प्रमुख स्थलाकृतियाँ – पर्वत, पठार, मैदान एवं मरुस्थल Mountains, Plateaus, Plains

आज हम भूगोल के विश्व खंड से महत्वपूर्ण अध्याय जिसका नाम है “प्रमुख स्थलाकृतियाँ – पर्वत, पठार, मैदान एवं मरुस्थल” के विषय में अध्ययन करेंगे।

प्रमुख स्थलाकृतियाँ

प्रमुख स्थलाकृतियाँ सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी यहाँ देने का प्रयास किया गया हैं।

पर्वत (Mountain)

विश्व के विभिन्न भागों में पर्वतों का निर्माण कुछ विशेष युगों में हुआ है। इन्हें पर्वत निर्माणकारी युग कहा जाता है।

प्रमुख पर्वत निर्माणकारी युग

प्रीकैम्ब्रियन पर्वतीकरण (Pre-Cambrian Orogeny)

–   यह काल लगभग 500 मिलियन वर्ष से भी अधिक पुराना है। इनका निर्माण अति रूपांतरित चट्टानों द्वारा हुआ है एवं इनका इतना अधिक अनावृत्तिकरण हुआ है कि इनका पर्वतीय रूप समाप्त हो चुका है।

–   उत्तरी अमेरिका के लारेशियन पर्वत, एलगोमन पर्वत, किलार्नियन पर्वत; यूरोप में फेनो-स्कैण्डिनेविया के पर्वत, स्कॉटलैंड का उत्तरी पश्चिमी उच्च भाग एवं एन्जेल्सी में प्री-कैम्ब्रियन पर्वत के लक्षण पाए जाते हैं।

कैलिडोनियन पर्वतीकरण (Caledonian or Mid Paleozoic Orogeny)

–   सिलुरियन एवं डेवोनियन काल के पर्वतों को इस युग में रखा जाता है।

–   यूरोप में स्कॉटलैंड, आयरलैंड, स्कैन्डिनेविया के पर्वत, दक्षिण अमेरिका के ब्राजीलाइड्स, भारत के अरावली, सतपुड़ा एवं महादेव इस युग के महत्त्वपूर्ण पर्वत हैं।

हर्सीनियन पर्वतीकरण (Hercynian or Late Paleozoic Orogeny)

–   इस युग का काल पर्मियन एवं पर्मोकार्बोनिफेरस माना जाता है।

–   उत्तरी अमेरिका में अप्लेशियन; यूरोप में फ्रांस के आरमोरिकन एवं सेंट्रल मैसिफ, वॉस्जेज, ब्लैक फोरेस्ट एवं बोहेमियन मैसिफ, आइबेरियन प्रायद्वीप, आयरलैंड, दक्षिणी वेल्स, यूराल; एशिया में अल्टाई, टिएनशान, खिंगन, नानशान, सिनलिंगशान हर्सीनियन पर्वतीकरण के उदाहरण हैं।

अल्पाइन पर्वतीकरण (Alpine Orogeny)

–   इसके अंतर्गत टर्शियरी काल में निर्मित पर्वतों को रखा जाता है। ये विश्व के उच्चतम एवं नवीनतम मोड़दार पर्वत हैं।

–   रॉकी, एण्डीज, अल्पाइन पर्वत क्रम (मुख्यत: आल्पस, कार्पेथियन, पिरेनीज, बाल्कन, काकेशस, कैण्टेब्रियन, एपीनाइन, डिनारिक आल्पस आदि), अफ्रीका का एटलस पर्वत, एशिया का हिमालय एवं पामीर गांठ से निकलने वाले नवीन मोड़दार पर्वत (जैग्रोस, एल्बुर्ज, क्यूनलुन आदि), बर्मा का अराकानयोमा एवं पूर्वी एशिया के मोड़दार पर्वतों का निर्माण इसी युग में हुआ।

पर्वत के विभिन्न रूप (Different Forms of Mountains)

पर्वत कटक (Mountain Ridge)

–    लंबे, संकरे एवं ऊँचे पर्वत को पर्वत कटक कहा जाता है।

पर्वत श्रेणी (Mountain Range)

–    पर्वतों एवं पहाड़ियों के क्रम को पर्वत श्रेणी कहा जाता है, जिसमें कई कटक, शिखर एवं घाटियाँ सम्मिलित रहती हैं। ये एक ही काल में एवं एक ही प्रक्रिया द्वारा बने होते हैं तथा इनका फैलाव एक सीध में संकरी पट्टी में एक रेखा के रूप में होता है। जैसे-हिमालय पर्वत की तीन श्रेणियाँ।

पर्वत शृंखला (Mountain Range)

–    जब विभिन्न युगों में निर्मित लंबे एवं संकरे पर्वतों का विस्तार समानान्तर रूप में पाया जाता है, तो उसे पर्वत शृंखला या पर्वतमाला कहा जाता है, जैसे-अप्लेशियन पर्वतमाला।

पर्वत प्रणाली (Mountain System)

–   एक ही युग में निर्मित विभिन्न पर्वत श्रेणियों के समूह को पर्वत प्रणाली या पर्वत तंत्र कहा जाता है।

पर्वत वर्ग (Mountain Group)

–    जब किसी प्रदेश की कटक तथा श्रेणियाँ पर्वतमाला की तरह विस्तृत तो होती हैं परंतु माला की तरह एक ही सीध में लंबी रेखा में विस्तृत न होकर असमान (Unsystematic) रूप में फैली होती हैं, तो उन्हें पर्वत वर्ग या पर्वत समुदाय कहा जाता है।

पर्वत समूह (Cordillera)

–    पर्वत वर्गों या पर्वत प्रणालियों का समूह पर्वत समूह कहलाता है। इसमें विभिन्न युगों में भिन्न-भिन्न प्रकार से निर्मित पर्वत श्रेणियाँ, पर्वत तंत्र तथा पर्वत शृंखलाएं पाई जाती हैं। उदाहरण- उत्तरी अमेरिका का पश्चिमी कार्डिलेरा।

निर्माण विधि के अनुसार पर्वतों के प्रकार

मोड़दार पर्वत (Fold Mountains)

–   भू-सन्नति की परतदार चट्टानों में पाश्विक सम्पीड़न बल (Compressive Force) के द्वारा इनका निर्माण होता है। छिछले, लंबे एवं संकरे सागर को भू-सन्नति कहा जाता है।

–   हिमालय, अराकान, सुलेमान, हिन्दुकुश, जैग्रॉस, एल्बुर्ज, पाण्टिक, टॉरस, काराकोरम, क्यूनलुन आदि एशिया के महत्त्वपूर्ण मोड़दार पर्वत हैं। इनमें हिमालय की ऊँचाई सर्वाधिक है एवं उसके बाद काराकोरम का स्थान आता है।

–   काकेशस, बाल्कन, कारपेथियन, (आल्पस, डिनारिक, एपीनाइन, पिरेनीज, केंटाब्रियन आदि यूरोप के मोड़दार पर्वत हैं। इनमें सर्वाधिक ऊँचाई काकेशस की है एवं इसके पश्चात् आल्पस का स्थान आता है।

–   अफ्रीका में एटलस, उत्तरी अमेरिका में रॉकी एवं दक्षिणी अमेरिका में एंडीज महत्त्वपूर्ण मोड़दार पर्वत हैं।ऑस्ट्रेलिया का ग्रेट डिवाइडिंग रेंज काफी पुराना मोड़दार पर्वत है। एण्डीज की लंबाई विश्व में सबसे अधिक (लगभग 7,000 कि.मी.) है।

–   मोड़दार पर्वतों का आकार चाप तुल्य होता है एवं इनकी चट्टानों में छिछले सागर में रहने वाले जीवों के जीवाश्म पाए जाते हैं।

–   ये मुख्यतः परतदार चट्टानों से निर्मित हैं परंतु इन पर्वतों की लंबाई की दिशा में विशाल ग्रेनाइट अंतर्वेधन (Massive Granite Intrusion) पाया जाता है।

भ्रंशोत्थ पर्वत (Block Mountain):

–    दो भ्रंश तलों के सहारे जब कोई भू-खंड ऊपर उठ जाता है तो भ्रंशोत्थ पर्वत का निर्माण होता है।

–    जब सम्पीड़न शक्ति सामान्य होती है तो केवल किनारे वाले भाग पर ही मोड़ पड़ता है एवं बीच का भाग बिना मुड़े ही ऊपर उठ जाता है। वलन से अप्रभावित इस भाग को मध्य पिंड (Median Mass) कहा जाता है। कोबर ने इसे स्वाशिनवर्ग की संज्ञा दी है।-    कार्पेथियन एवं डिनारिक श्रेणियों के बीच स्थित हंगरी का मैदान, हिमालय एवं तिब्बत के बीच स्थित तिब्बत का पठार, उत्तरी अमेरिका में सिएरा नेवाडा एवं वासाच श्रेणियों के बीच स्थित नेवाडा का बेसिन रेंज क्षेत्र, एटलस एवं पिरेनिज श्रेणियों के बीच भूमध्य सागर का भाग, पाण्टिक एवं टॉरस के बीच अनातोलिया का पठार, एल्बुर्ज एवं जैग्रोस के बीच ईरान का पठार आदि मध्य पिंड के उदाहरण हैं।-    संपीड़नात्मक शक्ति अधिक तीव्र होने पर दोनों अग्र प्रदेश एक-दूसरे के संपर्क में आ जाते हैं, फलस्वरूप मध्य पिंड बिल्कुल अनुपस्थित होता है। इस प्रकार की जटिल पर्वतमाला नार्वे (Narbe) कहलाती है।2. तापीय संकुचन सिद्धांत (Thermal contraction Theory): जेफरीज (Jeffreys)3. खिसकते महाद्वीपों की परिकल्पना (The Hypothesis of sliding continents): डेली (Daly)4. वहन तरंग सिद्धांत (Convection Current Theory): 2154 (Holmes)5. रेडियो सक्रियता सिद्धांत (Radioactivity Theory) एवं तापीय चक्र सिद्धांत (Theory of Thermal Cycle): जॉली (Joly) 6. प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (Plate Tectonic Theory)

–   भ्रंशोत्थ पर्वतों के दोनों पार्श्व प्रायः खड़ी ढाल बनाते हैं, जिन्हें भ्रंश उपालंब या भ्रंश कगार (Fault Scarp) कहा जाता है।

–   भारत में नीलगिरि, जर्मनी में हार्ज पर्वत एवं ब्लैक फॉरेस्ट तथा फ्रांस में वॉस्जेज भ्रंशोत्थ पर्वतों के उदाहरण हैं। यू.एस.ए. के उटा में स्थित वासाच रेंज, पाकिस्तान का सॉल्ट रेंज ब्लॉक पर्वतों के अन्य उदाहरण हैं। कैलिफोर्निया का सियरा नेवादा विश्व का सर्वाधिक विस्तृत ब्लॉक पर्वत है।

ज्वालामुखी पर्वत (Volcanic Mountain)

–   इनका निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के फलस्वरूप निकले पदार्थों के जमाव से होता है।

–   विश्व का सबसे ऊँचा ज्वालामुखी पर्वत चिली का एकांकागुआ (7.021 मी.) है। यह मृत ज्वालामुखी है। इक्वाडोर का कोटोपैक्सी (5,897 मी.) विश्व का सबसे ऊँचा सक्रिय ज्वालामुखी है। इक्वाडोर का चिम्बोरोजो (6,272 मी.), उत्तरी अमेरिका का पोपोकैटपेट्ल (5,492), अफ्रीका का किलिमंजारो (5,895) एवं केन्या (5,194) अन्य ऊँचे ज्वालामुखी पर्वत हैं। उत्तरी अमेरिका के कैस्केड श्रेणी में अनेक ज्वालामुखी पर्वत हैं।

–   अनेक ज्वालामुखी पर्वतों का निर्माण समुद्री नितल पर भी हुआ है, जिनकी चोटियाँ द्वीप के रूप में समुद्र से बाहर दिखाई पड़ती हैं, जैसे- एल्यूशियन द्वीप समूह, हवाई द्वीप आदि।

अवशिष्ट पर्वत (Relict Mountain)

–    जब पठार, पर्वत या उच्च मैदान अपरदित होकर पर्वतों का रूप धारण कर लेते हैं, तो उन्हें अवशिष्ट पर्वत कहा जाता है।

–   भारत में अरावली, सतपुड़ा, विंध्यन, पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट, यूरोप में यूराल, स्कॉटलैंड की पहाड़ियाँ एवं पेनाइन श्रेणी, अमेरिका के मोनेडेनॉक आदि अवशिष्ट पर्वतों के उदाहरण हैं।

–   भारत का पश्चिमी घाट वास्तविक पर्वत श्रेणी नहीं है। यह वास्तव में एक भ्रंश कगार है, जिसका पश्चिमी भाग पश्चिम की ओर विस्थापित हो गया है। इसे नदियों ने जगह-जगह पर काटकर कलसुबाई (1,646 मी.), सल्हर (1,567 मी.) महाबलेश्वर (14,389 मी.) जैसे शिखरों का निर्माण किया है।

पर्वत निर्माण की अवस्थाएं (Phases of Mountain) 

 भू-सन्नतियों को मोड़दार पर्वतों में परिवर्तित होने में काफी लंबा समय लगता है। इस प्रक्रिया को तीन स्पष्ट अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है-

भू-सन्नति में निक्षेप की अवस्था (The Period of Ligho genesis)

–    भू-सन्नति की उत्पत्ति, तलछट का जमाव एवं तली का धंसाव इस अवस्था के प्रमुख लक्षण हैं।

पर्वत निर्माण की अवस्था (The Period of Orogenesis)

–    इस अवस्था में पाश्विक दबाव के कारण तलछटों का वलन होता है एवं दबाव में कमी के पश्चात् पर्वतों का उर्ध्वाधर उत्थान होता है।

विकास की अवस्था (Gliptogenesis)

–   इस अवस्था में काफी समय तक पर्वतों का उत्थान काफी धीरेधीरे होता रहता है एवं पर्वत समस्थितिक साम्यावस्था (Isostatic Equilibrium) को प्राप्त करते हैं।

–   हॉल एवं डाना को भूसन्नति की संकल्पना का जनक माना जाता है।

एशिया

हिमालय पर्वत

–    हिमालय पर्वत का निर्माण इण्डो ऑस्ट्रल प्लेट व यूरेशियाई प्लेट की अभिसारी गति से हुआ है।

–    हिमालय पर्वत का विस्तार – भारत, नेपाल, भूटान व चीन देशों में है।

–    हिमालय एक नवीन वलित पर्वत श्रेणी है।

–    हिमालय भूकंप व भूस्खलन की घटनाओं से प्रभावित रहता है।

–    हिमालय का विस्तार भारत के 8 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में है-

1. जम्मू-कश्मीर

2. लद्दाख

3. हिमाचल प्रदेश

4. उत्तराखंड

5. सिक्किम

6. पश्चिम बंगाल

7. असम

8. अरुणाचल प्रदेश

हिमालय टेथिस सागर के अवशेष के रूप में है।

1. हिमालय में विश्व की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) है। यह पर्वत चोटी नेपाल देश में स्थित है, इसे नेपाल में सागरमाथा के नाम से भी जाना जाता है।

2. विश्व की दूसरी सर्वोच्च पर्वत चोटी गॉडविन ऑस्टिन (k2) है। यह काराकोरम पर्वत श्रेणी में स्थित है। इसकी ऊँचाई 8,611 मीटर है। यह पर्वत चोटी पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में स्थित है।

3. विश्व की तीसरी सर्वोच्च पर्वत चोटी कंचनजंघा है। यह पर्वत चोटी भारत के सिक्किम राज्य में स्थित है। इसकी ऊँचाई 8,598 मीटर है।

4. भारत की सर्वोच्च पर्वत चोटी गॉडविन ऑस्टिन k2 (8,611 मी.) (POK)  क्षेत्र में स्थित है।

5. भारत की दूसरी सर्वोच्च् पर्वत चोटी कंचनजंघा है जो (8,598 मी.) सिक्किम राज्य में स्थित है।

6. हिमालय पर्वत शृंखला के अंतर्गत भारत की सर्वोच्च पर्वत चोटी कंचनजंघा (8,598 मी.) है।

7. विशुद्ध रूप से भारत में स्थित भारत की सर्वोच्च पर्वत चोटी कंचनजंघा (8,598 मी.) है।

8. हिमालय की सबसे पूर्वी पर्वत चोटी नामचा बरवा (7,756 मी. ऊँचाई) अरुणाचल प्रदेश व चीन की सीमा पर स्थित है।

9. हिमालय की सबसे पश्चिमी पर्वत चोटी नंगा पर्वत चोटी (8,126 मी. ऊँचाई) जम्मू कश्मीर क्षेत्र में स्थित है।

काराकोरम पर्वत

–    यह भारत व चीन देशों में फैला है।

–    काराकोरम पर्वत की सर्वोच्च पर्वत चोटी गॉडविन ऑस्टिन K2 है। इसकी ऊँचाई 8,611 मीटर है। यह पर्वत चोटी POK क्षेत्र में स्थित है। यह पर्वत चोटी विश्व की दूसरी सर्वोच्च पर्वत चोटी है।

अरावली पर्वत

–    यह विश्व की सबसे पुरानी पर्वतमाला है इसका निर्माण प्री-केम्ब्रियन काल में हुआ।

–    इसका विस्तार भारत के गुजरात, राजस्थान, हरियाणा व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 692 किमी. की लंबाई में है।

–    इसकी सर्वोच्च पर्वत चोटी गुरु शिखर (1,722 मी. ऊँचाई) राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है।

अराकानयोमा पर्वत

–   अराकानयोमा एक नवीन वलित पर्वत है जो म्यांमार में स्थित है।

   इण्डो- ऑस्ट्रल तथा बर्मा प्लेट के अभिसरण से इस पर्वत का निर्माण हुआ है।

   पूर्वांचल तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह को इसी पर्वत का भाग माना जाता है।

   इस पर्वत की सबसे ऊँची चोटी विक्टोरिया है।

   यहाँ बहुत अधिक जैव-विविधता पाई जाती है तथा इसे विश्व के 36 Hotspot (हॉट-स्पॉट) में सम्मिलित किया गया है।

एल्बुर्ज पर्वत

–    यह ईरान देश के उत्तरी भाग में स्थित है।

–    इसकी सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट देवमंद है। इसकी ऊँचाई 5,610 मीटर है। देवमंद, पर्वत चोटी के साथ-साथ एक मृत ज्वालामुखी भी है।

–    यह पर्वत सूखे मेवों, बादाम, अखरोट व पिस्ता की खेती हेतु प्रसिद्ध है।

जाग्रोस पर्वत

–    यह पर्वत ईरान देश के दक्षिणी भाग में स्थित है।

–    इसकी सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट देना है। इस पर्वत चोटी की ऊँचाई 4,410 मीटर है।

–    इस पर्वत पर सूखे मेवों (बादाम, अखरोट व पिस्ता) तथा फलों (अनार, आडू) इत्यादि की खेती की जाती है।

फ्यूजी पर्वत

–   यह जापान की सबसे ऊँची पर्वत चोटी है।

   यह एक सक्रिय ज्वालामुखी पर्वत है।

   यह पर्वत परि प्रशांत महासागरीय पेटी में स्थित है।

माउंट कक्कर पौंटिक पर्वत

–    यह पर्वत तुर्की/टर्की देश के उत्तरी भाग में स्थित है इसकी सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट कक्कर है।

टौरस पर्वत

–    यह पर्वत तुर्की/टर्की देश के दक्षिणी भाग में स्थित है इसकी सर्वोच्च पर्वत चोटी डेमिरकजिक (3,756 मी) है।

अरारत पर्वत

–   अरारत पर्वत एक मृत ज्वालामुखी चोटी है जो तुर्की में स्थित सबसे ऊँची पर्वत चोटी है।

   एल्बुर्ज तथा जाग्रोस पर्वत श्रेणियाँ इस पर्वत में आकर मिलती हैं।

अफ्रीका

एटलस पर्वत

–   यह नवीन वलित पर्वत का उदाहरण है।

–   एटलस पर्वत हाई एटलस पर्वत, एंटी एटलस पर्वत, मध्य एटलस पर्वत, सहारा एटलस पर्वत श्रेणियों में विभाजित है।

   यह मोरक्को, अल्जीरिया और ट्युनीशिया में विस्तृत पर्वत श्रेणी है।

   एटलस पर्वत की सबसे ऊँची चोटी ‘टुब्कल’ (4,167 मी.) है, जो ग्रेट एटलस पर्वत श्रेणी का भाग है।

माउंट किलिमंजारो

   यह अफ्रीका की सर्वोच्च पर्वत चोटी है, इसकी ऊँचाई 5,895 मीटर है। यह तंजानिया व केन्या देश की सीमा पर स्थित है।

   यह एक मृत ज्वालामुखी पर्वत है।

   इसे माउंट किबो के नाम से भी जाना जाता है। इसकी ढाल पर विश्व प्रसिद्ध कहवा की खेती होती है।      

माउंट केन्या

   यह केन्या उच्चभूमि की सर्वोच्च पर्वत चोटी है, जिसकी ऊँचाई 5,199 मी. है।

   यह अफ्रीका की दूसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है।

ड्रेकेन्सबर्ग पर्वत

–   दक्षिणी अफ्रीका के पूर्वी तट पर दक्षिण अफ्रीका तथा लोसोथे में विस्तृत एक पर्वत श्रेणी है। जिसका सर्वोच्च शिखर थबाना नेत्याना 3,482 मीटर ऊँचा है।

माउंट कैमरून

   अफ्रीका का एक सक्रिय ज्वालामुखी पर्वत, कैमरून के तटीय क्षेत्र में अवस्थित है।

लोमा पर्वत

   लोमा पर्वत सिएरा लियोन तथा गिना में स्थित है।

   विनतुमानी इसकी सर्वोच्च पर्वत चोटी है।

   नाइजर नदी सिएरा लियोन में स्थित लोमा पर्वत से निकलकर दक्षिणी सहारा मरुस्थल में बहने के पश्चात दक्षिण की ओर मुड़कर गिन्नी की खाड़ी में गिरती है।

माउंट रेवेन्जोरी

–   यह पर्वत डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो तथा युगांडा में स्थित है।

   यह पर्वत अल्बर्ट झील के समीप स्थित है।

   इसे ‘Mountains of the Moon’ नाम से भी जाना जाता है। यह क्षेत्र विषुवत् रेखीय क्षेत्र में स्थित होने के कारण यहाँ बहुत अधिक जैव विविधता पाई जाती है।

   यहाँ रेवेन्जोरी राष्ट्रीय उद्यान स्थित है।

उत्तरी अमेरिका

अप्लेशियन पर्वतमाला

–   यह पर्वत संयुक्त राज्य अमेरिका के पेंसिलवेनिया राज्य में फैला हुआ है।

–    यह उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट पर स्थित विश्व की दूसरी सबसे प्राचीनतम पर्वतमाला है।

–    इसकी सबसे ऊँची पर्वत चोटी माउण्ट मिशेल है।

–    यह कोयला तथा पेट्रोलियम भण्डार के लिए प्रसिद्ध है।

रॉकी पर्वत शृंखला

–   रॉकी पर्वत श्रेणी पश्चिमी कार्डिलेरा की सबसे पूर्वी पर्वत श्रेणी है एवं आल्प्स तथा हिमालय के समकालीन है। यह उत्तरी अमेरिका का नवीनतम मोड़दार पर्वत है।

–   यह पर्वत शृंखला उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के पश्चिमी भाग में अलास्का (USA), कनाडा, USA देश की मुख्य भूमि, मैक्सिको में विस्तृत है।

   रॉकीज पर्वत का निर्माण उत्तरी अमेरिकन प्लेट व प्रशांत महासागर प्लेट की अभिसारी गति से हुआ है।

   रॉकीज पर्वत की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट मैक्किन्ले (नया नाम माउण्ट देनाली) अलास्का क्षेत्र में स्थित है, इसकी ऊँचाई 6,194 मीटर है।

पश्चिमी कार्डिलेरा पर्वत श्रेणी

–   उत्तर अमेरिका के पश्चिमी भाग में पश्चिमी कार्डिलेरा का विकास हुआ है, इसे प्रशांत कार्डिलेरा भी कहते हैं।

   इसका विस्तार मैक्सिको प्रदेश से अलास्का तक एक रेखीय स्वरूप में है।

–   यह मोड़दार पर्वत के रूप में विकसित कई समानांतर श्रेणियों में विभाजित है। उत्तरी अमेरिका की अधिकांश नदियाँ पश्चिमी कार्डिलेरा से ही निकलती हैं।

   इन समानांतर श्रेणियों में कास्केड श्रेणी, अलास्का श्रेणी, सियरा नेवादा श्रेणी व रॉकी श्रेणी प्रमुख है।

अलास्का पर्वत श्रेणी

–    इस पर्वत की सर्वोच्च चोटी ‘माउंट मैकिन्ले’ (नया नाम देनाली) (6,194 मीटर) है। यह पश्चिमी कॉर्डिलेरा के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका की भी सर्वोच्च पर्वत चोटी है।

–    कास्केड श्रेणी की सर्वोच्च चोटी माउंट रेनियर (4,392 मीटर) है। वहीं कोस्ट रेंज की सबसे ऊँची चोटी ‘माउंट लोगान’ (6,050मीटर) है जो कनाडा की सर्वोच्च चोटी है।

बुक्स पर्वत माला

   अलास्का उत्तरी अमेरिका की उत्तरत्तम पर्वत शृंखला है।

मैकेन्जी कनाडा पर्वत शृंखला

   कनाडा की सबसे लम्बी तथा सबसे ऊँची पर्वत शृंखला है।

सियरा नेवादा

–   USA में स्थित ब्लॉक पर्वत भ्रंशोत्थ पर्वत शृंखला है।

   यह विश्व का सबसे बड़ा पर्वत खंड है। इसकी सबसे ऊँची चोटी विटनी है।

माउण्ट लोगन –

–    यह उत्तरी अमेरिका की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है। यह पर्वत शिखर उत्तरी अमेरिका के कोस्टरेंज में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में अवस्थित है।

माउण्ट ह्विटनी

   संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया में अवस्थित संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे ऊँचा पर्वत है।

माउण्ट मिचेल

   संयुक्त राज्य अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना प्रांत में अवस्थित है।

माउण्ट वॉशिगंटन

   यह पर्वत संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य में अवस्थित है।

दक्षिण अमेरिका

एण्डीज पर्वत

–   यह दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के पश्चिमी भाग में स्थित विश्व का सबसे लंबा पर्वत है, इसकी लंबाई 7,200 किमी. एवं चौड़ाई 200 किमी. है।

   इस पर्वत का निर्माण दक्षिणी अमेरिकन प्लेट व प्रशांत महासागरीय प्लेट की अभिसारी गति से हुआ है।

   एण्डीज पर्वत पर विश्व की सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थिति टिटिकाका झील, पेरू व बोलीविया देशों के मध्य में अवस्थित है।

   एण्डीज पर्वत की सर्वोच्च पर्वत चोटी एकांकागुआ है। यह पर्वत चोटी अर्जेंटीना व चिली देशों की सीमा पर स्थित है। इसकी ऊँचाई 6,960 मीटर है। यह पर्वत चोटी हिमालय व उसके निकटवर्ती पर्वतचोटियों को छोड़कर विश्व की सर्वोच्च पर्वत चोटी है।

   एण्डीज पर्वत का विस्तार वेनेजुएला, कोलंबिया, इक्वेडोर, पेरू, बोलीविया, चिली व अर्जेंटीना में है।

   एण्डीज पर्वत पर इक्वेडोर देश में भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर विश्व का सबसे ऊँचा सक्रीय ज्वालामुखी कोटोपैक्सी स्थित है।

   इक्वेडोर देश में एण्डीज पर्वत पर एक मृत ज्वालामुखी चिम्बोराजो स्थित है।

   एण्डीज पर्वत एक वलित/मोड़दार /FOLDED पर्वत है।

   एण्डीज पर स्थित बोलीविया देश की राजधानी लापाज विश्व की सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित राजधानी है।

   एण्डीज पर्वत के अंतर्गत उस्पलाता दर्रा चिली की राजधानी सेंटीयागो व अर्जेंटीना के मेंडोना नगर को जोड़ता है।

vishav ke parvat

एकांकागुआ

–    यह दक्षिणी अमेरिका में पनामा से लेकर चिली तक विस्तृत एंडीज पर्वत माला का सर्वोच्च शिखर है।

–    जो चिली – अर्जेंटीना की सीमा पर अवस्थित है।

–    इसकी ऊँचाई 6,959 मीटर है।

–    यह एशिया के बाद विश्व की सबसे ऊँची चोटी है।

–    एंडीज पर्वत शृंखला विश्व की सबसे लम्बी पर्वत शृंखला है।

कोटोपैक्सी

–   यह पर्वत शिखर एंडीज पर्वतमाला में अवस्थित एक सक्रिय ज्वालामुखी शिखर है। जो दक्षिण अमेरिका के इक्वाडोर में अवस्थित है।

   यह विश्व का सबसे ऊँचा सक्रिय ज्वालामुखी शिखर है। जिसकी ऊँचाई 5,896 मीटर है।

चिम्बेराजो/चिम्बोराजो

–   यह पर्वत शिखर दक्षिणी अमेरिका के इक्वाडोर में अवस्थित है। यह शिखर मृत ज्वालामुखी का उदाहरण है।

   इसकी ऊँचाई 6,310 मीटर है। यह एंडीज पर्वत श्रेणी का भाग है।

श्रेणियाँ

कार्डिलेरा डोमिका

–   चिली के उत्तरी भाग में अटाकामा मरुस्थल के पूर्व मकर रेखा पर स्थित उत्तर से दक्षिण तक फैली एण्डीज पर्वत की एक श्रेणी है।

कार्डिलेरा रियल

–   एण्डीज की मध्यवर्ती मुख्य श्रेणी जो बोलीविया के आल्टीप्लानों के पूर्व स्थित है। कार्डिलेरा ओरियन्टल एण्डीज पर्वत की उत्तर – दक्षिण में फैली सबसे पूर्वी श्रेणी है।

कार्डिलेरा ऑक्सीडेटल

–   दक्षिणी अमेरिका में उत्तर – दक्षिण दिशा में फैली कार्डिलेरा की सबसे पश्चिमी श्रेणी है।

पकराइमा पर्वत

–   वेनेजुएला, गुयाना तथा ब्राजील की सीमा पर स्थित पर्वत जिसकी सर्वोच्च पर्वत चोटी रोराइमा है।

ब्राजीलियन पर्वत

–   ब्राजील के पूर्व अटलांटिक महासागर तट के समानान्तर एक पर्वत श्रेणी जिसका सर्वोच्च बिन्दु पीको डा बन्दीरा है। (2,890 मीटर)

टूमुक – हूमुक पर्वत

–   दक्षिणी अमेरिका में सुरीनाम – ब्राजील तथा फ्रेंच गयाना – ब्राजील सीमा के सहारे स्थित पर्वत है।

यूरोप

जलोन पर्वत

   यह पर्वत नॉर्वे व स्वीडन देशों की सीमा पर स्थित है।

   यह स्कैन्डीनेवियन देशों का प्रमुख पर्वत है।

   इस पर्वत की सर्वोच्च पर्वत चोटी केब्नेकआसे है जो नॉर्वे व स्वीडन की सीमा पर 2,097 मी. ऊँची है।

माउण्ट ब्लॉक/ब्लांक

   यह आल्प्स पर्वत की सर्वोच्च पर्वत चोटी है।

   यह यूरोप महाद्वीप की दूसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है।

इसकी ऊँचाई 4,808 मीटर है। यह पर्वत चोटी फ्रांस देश में स्थित है।

   जूरा पर्वत – जूरा का तात्पर्य घने जंगल से होता है अर्थात् यह पर्वत घने जंगलों से युक्त है।

आल्प्स पर्वत का विस्तार- इसका विस्तार इटली, फ्रांस, मोनाको, स्विटजरलैण्ड, जर्मनी, ऑस्ट्रिया व स्लोवाकिया देशों में है। इस पर्वत की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउण्ट ब्लांक (फ्रांस देश) है।

माउंट कक्कर पौंटिक पर्वत

–    यह पर्वत तुर्की/टर्की देश के उत्तरी भाग में स्थित है इसकी सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट कक्कर है।

–    टौरस पर्वत- यह पर्वत तुर्की/टर्की देश के दक्षिणी भाग में स्थित है इसकी सर्वोच्च पर्वत चोटी डेमिरकजिक (3,756 मी.) है।

माउंट नरोडनया

–   यह पर्वत शिखर यूराल पर्वत श्रेणी का सर्वोच्च शिखर है। यह रूस में अवस्थित है। इसकी ऊँचाई 1,894 मीटर है।

आल्प्स पर्वत

–   फ्रांस, इटली, स्विट्जरलैण्ड तथा ऑस्ट्रिया में फैली टर्शियरी युगीन पर्वत श्रेणी है जिसकी सर्वोच्च चोटी माउंट ब्लांक 4,808 मीटर ऊँची है।

–    यहाँ की प्रमुख झीलें जेनेवा, थून, लुसर्नी ज्यूरिख तथा जुग इत्यादि हैं।

–    यहीं से डेन्यूब, राइन, रौन इत्यादि नदियाँ निकलती हैं।

जूरा पर्वत

–   स्विट्जरलैण्ड तथा फ्रांस की सीमा पर दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में फैली एक श्रेणी जिसकी सर्वोच्च चोटी क्रीट डी ला नीग 1,718 मीटर ऊँची है। इसका निर्माण जुरैसिक युग में हुआ।

पेनाइन्स पर्वत

–   ग्रेट ब्रिटेन द्वीप पर उत्तर में स्कॉटलैण्ड की सीमा से दक्षिण में मध्य इंग्लैण्ड तक फैला एक प्राचीन पर्वत है।

पिरैनीज पर्वत

–   स्पेन तथा फ्रांस की सीमा के सहारे स्थित एक पर्वत जो बिस्के की खाड़ी से लॉयन की खाड़ी तक फैला है। इसकी सर्वोच्च चोटी पोको डी अनीटो 3,404 मीटर ऊँची है।

बाल्कन पर्वत

–   यह सर्बिया तथा बुल्गारिया में फैला है। इसका निर्माण टर्शियरी युग में हुआ। जिसकी सर्वोच्च चोटी बोटर है।

ब्लैक फॉरेस्ट

–   पश्चिमी जर्मनी के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में स्थित है। यहाँ सघन वन, खनिज, स्प्रिंग तथा पर्यटक स्थल हैं।

यूराल पर्वत

–   रूस स्थित एक वलनदार पर्वत श्रेणी जो एशिया एवं यूरोप की सीमा बनाता है। इसका सर्वोच्च शिखर नरोदनाया (1894 मी. ऊँचा) है। इसमें लोहे का भारी निक्षेप पाया जाता है।

हार्ज पर्वत

–    यूरोप महाद्वीप के मध्य जर्मनी में अवस्थित एक पर्वत श्रेणी है।

कैम्ब्रियन श्रेणी

–   इंग्लैण्ड के वेल्स में विस्तृत पर्वत श्रेणी जिसका सबसे ऊँचा शिखर स्नोडन है।

ऑस्ट्रेलिया

ग्रेट डिवाइडिंग रेंज

    यह ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के समानान्तर फैली हुई है। कोशियुस्को ऑस्ट्रेलिया का सबसे ऊँचा शिखर (2,230 मीटर) है। यह पर्वत शृंखला विक्टोरिया, न्यूसाउथवेल्स और क्वींसलैण्ड राज्यों में फैली हुई है।

डार्लिंग पर्वत शृंखला

    यह पश्चिम ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पश्चिम भाग में फैली हुई है।

हैमर्सले पर्वत शृंखला

    पश्चिम ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी पश्चिम भाग में स्थित है।

माउंट विल्हेम

–    यह पर्वत शिखर पापुआ न्यू – गिनी द्वीप पर स्थित बिस्मार्क पर्वत श्रेणी का सर्वोच्च शिखर है।

–    इसकी ऊँचाई 4,509 मीटर है। यह ओशेनिया का भी सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है।

माउंट ईशा

– ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैण्ड प्रांत में अवस्थित यह पर्वत खनिज संसाधन से सम्पन्न है।

   इस पर्वत में जस्ता, सीसा तथा चाँदी के प्रचुर भण्डार है।

माउंट कोशियुस्को

 – ऑस्ट्रेलिया न्यू साउथ वेल्स में स्थित माउंट कोशियुस्को ऑस्ट्रेलिया का सर्वोच्च शिखर है।

   इसकी ऊँचाई 2,229 मीटर है। यह ग्रेट डिवाडिंग रेंज का सर्वोच्च शिखर है।

माउंट कुक

–   न्यूज़ीलैण्ड के दक्षिणी द्वीप में अवस्थित यह पर्वत शिखर दक्षिणी आल्प्स पर्वत श्रेणी का सर्वोच्च शिखर है।

   इसकी ऊँचाई 3,754 मीटर है। इसे माउंट औराकली भी कहा जाता है।

न्यूजीलैण्ड

दक्षिणी आल्प्स (Southern Alps)

–   यह पर्वत शृंखला दक्षिणी द्वीप के पश्चिमी तट के सहारे-सहारे ओटेगो वेस्टलैण्ड और कैण्टरबरी राज्यों में फैली हुई हैं। माउण्ट कुक (Mt. Cook) इस पर्वत शृंखला की सबसे ऊँची चोटी है जो समुद्रतल से 3,465 मीटर ऊँची है। यह वेस्टलैण्ड और कैण्टरबरी राज्य के बीच में स्थित है।

माउण्ट एग्मोंट (Mount Egmont)

   यह उत्तर द्वीप में स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 2,518 मीटर है।

कैंटरबरी मैदान

–   न्यूजीलैण्ड के पूर्वी क्षेत्र में जलोढ़ उपजाऊ मृदा से निर्मित मैदान को कैटरबरी का मैदान कहते हैं।

    यह शीतोष्ण कटिबंधीय घास का मैदान है। यह मैदानी क्षेत्र पशुपालन व डेयरी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।

अंटार्कटिका

–     अंटार्कटिका की क्वीन ऑफ मॉड श्रेणी इसे दो भागों में वर्गीकृत करती है।

–     माउंट एरेबुस शिखर एक सक्रिय ज्वालामुखी शिखर है।

–     अंटार्कटिका की सर्वोच्च चोटी विन्सन मैसिफ है, जो तटीय भागों में एल्सबर्थ पर्वत श्रेणी में स्थित है।

–     यह उत्तरी ध्रुव के ठीक विपरीत दिशा में यानी पृथ्वी के सूदुर दक्षिणी छोर पर स्थित है।

पठार

–    पठार पृथ्वी की सतह के लगभग 18 प्रतिशत भाग को घेरे हुए हैं। पठार एक बहुत विस्तृत ऊँचा भू-भाग है, जिसका सबसे ऊपर का भाग पर्वत के विपरीत लम्बा-चौड़ा और लगभग समतल होता है। पठारी क्षेत्र में बहने वाली नदियाँ पठार पर प्रायः गहरी घाटियाँ और महाखड्ड बनाती हैं। इस प्रकार पठार का मौलिक समतल रूप कटा-फटा या ऊबड़-खाबड़ हो जाता है। फिर भी पठार आसपास के क्षेत्र या समुद्र तल से काफी ऊँचा होता है। पठार की ऊँचाई समुद्रतल से 600 मीटर ऊपर मानी जाती है। परन्तु तिब्बत और बोलीविया जैसे पठार समुद्र तल से 3600 मीटर से भी अधिक ऊँचे हैं।

पठार आस-पास की भूमि से ऊँचा उठा हुआ वह विस्तृत भू-भाग है, जिसका पृष्ठ लगभग समतल होता है जिसके किनारों का ढाल कभी-कभी बिल्कुल खड़ा होता है।

पठारों का वर्गीकरण

–   भौगोलिक स्थिति एवं संरचना के आधार पर पठारों को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-
(क) अन्तरा पर्वतीय पठार
(ख) गिरिपद पठार
(ग) महाद्वीपीय पठार 

 (क) अन्तरा पर्वतीय पठार

   चारों ओर से ऊँची पर्वत श्रेणियों से पूरी तरह या आंशिक रूप से घिरे भू-भाग को अन्तरा पर्वतीय पठार कहते हैं।

   उर्ध्वाधर हलचलें लगभग क्षैतिज संस्तरों वाली शैलों के बहुत बड़े भू-भाग को समुद्रतल से हजारों मीटर ऊँचा उठा देती है। संसार के अधिकांश ऊँचे पठार इसी श्रेणी में आते हैं। इनकी औसत ऊँचाई 3000 मीटर है। तिब्बत का विस्तृत एवं 4500 मीटर ऊँचा पठार ऐसा ही एक उदाहरण है। यह वलित पर्वत जैसे हिमालय, काराकोरम, क्यूनलुन, तियनशान से दोनों ओर से घिरा हुआ है। कोलोरेडो दूसरा चिर परिचित उदाहरण है जो एक किलोमीटर से अधिक ऊँचा है, जिसे नदियों ने ग्रैंड केनियन तथा अन्य महाखड्डों में काट दिया है। मैक्सिको, बोलीविया, ईरान और हंगरी इसी प्रकार के पठार के अन्य उदाहरण है।

antra pravartiya pathar

(ख) गिरिपद (पीडमान्ट) पठारः

   पर्वत के पदों में स्थित अथवा पर्वतमाला से जुड़े हुए पठारों को जिनके दूसरी ओर मैदान या समुद्र हो, गिरिपद पठार कहलाते हैं।

–    इन पठारों का क्षेत्रफल प्रायः कम होता है। इन पठारों का निर्माण कठोर शैलों से होता है।

–    भारत में मालवा का पठार, दक्षिण अमेरिका में पैटेगोनिया का पठार जिसके एक ओर अटलांटिक महासागर है और संयुक्त राज्य अमेरिका में एप्लेशियन पर्वत और अटलांटिक तटीय मैदान के बीच एप्लेशियन पठार इसके उदाहरण हैं।

–    ये किसी समय बहुत ऊँचे थे परन्तु अब अपरदन के बहुत से कारकों द्वारा घिस दिए गए हैं। इसी कारण इन्हें अपरदन के पठार भी कहा जाता है।

pathar

(ग) महाद्वीपीय पठार

   धरातल के एक बहुत बड़े भाग के ऊपर उठने या बड़े भू-भाग पर लावा की परतों के काफी ऊँचाई तक जाने से महाद्वीपीय पठारों का निर्माण होता है।

   महाराष्ट्र का लावा पठार, उत्तर-पश्चिम संयुक्त राज्य अमेरिका में स्नेक नदी पठार, इस प्रकार के पठारों के उदाहरण हैं। इनको निक्षेपण के पठार भी कहते हैं।

   महाद्वीपीय पठार अपने आस-पास के क्षेत्रों तथा समुद्र तल से स्पष्ट ऊँचे उठे दिखते हैं। इस प्रकार के पठारों का विस्तार सबसे अधिक है।

   भारत का विशाल पठार, ब्राजील का पठार, अरब का पठार, स्पेन, ग्रीनलैण्ड और अंटार्कटिका के पठार, अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया के पठार महाद्वीपीय पठारों के उदाहरण हैं।

–    चारों ओर से ऊँची श्रेणियों से घिरे पठारों को अन्तरा पर्वतीय पठार कहते हैं।-    धरातल के विस्तृत भू-भाग के ऊपर उठने अथवा लावा की परतों के जम जाने से बने पठार महाद्वीपीय पठार कहलाते हैं।-    पर्वत की तलहटी में स्थित पठार जिनके दूसरी ओर समुद्र या मैदान हो गिरिपद पठार कहलाते हैं।

 मानव जीवन में पठारों का महत्त्व

लम्बे समय से लगातार अपरदन के कारण पठार के तल प्रायः असमतल हो गए हैं, जिसके कारण यहाँ आवागमन के साधनों तथा जनसंख्या का पर्याप्त विकास नहीं हो पाता। फिर भी पठार मानव के लिए बहुत उपयोगी हैं।

1. खनिजों के भण्डार 

   विश्व के अधिकांश खनिज पठारों से ही प्राप्त होते हैं, जिन खनिजों पर हमारे उद्योग कच्चे माल के लिए निर्भर हैं। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पठार में सोना, अफ्रीका के पठार में ताँबा, हीरा और सोना तथा भारत के पठार में कोयला, लोहा, मैंगनीज और अभ्रक के विशाल भंडार हैं।

2. जल विद्युत उत्पादन

   पठारों के ढालों पर नदियाँ जल प्रपात बनाती है यह जल प्रपात जल विद्युत उत्पादन के आदर्श स्थल है।

3. ठन्डी जलवायु

   उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पठारों के ऊँचे भाग ठण्डी जलवायु के कारण यूरोपवासियों को आकर्षित करते रहे, जहाँ रहकर उन्होंने अर्थव्यवस्था का विकास किया। उदाहरणार्थ दक्षिण और पूर्व अफ्रीका।

4. पशु-चारण के लिए उपयोगी

   पठारी भाग पशुचारण के लिए बहुत उपयोगी हैं। ये भेड, बकरियों के पालन के लिए बहुत उपयोगी है। भेड़, बकरियों से वस्त्रों के लिए ऊन तथा भोजन के लिए दूध और माँस की प्राप्ति होती है। लावा से बने पठार उपजाऊ हैं। अत: उन पर अन्य पठारों की अपेक्षा कृषि का अधिक विकास हुआ है।

पठार अपने खनिज पदार्थों एवं उनके आसानी से दोहन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। जलविद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल है। उनकी उपयुक्त जलवायु और कभी-कभी उपजाऊ मृदा पशुपालन और कृषि के लिए सहायक है।

एशिया

तिब्बत का पठार

–    यह पठार चीन देश में स्थित है। यह विश्व का सबसे ऊँचा पठार है, इसकी औसत ऊँचाई 5000 मीटर है।

–    यह क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से विश्व का सबसे बड़ा पठार है। यह एक अंतरापर्वतीय पठार है, जो हिमालय व कुनलुन शान पर्वतों के मध्य स्थित है।

–    इस पठारी क्षेत्र में अनेक छोटी-बड़ी झीलें स्थित है जिनमें प्रमुख झीले मानसरोवर झील व राक्षस झील है।

–    इस पठारी क्षेत्र में अनेक ऊँची-ऊँची पर्वत चोटियाँ व हिमानियाँ स्थित है। जिनसे अनेक नदियों का उद्गम होता है। यहाँ बोखर खू हिमनद से सिन्धु नदी का उद्गम होता है।

–    चेमायुंगडुंग हिमनद से ब्रह्मपुत्र/दिहांग नदी का उद्गम होता है। राक्षस झील से सतलज नदी का उद्गम होता है।

पामीर का पठार

–   यह पठार चीन देश में स्थित है अधिक ऊँचा होने के कारण इसे ‘विश्व की छत कहा जाता है।

   यह एशिया महाद्वीप की विभिन्न पर्वत श्रेणियों का मिलन बिन्दु है इसलिए इसे पामीर ग्रंथि/गांठ भी कहा जाता है।

vishav ke pramukh pathaar

ईरान का पठार

–   यह ईरान देश में स्थित एक अंतरापर्वतीय पठार है। यह पठार एल्बुर्ज पर्वत व जाग्रोस पर्वत के मध्य स्थित है। यह एक शुष्क पठार है।

अनातोलिया का पठार

–   यह पठार टर्की देश में स्थित एक अंतरापर्वतीय पठार है। यह पठार पौंटिक पर्वत व टौरस पर्वत के मध्य में स्थित है।

   यह एक शुष्क पठार है। इस पठारी क्षेत्र पर विश्व की सबसे खारी झील वॉन झील स्थित है। यह पठार खनिजों के दृष्टिकोण से सम्पन्न है।

शान का पठार

   यह पठार म्यांमार देश में स्थित है।

–   यह पठार खनिजों से संपन्न है। इस पठारी क्षेत्र में कीमती पत्थर जैसे – नीलम, माणिक व पन्ना मिलते हैं। यह पठारी क्षेत्र ईरावदी व सालविन नदियों के मध्य में स्थित है।

पोटवार का पठार

–   यह पठार पाकिस्तान देश के उत्तरी भाग में हिन्दुकुश पर्वत के दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। यह एक शुष्क पठार है।

कोरात पठार

–   इसे नेखेन रटचा सीमा भी कहा जाता है। यह उत्तर-पूर्वी थाईलैण्ड का पठार है।

–   दश्त-ए-लूट तथा दश्त-ए-काबिर मरुस्थल इस पठारी क्षेत्र में स्थित है।

–   पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन इस पठारी क्षेत्र में पाए जाते है।

तकलामाकन का पठार

–   चीन के तारिम बेसिन क्षेत्र में स्थित उच्च भूमि, जुंगेरियन बेसिन, तारिम बेसिन व तियनशान पर्वत के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है।

दक्कन का पठार

–   दक्कन का पठार प्राचीन गोंडवाना लैंड का भाग है। यह दक्षिणी भारत में स्थित है।

छोटा नागपुर पठार

–   भारत में स्थित दक्कन का पठार का उत्तर-पूर्वी भाग है। इसे भारत का रूर प्रदेश भी कहा जाता है।

मंगोलिया का पठार

–   चीन व मंगोलिया के क्षेत्र में स्थित है। गोबी मरुस्थल इसके दक्षिण में विस्तृत है।

यूनान का पठार

–   चीन के दक्षिण-पूर्वी भाग में विस्तृत यूनान का पठार टिन, लोहा, कोयला व अन्य खनिज संसाधनों से सम्पन्न है।

अफ्रीका

कटंगा का पठार

–   यह पठार लोकतांत्रिक गणराज्य कॉन्गो व जांबिया देश में अवस्थित है।

–   इस पठार से लुआलाबा नदी के रूप में कॉन्गो/जायरे नदी का उद्गम होता है। यह पठार ताँबा, यूरेनियम व कोबाल्ट के भण्डारों हेतु प्रसिद्ध है।

जोस का पठार

–   यह पठार नाइजीरिया देश के उत्तरी भाग व नाइजर देश में फैला है। यह पठार टिन के भण्डार से समृद्ध है।

मलागासी का पठार

–   यह पठार मेडागास्कर देश में स्थित है। यह पठार ज्वालामुखी शैलों से निर्मित है। इस पठार की औसत ऊँचाई 1000 से 1500 मीटर है।

ग्रेट कारू पठार

–   यह पठार दक्षिणी अफ्रीका देश में स्थित है। यह लावा से निर्मित पठार है। इस पठारी क्षेत्र में कोयला, सोना व हीरे के भण्डार पाए जाते हैं।

इथोपिया का पठार

–   यह पठार इथोपिया व जिबूती देश में स्थित है। इस पठारी क्षेत्र में अनेक खारे व मीठे पानी की झीलें पाई जाती है। यहाँ जिबूती देश में स्थित असाल झील एक खारे पानी की झील है।

–   यह अफ्रीका का निम्नतम भाग माना जाता है।

–   इस पठार पर इथोपिया देश में मीठे पानी की टाना झील स्थित है जिससे नील नदी का उद्गम होता है। यह पठार एक शुष्क पठार है।

बाई का पठार

–  यह पठार अंगोला देश में स्थित है यहाँ अरीय प्रकार का अपवाह तंत्र पाया जाता है। यह पठार बॉक्साइट खनिज से संपन्न है। इस पठारी क्षेत्र से जेम्बेजी नदी का उद्गम होता है।

फूटा जलोन पठार

–   यह पठार गिनी देश में स्थित है।

   इस पठारी क्षेत्र से गैम्बिया व सेनेगल नदियों का उद्गम होता है। इस पठार की औसत ऊँचाई 900 मीटर है।

अबीसीनिया

–   पूर्वी अफ्रीका के इथोपिया में स्थित आग्नेय चट्‌टानों से निर्मित एक पठार, जिसकी सर्वोच्च चोटी रासदशान है।

टांगा नीका पठार

–   अफ्रीका महाद्वीप के तंजानिया में टांगा नीका झील के पूर्व में स्थित बेसाल्ट पठार।

अदामावा का पठार

–   नाइजीरिया व कैमरून की सीमा पर अवस्थित इस पठारी भाग से अनेक नदियों का उद‌्गम होता है।

तासिली का पठार

–   अल्जीरिया के पूर्वी भाग में अवस्थित तासिली का पठार पर्वतपादीय पठार है।

उबांगी पठार

–   अदामावा पठार के पूर्वी भागों में सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक क्षेत्र में उच्च पठारी भाग है।

अहाग्गार का पठार

–   अल्जीरिया, लीबिया व नाइजर के मध्यवर्ती क्षेत्रों में स्थित यह पठार एक पर्वतीय पठार है।

उत्तरी अमेरिका

कोलोरेडो पठार

   यह पठार संयुक्त राज्य अमेरिका देश के कैलिफोर्निया प्रांत में स्थित है। इस पठार की ऊँचाई 1500 से 3000 मीटर है। यह एक अंतरापर्वतीय पठार है।

   इस पठारी क्षेत्र में कोलेरेडो नदी के कटाव की क्रिया द्वारा ग्रैंड कैनियन का निर्माण किया गया है।

   यह पठार पश्चिम में वास्य व यूनिटास पर्वतों तथा पूर्व में रॉकी पर्वतमाला के मध्य में स्थित है। यह एक शुष्क पठार है।

ओजार्क पठार

   यह पठार संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसौरी व अर्कान्सस प्रांत में स्थित है।

   यह पठार केंद्रत्यागी अपवाह प्रतिरूप का उदाहरण है। यह गुंबदाकार पठार का उदाहरण है।

कोलंबिया का पठार

   यह लावा निर्मित पठार है जो फिशर उद्गार से बना है। अत: इसमें लावा की मोटी परत पाई जाती है।

   यह एक उपजाऊ क्षेत्र है, जिसमें कोलंबिया व स्नेक नदियाँ प्रवाहित होती हैं।

   यह पठारी क्षेत्र तटीय श्रेणी तथा रॉकी पर्वत के मध्य में स्थित है। इस पठारी क्षेत्र में काली मिट्‌टी पाई जाती है, जिसमें कपास की खेती की जाती है।

यूकॉन पठार

   यह पठार संयुक्त राज्य अमेरिका के अलास्का में स्थित है, जिसके उत्तर में ब्रुक्स रेंज तथा दक्षिण में अलास्का रेंज है।

   इसका ढलान पश्चिम की ओर है तथा यह पठार यूकॉन व कुस्कोविन नदियों द्वारा विच्छेदित है।

ब्रिटिश कोलंबिया का पठार

–   यह पठार कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में स्थित है। इसके पश्चिम में केनेडियन कोस्ट रेंज तथा पूर्व में रॉकी पर्वत है।

   यह पठार 450 किलोमीटर चौड़ा है तथा इसकी औसत ऊँचाई 900 मीटर है।

कनाडियन शील्ड

–   इसे लॉरेशियन शील्ड भी कहा जाता है। इसकी रचना कैंब्रियन पूर्व महाकल्प में हुई थी और यह विश्व के प्राचीनतम कठोर स्थलखंडों में से एक है।

   यह पठार कनाडा देश के आधे से भी अधिक भाग पर फैला हुआ है।

   यह शील्ड खनिज पदार्थोँ की दृष्टि से अत्यंत धनी है। इस शील्ड पर विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियों का निर्माण हुआ है, जिनमें अवशिष्ट पहाड़, हिमानी निक्षेप द्वारा बनी पहाड़ियाँ व झीलें आदि प्रमुख हैं।

   इस पठारी क्षेत्र में सोना, चाँदी, निकल व लौह अयस्क पाए जाते हैं।

एडवर्ड्स पठार

–   संयुक्त राज्य अमेरिका के टेक्सास प्रान्त में पेकोज नदी के पूर्व स्थित एक पर्वत पदीय पठार है।

कम्बरलैण्ड पठार

–   संयुक्त राज्य अमेरिका के टेनेसी प्रान्त में अप्लेशियन पर्वत के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक पठार जहाँ टेनेसी घाटी क्षेत्र में बिटुमिनस कोयले का प्रचुर भण्डार है।

लोरेशिया पठार

–   लेब्राडोर प्रायद्वीप में अवस्थित यह पठार कनैडियन शील्ड का भाग है यह पठार खनिज संसाधन सम्पन्न है। यहाँ लौह – अयस्क मिलता है।

मैक्सिको का पठार

–   पश्चिमी तथा पूर्वी सियरा माद्रे पर्वत श्रेणियों के मध्य मैक्सिको में अवस्थित पठार है।

–   इस पठार पर गर्म एवं शुष्क परिस्थितियाँ पाई जाती है।

दक्षिणी अमेरिका

बोलीविया का पठार

–   यह पठार बोलीविया देश में एण्डीज पर्वत के मध्य में स्थित एक अन्तरापर्वतीय पठार है। इस पठार के ऊपर कई बेसिन व झीलों का विस्तार है।

   इस पठार पर विश्व की सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित नाव चलाने योग्य झील टिटिकाका स्थित है इस झील की लंबाई 264 किमी. तथा चौड़ाई 96 किमी. है।

   इस पठार पर विश्व की सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित राजधानी बोलीविया देश की राजधानी ‘लापाज’ है। इस पठार से टिन व टंगस्टन खनिज का खनन किया जाता है।

गुयाना का पठार

–   यह पठार वेनेजुएला देश में स्थित है जो वस्तुत:  शील्ड का उदाहरण है।

   इस पठारी क्षेत्र की प्रमुख नदी, ओरनीको नदी है। इस पठारी क्षेत्र में कैरो नदी पर विश्व का सबसे ऊँचा जलप्रपात साल्टो एंजिल जलप्रपात स्थित है।

   यह पठार जलविद्युत उत्पादन के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस पठारी क्षेत्र से सोना व हीरे का खनन किया जाता है।

पैटागोनिया का पठार

–   यह पठार अर्जेंटीना देश में स्थित है। यह पठार गिरिपद पठार का सर्वोत्तम उदाहरण है।

   यह पठार एण्डीज पर्वत के गिरिपद में स्थित है। यह पठारी भाग वृष्टि छाया प्रदेश में स्थित होने के कारण मरुस्थल के रूप में बढ़ रहा है। अत: इस पठारी क्षेत्र में पैटागोनिया का मरुस्थल स्थित है।

ब्राजील का पठार

–   यह पठार ब्राजील देश के पूर्वी भाग में स्थित है। यह पठार लौह अयस्क के भण्डारों से समृद्ध है। पराना नदी का उद्गम इसी पठार का भाग माना जाता है। इस पठारी क्षेत्र में कॉफी का भी उत्पादन किया जाता है।

माटो ग्रोसो (Mato Grosso)

–  ब्राजील के दक्षिणी – पश्चिमी भाग में बोलीविया की सीमा के पास स्थित एक पठार जहाँ से अमेजन की सहायक तापाजोस नदी उत्तरी दिशा में बहती है तथा पराग्वे नदी यहीं से निकलकर दक्षिणी दिशा में बहती है।

बोबोरेमा पठार (Borborema Plateau)

–   ब्राजील के उत्तर – पूर्व भाग में अवस्थित पठार जो ब्राजीलियन उच्च भूमि का भाग है।

यूरोप

बवेरियन उच्च भूमि/पठार

–   यह पठार जर्मनी देश के दक्षिणी भाग में स्थित है। इस पठारी क्षेत्र में जर्मनी का प्रमुख नगर म्यूनिख स्थित है।

–   इस पठारी क्षेत्र में ब्लैक फॉरेस्ट पर्वत से डेन्यूब नदी का उद्गम होता है।

–   यह पठार डेन्यूब नदी व कॉन्सटेन्स झील के मध्य में स्थित है।

मेसेटा का पठार

–   यह पठार स्पेन व पुर्तगाल देशों के मध्य में स्थित है। इसे आइबेरियन पठार भी कहा जाता है।

–   स्पेन की राजधानी मेड्रिड इसी पठार के मध्यवर्ती भाग में स्थित है।

मैसिफ का पठार

–   यह पठार फ्रांस देश में स्थित है। यह पठार अंगूर की खेती हेतु प्रसिद्ध है।

–   इस पठारी क्षेत्र से सेन व लॉयर नदियों का उद्गम होता है। यह एक ज्वालामुखी लावा से निर्मित पठार है।

स्कैन्डीनेवियन पठार

–   यह पठार नॉर्वे, स्वीडन व डेनमार्क देशों में फैला है।

–   इस पठारी क्षेत्र में ग्रेनाइट, नीस व चूना पत्थर की चट्टानें पाई जाती है। इस पठारी क्षेत्र में अनेक हिमनद/ग्लेशियर पाए जाते हैं। यह पठारी क्षेत्र अपने फियोर्ड (जलमग्न हिमानी) तटों के लिए प्रसिद्ध है।

बोहेमिया का पठार (Bohemian Plateau)

–    यूरोप के मोरावियन हाइट्स व ब्लैक फॉरेस्ट के मध्यवर्ती पठारी क्षेत्र को बोहेमिया का पठार कहते हैं। यहीं बोहेमिया फॉरेस्ट स्थित है। यहाँ कोयला प्रचुर मात्रा में मिलता है। एल्ब नदी यहीं से निकलती है।

ऑस्ट्रेलिया

अर्नहैम पठार

–   यह ऑस्ट्रेलिया के अन्तरी क्षेत्र में स्थित एक पठार है। बलुआ पत्थर का बना यह पठार अपनी विविध पक्षी जातियों के लिए जीव वैज्ञानिक महत्त्व रखता है।

   इसका अधिकतर भाग पथरीला या घास से ढका हुआ है हालांकि यह पठार जगह-जगह पर जंगल से युक्त भी है।

बर्कली पठार (Barkly Plateau)

–   यह पठार ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी प्रांत में न्यूकैसल से क्वींसलैण्ड तक विस्तृत है।

   यह यूरेनियम, ताँबा जैसे खनिज संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है।

किम्बरले पठार (Kimberley Plateau)

–   यह पठार ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी पश्चिमी भाग में विस्तृत है। यह पठार हीरा, लोहा, ताँबा व चाँदी के खनन हेतु प्रसिद्ध है।

मैदान

–    धरातल पर पाई जाने वाली समस्त स्थलाकृतियों में मैदान सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। अति मंद ढाल वाली लगभग सपाट या लहरिया निम्न भूमि को मैदान कहते हैं।

–    मैदान धरातल के लगभग 55 प्रतिशत भाग पर फैले हुए हैं। संसार के अधिकांश मैदान नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बने हैं। मैदानों की औसत ऊँचाई लगभग 200 मीटर होती है। नदियों के अलावा कुछ मैदानों का निर्माण वायु, ज्वालामुखी और हिमानी द्वारा भी होता है।

अति मंद ढाल वाली लगभग सपाट या लहरिया निम्न भूमि को मैदान कहते हैं।

मैदानों का वर्गीकरण

बनावट के आधार पर मैदानों का वर्गीकरण निम्न प्रकार हैं-

(क) संरचनात्मक मैदान,
(ख) अपरदन द्वारा बने मैदान,
(ग) निक्षेपण द्वारा बने मैदान।

(क) संरचनात्मक मैदान

इन मैदानों का निर्माण मुख्यतः सागरीय तल अर्थात् महाद्वीपीय निमग्न तट के उत्थान के कारण होता है।

–    ऐसे मैदान प्रायः सभी महाद्वीपों के किनारों पर मिलते हैं।

–    मैक्सिको की खाड़ी के सहारे फैला संयुक्त राज्य अमेरिका का दक्षिणी पूर्वी मैदान इसका उदाहरण है।

–    भूमि के नीचे धँसने के कारण भी संरचनात्मक मैदानों का निर्माण होता है।

–    आस्ट्रेलिया के मध्यवर्ती मैदान का निर्माण इसी प्रकार हुआ है।

(ख) अपरदन द्वारा बने मैदान

   पृथ्वी के धरातल पर निरन्तर अपरदन की प्रक्रिया चलती रहती है, जिससे दीर्घकाल में पर्वत तथा पठार नदी, पवन और हिमानी जैसे कारकों द्वारा घिस कर मैदानों में परिणत हो जाते हैं। इस प्रकार बने मैदान पूर्णतः समतल नहीं होते। कठोर शैलों के टीले बीच-बीच में खड़े रहते हैं।

–    उत्तरी पठार पृथ्वी की सतह का लगभग 18 प्रतिशत भाग घेरे हुए हैं। पठार एक बहुत विस्तृत ऊँचा भू-भाग है, जिसका सबसे ऊपर का भाग पर्वत के विपरीत लम्बा-चौड़ा और लगभग समतल होता है। पठारी क्षेत्र में बहने वाली नदियाँ पठार पर प्रायः गहरी घाटियाँ और महाखड्ड बनाती हैं।

–    इस प्रकार पठार का मौलिक समतल रूप कटा-फटा या ऊबड़-खाबड़ हो जाता है। फिर भी पठार आसपास के क्षेत्र या समुद्र तल से काफी ऊँचा होता है। पठार की ऊँचाई समुद्रतल से 600 मीटर ऊपर मानी जाती है। परन्तु तिब्बत और बोलीविया जैसे पठार समुद्र तल से 3600 मीटर से भी अधिक ऊँचे हैं।

   पठार आस-पास की भूमि से ऊँचा उठा हुआ वह विस्तृत भू-भाग है, जिसका पृष्ठ लगभग समतल होता है जिसके किनारों का ढाल कभी-कभी बिल्कुल खड़ा होता है।

(ग) निक्षेपण द्वारा बने मैदान

–   ऐसे मैदानों का निर्माण नदी, हिमानी, पवन आदि तल संतुलन के कारकों द्वारा ढोए अवसादों से झील या समुद्र जैसे गर्तों के भरने से होता है।

   जब मैदानों का निर्माण नदी द्वारा ढोए गए अवसादों के निक्षेपण से होता है तो उसे नदीकृत या जलोढ़ मैदान कहते हैं।

   भारतीय उपमहाद्वीप का सिन्धु-गंगा का मैदान, उत्तरी चीन में हाँगहो का मैदान, इटली में पो नदी द्वारा बना लोम्बार्डी का मैदान और बांग्लादेश का गंगा ब्रह्मपुत्र का डेल्टाई मैदान जलोढ़ मैदानों के विशिष्ट उदाहरण हैं। जब मैदानों का निर्माण झील में अवसादों के निक्षेपण से होता है तो उसे सरोवरी या झील मैदान कहते हैं। कश्मीर और मणिपुर की घाटियाँ भारत में सरोवरी मैदानों के उदाहरण हैं।

   जब मैदान का निर्माण हिमानी द्वारा ढोए पदार्थों के निक्षेपण से होता है तो उसे ‘हिमानी कृत या हिमोढ़ मैदान’ कहते हैं। कनाडा और उत्तरी-पश्चिमी यूरोप के मैदान हिमानी कृत मैदानों के उदाहरण हैं।

   जब निक्षेपण का प्रमुख कारक पवन होती है तो लोयस मैदान बनते हैं। उत्तरी-पश्चिमी चीन के लोयस मैदान का निर्माण पवन द्वारा उड़ाकर लाए गए सूक्ष्म धूल कण के निक्षेपण से हुआ है।

–    महाद्वीपीय निमग्न तट के उत्थान अथवा भूमि के नीचे धँसने के कारण बने मैदान संरचनात्मक मैदान कहलाते हैं।-    पर्वत और पठारों के लम्बे समय तक अपरदन से बने मैदान अपरदन जनित मैदान या समप्राय भूमि कहलाती है।-    नदी, हिमानी, पवन, आदि तल संतुलन के कारकों द्वारा ढोए पदार्थों के जमाव से बने मैदानों को निक्षेपण द्वारा बने मैदान कहते हैं।-    निक्षेपण द्वारा बने मैदानों के प्रकार हैं-जलोढ़ मैदान, सरोवरी मैदान, हिमानी कृत मैदान और लोयस मैदान।

मैदानों का आर्थिक महत्त्व

–    मैदानों ने मानव जीवन को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित किया है:-

(1) उपजाऊ मृदा

–    मैदानों की मृदा सबसे अधिक उपजाऊ तथा गहरी होती है। समतल होने के कारण सिंचाई के साधनों का पर्याप्त विकास हुआ है। इन दोनों के कारण मैदानों में कृषि सर्वाधिक विकसित है। इसीलिए मैदानों को ‘संसार का अन्न भंडार’ कहा जाता है।

(2) उद्योगों का विकास 

–    समतल, उपजाऊ एवं सिंचाई की सुविधाओं के कारण मैदानों में कृषि प्रधान उद्योगों का विकास हुआ है। जिससे लोगों को रोजगार मिलता है तथा राष्ट्रीय उत्पादन तथा प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है। अधिक जनसंख्या के कारण कृषि तथा उद्योगों के लिए सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं।

(3) यातायात की सुविधा 

–    मैदानों का तल समतल होने के कारण यहाँ आवागमन के साधनों -रेलमार्गों, सड़को, हवाई अड्डों आदि को बनाना सुविधाजनक होता है।

(4) सभ्यताओं के केन्द्र

–    मैदान प्राचीन एवं आधुनिक सभ्यताओं के केन्द्र हैं। विश्व की प्रमुख नदी घाटी सभ्यताओं का उद्भव मैदानों में ही हुआ है। सिंधु घाटी की सभ्यता और नील घाटी की सभ्यता इसके उदाहरण हैं।

(5) नगरों की सभ्यता 

–    रेल, सड़क तथा नदियों द्वारा यातायात की सुविधाओं तथा कृषि और उद्योगों के विकास ने नगरों की स्थापना और विकास को प्रोत्साहित किया। मैदानों में विश्व के सबसे विकसित व्यापारिक नगर और पत्तन स्थित हैं। रोम, टोकियों, कोलकाता, यंगून (रंगून), कानपुर तथा पेरिस आदि नगर मैदानों में ही स्थित हैं।

मैदानों का आर्थिक महत्त्व है: समतल और उपजाऊ मृदा की प्राप्ति, उद्योगों के विकास की सुविधा, आवागमन के साधनों के विस्तार की सुविधा, प्राचीन एवं आधुनिक सभ्यताओं के केन्द्र और व्यापारिक नगरों और बन्दरगाहों की स्थापना ।

प्रमुख घासभूमियाँ

स्टेपीज घासभूमि

–    यह घासभूमि यूरोप महाद्वीप में रूस, यूक्रेन व हंगरी देशों में फैली है। यह एक शीतोष्ण कटिबंधीय घासभूमि है घास के साथ-साथ गेहूँ का उत्पादन भी किया जाता है। यहाँ स्टीपा व आर्मेनिया घास उगती है। यहाँ प्रेयरीज की तुलना में मोटी घास पाई जाती है।

सवाना घासभूमि

–    यह विश्व की सबसे बड़ी घासभूमि है।

–    यह अफ्रीका महाद्वीप में 10 से 20 डिग्री अक्षांशों के मध्य दोनों गोलार्द्धों में फैली है।

–    यहाँ विशाल आकार के जंतु शेर, हाथी, जिराफ जेब्रा इत्यादि पाए जाते हैं।

–    यह उष्ण कटिबंधीय घासभूमि है।

वेल्ड घासभूमि

–    यह शीतोष्ण कटिबंधीय घासभूमि है।

–    यहाँ ऊन की प्राप्ति हेतु मेरीनो भेड़ का पालन किया जाता है।

–    यह घासभूमि दक्षिण अफ्रीका नामीबिया, बोल्सवाना देशों में फैली है।

प्रेयरीज घासभूमि

–    यह उत्तरी अमेरिका के USA देश में स्थित एक शीतोष्ण कटिबंधीय घासभूमि है यहाँ घास के साथ गेहूँ का भी उत्पादन किया जाता है।

–    प्रेयरीज घासभूमि पर जमे बर्फ को पिघालने में सहायता करने वाली गर्म पवनें ‘चिनूक’ कहलाती है। चिनूक पवनों को हिमभक्षिणी (Snow Eater) के उपनाम से जाना जाता है।

लानोस घासभूमि

–    दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के कोलंबिया व वेनेजुएला देश में स्थित है। यह एक उष्ण कटिबंधीय घासभूमि है।

कैंपोस घासभूमि

–    यह घासभूमि दक्षिणी अमेरिका के ब्राजील व अर्जेंटीना देशों में स्थित है। यह एक उष्ण कटिबंधीय घासभूमि है।

पंपास घासभूमि

–    यह दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के अर्जेंटीना देश में स्थित शीतोष्ण कटिबंधीय घासभूमि है।

–    यहाँ विश्वप्रसिद्ध पौष्टिक घास अल्फा-अल्फा उगती है। यहाँ अर्जेंटीना पशुओं को चराकर मोटा-तगड़ा करके मांस की प्राप्ति करता है, इसलिए अर्जेंटीना देश विश्व का प्रमुख मांस निर्यातक राष्ट्र बन गया है।

पुस्ताज

–    स्टेपीज घासभूमि को हंगरी देश में ‘पुस्ताज’ के नाम से जाना जाता है।

डाउन्स

–   ऑस्ट्रेलिया में दो प्रकार की घास भूमियों का विकास हुआ है। उत्तर में उष्णकटिबंधीय घास भूमियों को सवाना कहते हैं तथा दक्षिण में मर्रे-डार्लिंग बेसिन में शीतोष्ण कटिबंधीय घास भूमियाँ डाउन्स कहलाती हैं।

विश्व के प्रमुख मरुस्थल

एशिया

थार का मरुस्थल

–    यह मरुस्थल भारत व पाकिस्तान देशों में फैला है। यह मरुस्थल अर्ग, रेग व हम्माद तीनों प्रकार का है। यह विश्व का सर्वाधिक जैव-विविधता वाला मरुस्थल है।

–    यह विश्व का सर्वाधिक घना बसा हुआ मरुस्थल है।

–    यह मरुस्थल भारत में गुजरात, राजस्थान, पंजाब व हरियाणा राज्यों में फैला है।

–    लद्दाख केन्द्र शासित प्रदेश की नुब्रा घाटी दो कूबड़ वाले ऊँटों के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है।

गोबी मरुस्थल

–    यह मरुस्थल एशिया महाद्वीप के मंगोलिया व चीन देश में स्थित है।

–    यह मरुस्थल रूस देश के साइबेरिया क्षेत्र से आनी वाली ठंडी हवाओं से प्रभावित रहता है अत: यह एक ठण्डा मरुस्थल है।

–    यह मरुस्थल मंगोल जाति के लोगों का निवास स्थान है।

–    यहाँ भालू की प्रजाति मजालाई निवास करती है।

marusthal

काराकुम मरुस्थल

–    यह मरुस्थल तुर्की में निस्तान व कजाकिस्तान देशों में स्थित है। काराकुम का शाब्दिक अर्थ काली रेत होता है।

–    किजिल कुम मरुस्थल – यह मरुस्थल कजाकिस्तान व उज्बेकिस्तान देशों में फैला है।

–    किजिलकुम का शाब्दिक अर्थ लाल रेत होता है।

–    इस मरुस्थलीय क्षेत्र में भेड़ व ऊँट पालन मुख्य आर्थिक क्रिया है।

तकलामाकन मरुस्थल

–    यह चीन के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र ‘सीक्यांग में स्थित है।

रूब-अल-खाली मरुस्थल

–   यह विश्व का सबसे बड़ा बालू निर्मित मरुभूमि क्षेत्र है। यह सऊदी

    अरब में स्थित है।

   यह एक निवास विहीन क्षेत्र है।

अन-नफूद मरुस्थल

–   सऊदी अरब में स्थित गर्म मरुस्थल है।

दस्त-ए-कबीर मरुस्थल

–   ईरान में स्थित है।

   इसे ‘ग्रेट सॉल्ट डेजर्ट’ भी कहते हैं।

दस्त-ए-लुट मरुस्थल

–   यह पूर्वी ईरान में स्थित मरुस्थल है।

अफ्रीका

सहारा मरुस्थल

   यह विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल है। यह मरुस्थल अफ्रीका महाद्वीप के उत्तरी भाग में 11 से 13 देशों में फैला है।

   यह मरुस्थल अर्ग, रेग व हम्मादा तीनों प्रकार का है।

   इस मरुस्थल के निर्माण में कनारी की ठंडी जलधारा का योगदान है।

   इस मरुस्थल में बद्दु जनजाति निवास करती है।

   सहारा मरुस्थल में लीबिया देश के अंतर्गत तिबेस्ती चट्‌टान स्थित है।

कालाहारी मरुस्थल

   यह अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिणी भाग में दक्षिणी अफ्रीका, नामिबिया व बोत्सवाना देशों में फैला है।

   कालाहारी का शाब्दिक अर्थ – जलविहीन स्थान होता है।

   कालाहारी मरुस्थल में विश्व प्रसिद्ध ‘बुशमैन’ जनजाति निवास करती है।

   इस मरुस्थल के निर्माण में बेंगुएला की ठंडी जलधारा का योगदान है।

नामिब का मरुस्थल

   यह मरुस्थल अंगोला, नामीबिया व दक्षिणी अफ्रीका देशों में स्थित है।

   इस मरुस्थल में विश्व प्रसिद्ध खोई जनजाति निवास करती है।

   इस मरुस्थल के निर्माण में बेंगुएला की ठंडी जलधारा का योगदान है।

साहेल (Sahel)

–   सहारा मरुस्थल के दक्षिण में पश्चिम से पूर्व की ओर एक अर्द्ध मरुस्थल पेटी है। साहेल मरुस्थल में माली, नाइजर, चाड, दक्षिणी सूडान, केन्या देश सम्मिलित हैं।

वेस्टर्न मरुस्थल

–   लीबिया में फैला हुआ सहारा मरुस्थल का भाग है। इस शुष्क मरुस्थल में औसत वर्षा 15 सेमी. से कम है।

नूबियन मरुस्थल

–   मिस्र तथा सूडान की पूर्वी सीमा पर लाल सागर के पश्चिमी तट पर स्थित एक मरुस्थल।

उत्तरी अमेरिका

ग्रेट बेसिन

   यह संयुक्त राज्य अमेरिका के सिरा नेवादा तथा उटाह राज्यों में फैला हुआ मरुस्थलीय बेसिन है।

   इस बेसिन में मृत घाटी तथा मोजावे का मरुस्थल सम्मिलित है। इसी प्रदेश में सन् 1986 में ग्रेट बेसिन नेशनल पार्क स्थापित किया गया था।

मोजावे

–   कैलिफोर्निया, नेवादा एवं एरिजोना राज्यों में फैला, मोजावे एक ऊष्ण मरुस्थल है। इस मरुस्थल से कोलोरेडो नदी गुजरती है जिस पर विश्व की सबसे बड़ी कैनियन, पर्यटकों के आकर्षण का स्थल है।

   हूवर डैम कोलोरेडो नदी पर इसी मरुस्थल में बनाया गया है।

एरिजोना मरुस्थल

–   संयुक्त राज्य अमेरिका के एरिजोना तथा नेवादा राज्यों में विस्तृत एक गर्म व शुष्क मरुस्थल है।

   विश्व के सबसे ऊँचे कैक्टस इसी मरुस्थल में पाए जाते हैं। कैलिफोर्निया की ठंडी जलधारा इसी मरुस्थल से बहती है।

सोनोरान मरुस्थल

–   उत्तरी-पश्चिमी भाग में विस्तृत उत्तरी अमेरिका का सबसे बड़ा मरुस्थल है। यह एक गर्म मरुस्थल है।

   इसका निर्माण कैलिफोर्निया की ठण्डी जलधारा के प्रभाव से हुआ है।

दक्षिणी अमेरिका

अटाकामा मरुस्थल (Atacama Desert)

–   चिली तथा पेरू के तट पर उत्तर से दक्षिण की ओर फैला हुआ अटाकामा का मरुस्थल विश्व का सबसे शुष्क मरुस्थल है।

   इस मरुस्थल में नाइट्रेट (शोरा), आयोडीन (Iodine) तथा बोरेक्स (Borax) के भारी भंडार हैं जिनका उपयोग रासायनिक खाद बनाने के काम में होता है।

इस्टर्न मरुस्थल (Eastern Desert)

–   नील नदी तथा लाल सागर के बीच में मिस्र में अवस्थित यह एक ऊष्ण मरुस्थल है। इसमें औसत वार्षिक वर्षा 20 सेमी. से कम होती हैं।

   इसकी मुख्य वनस्पति नागफनी है।

पैटागोनिया का मरुस्थल

–    यह मरुस्थल दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के अर्जेंटीना देश में स्थित है।

–    यहाँ ऊँट प्रजाति का जंतु लामा पाया जाता है।

–    अटाकामा मरुस्थल के निर्माण में पेरू/हम्बोल्ट की ठंडी जलधारा का योगदान है।

ऑस्ट्रेलिया

गिब्सन मरुस्थल

–    यह मरुस्थल पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया प्रांत में स्थित है।

–    यह मरुस्थल रेड कंगारूओं के लिए प्रसिद्ध है।

–    इस मरुस्थल में वर्षा की अपेक्षा वाष्पीकरण अधिक है। प्राकृतिक वनस्पति में ऑस्ट्रेलियाई बबूल तथा काँटेदार झाड़ियाँ मुख्य हैं। कंगारू मुख्य पशु है, जो ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु है।

ग्रेट सैंडी मरुस्थल

–    यह मरुस्थल ऑस्ट्रेलिया देश के उत्तरी व पश्चिमी प्रांत में स्थित है।

–    इस मरुस्थल में ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी एबोर्जिन्स निवास करते हैं।

–    इस मरुस्थल में एवोर्जिन्स लोग दो समूहों में निवास करते हैं।

ग्रेट विक्टोरिया मरुस्थल

–    यह मरुस्थल ऑस्ट्रेलिया देश के दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया प्रांत व पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया प्रांत में स्थित है।

–    यह ऑस्ट्रेलिया देश का सबसे बड़ा मरुस्थल है।

–    इस मरुस्थल में अनेक खारे पानी की छोटी-बड़ी झीलें पाई जाती हैं।

सिम्पसन मरुस्थल

–    यह ऑस्ट्रेलिया देश के तीन प्रांतों उत्तरी ऑस्ट्रेलिया प्रांत, दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया प्रांत व क्वींसलैंड प्रांत में स्थित है।

–    इस मरुस्थल में रेड कंगारू व रेड झाड़ी पाई जाती है।

–    यह लाल रेत से युक्त मरुस्थल है।

तनामी मरुस्थल

–    यह मरुस्थल उत्तरी व पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया प्रांत में फैला है।

–    इस मरुस्थल में कोयोटी सोने की खान स्थित है।

–    यह मरुस्थल हम्माद (रेतीला+पथरीला) प्रकार का है।

स्टुअर्ट मरुस्थल (Stuart Desert)

–   क्वींसलैण्ड तथा दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के मध्य स्थित एक शुष्क मरुस्थल जो फ्ल्डिर्स पहाड़ियों के उत्तर में स्थित है।

Faq

पर्वत पठार और मैदान क्या है?

मैदान में दूर-दूर तक बिल्कुल समतल ज़मीन है, न कहीं अधिक ऊंची, और न कहीं अधिक नीची। पहाड़ में उंची-ऊंची चोटियां हैं और दोनों तरफ तेज़ ढलान वाली ज़मीन है। पठार में ढलानों के ऊपर ऊंचाई पर समतल ज़मीन है, जो बीच-बीच में कहीं-कहीं ऊंची-नीची भी है। पहाड़ों से घिरे पठार के चारों तरफ पहाड़ हैं।

भारत के प्रमुख पर्वत कितने हैं?

भारत में सात प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं हैं जिनमें विभिन्न पर्वत चोटियां हैं।

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