अम्लीय वर्षा किसे कहते हैं? परिभाषा क्या है? कारण, प्रभाव, सूत्र

नमस्कार आज हम विज्ञानं में रसायन विज्ञान एवं भूगोल के पर्यावरण प्रदुषण के महत्वपूर्ण अध्याय अम्लीय वर्षा (Acid Rain) के विषय में अध्ययन करेंगे तथा साथ ही जानेंगे की acid rain in hindi, amliy varsha, अम्लीय वर्षा, अम्लीय वर्षा का चित्र, अम्लीय वर्षा का पीएच मान, अम्लीय वर्षा किसे कहते हैं, अम्लीय वर्षा के कारण, अम्लीय वर्षा क्या है इत्यादि टॉपिक पर हम आज चर्चा करेंगे।

अम्लीय वर्षा का अर्थ

सामान्यता अम्लीय वर्षा का अर्थ का शाब्दिक अर्थ उसके नाम से ही स्पष्ट है की अम्ल की वर्षा अर्थात वर्षा के साथ अम्ल की वर्षा।

अम्लीय वर्षा किसे कहते हैं?

विभिन्न उद्योगों की विविध उत्पादन क्रियाओं से निकले कार्बन डाइ ऑक्साइड, सल्फर डाइ ऑक्साइड तथा नाइट्रिक ऑक्साइड गैसे वायुमण्डल में जलवाष्प तथा बारिश के पानी से मिलकर अम्लीय अवस्था में आ जाती है।

अम्लीय वर्षा की परिभाषा क्या है?

वह वर्षा जिसके पानी में कार्बन डाइ ऑक्साइड, सल्फर डाइ ऑक्साइड तथा नाइट्रिक ऑक्साइड जैसी गैसें मिल जाती है अम्लीय वर्षा कहलाती है।

सामान्यतः वातावरण में 60-90% अम्लीयता H2So4 के कारण तथा 30-40% HNO, के कारण होती है।

अम्लीय वर्षा का सूत्र

SO2 + H2O → H2SO4 (सल्फ्यूरिक अम्ल)

NO2 +H2O → HNO3 (नाइट्रिक अम्ल)

अम्लीय वर्षा का पीएच (PH) मान

अम्ल वर्षा से सम्बन्धित जल का pH मान 5 से 2.5 के बीच हो जाता है। pH का तटस्थ मान 7 होता है इससे कम मान अम्लता तथा अधिक मान क्षारीयता का प्रतीक है। अम्लीय वर्षा में हाइड्रोजन आयनों का स्तर ऊँचा हो जाता है।

अम्लीय वर्षा के कारण

अम्लीय वर्षा का प्रमुख कारण NO2, SO2, NO, CO आदि है। सल्फर डाइ-ऑक्साइड रासायनिक अभिक्रिया द्वारा H2SO4 का निर्माण करती है। SO2 के निम्नलिखित स्रोत है–

(i) ऑटोमोबाइल या कोयला या जल विद्युत संयंत्रों के कारण वातावरण में बनती है।

(ii) ताप शक्ति गृह जहाँ पर बिजली उत्पन्न करने हेतु भारी मात्रा में कोयला जलाया जाता है।

(iii) खनिज तेल शोधन शालाएँ  

(iv) स्वचालित वाहन

(v) जीवाश्म ईंधनों का दहन

अम्ल वर्षा के कुप्रभाव/ दुष्प्रभाव

–    अम्ल वर्षा से जल संसाधन प्रदूषित होते हैं इससे जलीय जीव सर्वाधिक प्रभावित होते हैं।

–    अम्लीय वर्षा जंगलों को क्षति पहुँचाती है।

–    अम्लीय वर्षा ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुँचाती है।

अम्ल वर्षा – ऐसी वर्षा जिसमें SO2 नाइट्रोजन के ऑक्साइड, क्लोरीन, CO2 आदि घुले रहते हैं- ¨  मछलियों के अंडों से बच्चों के निकलने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है।¨  पाँच से कम पीएच वयस्क मछलियों को मार सकता है।¨   अम्लीय वर्षा ने कीड़ों और मछलियों की कुछ प्रजातियों को खत्म कर दिया है।¨  मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों को मार देती है और  मिट्टी की रासायनिक संरचना को बदल देती है।

अम्लीय वर्षा के प्रभाव

मिट्टी की उत्पादकता घट जाती है। अधिक अम्लता के कारण मिट्टी के खनिज एवं पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।

(i) अम्लीय वर्षा का दुष्प्रभाव एक स्थान विशेष तक ही सीमित नहीं रहता और न ही यह SO, तथा NO, उगलने वाले औद्योगिक एवं परिवहन स्रोतों तक सीमित रहता है। यह स्रोतों से दूर अत्यधिक विस्तृत क्षेत्रों को भी प्रभावित करती है क्योंकि अम्लीय वर्षा के उत्तरदायी कारक वायु के वेग के साथ वायु की दिशा में हजारों किमी. दूर तक बह जाते हैं और आर्द्रता पाकर अम्लीय वर्षा के रूप में बरसते हैं।

(ii)   पेयजल भण्डार दूषित हो जाते हैं। अम्लीय वर्षा से मानव में साँस एवं त्वचा की बीमारियाँ हो जाती है। आँखों में जलन की समस्या उत्पन्न होती है।

(iii) अम्लीय वर्षा का वनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, क्योंकि इससे पत्तियों की सतह पर मोम जैसी परत जमा हो जाती है। पत्तियों के स्टोमेटा बंद हो जाते हैं। फलस्वरूप प्रकाश संश्लेषण वृद्धि, जनन, वाष्पोत्सर्जन आदि जैविक क्रियाएँ मन्द पड़ जाती है जर्मनी में 8% के लगभग वन नष्ट हुए हैं।

(iv) जल स्रोतों यथा झील, नदी आदि की अम्लीयता बढ़ने से पानी के जीवों व वनस्पतियों पर हानिकारक असर होता है। अमेरिका और नार्वे, स्वीडन, आदि देशों में अम्लीय वर्षा के कारण अधिकांश झीलों के जैविक समुदाय समाप्त हो गए हैं।

(v) अम्ल वर्षा से मृदा की अम्लीयता बढ़ जाती है जिससे पादप व जन्तु जगत को हानि होती है। जैविक प्रक्रियाओं का अवनयन हो जाता है।

(vi) इससे भवनों को संक्षरण के कारण क्षति होती है। पत्थर एवं संगमरमर विशेष रूप से प्रभावित होता है। यूनान, इटली एवं कई यूरोपीय देशों में संगमरमर से बनी मूर्तियाँ तथा आगरा का प्रसिद्ध ताजमहल अम्लीय वर्षा से धुंधला पड़ता जा रहा है।

संभावित समाधान

अम्ल वर्षा पर्यावरण सम्बन्धी मौजूदा समस्याओं में से एक सबसे बड़ी समस्या है। अम्लीय वर्षा अति प्रदूषित इलाके में बड़ी दूर तक बड़ी आसानी से फैलती है। अम्लीय वर्षा के लिए मानवीय उत्पादन मुख्य रूप से जिम्मेदार है।

(i) विभिन्न स्रोतों से अम्लीय वर्षा उत्पन्न करने वाली SO एवं NO के उत्पादन पर नियंत्रण किया जाए। इन्हें वातावरण में घुलने से रोका जाए। अतः उद्योगों में स्क्रबर्स का उपयोग करें। बैग फिल्टर तथा कोलाइंडल टैंक बनाए जाए।

(ii) सौर ऊर्जा तथा पवन ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए।

(iii) व्यक्तिगत वाहनों का प्रयोग कम किया जाए। समय- समय पर वाहनों की जाँच करवाई जाए।

(iv) जल स्रोतों जहाँ पानी की अम्लीयता बढ़ गई है वहाँ पानी में चूना डाला जाए। इसी प्रकार मिट्टी की अम्लीयता नष्ट करने हेतु भी चूने का प्रयोग किया जाए।

     अधिकांश भारतीय नगरों में वर्षा जल में अम्लीयता का स्तर सुरक्षा सीमा से कम है लेकिन बढ़ते उद्योग इकाइयों से हानिकारक गैसों की सान्द्रता पर रोकथाम पूरी तरह प्रभावी नहीं हो पा रही है। हमें अपने देश की उद्योग इकाइयों को नियंत्रित करना पड़ेगा।

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Faq

अम्लीय वर्षा क्या होती है समझाइए?

अम्ल वर्षा – ऐसी वर्षा जिसमें SO2 नाइट्रोजन के ऑक्साइड, क्लोरीन, CO2 आदि घुले रहते हैं


अम्लीय वर्षा के प्रभाव क्या है?

मछलियों के अंडों से बच्चों के निकलने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है।
पाँच से कम पीएच वयस्क मछलियों को मार सकता है।
अम्लीय वर्षा ने कीड़ों और मछलियों की कुछ प्रजातियों को खत्म कर दिया है।
मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों को मार देती है और  मिट्टी की रासायनिक संरचना को बदल देती है।

नमस्कार मेरा नाम मानवेन्द्र है। मैं वर्तमान में Pathatu प्लेटफार्म पर लेखन और शिक्षण का कार्य करता हूँ। मैंने विज्ञान संकाय से स्नातक किया है और वर्तमान में राजस्थान यूनिवर्सिटी से भौतिक विज्ञान विषय में स्नात्तकोत्तर कर रहा हूँ। लेखन और शिक्षण में दिसलचस्पी होने कारण मैंने यहाँ कुछ जानकारी उपलब्ध करवाई हैं।

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