नमस्कार आज हम जीव विज्ञान के महत्वपूर्ण अध्याय में से एक कोशिका (Cells) के बारे में अध्ययन करेंगे। इस अध्ययन के दौरान हम कोशिका से सम्बंधित विभिन्न बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे। तो आइये शुरू करते है अध्ययन।
कोशिका जीवन की संरचनात्मक एवं आधारभूत इकाई –
- रॉबर्ट हुक ने 1665 ई. में सर्व्रपथम मृत कोशिकाओं को कॉर्क में देखा और इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘माइक्रोग्राफिया’ है।
- 1674 ई. में एन्टोनी वॉन ल्यूवेन हॉक ने सर्वप्रथम जीवित कोशिकाओं को देखा।
- श्लाइडेन एवं श्वान नामक वैज्ञानिकों ने 1838-39 ई. में कोशिका सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जिसके अनुसार-
(i) सभी जीव कोशिकाओं के बने होते हैं।
(ii) कोशिका जीवन की आधारभूत एवं संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है।
(iii) नई कोशिका का निर्माण पूर्ववर्ती कोशिका से होता है। (रुडोल्फ विर्चो)
- डुजार्डिन ने जीव द्रव्य की खोज की जबकि 1839 ई. में पुरकिंजे ने इसे प्रोटोप्लाज्म नाम दिया।
कोशिका की संख्या के आधार पर जीव –
1. एककोशिकीय जीव – केवल एक कोशिका ही जीव के सभी कार्य करती है। जैसे- अमीबा, पैरामिशियम।
2. बहुकोशिकीय जीव – जैसे-मनुष्य, पेड़ पौधे एककोशिकीय जीवों के अतिरिक्त सभी जीव बहुकोशिकीय है।
कोशिका की माप के आधार पर जीव –
- सबसे छोटी कोशिका PPLO (प्लूरोन्यूमोनिया लाइक आर्गेनिज्म) माइकोप्लाज्मा यह एक बिना Cell wall युक्त जीवाणु है।
- यह वाइरस तथा जीवाणु के मध्य की योजक कड़ी है। प्रत्येक जीवाणु में चारों ओर पेप्डाइडों ग्लाइकेन एवं न्यूरामिक एसिड की बनी Cell wall पाई जाती है, जबकि माइकोप्लाज्मा में यह अनुपस्थित होती है। शेष सभी लक्षण जीवाणु के है।
- इसकी Cell membrane (कोशिका कला) कोलेस्ट्ररोल की बनी होती है। यह अपनी आकृति बदलता रहता है इसलिए इसे पादप जगत का जोकर कहते हैं।
- सबसे बड़ी कोशिका – शुतुरमुर्ग का अण्डा है।
- सबसे लम्बी एकल पादप कोशिका – ऐसिटाबुलेरिया नामक शैवाल जो केवल एक ही कोशिका से बना होता है। लम्बाई 10 सेमी.।
- सबसे लम्बी एकल जन्तु कोशिका – तंत्रिका कोशिका, 1 मीटर तक लम्बी।
- मानव शरीर में 10 खरब कोशिकाएँ पाई जाती है।
कोशिका के प्रकार :-
1. प्रोकेरियोटिक कोशिकाएँ : जिनमें केन्द्रक सुगठित नहीं होता है तथा केद्रक झिल्ली एवं दोहरी झिल्ली युक्त कोशिकांगों का अभाव होता है। इनमें DNA ही केन्द्रक के रूप में कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) में पाया जाता है। यहाँ केन्द्रक को (Nucleoid) केन्द्रकाय कहते हैं।
2. यूकेरियोटिक कोशिकाएँ : इनमें वास्तविक केन्द्रक पाया जाता है। यहां केन्द्रक झिल्ली एवं दोहरी झिल्ली युक्त कोशिकांग पाए जाते हैं।
प्रोकेरियोटिक कोशिका | यूकेरियोटिक कोशिका |
1. ये अर्द्ध विकसित होती है। | ये अधिक विकसित होती है। |
2. इनमें वास्तविक केन्द्र नहीं पाया जाता है। केन्द्रक को केन्द्रकाय (Nucleoid) कहते हैं। DNA का सूत्र ही गुणसूत्र के रूप में पड़ा रहता है। गुणसूत्र में हिस्टोन प्रोटीन नहीं पाई जाती है। केन्द्रक के चारों ओर केन्द्रक झिल्ली भी नहीं पाई जाती है। | इनमें वास्तविक केन्द्र पाया जाता है। DNA व हिस्टोन प्रोटीन मिलकर वास्तविक गुणसूत्र बनाती है जो कि क्रोमेटिन के रूप में पाया जाता है। केन्द्रिक झिल्ली पाई जाती है। केन्द्रक में Nucleolus (न्यूक्लीयोलस) भी पाई जाती है। |
3. दोहरी झिल्ली युक्त कोशिकांग माइट्रोकॉन्ड्रिया, लवक, गॉल्जीकाय जाते हैं। न्यूक्लिअस आदि अनुपस्थित। जैसे : जीवाणु, नील हरित शैवाल(BGA), माइकोप्लाज्मा (PPLO)। | दोहरी झिल्ली युक्त कोशिकांग पाये जाते हैं। जैसे : सभी जन्त एवं पादप कोशिकाओं में पाई जाती है। |
4. इनमें राइबोसोम 70s प्रकार के पाए जाते हैं क्योंकि यह झिल्ली रहित कोशिकांग है। | इनमें राइबोसोम 80s प्रकार के पाये जाते हैं। |
5. श्वसन कोशिका कला द्वारा एवं प्रकाश संश्लेषण थायलेकॉइड नामक प्रकाश संश्लेषी पाटलिकाओं द्वारा। | श्वसन माइटोकॉन्ड्रिया द्वारा। प्रकाश संश्लेषण हरितलवक द्वारा। |
6. इनमें लैंगिक जनन नहीं होता है। | इनमें लैंगिक जनन होता है। |
कोशिका की संरचना/ कोशिका का चित्र
- संरचना की दृष्टि से कोशिका को दो प्रमुख भागों में बाँटा गया है –
1. कोशिका कला (Cell Membrane) –
- यह सबसे बाहर की तरफ चारों और सबसे पतली मुलायम व लचीली झिल्ली होती है, उसे कोशिका झिल्ली , प्लाज्मा झिल्ली या प्लाजमा मेम्ब्रेन कहते हैं।
- प्रत्येक कोशिका का बाह्यतम सजीव आवरण कोशिका कला या प्लाज्मा कला कहलाता है। यह प्रोटीन तथा लिपिड अणुओं से बनी त्रिस्तरीय आवरण से बनी है। दोनों तरफ प्रोटीन एवं बीच में लिपिड के अणु होते हैं।
- प्लाज्मा झिल्ली की रचना को दर्शाने वाला मान्य सिद्धाँत तरल मोजेक सिद्धांत सिंगर व निकोल्सन ने दिया था।
- यह चयनात्मक पारगम्य होती है।
- जंतु कोशिका में यह सीलिया, फ्लेजिला, माइक्रोभिलाई आदि के निर्माण में सहायक हैं।
- कोशिका कला के कार्य – 1. कोशिका को आकृति प्रदान करना तथा 2. कोशिकाओं की सुरक्षा करना।
नोट – कोशिका भित्ति – पादप कोशिका में कोशिका कला के बाहर एक सेल्यूलोज से बनी कठोर एवं मृत निर्जीव आवरण जिसे कोशिका भित्ति (Cell Wall) कहते हैं। यह सभी पादप कोशिकाओं का मुख्य गुण है। यह कोशिका भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है, जो एक जटिल पदार्थ है कोशिकाओं को संरचनात्मक दृढ़ता देता है कोशिका भित्ति की उपस्थिति के कारण ही कवकों (Fungi) को पादप जगत में रखते हैं एवं पैरामिशियम जिसमें cell wall (कोशिका भित्ति) अनुपस्थित होती है जन्तु जगत में रखते हैं।
2. जीवद्रव्य (Protoplasm) – कोशिका में कोशिका कला के अन्दर पाया जाने वाला सम्पूर्ण पदार्थ जीवद्रव्य कहलाता है। इसमें अनेक अकार्बनिक पदार्थ ( लवण, खनिज, जल) तथा कार्बनिक पदार्थ कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा पाई जाती है। इसके दो भाग होते हैं- कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) तथा केन्द्रक (Nucleus)
I. कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) – कोशिका कला तथा केन्द्रक कला के मध्य उपस्थित सम्पूर्ण पदार्थ कोशिका द्रव्य कहलाता है। इसमें उपस्थित सजीव रचनाओं को कोशिकांग कहते हैं तथा निर्जीव वस्तुओं को सम्पूर्ण रूप से मेटाप्लास्ट कहते हैं।
A. कोशिकांग (Cytoparts) – कोशिकाद्रव्य में उपस्थित सजीव पदार्थ-
1. माइटोकॉन्ड्रिया –
- माइटोकॉन्ड्रिया शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्द Mitos यानि धागा तथा Chondrion कण से बना है ।
- कोलीकर द्वारा पहली बार कीटों की रेखित माँसपेशियों में देखा गया तथा माइटोकॉन्ड्रिया शब्द सी. बेंड़ा द्वारा दिया गया।
- यह दोहरी इकाई कला से घिरा कोशिकांग है। इसकी आन्तरिक झिल्ली अंगुली समान उभार बनाती है जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं। अन्दर के भाग को मेट्रिक्स कहते हैं। क्रिस्टी पर F1 कण पाए जाते हैं। इसमें क्रेब्स चक्र सम्पन्न होता है जिसमें Electron Transport System के द्वारा ATP ऊर्जा का निर्माण होता है। इसलिए इसे कोशिका का शक्ति ग्रह कहते हैं। यहाँ कोशिका श्वसन की क्रिया होती है, जिसमें भोजन के ऑक्सीकरण से उत्पन्न होती है जिन कोशिकाओं में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है इनमें माइटोकॉन्ड्रिया की संख्या अधिक होती है।
- माइटोकॉन्ड्रिया तथा हरितलवक में स्वयं का DNA तथा 70S प्रकार के राइबोसोम पाए जाते हैं अतः इन्हें अर्द्धस्वायत्त शासी अंग भी कहते हैं।
2. गॉल्जीकाय –
- यह इकाई कला से घिरा कोशिकांग है।
- पादप कोशिका में यह मुडी हुई छड़ के समान प्रतीत होता है, जिन्हें डिक्टियोसोम कहते है।
- खोज 1898 में गोल्जी नामक वैज्ञानिक ने की।
- केन्द्रक के पास चपटी नलिकाओं से बनी संरचना है।
- इसका प्रमुख कार्य स्त्रवण एवं पादप कोशिका में Cell प्लेटों का निर्माण करना हैं।
- इसका प्रमुख कार्य स्त्रावण में होता है।
- इसके अतिरिक्त यह प्रोटीन व वसा का रूपांतरण भी करते हैं।
- मानव के शुक्राणुओं में एक्रोसोम का निर्माण भी करते हैं।
3. लाइसोसोम –
- यह एकल इकाई कला से बनी थैलीनुमा संरचना है।
- इनका निर्माण गॉल्जीकाय से होता है।
- इसकी खोज 1949 में डुबे ने की थी। इन्हें आत्मघाती थैलियाँ (Sucide Vassles) भी कहते हैं क्योंकि इसमें अन्तः कोशिकीय पाचन के विघटनकारी एन्जाइम पाए जाते हैं।
- यह शरीर की क्षतिग्रस्त एवं मृत कोशिकाओं का विघटन भी करता है। यह इसका प्रमुख कार्य है।
- लाइसोसोम की अधिक मात्रा मोनोसाइटस व न्यूट्रोफिल्स जैसे भक्षण कोशिका में होती है।
4. लवक (Plast) : यह कोशिकांग केवल पादप कोशिकाओं में पाया जाता है। यह द्विझिल्ली युक्त कोशिकांग है, इसके भीतर भी वृत्ताकार D.N.A व 70S राइबोसोम पाए जाते है, इस कारण इसे भी कोशिका में कोशिका व अर्द्धस्वायत कोशिकांग कहते हैं।
प्लास्टिड के प्रकार –
1. अवर्णी लवक (Leuco Plast) – ये रंगहीन/अवर्णी होते हैं और भोजन संग्रह में कार्य करते हैं।
2. वर्णी लवक (Chromoplast) – केरोटिनोइड वर्णकों के कारण विभिन्न रंग दर्शाते हैं। ( फलों व पुष्पों को रंग प्रदान करते हैं।)
3. हरित लवक (Chloroplast) – हरे रंग के होते है, ये प्रकाश संश्लेषण में कार्य करते है। हरा रंग पर्णहरित (क्लोरोफिल) के कारण होता है।
- लाल नारंगी रंग में कैरोटीन पाया जाता है।
- पीले रंग में जैन्थोफिल पाया जाता है।
- टमाटर में लाइकोपीन वर्णक होता है।
- चुकन्दर में बिटेनिन वर्णक होता है।
- हरितलवक पौधों की पत्तियों तथा तनों की सभी कोशिकाओं में पाया जाता है।
- हरितलवक पादपों की जड़ों की कोशिका में अनुपस्थित होता है।
- हरितलवक में Mg (मैग्नीशियम) पाया जाता है।
- हरितलवक में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है।
- हरितलवक का प्रमुख कार्य भोजन का निर्माण करना है।
- प्रकाश संश्लेषण (Photo Synthesis) : यह क्रिया सभी पादपों में उपस्थित क्लोरोप्लास्ट नामक कोशिकांग में उपस्थित क्लोरोफिल वर्णक के कारण होती है।
- प्रकाश संश्लेषण में प्रकाश ऊर्जा की सहायता से अकार्बनिक पदार्थ़ों से कार्बनिक पदार्थ़ों का निर्माण होता है।
- अकार्बनिक पदार्थ CO2 एवं जल (H2O) जो की प्रकाश संश्लेषण में अभिकारक पदार्थ है।
- प्रकाश संश्लेषण का उत्पाद पदार्थ कार्बनिक पदार्थ ग्लूकोज बनता है ।
- इस प्रक्रिया में O2 व जल सहायक उत्पाद के रूप में निष्कासित होता है।
5. अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (ER) :
- यह कोशिका में केन्द्रक तथा कोशिका कला के बीच नलिकाओं के जाल के रूप में पाई जाती है।
- इसका नामकरण 1948 में पोर्टर द्वारा किया गया था। यह दो प्रकार की होती है-
(i) कणिकामय अन्तःप्रद्रव्यी जालिका/खुरदरी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (RER- Rouugh Endoplasmic Reticulum) – इसकी बाहरी सतह पर राइबोसोम पाये जाते हैं। जिनका कार्य प्रोटीन संश्लेषण का होता है। इसका प्रमुख कार्य प्रोटीन संश्लेषण करना है।
(ii) चिकनी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (Smooth Endoplasmic Reticulum) – इसकी बाहरी सतह पर राइबोसोम नहीं पाए जाते हैं। इसका प्रमुख कार्य वसा तथा स्टीरॉयड का निर्माण करना है।
नोट – अन्तःप्रद्रव्यी नलिकाओं द्वारा कोशिका में प्रोटीन, खनिज लवण, एन्जाइम, शर्करा एवं जल का परिवहन होता है।
6. तारककाय (Centrosome) –
- इसकी खोज वॉन बेण्डन ने की तथा सेन्ट्रोसोम नाम बावेरी ने दिया।
- यह रचना मुख्य रूप से जन्तु कोशिकाओं में पाई जाती है केवल कुछ पादप कोशिकाओं में ही पाई जाती है।
- यह केन्द्रक के पास तारे जैसी आकृति के रूप में पाई जाती है।
- खोज वॉन बेण्डन ने की तथा सेन्ट्रोसोम नाम बावेरी ने दिया।
- प्रमुख कार्य- जन्तु कोशिका में कोशिका विभाजन के समय तन्तुओं का निर्माण करता है।
- शुक्राणु की पूँछ का निर्माण भी करता है।
7. राइबोसोम : खोज क्लाडे ने तथा नामकरण पेलाडे ने किया। इसमें RNA पाया जाता है।
- यह कणिकामय अन्तःप्रद्रव्यी जालिका पर दाने के रूप में तथा कोशिका द्रव्य में स्वतंत्र रूप से पाई जाती है।
- इसे कोशिकांग के भीतर कोशिकांग भी कहते है, यह RNA और प्रोटीन से निर्मित होता है।
- RNA दो प्रकार का होता है- 1.) 70S 2.) 80S
- प्रमुख कार्य- प्रोटीन संश्लेषण होता है।
- इसे प्रोटीन का कारखाना तथा कोशिका का इन्जन भी कहते हैं।
रिक्तिका : रिक्तिका की झिल्ली को टोनोप्लास्ट कहते हैं।
• पादप कोशिकाओं में रिक्तिका का आकार बड़ा व जंतु कोशिका में रिक्तिका का आकार छोटा होता है।
• रिक्तिका के भीतर जल के अतिरिक्त अपशिष्ट पदार्थ, स्त्रावित पदार्थ इत्यादि का एकत्रण देखा जाता है। इसे कोशिका रस कहते हैं।
[B] केन्द्रक :
- खोज 1831 में रॉर्बट ब्राउन ने की थी।
- केन्द्रक झिल्ली युक्त संरचना होती है।
- केन्द्रक के भीतर आनुवांशिक पदार्थ D.N.A होता है, जो धागे रूपी संरचना क्रोमेटिन के भीतर व्यवस्थित रहता है।
- यह क्रोमेटिन विभाजन के दौरान गुणसूत्रों में रूपांतरित हो जाते हैं।
- जन्तुओं में R.B.C. एवं पादपों में चालनी नलिकाओं में केन्द्रक नहीं पाया जाता है।
- इसमें DNA तथा RNA पाए जाते हैं इसलिये केन्द्रक का आनुवांशिकी में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- केन्द्रक में एक से अधिक सूक्ष्म रचनाएँ, जिन्हें केन्द्रिका (Nucleolus) कहते हैं। इसकी खोज फोन्टाना ने की थी।
- केन्द्रिका राइबोसोम निर्माण में सहायक है।
- गुणसूत्रों का प्रमुख भाग DNA होता है।
- गुणसूत्रों पर जीन्स पाए जाते हैं जो गुणसूत्रों द्वारा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तान्तरित होते हैं इसलिए गुणसूत्रों को वंशानुगति का वाहक कहा जाता है।
जन्तु कोशिका एवं पादप कोशिका में अन्तर
क्र.सं. जन्तु कोशिका | पादप कोशिका |
1. इनमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती है। | इसमें कोशिका भित्ति पाई जाती है। |
2. इनमें रिक्तिकाएँ कम होती है। | इनमें रिक्तिका या रसधानी अधिक पाई जाती है। |
3. इनमें लवक अनुपस्थित होते हैं। | लवक पाए जाते हैं। |
4. तारककाय उपस्थित होते हैं। | सामान्यतया तारककाय अनुपस्थित। |
5. लाइसोसोम पाए जाते हैं। | लाइसोसोम अनुपस्थित। |
6. इनमें संचित भोजन ग्लाइकोजन के रूप में पाया जाता है। | इनमें संचित भोजन मण्ड, स्टार्च के रूप में पाया जाता है। |
7. इनमें अन्त कोशिकीय पाचन के एन्जाइम लाइसोसोम में पाए जाते हैं | इनमें आवश्यक एन्जाइम रिक्तिका रसधानी में पाए जाते हैं। |
कोशिका विभाजन : 1855 ई. में सर्वप्रथम विर्चो महोदय ने स्पष्ट किया कि नवीन कोशिकाओं का जन्म पहले से विद्यमान कोशिकाओं से होता है।
• कोशिका विभाजन का प्रमुख कार्य एक कोशिका से अनेक संतति कोशिकाओं को जन्म देना होता है।
• ये कोशिकाएँ मानव तथा अन्य प्राणियों में शारीरिक वृद्धि, क्षतिग्रस्त ऊतकों के पुनरूत्पादन, नवीन अंगों की वृद्धि एवं लैंगिक-अलैंगिक जनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
• इस घटना में पहले गुणसूत्र में पाए जाने वाले DNA का द्विगुणन (Replication) होता है तथा बाद में कोशिका द्रव्य का विभाजन होता है। यह तीन प्रकार का होता है-
1. समसूत्री विभाजन : यह विभाजन शरीर की कायिक कोशिकाओं में देखा जाता है।
अपवाद – मानव में मस्तिष्क के न्यूरॉन्स व हृदय की कोशिकाएँ विभाजन नहीं दर्शाती है।
• समसूत्री विभाजन की प्रक्रिया में विभाजन के दौरान गुणसूत्रों की संख्या समान रहती है। इस कारण इसे समसूत्री विभाजन कहा जाता है।
• इसके अतिरिक्त विभाजित कोशिकाएँ एक दूसरे के समान होती है, अर्थात् इनमें कोई परिवर्तन नहीं देखा जाता है।
समसूत्री विभाजन की अवस्थाएँ-
1. प्रोफेज 2. मेटाफेज 3. एनाफेज 4. टीलोफेज
• सबसे लम्बी अवस्था प्रोफेज।
• सबसे छोटी अवस्था एनाफेज।
• गुण्सूत्रों के आकार व संरचना के अध्ययन हेतु प्रयुक्त अवस्था मेटाफेज।
• टीलोफेज में केन्द्रक झिल्ली या केन्द्रक का पुन: निर्माण हो जाता है।
• समसूत्री विभाजन का महत्त्व : वृद्धि, विकास व मरम्मत के लिए समसूत्री विभाजन आवश्यक है।
• अलैंगिक जनन- विशेषकर एककोशिकीय जीवों में माइटोसिस ही जनन का साधन है।
• आनुवांशिक स्थायित्व पुत्री कोशिकाएँ हुबहु जनक की नकल होती है।
2. अर्द्धसूत्री विभाजन : यह लैंगिक जनन कोशिकाओं में पाया जाता है।
• सर्वप्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन की खोज वीजमैन नामक वैज्ञानिक ने की थी, नामकरण फॉर्मर व मूरे ने किया।
• यह विभाजन जनन कोशिकाओं में युगमक निर्माण हेतु देखा जाता है। (शुक्राणु व अण्डाणु के निर्माण हेतु)
• इस विभाजन में गुणसूत्रों की संख्या आधी हो जाती है। इस कारण इसे अर्द्धसूत्री विभाजन कहते है।
• विभाजन के द्वारा निर्मित युग्मक आनुवांशिक रूप से भिन्न होते हैं, इसका कारण जीन विनिमय होता है।
नोट– एक पूर्ण अर्द्धसूत्री विभाजन में चार नर शुक्राणुओं का निर्माण होता हैं, जबकि महिलाओं में एक ही अण्डाणु का निर्माण होता है।
• अर्द्धसूत्री कोशिका विभाजन में दो विभाजन होते हैं। प्रथम विभाजन को विषमरूपी विभाजन या हृास विभाजन तथा दूसरे विभाजन को समरूप विभाजन कहते हैं।
• दो सम्पूर्ण अर्द्धसूत्री विभाजन के मध्य विश्राम अवस्था होती है।
(i) प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन (मिओसिस प्रथम)/ विषमरूपी विभाजन : इसमें गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। इसे न्यूनकारी विभाजन भी कहते हैं। इसमें गुणसूत्रों के मध्य क्रोसिंग ऑवर की प्रक्रिया होती है जिसे जीन विनिमय कहते हैं।
• प्रोफेज-I : ये कोशिका विभाजन की सबसे बड़ी अवस्था होती है इसमें पाँच उपअवस्थाएँ पाई जाती है।
1. लेप्टोटीन – यह छोटी अवस्था है, इसमें गुण्सूत्र लम्बे व पतले हो जाते हैं, जिसे क्रोमोनिमेटा कहते हैं।
2. जाइगोटीन – इसमें समजात गुणसूत्र जोड़े के रूप में व्यवस्थित हो जाते है।
3. पेकाइटीन – जीन विनिमय (क्रोसिंग ओवर) पेकाइटीन अवस्था में देखी जाती है।
4. डीप्लोटीन – इनमें काज्मेटा का निर्माण होता है।
5. डाइकाइनेसिस – केन्द्रक कला और केन्द्रिका लुप्त हो जाती है।
• टीलोफेज – I : ये मिओसिस प्रथम की अन्त्यावस्था है, जिसमें गुणसूत्र के क्रोमेटिड L तथा V आकार में व्यवस्थित हो जाते है।
• इसमें एक द्विगुणित जनक कोशिका से दो अगुणित पुत्री कोशिकाएँ बनती हैं जिनमें गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका की आधी हो जाती है।
(ii) द्वितीय अर्द्धसूत्री विभाजन (मिओसिस द्वितीय)/ समरूप विभाजन : यह समसूत्री विभाजन के समान ही होता है।
• द्वितीय अर्द्धसूत्री विभाजन में चार अवस्थाएँ पाई जाती है। 1. प्रोफेज-II 2. मेटाफेज-II 3. ऐनाफेज-II 4. टीलोफेज-II
जिसके बाद 4 पुत्री कोशिकाओं का निर्माण होता है। जिनमें गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका से आधी होती है तथा क्रांसिग ऑवर प्रक्रिया (जीन विनिमय से) चारों संतति कोशिकाओं के लक्षण एक दूसरे तथा जनक कोशिका से भिन्न होते हैं।
अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्त्व :
1. इस विभाजन के कारण ही पीढ़ी दर पीढ़ी जीवों की कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या समान बनी रहती है।
2. इस विभाजन के द्वारा जीवों में नए गुण पैदा होने की संभावना होती है।
3. यह विभाजन जैव विकास में सहायता करता है।
माइटोसिस एवं मिओसिस में अन्तर :
माइटोसिस (समसूत्री विभाजन) | मिओसिस (अर्द्धसूत्री विभाजन) |
1. यह शरीर की कायिक कोशिकाओं में ही होता है। | यह लैंगिक कोशिका में होता है। |
2. संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या पैतृक (जनक) कोशिका के समान रहती है। | इसमें संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका से आधी रह जाती है। |
3. गुणसूत्रों के मध्य आनुवंशिक पदार्थ़ों का आदान प्रदान नहीं होता है। | जीन विनिमय की क्रिया होती है जिससे संतति कोशिका के गुणसूत्र जनकों के गुणसूत्र से भिन्न होते हैं। |
4. आनुवांशिक विविधता नहीं आती है। | संतति में आनुवांशिक विविधता आती है। |
5. एक जनक से दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं। | एक जनक से चार संतति कोशिकाएँ बनती हैं। |
3. असूत्री विभाजन (Amitosis) : यह अविकसित कोशिकाओं जैसे- जीवाणु, नील हरित शैवाल (Blue Green Alage), यीस्ट कोशिका, अमीबा तथा प्रोटोजोआ में पाया जाता है।
• इस विभाजन में पहले केन्द्रक विभाजित होता है , फिर कोशिका द्रव्य/अन्त में दो कोशिकाएँ बन जाती है।
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महत्वपूर्ण प्रश्न
Q.1
कोशिका भित्ति पाई जाती है-
1
केवल जन्तु कोशिका में
2
केवल पादप कोशिका में
3
जन्तु एवं पादप कोशिका दोनों में
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution
- पादप कोशिका में कोशिका भित्ति पाई जाती है, जो सेल्यूलोज से बनी होती है।
- पादप कोशिका में लवक उपस्थित होते हैं।
- पादप कोशिका में रिक्तिका बड़े आकार की व केन्द्र में उपस्थित होती है।
- पादप कोशिका में तारककाय अनुपस्थित होते हैं।
Q.2
निम्नलिखित में से प्रौकेरियोटिक कोशिका की विशेषता है-
1
सुविकसित कोशिकांगों का अभाव
2
सुविकसित केन्द्रक का अभाव
3
80 S प्रकार के राइबोसोम उपस्थित
4
a व b दोनों
Solution
- प्रौकेरियोटिक कोशिका में 70 S प्रकार के राइबोसोम पाए जाते हैं।
- इसमें वृत्ताकार DNA पाए जाते हैं, जिसे प्लाज्मिड कहते हैं।
Q.3
कोशिका सिद्धांत दिया था-
1
वाटसन व क्रिक
2
हॉपकिंस व फंक
3
श्लाइडेन व श्वान
4
विर्चो व फंक
Solution
- 1838 ई. में श्लाइडेन व श्वान ने कोशिका सिद्धांत दिया था।
- कोशिका सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक जीव कोशिकाओं से मिलकर बना होता है तथा जीवों के शरीर की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई कोशिका होती है।
- वर्ष 1855 में रुडोल्फ विर्चो ने बताया कि नई कोशिकाओं की उत्पत्ति पूर्ववर्ती कोशिकाओं से होती है। (Omnis Cellula e cell)
Q.4
मृत कोशिका की खोज किसने की थी?
1
ल्यूवेन हॉक
2
रॉबर्ट ब्राउन
3
रॉबर्ट हुक
4
केमिली गॉल्जी
Solution
- रॉबर्ट हुक ने वर्ष 1665 में सर्वप्रथम कॉर्क के टुकड़ों में कोशिका को देखा था।
- हुक द्वारा देखी बक्सेनुमा (छोटा कक्ष) संरचनाएँ वास्तव में मृत थी।
- ल्यूवेन हॉक ने सर्वप्रथम जीवित कोशिका, RBC, बैक्टीरिया तथा शुक्राणुओं को देखा था।
Q.5
रॉबर्ट ब्राउन ने केन्द्रक की खोज की-
1
आर्किड की जड़ों में
2
डहेलिया की जड़ों में
3
पाइनस की पत्तियों में
4
साइकस की पत्तियों में
Solution
- रॉबर्ट ब्राउन ने आर्किड की जड़ों में केन्द्रक की खोज की।
- आर्किड पौधों का एक कुल है, जिसके सदस्यों में पुष्प अत्यन्त सुन्दर और सुगन्ध युक्त होते हैं।
Q.6
किस वैज्ञानिक ने बताया कि नई कोशिकाओं की उत्पत्ति पूर्ववती कोशिकाओं से होती है?
1
श्वान
2
हुक
3
ब्राऊन
4
रूडोल्फ विर्चो
Solution
- वर्ष 1855 में रूडोल्फ विर्चो ने बताया कि नई कोशिकाओं की उत्पत्ति पूर्ववर्ती कोशिकाओं से होती है। (Omnis Cellula e Cellula)
Q.1
पेप्टिडोग्लाइकेन से बनी कोशिका भित्ति पाई जाती है-
1
पादप कोशिका में
2
कवकों में
3
जीवाणुओं में
4
उपर्युक्त सभी
Solution
- पेप्टिडोग्लाइकेन से बनी कोशिका भित्ति जीवाणुओं में पाई जाती है।
- कवकों की कोशिका भित्ति काइटिन से बनी होती है।
Q.2
जन्तु कोशिका में उपस्थित कोशिका झिल्ली होती है-
1
चयनात्मक पारगम्य
2
अर्द्ध पारगम्य
3
अपारगम्य
4
उपर्युक्त सभी
Solution
- जन्तु कोशिका में उपस्थित कोशिका झिल्ली चयनात्मक पारगम्य झिल्ली होती, है जो कुछ पदार्थों का आवागमन करती है।
- कोशिका झिल्ली कोशिका को यांत्रिक सहारा देती है।
Q.3
फ्लूड मोजेक मॉडल किसने प्रस्तुत किया था?
1
सिंगर व निकोल्सन
2
वॉटसन व क्रिक
3
श्वान व श्लाइडेन
4
फंक व हॉपकिंस
Solution
- कोशिका झिल्ली की संरचना को समझाने के लिए सिंगर व निकोल्सन ने फ्लूड मोजेक मॉडल प्रस्तुत किया था।
- इस मॉडल के अनुसार कोशिका झिल्ली में वसा की दोहरी परत पायी जाती है, जिसमें प्रोटीन पाए जाते हैं।
Q.4
Ca तथा mg के पेक्टेट लवणों से बना कोशिका भित्ति का संस्तर है-
1
प्राथमिक
2
द्वितीयक
3
मध्य
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution
- कोशिका भित्ति का मध्य स्तर Ca तथा mg के पेक्टेट लवणों से बना होता है।
- यह दो कोशिकाओं के बीच पाया जाता है, जो कोशिका सीमेन्ट के रूप में कार्य करते हुए दो कोशिकाओं को आपस में जोड़े रखता है।
Q.5
प्राथमिक संस्तर बना होता है-
1
लिग्निन
2
सुबेरिन
3
सेल्यूलोज
4
उपर्युक्त सभी
Solution
- पादप कोशिका भित्ति का निर्माण तीन संस्तरों से बना होता है, जिसमें प्राथमिक संस्तर सेल्यूलोज से बना होता है।
- प्राथमिक संस्तर में वसा, प्रोटीन तथा हेमी सेल्यूलोज भी पाया जाता है।
Q.1
निम्नलिखित में से कौन-सा असत्य कथन है?
1
आपतित प्रकाश किरण, अभिलम्ब तथा अपवर्तित प्रकाश किरण तीनों एक ही तल में होते हैं।
2
जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो ये अभिलम्ब की ओर झुक जाती है।
3
माध्यम का अपवर्तनांक इसकी सघनता को दर्शाता है।
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution
- जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो ये अभिलम्ब से दूर हट जाती है। (विरल – सघन जाने पर वह अभिलम्ब की ओर झुकती है।)
- माध्यम का अपवर्तनांक इसकी सघनता को दर्शाता है, जिस माध्यम का अपवर्तनांक अधिक हो, वह माध्यम उतना ही सघन होता है।
Q.2
कोशिका का शक्तिगृह कहा जाता है-
1
गॉल्जीकाय
2
लवक
3
माइट्रोकॉन्ड्रिया
4
राइबोसोम
Solution
- कोशिका का शक्तिगृह माइट्रोकॉन्ड्रिया को कहा जाता है।माइट्रोकॉन्ड्रिया एक अर्ध स्वायत्त कोशिकांग है, क्योंकि इसमें स्वयं का वृत्ताकार DNA, 70S राइबोसोम तथा RNA भी पाया जाता है।
- क्रोमियम (Cr) एक लघुपोषक तत्व है,जो इंसुलिन हॉर्मोन्स के नियमन में सहायक है।
Q.3
F1 कण पाए जाते हैं-
1
राइबोसोम में
2
गॉल्जीकाय में
3
तारककाय में
4
माइटोकॉन्ड्रिया में
Solution
- माइटोकॉन्ड्रिया में क्रिस्टी पर F1कण पाए जाते हैं तथा इन्हीं कणों पर ETS चलता है।
Q.4
निम्नलिखित में से किस वैज्ञानिक ने माइटोकॉन्ड्रिया को बायोप्लास्ट कहा?
1
फ्लेमिंग
2
ऑल्टमान
3
बेंडा
4
कॉलिकर
Solution
- ऑल्टमान ने माइटोकॉन्ड्रिया को बायोप्लास्ट कहा।
- सी.बेंडा ने माइटोकॉन्ड्रिया कहा।
Q.5
कॉलिकर ने सूत्रकणिका को किसकी पेशियों में इन्हें देखा?
1
मनुष्य की
2
कीटों की
3
उभयचरों
4
निमेटोड
Solution
- कॉलिकर ने सर्वप्रथम सूत्रकणिका को कीटों की पेशियों में देखा तथा सार्कोसोम कहा।
Q.1
अर्धसूत्री विभाजन पाया जाता है-
1
कायिक कोशिका में
2
जनन कोशिका में
3
कायिक व जनन कोशिका दोनों में
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution
- अर्धसूत्री विभाजन जनन कोशिकाओं में पाया जाता है।
- इस विभाजन के अंत में चार अगुणित पुत्री कोशिकाएँ उत्पन्न होती है।
Q.2
समसूत्री विभाजन के संदर्भ में सत्य कथन है-
1
यह कायिक कोशिकाओं में पाया जाता है।
2
यह जीवों में वृद्धि, विकास, नष्ट हो चुके अंगों के पुनर्निर्माण में सहायक है।
3
मस्टर्ड गैस एक समसूत्री विष है।
4
उपर्युक्त सभी
Solution
- समसूत्री विभाजन से निर्मित कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका के समान ही होती है।
Q.3
सबसे लम्बी एवं जटिल अवस्था है-
1
मेटाफेज – I
2
एनाफेज – I
3
प्रोफेज – I
4
टीलोफेज – I
Solution
- प्रोफेज I सबसे लम्बी एवं जटिल अवस्था है।
- इस अवस्था में समजात गुणसूत्र आपस में कुछ खण्डों का आदान-प्रदान कर नए लक्षणों के विकास में सहायता करते हैं।
Q.4
मिऑसिस शब्द दिया था-
1
फार्मर एवं मूर्रे
2
स्ट्रोसबर्गर
3
वॉन बेण्डन
4
फ्लेमिंग
Solution
- मिऑसिस शब्द फार्मर एवं मूर्रे ने दिया था।
- स्ट्रॉसबर्गर, वॉन वेण्डन, विनिवार्टर एवं फ्लेमिंग ने अर्धसूत्री विभाजन का विस्तृत अध्ययन किया था।
- अर्धसूत्री विभाजन जनन कोशिकाओं में पाया जाता है।
- इस विभाजन के अंत में चार अगुणित पुत्री कोशिकाएँ उत्पन्न होती है।
Q.5
निम्नलिखित में से कौन-सा समसूत्री विष मेटाफेज अवस्था में तर्कु निर्माण को रोक देता है?
1
कॉल्चीसिन
2
मस्टर्ड गैस
3
एजाइड्स
4
सायनाइड्स
Solution
- कॉल्चीसिन समसूत्री विष मेटाफेज अवस्था में तर्कु निर्माण को रोक देता है।
- एजाइड्स व सायनाइड्स प्रोफेज अवस्था में विभाजन को रोक देता है।
- मस्टर्ड गैस गुणसूत्रों को आपस में चिपका देती है।
Q.1
गॉल्जीकाय का अन्य नाम नहीं है-
1
बेकर्स बॉडी
2
लाइपोकॉन्ड्रिया
3
डाल्टन कॉम्प्लेक्स
4
लयनकाय
Solution
- गॉल्जीकाय के अन्य नाम बेकर्स बॉडी, लाइपोकॉन्ड्रिया ,डाल्टन कॉम्प्लेक्स हैं।
- लाइसोसोम को लयनकाय कहते हैं।
Q.2
70S राइबोसोम की दो उपइकाइयाँ हैं-
1
30S + 50S
2
30S + 40S
3
40S + 60S
4
50S + 60S
Solution
- राइबोसोम के दो मुख्य प्रकार हैं –
1) 70S राइबोसोम – इसकी दो उप इकाइयाँ 30S + 50S
2) 80S राइबोसोम – इसकी दो उप इकाइयाँ 40S + 60S
Q.3
कोशिका में मृत/उत्सर्जी पदार्थ का पाचन निम्न में से कौन करता है?
1
राइबोसोम
2
लाइसोसोम
3
गॉल्जीकाय
4
अंत: प्रदृव्यी जालिका
Solution
कोशिका में मृत/उत्सर्जी पदार्थ का पाचन, जीवनकाल पूरा हो जाने पर सम्पूर्ण कोशिका का पाचन लाइसोसोम करते हैं।
Q.4
निम्नलिखित में से सत्य कथन नहीं है-
1
एक कोशिका में एक केन्द्रक पाया जाता है।
2
परिपक्व RBC में केन्द्रक उपस्थित होता है।
3
केन्द्रक सामान्यत: गोलाकार या अण्डाकार होता है।
4
WBC में केन्द्रक पालियों में बँटा रहता है।
Solution
परिपक्व RBC में केन्द्रक अनुपस्थित रहता है। रेखित पेशियों, अस्थिमज्जा कुछ शैवालों एव कवक में बहुकेन्द्रकीय अवस्था पाई जाती हैं।
Q.5
अंत: प्रदव्यी जालिका के खोजकर्ता है –
1
पोर्टर
2
पैलाडे
3
क्रिश्चयन डी ड्यूवे
4
नोविकॉफ
Solution
- अत: प्रदव्यी जालिका के खोजकर्ता पोर्टर हैं।
- यह दो प्रकार की होती है-
- खुरदरी अंत: प्रदव्यी जालिका
- चिकनी अंत: प्रदव्यी जालिका
- खुरदरी अंत: प्रदव्यी जालिका पर राइबोसोम जुड़े होते हैं।
- खुरदरी E.R. पर प्रोटीन-संश्लेषण की क्रिया होती है।
- चिकनी E.R. वसा के संश्लेषण का कार्य करती है।
- चिकनी अंत: प्रदव्यी जालिका पर राइबोसोम अनुपस्थित होते है, जिस कारण ये समतल/चिकनी दिखाई देती हैं।
Q.6
आत्मघाती थैली किसे कहते हैं?
1
लाइसोसोम
2
राइबोसोम
3
गॉल्जीकाय
4
अंत: प्रदव्यी जालिका
Solution
- कोशिका का जीवनकाल पूरा हो जाने पर सम्पूर्ण कोशिका का पाचन करने हेतु ये लाइसोसोम फट जाते हैं, जिससे पूरी कोशिका का ही पाचन हो जाता है इसलिए इन्हें कोशिका की आत्मघाती थैलियाँ कहते हैं।
- गॉल्जीकाय के अन्य नाम बेकर्स बॉडी, लाइपोकॉन्ड्रिया, डाल्टन कॉम्प्लेक्स हैं।
- लाइसोसोम को लयनकाय कहते हैं।
Q.1
तारककाय, कोशिका विभाजन के दौरान कितने सेंट्रियोल्स में बँट जाता है?
1
2
2
3
3
4
4
5
Solution
- तारककाय, कोशिका विभाजन के दौरान 2 सेंट्रियोल्स में बँट जाता है तथा कोशिका में विपरीत ध्रुवों पर पहुँच कर तर्कु का निर्माण करता है।
Q.2
तारककाय पाए जाते हैं –
1
पादप कोशिका में
2
जन्तु कोशिका में
3
पादप एवं जंतु कोशिका में
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution
- तारककाय जन्तु कोशिकाओं में पाए जाते हैं। पादप कोशिका में कोशिका विभाजन के दौरान तर्कु निर्माण MTOC के द्वारा किया जाता है।
Q.3
निम्नलिखित में से सत्य कथन नहीं हैं-
1
पक्ष्माभ आकार में छोटे होते हैं।
2
कशाभ आकार में बड़े होते हैं।
3
पक्ष्माभ संख्या में अधिक नहीं होते हैं।
4
कशाभ संख्या में कम होते हैं।
Solution
- पक्ष्माभ आकार में छोटे लेकिन संख्या में अधिक होते हैं।
Q.4
कार्य के आधार पर निम्न में से कौन-सी रिक्तिका नहीं हैं?
1
तरल रसधानी
2
अवायवीय रसधानी
3
खाद्य रसधानी
4
संकुचनशील रसधानी
Solution
- वायु रसधानी – वायु से भरी रिक्तिका, जो कि प्रौकेरियोटिक कोशिका को उत्प्लावन प्रदान करती है।
Q.5
तारककाय कोशिका में उपस्थित होते हैं –
1
कोशिका में किनारों पर
2
केन्द्रक के अन्दर
3
केन्द्रक के पास
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution
- तारककाय कोशिका में केन्द्रक के पास स्थित होते हैं तथा सूक्ष्म नलिकाओं से मिलकर बनी संरचनाएँ हैं, जो ट्यूब्यूलीन नामक प्रोटीन से बनी होती हैं।
- तारककाय, कोशिका विभाजन के दौरान 2 सेंट्रियोल्स में बँट जाता हैं तथा कोशिका में विपरीत ध्रुवों पर पहुँच कर तर्कु का निर्माण करता है।
- तारककाय जन्तु कोशिकाओं में पाए जाते हैं।
- पादप कोशिका में कोशिका विभाजन के दौरान तर्कु निर्माण MTOC के द्वारा किया जाता है।
Q.6
रिक्तिकाओं के बारे में विस्तृत वर्णन किसने किया?
1
ल्यूबेनहॉक
2
स्प्लेन्जॉनी
3
वॉन वेण्डन
4
बोवेरी
Solution
- ल्यूवेनहॉक ने इन्हें सर्वप्रथम देखा, जबकि स्प्लेन्जॉनी ने इनका विस्तृत वर्णन किया।
- वायु रसधानी – वायु से भरी रिक्तिका, जो कि प्रौकेरियोटिक कोशिका को उत्प्लावन प्रदान करती है।
Q.1
केन्द्रिका की खोज किसने की?
1
फोण्टाना
2
वैगनर
3
हुक
4
ब्राउन
Solution
- केन्द्रिका की खोज फोण्टाना ने।
- केन्द्रिका वर्णन – वैगनर ने
- केन्द्रिका का नामकरण – बौमेन ने किया।
Q.2
निम्नलिखित में से सत्य कथन नहीं है-
1
एक कोशिका में एक केन्द्रक पाया जाता है।
2
परिपक्व RBC में केन्द्रक उपस्थित होता है।
3
केन्द्रक सामान्यत: गोलाकार या अण्डाकार होता है।
4
WBC में केन्द्रक पालियों में बँटा रहता है।
Solution
परिपक्व RBC में केन्द्रक अनुपस्थित रहता है। रेखित पेशियों, अस्थिमज्जा कुछ शैवालों एव कवक में बहुकेन्द्रकीय अवस्था पाई जाती हैं।
Q.3
क्रोमेटिन बनी होती है –
1
प्रोटीन व डी एन ए की
2
वसा व डी एन ए की
3
प्रोटीन व आर एन ए की
4
वसा व आर एन ए की
Solution
क्रोमेटिन डी एन ए एवं प्रोटीन से बनी धागेनुमा संरचनाएँ हैं, जो कि अत्यधिक कुण्डलित अवस्था में पाई जाती हैं।
Q.4
WBC में केन्द्रक किस आकार में होता है?
1
गोलाकार
2
अण्डाकार
3
पालियों
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution
- केन्द्रक सामान्यतया गोलाकार या अण्डाकार होता है, जबकि WBC में सें पालियों में बँटा होता है।
Q.5
केन्द्रिका बनी होती है?
1
प्रोटीन व डी एन ए
2
प्रोटीन व आर एन ए
3
वसा व डी एन ए
4
वसा व आ एन ए
Solution
- केन्द्रिका मुख्य रूप से आर एन ए एवं प्रोटीन से बनी होती है।
- कोशिका विभाजन के प्रारम्भ में ये गायब हो जाती है, तथा विभाजन के अंत में पुन: दिखाई देती हैं।
- केन्द्रिका की खोज फोण्टाना ने की थी।
- केन्द्रिका का वर्णन वैगनर ने किया।
- केन्द्रिका का नामकरण बौमेन ने किया।
Q.6
यूकैरियोटिक कोशिका में केन्द्रक के चारों ओर कैसा आवरण होता है?
1
दोहरा आवरण
2
तिहरा आवरण
3
चार परतों का आवरण
4
पाँच परतों का आवरण
Q.1
“नई कोशिकाओं की उत्पत्ति पूर्ववर्ती कोशिकाओं से ही होती हैं” उक्त कथन है-
1
रुडोल्फ विर्चो
2
स्ट्रॉसबर्गर
3
वैगनर
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution
रुडोल्फ विर्चो ने सर्वप्रथम बताया की “नई कोशिकाओं की उत्पत्ति पूर्ववर्ती कोशिकाओं से ही होती हैं”।
Q.2
मानव में गुणसूत्रों की संख्या कितनी होती हैं?
1
23
2
46
3
22
4
44
Solution
मानव में कुल गुणसूत्र 46 होते हैं या 23 जोड़ी।
Q.3
अन्तरावस्था का भाग नहीं है-
1
G1 अवस्था
2
S अवस्था
3
M अवस्था
4
G2 अवस्था
Solution
Q.4
पोस्ट माइटोटिक अवस्था किसे कहते है?
1
G1 अवस्था
2
S अवस्था
3
M अवस्था
4
G2 अवस्था
Solution
- पोस्ट माइटोटिक अवस्था = G1 अवस्था
- संश्लेषण अवस्था = S अवस्था
- प्री माइटोटिक अवस्था = G2 अवस्था
- विभाजन अवस्था = M अवस्था
Q.5
अर्द्धसूत्री विभाजन में लैंगिक जनन करने वाले जीवों के युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या रह जाती है –
1
समान
2
दुगुनी
3
आधी
4
चौगुनी
Solution
- लैंगिक जनन करने वाले जीवों में इनके युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है, इसलिए ये जनन कोशिकाएँ अगुणित कोशिकाएँ होती है।
Q.6
कोशिका चक्र को सर्वप्रथम किसने परिभाषित किया?
1
रूडोल्फ विर्चो
2
स्ट्रॉस बर्गर
3
हॉर्वर्ड पेल्क
4
वैगनर
Solution
- हॉर्वर्ड पेल्क ने सर्वप्रथम कोशिका चक्र को परिभाषित करते हुए बताया कि, ”प्रत्येक कोशिका के जीवनकाल में 2 प्रमुख घटनाएँ होती हैं” –
- कोशिका विभाजन की तैयारी
- कोशिका विभाजन
उपर्युक्त दोनों परिघटनाओं को मिलाकर ही इसे कोशिका चक्र कहते हैं।
Q.1
किस अवस्था में डी एन ए का संश्लेषण होता हैं?
1
G1 अवस्था
2
S अवस्था
3
G2 अवस्था
4
M अवस्था
Solution
- इस अवस्था में डी एन ए का द्विगुणन/प्रतिकृतिकरण संश्लेषण होता हैं।
Q.2
कोशिकाओं में विभाजन कितने प्रकार के होते हैं?
1
2
2
3
3
4
4
5
Solution
- कोशिकाओं में विभाजन 3 प्रकार के होते हैं –
1) असूत्री विभाजन
2) समसूत्री विभाजन
3) अर्धसूत्री विभाजन
Q.3
इन्टरफेज अवस्था की उप अवस्था नहीं है-
1
G1 अवस्था
2
M अवस्था
3
G2 अवस्था
4
S अवस्था
Solution
- इन्टरफेज अवस्था की 3 उप अवस्था हैं-
- G1 अवस्था
- S अवस्था
- G2 अवस्था
Q.4
माइटोसिस शब्द किसने दिया?
1
स्ट्रॉस बर्गर
2
फ्लेमिंग
3
रुडोल्फ विर्चो
4
वैगनर
Solution
- माइटोसिस शब्द फ्लेमिंग ने दिया।
- स्ट्रॉसबर्गर ने पादप कोशिकाओं में माइटोसिस का अध्ययन किया था।
Q.5
कोशिका विभाजन की अवस्था का सही क्रम है?
1
G-1अवस्था, G-2अवस्था, S अवस्था, M, अवस्था
2
G-1अवस्था, G-2अवस्था, M अवस्था, S अवस्था
3
G-1अवस्था, S अवस्था, G-2 अवस्था, M, अवस्था
4
S अवस्था, G-1अवस्था, G-2 अवस्था, M, अवस्था
Solution
- कोशिका विभाजन की अवस्था का सही क्रम है- G-1अवस्था, S अवस्था, G-2 अवस्था, M, अवस्था
- पोस्ट माइटोटिक अवस्था = G1 अवस्था
संश्लेषण अवस्था = S अवस्था
प्री माइटोटिक अवस्था = G2 अवस्था
विभाजन अवस्था = M अवस्था
Q.6
कोशिका चक्र की सबसे लम्बी प्रावस्था कौन-सी है?
1
G1 अवस्था
2
S अवस्था
3
G2 अवस्था
4
M अवस्था
Solution
- पूरे कोशिका चक्र की सबसे लंबी प्रावस्था G1 अवस्था होती है, इसमें गहन कोशिकीय संश्लेषण होता हैं।
- इसमें γγ- RNA व M-RNA का निर्माण होता है।
Q.1
समसूत्री विभाजन में विभाजन अवस्था को कितनी उप अवस्थाओं में बाँटा गया हैं?
1
2
2
3
3
4
4
5
Solution
- समसूत्री विभाजन के दौरान विभाजन अवस्था को 4 उप अवस्थाओं में बाँटा गया हैं, जो निन्न हैं-
1) प्रोफेज
2) मेटाफेज
3) एनाफेज
4) टीलोफेज
Q.2
समसूत्री विभाजन की किस अवस्था में केन्द्रिका गायब हो जाती है?
1
प्रोफेज
2
मेटाफेज
3
एनाफेज
4
टीलोफेज
Solution
- प्रोफेज अवस्था में केन्द्रक झिल्ली गायब होने लगती है तथा केन्द्रिका गायब हो जाती है।
Q.3
किस अवस्था में गुणसूत्रों की आकृति का अध्ययन किया जाता है?
1
प्रोफेज
2
मेटाफेज
3
एनाफेज
4
टीलोफेज
Solution
- इस अवस्था में तर्कु तंतुओं में उत्पन्न खिंचाव से गुणसुत्र विपरीत ध्रुवों की ओर गति करते हैं, ये गति इस एनोफेजिक गति कहलाती है।
- इस अवस्था में गुणसूत्रों की आकृति(Shape) का अध्ययन किया जाता है।
Q.4
किस विभाजन में कोशिका द्रव्य का विभाजन होता है?
1
केरियोकाइनेसिस
2
साइटोकाइनेसिस
3
A व B दोनों में
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution
साइटोकाइनेसिस विभाजन में कोशिका द्रव्य में विभाजन हो कर 2 नई पुत्री कोशिकाएँ बनती हैं।
Q.5
किस अवस्था में गुणसूत्रों की आकारिकी का अध्ययन किया जाता है?
1
प्रोफेज
2
मेटाफेज
3
एनाफेज
4
टीलाफेज
Solution
मेटाफेज अवस्था में गुणसूत्रों की आकारिकी का अध्ययन किया जाता है।
Q.6
किस अवस्था को रिवर्स प्रोफेज कहते है?
1
प्रोफेज
2
एनाफेज
3
मेटाफेज
4
टीलोफेज
Solution
- टीलोफेज अवस्था को रिवर्स प्रोफेज भी कहते है जिसमें प्रोफेज की विपरीत क्रियाएँ देखी जाती है।
- मेटाफेज अवस्था में गुणसूत्रों की आकारिकी का अध्ययन किया जाता है।