इस लेख में हम कार्य (work in hindi) के बारे में अध्ययन करेंगे। यहां पर कार्य किसे कहते हैं? कार्य क्या है, कार्य की परिभाषा, कार्य का मात्रक क्या है, कार्य के प्रकार, कार्य की विमा, कार्य ऊर्जा प्रमेय (work energy theorem in hindi), धनात्मक कार्य, ऋणात्मक कार्य, what is work in hindi के नोट्स पीडीएफ इत्यादि यहां पर दी गई है। कार्य की अवधारणा को यह विस्तृत रूप से समझाया गया है।
कार्य किसे कहते हैं? क्या है।
दैनिक जीवन में हम अनेक प्रकार के कार्य करते है जैसे बोझा उठाना, साइकिल चलाना, चक्की पीसने, पत्थर तोड़ना इत्यादि इन सभी कार्यों में वस्तु पर एक बल लगाया जाता है जो कि वस्तु को उसके स्थान से विस्थापित कर देता है।
“वैज्ञानिक दृष्टि से कार्य तब ही किया हुआ माना जाता है जब वस्तु पर बल लगाने से वस्तु में विस्थापन उत्पन्न हो गया हो।”
यदि किसी वस्तु पर बल लगा देने पर वस्तु में विस्थापन नहीं हो तो वैज्ञानिक दृष्टि से हम कह सकते हैं कि कोई कार्य नहीं किया गया। उदाहरणार्थ अपने सिर पर भार रखकर एक ही स्थान पर खड़े रहने पर हम कोई कार्य नहीं करते, क्योंकि वस्तु में कोई विस्थापन उत्पन्न नहीं हुआ। हां हमने भार उठाकर सिर पर रखने में गुरुत्व बल के विरूद्ध अवश्य कार्य किया गया है।
अतः स्पष्ट है कि कार्य का अर्थ लाभ है प्रयास नहीं। एसे कार्य जो लाभदायक नहीं होते, उनको आंतरिक कार्य(Internal Work) कहते है।
कार्य की परिभाषा क्या है(definition of work in hindi) :-
“जब किसी वस्तु पर बल लगाने से विस्थापन उत्पन्न हो जाए तो वस्तु पर बल द्वारा कार्य किया जाता है। इस उत्पन्न विस्थापन को कार्य कहते है।
किसी वस्तु पर नियत बल द्वारा किया गया कार्य आरोपित बल तथा क्रिया कारी बिंदु के विस्थापन के अदिश गुणन फल के बराबर होता हैं।
कार्य एक अदिश राशि हैं।
कार्य का सूत्र ( Formula of work)
W = F.d
कार्य = बल × बल की दिशा में विस्थापन
कार्य का मात्रक व विमा क्या है?
यहां पर कार्य का मात्रक(matrak) व विमा के बारे में बताया गया है।
Units and dimensions of work in hindi
(i) कार्य का SI मात्रक (SI पद्धति) में :-
कार्य का मात्रक SI पद्धति में जूल (Joule) J होता है।
W = F.S
= न्यूटन × मीटर
1 ज़ूल = 1 न्यूटन × 1 मीटर
अत यदि 1 न्यूटन का बल किसी वस्तु पर को लेकर 1 मीटर से विस्थापित कर देता है तो किया गया कार्य 1 जूल होगा।
(ii) CGS पद्धति में कार्य का मात्रक :-
C.G.S. पद्धति में Karya ka Matrak ‘ अर्ग (erg)’ है।
अर्ग = डाईन × सेमी.
यदि 1 डाईन का बल किसी वस्तु को 1 सेमी. दूरी से विस्थापित करता है तो किया गया कार्य 1 अर्ग कहलाता है।
कार्य की विमा (विमीय सूत्र) :-
[ML2T-2]
कार्य के प्रकार (type of work in hindi)
कार्य की प्रकृति इत्यादि के अनुसार कार्य के कितने प्रकार है उन सभी के बारे में यहां पर बताया गया।
कार्य को प्रकृति के आधार पर निम्न भागो में बांटा / विभाजित किया गया है।
(1) धनात्मक कार्य
(2) ऋणात्मक कार्य
(3) शून्य कार्य
(1) धनात्मक कार्य किसे कहते हैं? क्या है।
धनात्मक कार्य की परिभाषा :-
“यदि कोण θ न्यून कोण (θ< 90) हो तो किया गया कार्य धनात्मक होगा।”
धनात्मक कार्य प्रदर्शित करता है कि बाह्य बल वस्तु की गति में सहयोग देता है।
धनात्मक कार्य का सूत्र :-
W = Fs Cosθ
- जब वस्तु गुरुत्व के अधीन स्वतंत्रता पूर्वक गिरती है(θ =0) तो गुरुत्व द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है।
- जब स्प्रिंग को खींचा जाता है तो खिंचाव बल तथा विस्थापन दोनों एक ही दिशा में होते है इसलिए खिंचाव बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है।
(2) ऋणात्मक कार्य किसे कहते हैं? क्या है!
ऋणात्मक कार्य की परिभाषा :-
“यदि कोण θ अधिक कोण (θ> 90) हो तो किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।”
यह प्रदर्शित करता है कि बल की दिशा वस्तु की गति का विरोध करती हैं।
ऋणात्मक कार्य का मात्रक :-
W = Fs cosθ
- घर्षण बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है जब यह गति का विरोध करता है।
- कार पर ब्रेक लगाने वाले बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
- जब किसी वस्तु को खुरदरे धरातल पर खींचा जाता है तब घर्षण बल तथा विस्थापन परस्पर विपरीत दिशा में होते है। अत घर्षण बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
(3) शून्य कार्य किसे कहते हैं? कार्य की परिभाषा
शून्य कार्य क्या है :-
वह कार्य जिसमे बल लगाने के बाद भी कोई विस्थापन उत्पन्न ना हो ।
“किया गया कार्य शून्य होगा यदि F = 0, अथवा s = 0, अथवा θ = 90 हो तो।
- एक समान वेग से गतिशील वस्तु पर कुल बल द्वारा किया गया कार्य = 0
- कण पर कुल बल शून्य हो तब किया गया कार्य शून्य होता है।
- जब हम दीवार को धक्का देते है और यह विराम में रहती है तब W = 0
- जब लोलक दोलन गति करता है तब तनाव बल द्वारा किया गया कार्य W = 0
- जब नाभिक के चारो ओर गतिमान हो तब आकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य =0
- यदि कुली एक समान को क्षैतिज सतह पर ढोकर ले जाता है तब गुरुत्व के विरूद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
कार्य ऊर्जा प्रमेय (Work-Energy Theorem in hindi)
कार्य ऊर्जा प्रमेय क्या है ? यहा work energy theorem in hindi को समझेंगे और विभिन्न अनुप्रयोग के बारे में जानेंगे।
“किसी वस्तु पर परिणामी बल लगाने पर, बल द्वारा किया गया कार्य उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है यही कार्य ऊर्जा प्रमेय (work energy theorem) है।”
यदि किसी वस्तु पर परिणामी बल लगाने पर उसका वेग नियत रहता है तब वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन ∆K = 0, अत वस्तु पर किया गया कार्य W भी शून्य होता है। यह प्रमेय अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे ही ऊर्जा सरंक्षण सिद्धांत प्राप्त होता है।
यदि वस्तु पर बहुत से बल F1, F2,………Fn लग रहे हों तब उन सबसे परिणामी बल F द्वारा किया गया कार्य W इन पृथक – पृथक बलों द्वारा किए गए कार्य के बीजगणित योग के बराबर होता है।
कार्य का मापन
किसी वस्तु को विस्थापित करने में जितना अधिक बल लगाना पड़ता है, कार्य उतना ही अधिक होता है। अर्थात यदि किसी वस्तु पर कम बल लगाया गया है तो परिणामी कार्य भी कम होगा और इसके विपरित अधिक बल लगाने पर कार्य अधिक होगा है।
पुनः कोई बल आरोपित करने पर, वस्तु को जितनी अधिक दूरी तक विस्थापित किया जाता है, कार्य उतना ही अधिक करना पड़त है। अत किसी वस्तु पर आरोपित बल की दिशा में उत्पन्न विस्थापन के गुणन फल से किया जाता है।
यदि कोई बल F किसी वस्तु पर कार्य करके उसे बल की दिशा में S विस्थापित कर दे तो किया गया कार्य
W = F × S
कार्य = बल × बल की दिशा में विस्थापन
जब वस्तु में उत्पन्न विस्थापन बल की दिशा के अनुदिश नहीं हो अर्थात वे एक दूसरे के साथ कोई कोण बनाते है। तो किसी बल द्वारा किया गया कार्य विस्थापन की दिशा में बल के घटक और विस्थापन के परिमाण के गुणन फल के बराबर होता है। यदि किसी वस्तु पर F बल लगाने से उसमें बल की दिशा के साथ θ झुकाव पर S विस्थापित होता है तो किया गया कार्य :-
W = (F cosθ) S
विभिन्न स्थितियां :-
- यदि m द्रव्यमान के पिंड को पृथ्वी की सतह से h ऊंचाई पर फेंका जाता है तो गुरूत्वीय बल के विरूद्ध किया गया कार्य
W =mgh cos 180
= -mgh
(1) नियत बल द्वारा किया गया कार्य :-
यदि एक वस्तु पर आरोपित बल की दिशा तथा परिमाण नियत हो, तो यह नियत बल कहलाता है। नियत बल द्वारा किया गया कार्य :-
W = (F cosθ) S
(1) परिवर्ती बल द्वारा किया गया कार्य :-
यदि आरोपित बल की दिशा या परिमाण या दोनों परिवर्तित होते हो तो यह यह परिवर्ती बल कहलाता है ।
निर्देश तंत्र पर निर्भरता :-
बल निर्देश तंत्र पर निर्भर नहीं करता है तथा उसका मान सभी निर्देश तंत्रों में समान होता है किन्तु विस्थापन निर्देश तंत्र पर निर्भर करता है और उसका मान अलग अलग निर्देश तंत्रों में अलग अलग हो सकता है। इसलिए बल द्वारा किया गया कार्य भी निर्देश तंत्र पर निर्भर करेगा। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति सूटकेस पकड़ कर एक लिफ्ट में खड़ा है और लिफ्ट ऊपर की ओर जाती है। लिफ्ट के निर्देश तंत्र में सूटकेस का विस्थापन शून्य है इसलिए कार्य भी शून्य होगा। परंतु धरातल के निर्देश तंत्र में सूटकेस ऊपर की और विस्थापित होता है। अत व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा ।
कार्य से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक
(1) ऊर्जा किसे कहते हैं? क्या है।
ऊर्जा की परिभाषा :-
कार्य करने की आंतरिक क्षमता ऊर्जा कहलाती है।
जब हम कहते है की किसी वस्तु के पास ऊर्जा है तो इसका अर्थ है कि वह कार्य कर सकती है।
ऊर्जा के प्रकार (रूप) :-
यांत्रिक रूप, विद्युत ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा, परमाण्विक, आण्विक तथा नाभिकीय ऊर्जा।
संरक्षी बल तथा असंरक्षी बल
संरक्षी बल :-
यदि किसी वस्तु पर बल द्वारा किया गया कार्य पथ से स्वतंत्र होता है तथा केवल प्रारम्भिक व अंतिम स्थिति पर निर्भर करता हो तो यह बल्ब संरक्षी बल कहलाता है।
असंरक्षी बल :-
यदि गतिशील वस्तु पर बल के द्वारा किया गया कार्य आरम्भिक स्थिति एवं अंतिम स्थिति के मध्य के पथ पर निर्भर करता है तो बल असंरक्षी बल कहलाता है।
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महत्वपूर्ण प्रश्न उदाहरण( NCERT Quiz)
प्रश्न.1. कोई साइकिल सवार ब्रेक लगाने पर फिसलता हुआ 10m दूरी जाकर रुकता है। इस प्रक्रिया की अवधि में, सड़क द्वारा साइकिल पर लगाया गया बल 200 N है जो उसकी गति के विपरीत है। (1) सड़क द्वारा साइकिल पर कितना कार्य किया गया? (2) साइकिल द्वारा सड़क पर कितना कार्य किया गया?
हल:-
प्रश्नानुसार सड़क द्वारा साइकिल पर आरोपित बल घर्षण बल है जो साइकिल की गति के विपरीत है जिससे
θ = 180, F = 200 N S = 10 मीटर
(1) सड़क द्वारा साइकिल पर किया गया work
W = FS Cos θ
= 200 × 10 × cos 180
= -2000 जुल
B
(2) गति के तृतीय नियम के अनुसार सड़क पर आरोपित बल का परिणाम = साइकिल द्वारा सड़क पर आरोपित बल का परिमाण = 200N
सड़क का विस्थापन = 0
अत साइकिल द्वारा सड़क पर किया गया कार्य
= 0 जुल
प्रश्न.2. 60 किग्रा का एक व्यक्ति 15 किग्रा का पत्थर सिर पर रख कर 10 मीटर ऊंची छत पर ले जाता है एवं छत पर क्षैतिज दिशा में 5 मीटर चलता है। व्यक्ति द्वारा गुरूत्वीय बल के विरूद्ध किए गए कार्य का मान ज्ञात कीजिए?
हल:-
छत पर व्यक्ति को पत्थर ले जाने में किया गया कार्य = Mgh
M = (60+15) किग्रा = 75 किग्रा
h = 10 मीटर
g = 9.8 मी./वर्ग सेकण्ड
W1 = 75 ×10 ×9.8
= 7350 जुल