं को उन्नत करने के लिए
4
घरेलू तथा विदेशी स्त्रोतों से निवेश के संवर्धन के लिए