उपग्रह किसे कहते हैं? परिभाषा, प्रकार, संचार, उपयोग What is Satellite in hindi

इस लेख में उपग्रह (Satellite) के विषय में बताया गया है। यहां पर विभिन्न Upgarh से संबंधित विभिन्न प्रश्नों का समावेश किया गया है। जैसे :- उपग्रह किसे कहते हैं, उपग्रह की परिभाषा क्या है, उपग्रह के प्रकार, ग्रह क्या है,उपग्रहों के उपयोग, संचार, what is satellite in hindi, what is satellite communication, satellite used for, satellite phone उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं इत्यादि के बारे में यहां पर बताया गया है।

उपग्रह किसे कहते हैं? परिभाषा, प्रकार, संचार, उपयोग What is Satellite in hindi
उपग्रह किसे कहते हैं?

ग्रह किसे कहते हैं? क्या है।

जब हम ग्रहों के बारे में बात करते है तो हमारे मन में एक सवाल आता है कि ग्रह किसे कहते हैं या ग्रह क्या है ? तो चलिए जानते है इन सवालों का जवाब

ग्रह की परिभाषा :-

सूर्य के चारों ओर अपनी – अपनी कक्षा में चक्कर लगाने वाले आकाशीय पिंडो को ग्रह कहते है।

ग्रहों के उदाहरण :- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, युरेनस, नेप्चून, तथा प्लूटो।

ग्रहों के बारे में आप तो जानते ही है कि सौरमंडल में कुल 8 ग्रह है। पहले 9 ग्रह हुआ करते थे परन्तु अब 8 ग्रह है। यम ग्रह को छोड़कर 8 ग्रह है।

उपग्रह किसे कहते हैं ? क्या है! (What is satellite in hindi)

ग्रहों के बारे में जानने के बाद दूसरा मुख्य सवाल होता है कि उपग्रह क्या है या उपग्रह किसे कहते हैं ? (What is satellite in hindi) तथा उपग्रह की परिभाषा क्या होती है । तो चलिए जानते है इनके बारे में…

उपग्रह की परिभाषा :-

ग्रह के चारों ओर चक्कर इसके गुरूत्वीय क्षेत्र में चक्कर लगाने वाले आकाशीय पिंडो को उपग्रह (satellite) कहते हैं।

पृथ्वी के परित यानी चारों ओर परिक्रमण करने वाले पिंड भू – उपग्रह कहलाते है।

इन उपग्रहों की पृथ्वी के परित कक्षाएं वृताकार अथवा दीर्घवृताकार होती है। भू – उपग्रहो की गतियां, ग्रहों की सूर्य के परित गातियो के लगभग समान होती है।

अत ग्रहों की गति से संबंधित केप्लर के नियम इन पर समान रूप से लागू होते है।

उपग्रह कितने प्रकार के होते है? (Types of Satellite in Hindi)

सामान्यत हमारे सवाल होता है की उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं? अंतरिक्ष में कितने प्रकार के उपग्रह है? तो आइये जानते है

सामान्यत उपग्रह के प्रकार दो होते है।

(1) प्राकृतिक उपग्रह (2) कृत्रिम उपग्रह

(1) प्राकृतिक उपग्रह किसे कहते हैं(what js Natural satellite in Hindi) :-

प्राकृतिक उपग्रह किसे कहते हैं :- ग्रहों के चारो ओर चक्कर लगाने वाले प्राकृतिक आकाशीय पिंडों को प्राकृतिक उपग्रह (Natural Satellite) कहते है।

जैसे :- चन्द्रमा, पृथ्वी का उपग्रह है।

चन्द्रमा की पृथ्वी के परित वृताकार कक्षा होती है। इसका परिक्रमण काल 27.3 दिन होता है।

(2) कृत्रिम उपग्रह किसे कहते हैं (what is Artificial Satellite in hindi) :-

कृत्रिम उपग्रह किसे कहते हैं :- मानव द्वारा निर्मित वे पिंड जो पृथ्वी या किसी ग्रह के चारों ओर नियत कक्षा में परिक्रमा करते है, कृत्रिम उपग्रह कहलाते हैं।

विभिन्न प्रकार के सैटलाइट अंतरिक्ष में भेजे जाते है। जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते रहते है। और विभिन्न प्रकार की जानकारी प्रदान करती है।


उपग्रह के उपयोग(Satellite used for) :-

यहां पर उपग्रहों के उपयोग(access of satellite) के बारे में यहां पर बताया गया है।

सामान्यत उपग्रहों का उपयोग (Satellite used for) :-

  • संचार व्यवस्था में :- पृथ्वी पर होने वाली विभिन्न संचार की गतिविधियों का संचालन में उपग्रहों की मुख्य भूमिका है। इन्हीं के कारण हम television, मोबाइल पर बातचीत, इंटरनेट इत्यादि का उपयोग कर पाते है।
  • मौसम के जानकारी :- मौसम के पूर्वानुमान और मौसम संबंधित गतिविधियों की जानकारी के लिए भी satellite का उपयोग किया जाता हैं।
  • उल्कापिंडों एवं विभिन्न खगोलीय गतिविधियों के अध्ययन के लिए भी उपग्रह का उपयोग किया जाता है।
  • वायुमंडल अध्ययन :- पृथ्वी के वायुमंडल में होने वाली विभिन्न घटनाओं के अध्ययन में भी satellite का उपयोग होता है।
  • जासूसी कार्य :- विभिन्न प्रकार की जासूसी कि गतिविधियों के लिए भी उपग्रहों का उपयोग होता है।


भू स्थाई उपग्रह (What is geo stationary satellite in hindi):-

भू स्थाई उपग्रह किसे कहते हैं :-

पृथ्वी के अपने अक्ष के सापेक्ष घूर्णन का आवृतकल 24 घंटे होता है। यदि पृथ्वी का परिभ्रमण करने वाले उपग्रह का आवृतकाल भी 24 घंटे हो तो ऐसा उपग्रह पृथ्वी पर खड़े प्रेक्षक को सदैव स्थिर प्रतीत होता है। इस उपग्रह को भू स्थाई उपग्रह या तुल्यांकी उपग्रह कहते है(geo stationary satellite in hindi)।

उदाहरण :- इनसेट 3A उपग्रह भारत का भू स्थाई उपग्रह है।

भू स्थाई उपग्रह की कक्षा वृतीय तथा पृथ्वी की भूमध्य रेखा के तल में होनी चाहिए। भू स्थाई उपग्रह की कक्षा को पार्किंग कक्षा (Parking Orbit) कहते है।

भू स्थाई उपग्रह की पृथ्वी की सतह से ऊंचाई :-

36000 किमी

भू स्थाई उपग्रह का उपयोग :-

  • उपरी वायुमंडल के अध्ययन के लिए
  • मौसम के बारे में पूर्व जानकारी प्राप्त करने के लिए
  • उल्कापिंडों का अध्ययन करने के लिए
  • रेडियो तथा दूरभाष संवादों के संचार में

ध्रुवीय उपग्रह क्या हैं? (Polar satellite in hindi)

ध्रुवीय उपग्रह किसे कहते हैं? What is Polar satellite in hindi :-

वे मध्यम व कम ऊंचाई के कृत्रिम उपग्रह जिनकी कक्षा का तल पृथ्वी के उतरी व दक्षिणी ध्रुव के समीप से गुजरे, ध्रुवीय उपग्रह (Polar satellite in hindi) कहलाते है।

इन उपग्रहों की सहायता से दूरस्थ स्थानों की सूचना प्राप्त की जा सकती है। इसलिए इन्हे दूर संवेदी उपग्रह (Remote sensing Satelite) भी कहते है। ये उपग्रह पृथ्वी की घूर्णन गति के विपरीत गति करते है। इनकी कक्षा को पशचगतिक कक्षा (retrograde orbit) कहते है। इनका परिक्रमण काल कुछ घंटे लगभग 100 मिनट होता है। ध्रुवीय उपग्रह की कक्षा की दिशा उतर दक्षिणी होती है। जबकि पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूर्णन करती है। इसके नीचे पृथ्वी पूर्व पश्चिम दिशा में परिक्रमण करती है।

इसके नीचे पृथ्वी पूर्व पश्चिम दिशा में परिक्रमण करती है। जिससे एक ध्रुवीय उपग्रह पृथ्वी की संपूर्ण सतह का करमविक्षण कर सकता है।


उपग्रह संचार व्यवस्था (What is satellite Communication)

विभिन्न प्रकार के संचार माध्यम का के उपयोग से आज मानव जीवन बहुत ही सरल हो गया है। और यह सब उपग्रह संचार व्यवस्था के कारण ही संभव हो पाया है। हमारे मन में एक सवाल उठता है कि उपग्रह संचार व्यवस्था क्या है ? या किसे कहते हैं। (What is satellite communications) ।

संचार व्यवस्था :-

सभी संचार के उपकरण किसी ना किसी माध्यम से सैटलाइट से जुड़े रहते है। जब हम इनका उपयोग करते है तो रेडियो एक्टिव तरंगे द्वारा इन उपग्रहों और उपकरण के मध्य संबंध स्थापित होता है। जिसके कारण ही संचार कार्य का निगमन होता है।


भारतीय कृत्रिम उपग्रह के उदाहरण

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम सन 1962 में शुरू हुआ। इसके लिए भारत सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति बनाई। सन् 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation – ISRO) की स्थापना की गई जिसकी मुख्यालय बंगलौर में है।

जून 1972 में भारत सरकार ने अंतरिक्ष आयोग की स्थापना की जिसकी सहायता अंतरिक्ष विभाग करता है तथा अंतरिक्ष विभाग को ही भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संचालन का जिम्मा सौंपा गया है। अंतरिक्ष आयोग तथा अंतरिक्ष विभाग का मुख्यालय बंगलौर में है।

(1) आर्यभट्ट (Aryabhatta) :-

भारत ने 19 अप्रैल 1975 को भारतीय वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों द्वारा निर्मित प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट को इंटर कॉसमॉस रॉकेट द्वारा रूसी रूसी रॉकेट प्रक्षेपण स्थल कॉस्मोड्रोम से प्रक्षेपित कर अंतरिक्ष युग में प्रवेश किया। इस उपग्रह का नाम भारत के महान खगोलशास्त्री तथा गणितज्ञ आर्यभट्ट के सम्मान में रखा गया।

(2) भास्कर – 1 (Bhaskar -1) :-

इस उपग्रह का प्रक्षेपण 7 जून 1979 में इंटर कॉसमॉस रॉकेट द्वारा रूसी रॉकेट प्रक्षेपण स्थल कॉस्मोड्रोम से किया गया। इस उपग्रह का नाम भारत के महान गणितज्ञ तथा वैज्ञानिक भास्कराचार्य के सम्मान में रखा गया है।

(3) रोहिणी आर. एस. I (Rohini RS-I) :-

इस उपग्रह का प्रक्षेपण 10 अगस्त 1979 को एस. एल. वी. -3 रॉकेट द्वारा रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र श्री हरिकोटा रेंज से किया गया। इस उपग्रह का वजन लगभग 35 किग्रा था। भारत की इस उपलब्धि से भारत अन्य देशों अमेरिका सोवियत, रूस, फ्रांस, चीन, जापान की पंक्ति में समलितित हो गया।

(4) एप्पल (Apple : Ariane Project Payload Experimet)

इस उपग्रह का प्रक्षेपण 19 जून 1981 को एरियन रॉकेट द्वारा यूरोपीय रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र कोरू, द. अमेरिका से किया गया।

(5) इनसेट (INSAT : Indian National satellite) :-

यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (isro) द्वारा निर्मित बहुउद्देशीय भारतीय उपग्रह श्रृंखला है जिसकी सहायता से मौसम विज्ञान की जानकारी दूरसंचार कार्यकर्मों का संप्रेषण सूर्य तथा अंतरिक्ष से आने वाली विकिरणों का अध्ययन भू सम्पदा का सुदूर संवेदन आदि जानकारी प्राप्त होती है।

(6) आई आर एस (IRS) (भारतीय दुरसंवेदी उपग्रह) :-

इस श्रृंखला के अन्तर्गत IRS – 1A तथा IRS – 1B उपग्रहों का प्रक्षेपण वोस्तक रॉकेट द्वारा रूसी अंतरिक्ष अड्डा बैकानुर ( सोवियत संघ) से क्रमश 17 मार्च 1988 तथा 29 अगस्त 1991 में किया गया। इनका वजन लगभग क्रमश 980 किग्रा तथा 958 किग्रा था। इन उपग्रहों का निर्माण सुदूर संवेदन की दृष्टि से किया गया।

12 सितम्बर 2002 को पहले मौसम उपग्रह (METSAT) को PSLV C4 नामक रॉकेट से रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र, श्रीहरिकोटा रेंज से प्रक्षेपित किया गया जिसका वजन लगभग 1000 किग्रा था। बाद में इसका नाम कल्पना – I रखा गया। यह नाम भारत को महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. कल्पना चावला के समान में रखा गया की जिनकी मृत्यु कोलंबिया शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने से 1 फरवरी 2003 को हो गई थी।

(7) जी – सैट (GSAT : GEO STATIONARY STATELLITE) :-

इसके अन्तर्गत भारत ने 18 अप्रैल 2001 को जी – सैट – I उपग्रह को रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र, श्रीहरिकोटा रेंज से प्रेक्षेपीत किया जिसका वजन लगभग 154 किग्रा. था। परन्तु यह उपग्रह असफल हो गया। इसके पश्चात जी सैट -2 उपग्रह को 8 मई 2003 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्री हरिकोट से GSLV-D2 द्वारा प्रक्षेपित किया गया। इसका वजन लगभग 1800 किग्रा था। इसरो द्वारा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की 40 वी वर्षगांठ पर 21 नवम्बर 2003 को तिर्वंतपुराम स्थित विक्रम भाई साराभाई स्पेश स्टेशन से रोहिणी 200 साउंडिंग रॉकेट का सफल प्रक्षेपण किया गया।

(8) इज्यूसैट (Edu. SAT) :-

इस उपग्रह का प्रक्षेपण 20 सितम्बर 2004 को श्रीहरिकोटा से किया गया। इसका वजन लगभग 1950 किग्रा था । इसका उद्देश्य दूरस्थ शिक्षा क्षेत्र में क्रांति लाना है।

निष्कर्ष

इस लेख उपग्रह किसे कहते हैं? उपग्रह कितने प्रकार के होते है के बारे में जानकारी प्राप्त दी गयी। इस प्रकार भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम अपनी चरम सीमा पर है। इसके संदर्भ में प्रथम भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्क्वाड्रन लीटर राकेश शर्मा तथा डॉ कल्पना चावला का साहसी कार्यक्रम विश्व विख्यात है।

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उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?

उपग्रह दो प्रकार के होते होते हैं। (1) प्राकृतिक उपग्रह (2) कृत्रिम उपग्रह

उपग्रहों की संख्या कितनी है?

8

अंतरिक्ष में कितने प्रकार के उपग्रह है?

2 (1) प्राकृतिक उपग्रह (2) कृत्रिम उपग्रह

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नमस्कार मेरा नाम मानवेन्द्र है। मैं वर्तमान में Pathatu प्लेटफार्म पर लेखन और शिक्षण का कार्य करता हूँ। मैंने विज्ञान संकाय से स्नातक किया है और वर्तमान में राजस्थान यूनिवर्सिटी से भौतिक विज्ञान विषय में स्नात्तकोत्तर कर रहा हूँ। लेखन और शिक्षण में दिसलचस्पी होने कारण मैंने यहाँ कुछ जानकारी उपलब्ध करवाई हैं।