कार्य ऊर्जा प्रमेय क्या है? What is work energy theorem claas 11 in hindi

इस लेख में हम कार्य ऊर्जा प्रमेय के बारे में पढेगे। कार्य ऊर्जा प्रमेय क्या है कैसे सिद्ध करे इत्यादि के बारे में जानेंगे । यह कक्षा 11 का महत्वपूर्ण टॉपिक है। What is work energy class 11 in hindi

कार्य ऊर्जा प्रमेय क्या है?

कार्य ऊर्जा प्रमेय (Work energy theorem in hindi) का सामान्य शब्दों में कुछ इस प्रकार है:-

“किसी वस्तु पर परिणामी बल लगाने पर, बल द्वारा किया गया कार्य उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है। यही कार्य ऊर्जा प्रमेय है।”

यदि किसी वस्तु पर परिणामी बल लगाने पर उसका वेग नियत रहता है तब वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन ∆K=0 अत वस्तु पर किया गया कार्य W भी शून्य होता है। यह प्रमेय अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे ही ‘ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत’ प्राप्त होता है।

Work Energy Theorem Calculation (Class 11)

(1) नियत बल के अन्तर्गत :-

माना एक वस्तु पर जिसका द्रव्यमान m है एक नियत बल F कार्य करता है। बल के कारण वस्तु में उत्पन्न त्वरण a है। तब बल

F = ma ……… समी.(1)

अब माना वस्तु का समय t = 0 पर वेग u तथा समय t पर वेग v हो तो t समय में तय की गई दूरी s के लिए

गति के तृतीय नियम से :-

v2 = u2 + 2as

S = (v2 -u2) / 2a ……… समी.(2)

अत बल F द्वारा किया गया कार्य

W = Fs = ma {(v2 -u2) / 2a}

1/2 mv2 – 1/2 mu2

Kf -Ki = ∆K …….. समी.(3)

(2) परिवर्ती बल के अन्तर्गत :-

गतिज ऊर्जा K = 1/2 mv2

उपरोक्त समीकरण के दोनों पक्षों का t के सापेक्ष अवकलन करने पर

KARYA URJA PREMY DARIVATION

प्रारम्भिक स्थिति Xi पर गतिज ऊर्जा Ki तथा अंतिम स्थिति Xf गतिज ऊर्जा Kf की सीमाओं के मध्य समी. (4) का समकलन करने पर

KARYA URJA PREMY DARIVATION 2

समीकरण (3) व (5) से स्पष्ट है कि किसी वस्तु पर परिणामी बल लगाने पर बल द्वारा किया गया कार्य उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है। यही कार्य ऊर्जा प्रमेय(work energy theorem) है।

-> यदि वस्तु पर बहुत से बल F1, F2, F3…….Fn लग रहे हो तब उन सबसे परिणामी बल F द्वारा किया गया कार्य W इन पृथक पृथक बलों द्वारा किए गए कार्य के बीजगणितय योग के बराबर होता है।

W1 + W2 + W3…….. +Wn = ∆K

यहां W1, W2………Wn बलों द्वारा किया गया अलग अलग कार्य है।

कार्य ऊर्जा प्रमेय के महत्वपूर्ण बिंदु

  1. यदि वस्तु की चाल में कोई परिवर्तन नहीं हो तो गतीजबल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है। क्योंकि इस स्थिति में गतिज ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
  2. यदि वस्तु की गतिज ऊर्जा में कमी होती है तो बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है। इस स्थिति में बल तथा विस्थापन एक दूसरे के विपरीत दिशा में कार्यरत होते है। जैसे – किसी वस्तु को ऊपर की ओर प्रेक्षेपित किया जाता है तो गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है। उसकी चाल घटती जाती है और परिणाम स्वरूप गतिज ऊर्जा में कमी होती जाती है।
  3. यदि वस्तु के वेग एवं गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है तो बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है। इस स्थिति में बल तथा विस्थापन एक ही दिशा में होते है। जैसे यदि किसी वस्तु को मकान की छत से नीचे गिराया जाता हो तो गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है जैसे जैसे वस्तु नीचे की ओर गिरती है उसकी चाल बढ़ती जाती है तथा परिणामस्वरूप उसकी गतिज ऊर्जा भी बढ़ती है। अत गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया कार्य धनात्मक है। अत Kf > Ki
  4. गतिज ऊर्जा व रेखीय संवेग के मध्य संबंध :- p = √2mk
  5. किसी कण में बिना गतिज ऊर्जा के रेखीय संवेग नहीं हो सकता है।
  6. किसी कण में रेखीय संवेग के बिना गतिज ऊर्जा संभव नहीं है।

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निष्कर्ष :-

इस लेख में हम ने कार्य ऊर्जा प्रमेय क्या है और कैसे सिद्ध करे पर चर्चा की। और विभिन्न सवालों जैसे what is work energy theorem class 11 in hindi , कार्य की अवधारणा इत्यादि के बारे में जानने का प्रयास किया।

नमस्कार मेरा नाम मानवेन्द्र है। मैं वर्तमान में Pathatu प्लेटफार्म पर लेखन और शिक्षण का कार्य करता हूँ। मैंने विज्ञान संकाय से स्नातक किया है और वर्तमान में राजस्थान यूनिवर्सिटी से भौतिक विज्ञान विषय में स्नात्तकोत्तर कर रहा हूँ। लेखन और शिक्षण में दिसलचस्पी होने कारण मैंने यहाँ कुछ जानकारी उपलब्ध करवाई हैं।