वर्तमान समय में कंप्यूटर (Computer in Hindi) मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया हैं। दैनिक जीवन में कंप्यूटर के उपयोग के बिना कोई भी कार्य असम्भव सा लगता हैं।
आप भी जानते होंगे की रोजमर्रा के बहुत से कामो में कम्प्यूटर का उपयोग (Uses of Computer) होता ही हैं, जैसे :- टिकिट बुकिंग , ऑनलाइन रिजल्ट, ऑनलाइन स्टडी, इंटरनेट इत्यादि में कंप्यूटर का प्रयोग होता हैं।
इसलिए आपको कंप्यूटर के बारे में जानकारी होना जरुरी हैं, यदि आप एक विद्यार्थी है तो यह कंप्यूटर से सम्बंधित विभिन्न प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछे जाते हैं।
इस लेख में आपके लिए कंप्यूटर का सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराइ गयी हैं, जैसे कंप्यूटर क्या है? (What is Computer In Hindi), कंप्यूटर की परिभाषा क्या है(Definition of Computer), कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer), कंप्यूटर का फूल फॉर्म क्या है(Full-FORM) , आविष्कार किसने किया , कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer), उपयोग, प्रयोग, कमियाँ, विशेषता इत्यादि।इत्यादि।
कम्प्यूटर का परिचय (What is computer introduction in Hindi)
‘कंप्यूटर’ शब्द की उत्पत्ति ‘Compute’ (कम्प्यूट) शब्द से हुई है जिसका अर्थ गणना करना होता है।
इसीलिए Computer को आमतौर पर एक गणना करने वाली मशीन माना जाता है जो तीव्रगति से अर्थमैटिक रूप से ऑपरेशन्स को संचालित कर सकती है।
वास्तविकता में कंप्यूटर एक ऐसी डिवाइस (Device) है जो किसी भी प्रकार के डाटा के ऊपर कार्य करती है। कंप्यूटर डाटा को केवल स्टोर करके प्रोसेस ही नहीं करता है,
बल्कि यह डाटा को रिट्रीव (retrieve) भी करता है अर्थात् जब भी जैसी आवश्यकता हो,
तब डाटा को इसकी मेमोरी (या storage) से बाहर निकालकर प्रयोग किया जा सकता है।
इस प्रकार कम्प्यूटर को एक डाटा प्रोसेसर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है क्योंकि यह डाटा को स्टोर कर सकता है, उनकी प्रोसेसिंग कर सकता है तथा आवश्यकता पड़ने पर स्टोर किये हुए पूर्व डाटा को वापस बाहर निकाल सकता है।
कंप्यूटर क्या है ? किसे कहते हैं। (What is Computer In Hindi)
जब भी हम कंप्यूटर के बारे में सुनते हैं या किसी computer को देखते हैं तो हमारे मन में एक जिज्ञासा उत्पन्न होती हैं की कंप्यूटर क्या है? या कंप्यूटर किसे कहते है (What is Computer In Hindi).
तो चलिए जानते हैं कंप्यूटर क्या है (Computer Kya Hai )
कंप्यूटर एक तीव्र गति से कार्य करने वाली इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो इसमें प्रविष्ट (input) सूचनाओं एवं आँकड़ों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्वीकार करके पूर्व संग्रहित
निर्देशों के अनुसार उसकी प्रक्रिया कर वांछित परिणाम (output) प्रदान करती है।
अतः कम्प्यूटर मानव द्वारा निर्मित्त एक अत्यंत उपयोगी व मूलतः एक प्रोग्राम किया जा सकने वाला
स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक यंत्र है जो विद्युत के साथ-साथ बैटरी से भी चल सकता है।
यह तीव्र गति से कार्य करती है।
वर्तमान समय में कम्प्यूटर्स ने हमारे दैनिक जीवन को काफी प्रभावित किया है। चाहे घर हो या ऑफिस, उद्योग, मनोरंजन उद्योग, हॉस्पिटल, रिटेल स्टोर, रिसर्च एवं डिजायन संस्थान आदि प्रत्येक क्षेत्र में हम कम्प्यूटर की उपस्थिति एवं अनिवार्यता का अनुभव करते हैं। इसे हिन्दी में संगणक भी कहते हैं।
पूर्व में कम्प्यूटर का उपयोग केवल वैज्ञानिकों व Engineers द्वारा जटिल गणनाओं को हल करने में किया जाता था। यह प्रक्रिया बहुत खर्चीली भी थी।
वर्तमान में इनका आकार व कीमतें बहुत कम हो गई हैं। अतः घरों में पर्सनल कम्प्यूटर (PC) व लेपटॉप्स का प्रयोग अत्यधिक होने लगा है।
प्रत्येक क्षेत्र यथा बैंक, रेलवे, अस्पताल, शापिंग काम्पलेक्स, विद्यालय, महाविद्यालय और यहाँ तक कि घर पर भी कम्प्यूटर आजकल एक आवश्यकता बन गई है। अतः कम्प्यूटर को केवल गणना करने वाला उपकरण न मानकर इन्फॉर्मेशन प्रोसेसिंग मशीन कहना अधिक उचित है।
कंप्यूटर की परिभाषा क्या है? (What is Definition of Computer In Hindi
ऊपर हमने Computer Kya Hai के बारे में जाना परन्तु विभिन प्रतियोगी परीक्षाओ में एक सवाल
पूछा जाता है की कंप्यूटर की परिभाषा क्या है ?(What is Definition of Computer In Hindi)
अब इसका उतर देना थोड़ा मुश्किल हैं क्योंकि Computer जैसी महान युक्ति कुछ शब्दों में परिभाषित करना मुश्किल हैं , लेकिन हमने यहाँ थोड़ा प्रयास किया है।
तो चलिए जानते हैं कंप्यूटर की परिभाषा क्या है (computer ki paribhasha kya hai) ?
“कम्प्यूटर एक ऐसी इलेक्ट्रानिक युक्ति है जो इनपुट किये गये डाटा व निर्देशों के समूह (Instructions) को पढ़कर, इनका तीव्र गति व परिशुद्धता से प्रक्रियांकन (Processing) कर वांछित निर्गत (परिणाम-output) प्रदान करती है। कम्प्यूटर कई प्रकार के उपकरणों को जोड़कर (assemble कर) बनाई गई मशीन है। इन उपकरणों के नाम हैं- की-बोर्ड (Key-Board- टाइप राइटर की तरह), स्क्रीन या मॉनीटर (विजुवल डिस्प्ले यूनिट के रूप में), केन्द्रीय संसाधन इकाई (CPU), मैग्नेटिक रिकार्डर/ डिस्क व प्रिन्टर आदि। “
कंप्यूटर का पूरा नाम क्या है (what is Computer ki Full Form in Hindi)
what is Computer ki Full Form in Hindi :-
Commonly Operating Machine Particularly Used in Technology Education and Research.
C – Commonly
O – Operated
M – Machine
P – Particularly
U – Used for
T – Technical and
E – Educational
R – Research
कंप्यूटर का जनक कौन हैं? (Father of Computer)
कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया
चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जनक (पिता) कहा जाता हैं ।
कंप्यूटर का पिता (Father of Computer) :- चार्ल्स बैबेज
महत्वपूर्ण तथ्य :-
- चार्ल्स का डिफरेन्स इंजिन- 1822 में इस इंजिन का आविष्कार कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के गणित के प्रोफेसर चार्ल्स बैबेज ने किया था। इससे बीजगणितीय फलन व व्यंजक (Algebraic Expressions) आसानी से हल किए जा सकते थे।
इस मशीन द्वारा 20 अंकों तक सही हल निकाला जा सकता था।मशीन डिफरेंस की उपयोगिता से प्रोत्साहित होकर बैबेज ने विश्लेषणात्मक इंजन (Analytical Engine) के विकास के लिए अध्ययन व शोध किया।
इस इंजन का प्रोटोटाइप बना लेने के बावजूद बैबेज का कार्य कुछ तत्कालीन तकनीकी अवयवों की कमी के कारण पूरा नहीं हो पाया। बैवेज के द्वारा प्रयुक्त मॉडल के आधार पर ही
कंप्यूटर का पहला प्रोटोटाइप मॉडल तैयार किया गया था, जो आज के आधुनिक कंप्यूटर का आधार है।
इसीलिए बैबेज को आधुनिक कंप्यूटर का निर्माता या जनक (Father of Computer) कहते हैं।
कंप्यूटर की सरंचना- संगठन (Orgnisation of Computer)
कंप्यूटर की सरंचना (Orgnisation of Computer in Hindi) एक जैसी ही होती हैं चाहे वह बड़ा कंप्यूटर हो या छोटा।
प्रत्येक कंप्यूटर पांच भाग होते हैं :-
(i) निवेश या इनपुट ईकाई (Input Unit)
(ii) स्मृति (Memory)
(iii) गणितीय एवं तार्किक ईकाई (ALU)
(IV) कण्ट्रोल यूनिट (Control Unit)
(V) निर्गत या आउटपुट ईकाई (Output Unit)
(1) केंद्रीय संसाधन ईकाई (CPU) :-
कंप्यूटर की सिस्टम यूनिट में मुख्य हार्डवेयर CPU होता है। सिस्टम यूनिट एक बॉक्स होता है जिसमे CPU के अलावा कंप्यूटर की अन्य डिवाइसेज एवं परिपथ बोर्ड होते हैं
जो एक मुख्य परिपथ बोर्ड ‘मदर बोर्ड’ पर संयोजित रहते हैं। इस प्रकार कंप्यूटर का अधिकाश परिपथ सिस्टम यूनिट होता है।
CPU को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता हैं।
नियंत्रण ईकाई (Control Unit)
यह यूनिट हार्डवेयर की क्रियाओं को संचालित एवं नियंत्रित करती हैं।
इनपुट युक्तियां (Input Devices)
कंप्यूटर में आंकड़ों एवं सूचनाओं एवं अन्य निर्देशों को पहुंचाने वाले उपकरणों (Devices) को इनपुट डिवाइस कहते हैं।
आउटपुट ईकाई (output Devices)
कंप्यूटर में एक बार डाटा प्रक्रिया करने के बाद प्रयोगक्रता उसके उपयुक्त परिणाम प्राप्त करना चाहता हैं। कंप्यूटर द्वारा संसाधित आंकड़ों के परिणाम कंप्यूटर जिन यंत्रों द्वारा प्रदान किए जाते हैं
वे यंत्र कंप्यूटर के निर्गम यंत्र (Output Devices) कहलाते हैं।
कंप्यूटर के प्रकार/वर्गीकरण (Types of Computer In Hindi)
कंप्यूटर को उनके उपयोग, उपयोग में ली गई तकनीक व इनके अभिलक्षणो जैसे गति, कीमत, क्षमता एवं आकर के आधार पर विभिन्न भागों में बांटा गया है हैं।
तो चलिए जानते हैं कंप्यूटर के प्रकार क्या है के बारे में (Types of Computer In Hindi)
तकनीकी के आधार पर :-
उपयोग में ली गई तकनीक या कार्य पद्धति के अनुसार computer को निम्न तीन भागों में बांटा गया हैं।
1. डिजिटल/अंकीय कंप्यूटर :-
डिजिटल कंप्यूटर में सूचना व आंकड़ों को डिस्क्रिट रूप में निश्चित अंको 0 या 1 के रूप में निरूपित किया जाता हैं। 1940 के दशक का पहला कंप्यूटर प्रमुख रूप से अंकिय गणनाओं को संपन्न करने हेतु प्रयुक्त किया जाता था। इसलिय कंप्यूटर को डिजिटल कंप्यूटर name दिया।
2. एनालॉग या अनुरूप कंप्यूटर क्या है ( Analog Computers ) :-
एनालॉग या अनुरूप कंप्यूटर क्या है ( Analog Computers in hindi ) :- एनालॉग कंप्यूटर वे कंप्यूटर होते हैं जिनमें विभिः भौतिक राशियों यथा दाप, तापमान, लम्बाई आदि (गुणात्मक राशियों) जो सतत् रूप से परिवर्तित होती रहती हैं को इलेक्ट्रॉनिक परिपथों की सहायता से विद्युत संकेतों में परिवर्तित किया जाता है।
ये कंप्यूटर किसी राशि के परिमाप परस्पर तुलना के आधार पर करते हैं।
एनॉलॉग कंप्यूटर मुख्य रूप से विज्ञान एवं इंजिनियरिंग के क्षेत्र में प्रयोग किये जाते हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में मात्राओं का उपयोग अधिक होता है।
सतत (लगातार हो रहे) परिवर्तन को नापने या सतत रूप से नापने हेतु एनालॉग कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है ।
संकर या हाइब्रिड कंप्यूटर क्या है ( Hybrid Computer kya hai) :-
संकर या हाइब्रिड कंप्यूटर क्या है ( Hybrid Computer kya hai) :- हाइब्रिड कंप्यूटर में एनालॉग तथा डिजीटल कंप्यूटरों मे प्रयोजित दोनों विधियों का उपयोग किया जाता है।
इसके अन्तर्गत गणना करते वक्त कुछ हिस्से को एनालॉग कंप्यूटर पर तथा शेष हिस्से की डिजिटल कंप्यूटर पर गणना करते हैं। अस्पताल में ICU (Intensive care Unit) में तथा मिटियोरोलोजिकल (Metorological) विभाग में मौसम सम्बन्धी भविष्यवाणियों में इनका उपयोग किया जाता है।
प्रकाशीय कंप्यूटर (Optical Computer kya hai):-
आधुनिक युग के कंप्यूटरों के रूप में इस प्रकार के कंप्यूटर बनाए जा रहे हैं जिनमें एक पुर्जे (अवयव) को दूसरे से जोड़ने का कार्य ऑप्टीकल फाइबर के तारों से किया जाता है।
इनके गणना करने वाले अवयव या डिवाइस प्रकाशीय पद्धति पर आधारित बनाए गए हैं। विद्युत संकेतों की गति 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकण्ड की कोटि की होती है लेकिन इतनी गति से भी 1 मीटर के तार में विद्युत संकेत को 3.3 नैनो सेकण्ड का समय लगता है।
प्रकाश के संवहन के लिए तार जैसे माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है जिससे प्रकाश की गति, विद्युत से अधिक होती है इसलिए बिना तार के प्रकाशीय पद्धति आधारित कंप्यूटर विकसित किये जा रहे हैं।
परमाणविक या एटॉमिक कंप्यूटर (Atomic Computer):-
ये ऐसा विकासशील कंप्यूटर है जिनमें कुछ विशेष प्रोटीन अणुओं को एकीकृत परिपथ में बदला जाए और इसमें इतनी अधिक स्मृति-क्षमता आ जाए कि यह आज के कंप्यूटरों से 10,000 गुना अधिक क्षमता वाला हो।
उपयोगिता के आधार परः-
कंप्यूटरों का वर्गीकरण उनके उपयोग के आधार पर भी किया जा सकता है। प्रारंभिक कंप्यूटर केवल विज्ञान सम्बन्धी तथा व्यवसाय सम्बन्धी थे। अत: कंप्यूटर की प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी वैज्ञानिक सम्बन्धी गणना के लिए ही थी।
कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी आने के बाद वैज्ञानिक से व्यावसायिक कंप्यूटरों में परिवर्तन दृष्टिगोचर होने लगे
क्योंकि आँकड़ा संसाधनों (data processing) में काफी तेजी आ गई।
कंप्यूटर-अभिलक्षणों यथा आकार व क्षमता के आधार परः –
कंप्यूटरों के कार्य करने की गतिशीलता, कीमत, एवं आकार के आधार पर भी इनका वर्गीकरण कर सकते हैं। इस आधार पर कंप्यूटर अग्र प्रकार के होते हैं
मेनफ्रेम कंप्यूटर क्या है ?(What is Mainframe Computer in hindi)-
मेनफ्रेम कंप्यूटर क्या है ?(What is Mainframe Computer in hindi)- यह कंप्यूटर 1950 के दशक में बनाया गया था। यह कमरे के आकार जैसे विशालकाय था। इससे विज्ञान एवं व्यवसाय के आँकड़े संसाधित (Process) किए जाते थे। इसकी विशेषता यह थी कि इसको अनेक लोग एक साथ उपयोग में ले सकते थे। इसकी सूचना भण्डारण क्षमता (Storing Capacity) अत्यधिक है। मुख्य-स्मृति (Main Memory) साधारणत: 256 किलो बाइट से लेकर 2GB तक होती है। इस कंप्यूटर में प्राय: 100 से अधिक आदमी एक साथ काम कर सकते हैं। इसकी कीमत करोड़ों रुपयों में होती है। इन कंप्यूटरों का उपयोग मुख्यत: बड़े संगठनों जैसे- रेलवे, एयर लाईन तथा वैज्ञानिक संस्थाओं इत्यादि में होता है।
मिनी कंप्यूटर (Mini Computer)-
मिनी कंप्यूटर (Mini Computer) मेन फ्रेम कंप्यूटर की तुलना में मिनी कंप्यूटर सस्ता, कम शक्तिशाली व मध्यम आकार का होता है। इस कंप्यूटर का विकास 60 के दशक में हुआ था। मिनी कंप्यूटर को भी एक ही समय में अनेक लोग प्रयोग कर सकते हैं। इनका प्रयोग प्रायः प्रयोशालाओं व व्यावसायिक संगठनों में किया जाता है।
सभी कंप्यूटर के वर्गों में से मिनी कंप्यूटर मध्यम आकार के कंप्यूटर होते हैं। इनमें एक से अधिक सी.पी.यू. होते हैं और इनकी स्मृति (Memory), कार्य क्षमता और गति (Speed) माइक्रोकंप्यूटर की अपेक्षा अधिक और मेनफ्रेम कंप्यूटर से कम होती है। मध्यम स्तर की कम्पनियों में मिनी कंप्यूटर ही उपयोगी माने जाते हैं।
माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)-
इन कंप्यूटरों का विकास 1970 के दशक में हुआ। 1970 के दशक के प्रारम्भ में एक क्रांतिकारी आविष्कार से सम्पूर्ण केन्द्रीय संसाधन इकाई (सी.पी.यू.) का परिपथ एक छोटी-सी सिलीकॉन चिप पर तैयार करना सम्भव हो गया। यह आविष्कार था माइक्रोप्रोसेसर का जिसके उपयोग से सस्ती कंप्यूटर-प्रणाली बनाना सम्भव हुआ।
ये कंप्यूटर एक डेस्क पर अथवा एक ब्रीफकेस में भी रखे जा सकते हैं। ये छोटे कंप्यूटर माइक्रो कंप्यूटर कहलाते हैं।
माइक्रो कंप्यूटर कीमत में सस्ते और आकार में छोटे होते हैं इसलिए ये व्यक्तिगत उपयोग के लिए घर या बाहर किसी भी कार्यक्षेत्र में लगाये जा सकते हैं, अत: इन्हें पर्सनल कंप्यूटर या पी.सी. भी कहते हैं। माइक्रो कंप्यूटर में एक ही सी.पी.यू. लगा होता है। वर्तमान समय में माइक्रो कंप्यूटर का विकास तेजी से हो रहा है। परिणामस्वरूप माइक्रो कंप्यूटर एक पुस्तक के आकार, फोन के आकार और यहाँ तक कि घड़ी के आकार में भी आ रहे हैं। माइक्रो कंप्यूटर 20-25 हजार रुपये से 1 लाख रुपये तक की कीमत के उपलब्ध हैं। माइक्रो कंप्यूटर घरों में, विद्यालयों की कक्षाओं में और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों आदि में लगाये जाते हैं। इन कम्प्यटरों में छोटी केन्द्रीय संसाधन इकाइयों (CPU) का उपयोग किया जाता है। इन कंप्यूटरों पर कंप्यूटर गेम्स का भी विकास हुआ है। इन मशीनों से अधिगम व शिक्षण विधियों में भी काफी परिवर्तन व सुधार हुआ है।
लैपटॉप कंप्यूटर (Laptop Computer)-
लैपटॉप ऐसा माइक्रो कंप्यूटर है जो कि बैटरी (Battery) के साथ भी चलता हैं। डेस्कटॉप कंप्यूटर्स के विपरीत, एक लैपटॉप में कीबोर्ड (Keyboard), माउस (Mouse), और मॉनिटर (Monitor) इसके अभिन्न हिस्से होते हैं। बाहर से लैपटॉप कंप्यूटर के दो भाग, स्क्रीन और की-बोर्ड होते हैं। ये दोनों भाग इस तरह से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं कि स्क्रीन मुड़ कर की-बोर्ड के ऊपर आ जाता है। इन्हें बैग में रखकर आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है।
स्टाइलस वाले टेबलेट पीसी (Tablet PC with Stylus):-
टेबलैट (Tablet) एक पर्सनल कंप्यूटर है, जो कि एक टच स्क्रीन फोन (Touch Screen Phone) के समान दिखता है। यह एक सामान्य पीसी की तरह काम करता है किन्तु इसका इंटरफेस (Interface) टच स्क्रीन होता है। आप इन टच स्क्रीन पर एक स्टाइलस (Stylus) या उंगली की मदद से काम कर सकते हैं। स्टाइलस एक विशेष किस्म का पेन होता जिससे उपयोगकर्ता टेबलेट के स्क्रीन पर दिखने वाले आइकॉन (Icon) को सलेक्ट कर सकता है और कमाण्ड (Command) दे सकता है।
सुपर कंप्यूटर क्या है (Super Computer kya hai )-
यह अन्य सभी प्रकार के कंप्यूटरों से बहुत अधिक शक्तिशाली होता है। इसकी गतिशीलता तथा मेमोरी क्षमता भी अत्यधिक होती है। सुपर कंप्यूटर की कार्य करने की क्षमता 500 मेगाफ्लाप से भी अधिक होती है। इन कंप्यूटर्स में मल्टीप्रोसेसिंग एवं समान्तर प्रोसेसिंग तकनीकी का उपयोग किया जाता है। नवीनतम विकसित सुपर कंप्यूटर्स की कार्यक्षमता गीगाफ्लॉप एवं टेराफ्लॉप्स तक हो गई है।
कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi)
- 1969 ई. में अमेरिका के रक्षा विभाग के वैज्ञानिकों ने शोध विभिन्न कंप्यूटरों को आपस में जोड़ने का अार्पानेट (ARPANET) कंप्यूटर नेटवर्क विकसित किया। यह पैकेट स्विचिंग तकनीक पर आधारित विश्व का पहला कंप्यूटर नेटवर्क था। इसीबाद में इंटरनेट (Internet) विकसित हुआ।
- 1971 में इंटेल कम्पनी के वैज्ञानिक डॉ. टेड हॉफ ने विश्व का पहला व्यापारिक माइक्रोप्रसेसर ‘इंटेल 4004’ बनाया, जिसके फलस्वरूप चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर्स का अस्तित्व प्रकट हुआ।
- 1973 में जीरॉक्स कम्पनी ने पहला मिनी कंप्यूटर जीराक्स आल्टो (Xerox Alto) बनाया। इसमें हाई रेजोल्यूशन स्क्रीन एवं बड़ी आंतरिक व बाह्य मेमोरी का प्रयोग हुआ जो आगे चलकर पर्सनल कंप्यूटर का आधार बना।
- वर्ष 1976 में एप्पल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स एवं स्टीव वॉजनायेक ने पहला पर्सनल कंप्यूटर (PC) निमित्त किया। इससे पर्सनल कंप्यूटरों (PC,s) का युग प्रारंभ हुआ।
- 1980 ई. में बिलगेट्स (माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी के सह-संस्थापक) ने पर्सनल कंप्यूटर्स के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System), एम.एस. डॉस (MS-DOS) का विकास किया।
- आईबी.एम. कार्पोरेशन ने अपना पहला पर्सनल कंप्यूटर बाजार में उतारा। छोटे आकार, कम कीमत और अधिक क्षमता के कारण यह व्यापारिक दृष्टि से क्रांतिकारी सिद्ध हुआ। इसके बाद कंप्यूटर बनाने की होड़ प्रारम्भ हो गयी।
- 1984 ई. में एप्पल कम्पनी ने मैकिण्टोष नामक पर्सनल कंप्यूटर बाजार में उतारा, जिसमें पहली बार ग्राफीकल यूजर इंटरफेस और माउस का उपयोग किया गया था।
• 1988 ई. में इंटेल ने इंटेल 486 नामक माइक्रोप्रोसेसर बनाया, जिसमें 10 लाख ट्रांजिस्टर लगे थे।यह एक 32 बिट माइक्रोप्रोसेसर था। - 1991 ई. में वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web-www) के उपयोग के नियम बनाये गये, जिनके कारण सूचनाओं को इंटरनेट पर डालने और उससे प्राप्त करने की मानक विधियाँ बनीं। इससे इंटरनेट के व्यापक उपयोग और खुल गया।
- चहुंमुखी विस्तार का मार्ग 1992 ई. में माइक्रोसॉफ्ट ने ग्राफिकल यूजर इंटरफेस पर आधारित अपने ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 3.1 को बाजार में उतारा। यह बहुत सफल रहा और ऐसे अनेक ऑपरेटिंग सिस्टमों के विकास का आधार बना। इसके बाद क्रमशः विंडोज 95, विंडोज 98 व अन्य नवीनतम वर्जन विकसित किये गये।
कम्प्यूटर का विकास (Development of Computer)
कम्प्यूटर का विकास (Development of Computer) वैज्ञानिकों के निरन्तर चल रहे प्रयासों का परिणाम है। वैज्ञानिकों का उद्देश्य कम्प्यूटर को अधिक उपयोगी, सुविधाजनक, सस्ता, छोटा, तीव्र गति से कार्य करने वाला एवं अधिक विश्वसनीय बनाना रहा है। इसी उद्देश्य के मद्देनजर कम्प्यूटर में निरन्तर सुधार होता जा रहा है।
द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945) के बाद कम्प्यूटर का विकास तेजी से हुआ तथा इनके आकार-प्रकार में भी कई परिवर्तन हुए। आधुनिक कम्प्यूटर के विकास के इतिहास को तकनीकी विकास के आधार पर कई भागों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ (Generations) कहा जाता है। अभी तक कम्प्यूटर की पाँच पीढ़ियाँ अस्तित्व में आ चुकी हैं। प्रत्येक पीढ़ी के कम्प्यूटरों की विशेषताएँ और उनका संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार है
कंप्यूटर की पीढ़िया (Computer Generations)
1. प्रथम पीढ़ी (First Generation of Computer) 1942-55 :-
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में निर्वात् नलिकाएँ या निर्वात वाल्व (Vacuum Tubes or Vacuum Valves) उपयोग में लाए जाते थे। जैसे- पिक्चर ट्यूब वाले टेलिविजिन में काँच के चेम्बर (कक्ष) में ट्यूब (Cathode Ray Tube या CRT) होती है।
उसी प्रकार काँच के निर्वातित (वायुरहित) कक्ष में उचित इलेक्ट्रोड्स लगाकर डायोड, ट्रायोड, टेट्रोड आदि बनाये जाते हैं।
एक ही कम्प्यूटर में इस प्रकार के कई वाल्वों (Vacuum Tubes) की आवश्यकता होती थी। इन नलिकाओं या वाल्वों के बड़े आकार, काँच का नाजुक चेम्बर, अति उच्च लागत, उच्च प्रारंभिक वोल्टता जो इनके प्रचालन (Operation या Functioning) के लिए आवश्यक थी, के कारण इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स आकार में विशाल, नाजुक, बहुत अधिक महंगे व अधिक ऊर्जा (विद्युत) शक्ति का उपयोग करने वाली मशीनें थी।
2. द्वितीय पीढ़ी (Second Generation of Computer) 1955-64 :–
अर्धचालकों के ज्ञान के विकास के साथ, 1947 में बैल लेबोरेटरी (USA) के विलियम शॉकली ने ‘ट्रांजिस्टर’ (अर्धचालक युक्ति, PNP या NPN) का विकास किया।
(सामान्यतया घरों में इस्तेमाल होने वाले रेडियो व मिनी रेडियो को भी हम आम बोलचाल में ट्रांजिस्टर बोलते हैं, परन्तु यहाँ जिस अर्धचालक युक्ति ‘ट्रांजिस्टर’ की बात कर रहे हैं वो बाजरे के दाने के आकार के लगभग बराबर,ठोस तथा अर्धचालकों (P या N) की तीन सतहों P-N-P या N-P-N से बने होते हैं।)
वैक्यूट ट्यून्स (Vacuum Tubes) की तुलना में ट्राजिस्टर, छोटे (बहुत कम आकार के.), भरोयेभन्द, कम नाजुक तथा बहुत थोड़ी-सी विद्युत शक्ति से ही काम करने वाले होने के कारण अधिक उपयोगी सिद्ध हुए।
ट्रांजिस्टर का कार्य वैक्यूम ट्यूब के समान था लेकिन इसकी कार्य करने की क्षमता एवं गति अधिक थी तथा यह आकार में छोटा व अधिक विश्वसनीय था। ट्रांजिस्टर लगातार विद्युत के संवहन से कम गरम होता था और विद्युत की खपत भी कम होती थी।
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में इनपुट एवं आउटपुट के उपकरण अधिक सुविधाजनक थे। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में IBM-1401, 1BM 1602, IBM 7094, CDC 3600 UNIVAC 110) आदि प्रमुख थे।
3. तृतीय पीढ़ी (Third Generation of Computer) 1965-70 :-
इलेक्ट्रोनिक्स तकनीकी के क्षेत्र में विकास के साथ एक छोटी सी अर्धचालक (सिलिकॉन ) की चिप (लगभग 3 मि का पतला सा छोटा टुकड़ा जैसे मोबाइल में सिम पर चमकीले परिपथ) बनाना सम्भव हो गया। जिसमें सैकड़ो ट्रांजिस्टर ( ट्रेक) एक साथ होते हैं। इस नई तकनीकी को एकीकृत परिपथ या इन्टीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuit या संक्षेप में ।
तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों के आन्तरिक परिपथ में मुख्य इलेक्ट्रॉनिक तार्किक भाग के रूप में IC (Integrate Circuit) लगाया जाता था, जिसे सन् 1958 में जैक किल्ली द्वारा जर्मेनियम चिप का प्रयोग कर विकसित किया गया। इस हेतु किल्ची को वर्ष 2000 का फिजिक्स का नोबल पुरस्कार दिया गया। किल्बी के आविष्कार के कुछ माह बाद ही रॉब नोयस ने सिलीकॉन चिप से और अधिक उन्नत IC का निर्माण किया।
IC को अर्धचालक पदार्थ के धात्विक ऑक्साइड (Mete Oxide Semiconductor) का प्रयोग कर बनाया गया था।
4. चतुर्थ पीढ़ी (Fourth Generation of Computer) 1975-1995 :-
प्रारम्भ में एक एकीकृत परिपथ (IC) चिप पर लगभग 10-20 ट्रांजिस्टर ही एकीकृत होते थे। इस तकनीकी को लघु परास एकीकृत परिपथ (Small Scale Integrated Circuit या SSI) के नाम से जाना जाता था। इसके बाद तकनीकी के विकास के फलस्वरुप यह सम्भव हो पाया कि सिलिकॉन की एक छोटी सी चिप पर लगभग 100 ट्रांजिस्टर आ सकते थे। इस तकनीको, को मध्यम परास एकीकृत परिपथ (Medium Scale Integrated Circuits या MSI) के नाम से जाना गया।
5. पांचवी पीढ़ी (Fifth Generation of Computer) 1995 :-
वर्तमान में कम्प्यूटर्स की पाँचवीं पीढ़ी चल रही है। इसमें अल्ट्रा लार्ज स्केल IC (ULSIC) का प्रयोग प्रारंभ हुआ। इनमें वैज्ञानिक और अधिक तर्कशक्ति व सोचने समझने की क्षमता विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। वे प्रयास कर रहे हैं कि ऐसे कम्प्यूटर का निर्माण हो सके जिसमें उच्च तकनीकी क्षमता के साथ-साथ तर्कशक्ति (Logic तथा Reasoning) व निर्णय लेने की क्षमता भी हो, जिसमें सोचने-समझने की क्षमता व स्वयं की बुद्धिमानी (Artificial Intelligence) तथा संवेग (Emotions) भी हों। वास्तव में इस कल्पना को वैज्ञानिक साकार करने में लगे है।
कंप्यूटर की विशेषताएं क्या है (Characteristics of Computer in Hindi)
कंप्यूटर का उपयोग करना दैनिक जीवन को और भी सुगम बना सकता हैं। कंप्यूटर के द्वारा बहुत से ऐसे मुश्किल या जटिल कार्य करवाए जा सकते हैं जो मानव द्वारा दक्षता के साथ नहीं किए जा सकते हैं।
तो आइए जानते कंप्यूटर की विशेषताएं क्या हैं (Characteristics of Computer in Hindi) जो कंप्यूटर को इतना शक्तिशाली बनाती हैं।
1. स्वचालन (Automation) :-
कम्प्यूटर समस्त गणना कार्य एवं डाटा प्रोसेसिंग कार्य स्वयं ऑटोमैटिक रूप से करता है। इसमें व्यक्ति द्वारा एक बार डाटा प्रविष्ट करके निर्देश देने के बाद यह शेष समस्त कार्य स्वतः ही करता है। अतः कम्प्यूटर द्वारा कार्य संपन्न करने में व्यक्तियों की आवश्यकता न्यूनतम रहती है।
यह, इसके प्रयोगकर्ता (operator) द्वारा संग्रहित प्रोग्राम या निर्देशों के अनुसार प्रक्रियांकन कर निर्देशों के अनुरूप ही परिणाम या आउटपुट प्रदान करता है। अतः यह प्रक्रिया के दौरान प्रयोगकर्ता के नियंत्रण के बिना स्वतः क्रियाशील रहता है और हमारे इच्छित परिणाम प्रदान करता है। अत: कम्प्यूटर में स्वचालन का गुण होता है।
2. गति (Speed):-
कम्प्यूटर्स का सबसे प्रथम, सबसे महत्त्वपूर्ण व सबसे बड़ा गुण गणना करने की उसकी तीव्र गति ही है। कम्प्यूटर्स बिना त्रुटि किए आश्चर्यजनक उच्च गति (Speed) से कार्य सम्पादित करते हैं। जो कार्य सामान्य व्यक्ति द्वारा कई घण्टों में पूर्ण किया जाता है वही कार्य कम्प्यूटर द्वारा एक सेकण्ड के भी अतिसूक्ष्म भाग में सम्पन्न हो जाता है। कम्प्यूटर्स की गति को मिली सेकण्ड (10-3 सेकण्ड), माइक्रोसेकण्ड ( 10 सेकण्ड) व नेनो सेकण्ड (10 सेकण्ड) के पदों में मापा जाता है।
एक शक्तिशाली कम्प्यूटर बिलियन गणनाएँ सैकण्डों में पूर्ण कर लेते हैं। इसके अलावा कम्प्यूटर रात-दिन काम करते रहने के बावजूद थकता नहीं है। इसे आराम की आवश्यकता नहीं रहती।
3. परिशुद्धता (Accuracy):-
कंप्यूटर अपने कार्य को अत्यधिक परिशुद्धता के साथ व बिना त्रुटि के पूर्ण करता है। यह समको या आंकड़ों ( डेटा) को प्रक्रिया में गुजारने (Processing) में कोई त्रुटि नहीं करता है। यह केवल गलत आँकड़े निवेश (Input) करने पर या गलत निर्देश देने पर ही त्रुटिपूर्ण सूचनाएँ या परिणाम प्रेषित करता है।
विश्वसनीयता (Reliability) :
कंप्यूटर की स्मरणशक्ति व शुद्धता अत्यधिक उच्च स्तर की होती है, जिस कारण कंप्यूटर में या इससे जुड़ी सभी प्रक्रियाएँ विश्वसनीय होती हैं। कंप्यूटर में सुरक्षित आँकड़े एवं सूचनाएँ हम किसी भी अवधि के बाद पुन: उससे प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार कंप्यूटर्स, मानव से भी अधिक विश्वसनीय है क्योंकि ये मानव की तरह बार-बार दोहराने (Repetitive task) से कभी बोर होकर थकते नहीं हैं।
उच्च भण्डारण क्षमता (High Storage Capacity):
कंप्यूटर बड़ी मात्रा में समंकों (data) का भण्डारण कर सकता है। यह बहुत सारे दस्तावेजों (documents), लेखों (artickes), चित्रों (Pictures), फिल्मों (Films), गानों (Songs), प्रोग्रामों (Programmes) आदि का लंबे समय तक अपनी स्मृति में भण्डारण कर सकता है जो आवश्यकता पड़ने पर कभी भी उपयोग में लिए जा सकते हैं। दूसरी ओर मानव अपनी स्मृति में कुछ ही सूचनाओं को संकलित कर (संजोकर) रख पाता है अधिकतर सूचनाओं को भूल जाता है। इसके अलावा सूचनाओं व आँकड़ों के संग्रहण हेतु कंप्यूटर के साथ बाह्य संग्रहण डिवाइसेज होते हैं जिनमें हम कितने ही आँकड़े संग्रहित कर सकते हैं।
बहुआयामी या सार्वभौमिक उपयोगिता (Versatile) :
कंप्यूटर कई प्रकार के कार्य सम्पन्न कर सकता है। एक साथ भी इससे कई कार्य किए जा सकते हैं। इस पर किसी टेक्स्ट (text) की टाइपिंग के दौरान या इस पर गेम खेलने के दौरान गाने सुने जा सकते हैं। किसी पेकेज पर कार्य के दौरान, गणना करना, चित्र बनाना, ग्राफ बनाना, नेट को सर्फ करना, ई-मेल करना आदि कार्य सम्पन्न किए जा सकते हैं। इस प्रकार कंप्यूटर अब मानव जीवन के अधिकांश कार्यों में व्यापक रूप से प्रयुक्त किया जाने लगा है। अब इसका प्रयोग शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, वैज्ञानिक, खगोलशास्त्र, अंतरिक्ष अनुसंधान, बैंकिंग एवं वित्त, यातायात, खेलकूद, ज्योतिष, साहित्य एवं प्रकाशन आदि सभी क्षेत्रों में किया जाने लगा है।
मानव शक्ति की आवश्यकता में कमी (Reduction in Manpower):
पहले औद्योगिक इकाइयों और कारखानों में कार्य के लिए बड़ी संख्या में व्यक्तियों की आवश्यकता होती थी। कंप्यूटर के उपयोग में लाने के बाद इन संस्थानों में वही कार्य, बिना त्रुटि के व अधिक परिशुद्धता के साथ केवल कुछ ही व्यक्तियों की मदद से पूर्ण कर लिया जाता है। कंप्यूटर के आविष्कार व उपयोग ने मानव शक्ति की आवश्यकता को कम कर दिया है।
कागजी कार्य में कमी (Reduction in Paper Work):
कंप्यूटर के उपयोग ने संस्थानों में कागजी कार्य को काफी कम कर दिया है। हाल ही में भारतीय रेल की ई-टिकिट बुकिंग में टिकिट का प्रिन्ट आउट (हार्ड कॉपी) लेकर यात्रा करने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। जिससे A4 साइज के लगभग 3 लाख कागजों की दैनिक बचत सकेगी। कार्यालयों में भी कंप्यूटर के उपयोग से कागजी-कार्य में अत्यधिक कमी आई हैं। बैंको में कागजी कार्य को काफी हद तक कम कर दिया गया है।
स्मृति में स्थित डाटा तीव्रता से खोजकर प्रस्तुत करने की क्षमता (Power of Recall):
एक व्यक्ति अपने जीवन में असंख्य गतिविधियाँ सम्पन्न करता है और वह केवल महत्त्वपूर्ण बातों और गतिविधियों को ही ध्यान में रखता है। लेकिन कंप्यूटर इसकी स्मृति में स्थित सभी बातें, चाहे वह महत्त्वपूर्ण हों या न हों, आवश्यकता पड़ने पर समान रूप से प्रयुक्तकर्ता को उपलब्ध कराता है तथा यह सूचना बहुत वर्षों के बाद भी उतनी ही शुद्ध रहती है जितनी कि यह संगृहीत करते समय थी।
कंप्यूटर की सीमाएँ क्या है ( Limitations of Computers in Hindi)
- कंप्यूटर केवल निर्देशों के अनुसार कार्य करता है। इसमें स्वयं का कोई विवेक एवं सोचने-समझने की क्षमता नहीं होती अत: यह स्वयं कोई निर्णय नहीं लेता।
- प्रायः वातानुकूलित वातावरण में अधिक कार्यकुशलता से कार्य करता है। अधिक तापक्रम वाले वातावारण मे इसकी कार्य-प्रणाली प्रभावित होती है।
- कंप्यूटर में इस्तेमाल भाषा व साफ्टवेयर की सीमाएँ इसके उपयोग को कठिन बनाती है।
- काफी लोगों के आर्थिक स्तर से इसकी अधिक कीमत होना इसके उपयोग से सीमित करता है।
- त्रुटि सुधार क्षमता का अभावः कंप्यूटर में स्वयं त्रुटि सुधार क्षमता का अभाव होता है।
अतः जब तक इसका प्रयोगकर्ता इसे सही निर्देश नहीं दे तब तक यह स्वयं के स्तर पर सही परिणाम नहीं दे सकता।
अत: यदि इसे मूलतः कोई निर्देश गलत दे दिया गया हो यह स्वयं के स्तर पर उसमें
कोई सुधार नहीं कर सकता तथा उसी गलत निर्देश या इनपुट के आधार पर ही परिणाम देगा। - समय के साथ अप्रचलनः कंप्यूटर नवीनतम तकनीकी पर आधारित होता है।
चूंकि तकनीकी में नित नए अनुसंधान हो रहे हैं तथा इसमें उत्तरोत्तर नये उन्नत कंप्यूटरों का विकास हो रहा है।
इसमें प्रयुक्त विभिन्न उपकरणों में समय के साथ तीव्र गति से सुधार हो रहे हैं।
फलस्वरूप एक छोटे समय में ही पूर्व में क्रय किये गये कंप्यूटर व प्रोग्राम पुराने हो जाते हैं, फलतः पुनः नये उपकरण व प्रोग्राम क्रय करने पड़ते हैं जो व्यक्ति पर आर्थिक बोझ होता है। ,
कंप्यूटर के उपयोग/ प्रयोग (usage of Computer In Hindi)
शिक्षा (Education):
मल्टीमीडिया (Multimedia) के विकास और कंप्यूटर आधारित शिक्षा ने इसे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बना दिया है। डिजिटल लाइब्रेरी ने पुस्तकों की सर्वसुलभता सुनिश्चित की है।
वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research):-
विज्ञान के अनेक जटिल रहस्यों को सुलझाने में कंप्यूटर की सहायता ली जा रही है। कंप्यूटर के माध्यम से परिस्थितियों का उचित आकलन भी संभव हो पाता है। आज सभी प्रकार के वैज्ञानिक अनुसंधानों में कंप्यूटर का प्रयोग अवश्म्भावी हो गया है।
रेलवे और वायुयान आरक्षण (Railway & Airlines Reservation):
कंप्यूटर की सहायता से किसी भी स्थान से अन्य स्थानों के रेलवे और वायुयान के टिकट लिए जा सकते हैं तथा इसमें गलती की संभावना भी नगण्य है। आरक्षण की वर्तमान स्थिति की जानकारी इन्टरनेट के माध्यम से कहीं भी किसी भी समय प्राप्त की जा सकती है।
बैंक (Bank):
कंप्यूटर के अनुप्रयोग ने बैंकिंग क्षेत्र में क्रांति ला दी है। एटीएम तथा ऑनलाइन बैंकिंग, चेक के भुगतान, रुपया गिनना तथा पासबुक एंट्री में कंप्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।
चिकित्सा (Medicine):
शरीर के अंदर के रोगों का पता लगाने, उनका विश्लेषण और निदान में कंप्यूटर का विस्तृत प्रयोग हो रहा है। सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे तथा विभिन्न जाँच कार्यों में कंप्यूटर का प्रयोग अवश्यंभावी हो गया है।
रक्षा (Defence):
रक्षा अनुसंधान, वायुयान नियंत्रण, मिसाइल, राडार आदि में कंप्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology): कंप्यूटर की तीव्र गणना क्षमता के कारण ही ग्रहों, उपग्रहों और अंतरिक्ष की घटनाओं का सूक्ष्म अध्ययन किया जा सकता है। कृत्रिम उपग्रहों में भी कंप्यूटर का विशेष प्रयोग हो रहा है।
संचार (Communication):
आधुनिक संचार व्यवस्था कंप्यूटर के प्रयोग के बिना संभव इंटरनेट ने संचार क्रांति को जन्म दिया है। तंतु प्रकाशिकी संचरण (Fiberoptics Communication) में कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है। कंप्यूटर की मदद से ही पृथ्वी पर बैठे-बैठे अंतरिक्ष में छोड़े गये रॉकेट, मिसाइल आदि पर पर्याप्त नियंत्रण रखा जा सकता है।
उद्योग व व्यापार (Industry & Business):
उद्योगों में कंप्यूटर के प्रयोग से बेहतर गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन संभव हो पाया है। व्यापार में कार्यों और स्टॉक का लेखा-जोखा रखने में कंप्यूटर सहयोगी सिद्ध हुआ है।
मनोरंजन (Recreation):
सिनेमा, टेलीविजन के कार्यक्रम, वीडियो गेम आदि में कंप्यूटर का उपयोग कर प्रभावी
मनोरंजन प्रस्तुत किया जा रहा है। मल्टीमीडिया के प्रयोग ने कंप्यूटर को मनोरंजन का उत्तम साधन बना दिया है।
प्रशासन (Administration): प्रशासन में पारदर्शिता लाने, सरकार के कार्यों को जनता तक पहुँचाने तथा विभिन्न प्रशासनिक तंत्रों में बेहतर तालमेल के लिए ई-प्रशासन (E-Governance) का उपयोग कंप्यूटर की सहायता से ही संभव हो पाया है।
डिजिटल पुस्तकालय (Digital Library):
पुस्तकों को अंकीय स्वरूप प्रदान कर उन्हें अत्यंत कम स्थान में अधिक समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। इसे इंटरनेट से जोड़ देने पर किसी भी स्थान से पुस्तकालय में संगृहीत सूचना को प्राप्त किया जा सकता है। आजकल शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जिसमें कंप्यूटर का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। पर्यावरण, पुस्तकालय, यातायात, पुलिस प्रशासन, मौसम विज्ञान, संगीत, चित्रकला ज्योतिष, इंजीनियरिंग डिजाइन आदि अनेक क्षेत्रों में कंप्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।
कंप्यूटर वायरस (Computer Virus)
कंप्यूटर वायरस एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम होता है जो स्वयं की नकल कर सकता है और एक कंप्यूटर को संक्रमित कर सकता है। यह कंप्यूटर की फाइल प्रणाली व आँकड़ों को नष्ट कर देता है। कंप्यूटर वायरस शीघ्रता से एक से अधिक कंप्यूटर में फैल जाता है।
FLOPs- Floating-Point Operations Per second : सुपर कंप्यूटर की कार्यक्षमता मापने का पैमाना।
MIPs- Million Instructions Per second : एक साधारण कंप्यूटर की कार्यक्षमता के मापन का पैमाना।
कंप्यूटर हार्डवेयर (Hardware):
कम्प्यूटर और उससे संलग्न सभी यंत्रों और उपकरणों को हार्डवेयर कहा जाता है। इसके अन्तर्गत केन्द्रीय संसाधन एकक, आंतरिक स्मृति, बाह्य स्मृति, निवेश एवं निर्गम एकक आदि आते हैं।
Computer सॉफ्टवेयर (Software) :-
कम्प्यूटर के संचालन के लिए निर्मित Program को सॉफ्टवेयर कहा जाता है।
कम्प्यूटर की भाषाएँ क्या है (Language of Computer in Hindi) :
Types of Language of Computer in Hindi कम्प्यूटर भाषा को निम्न तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है-
1. मशीनी भाषा (Machine Code Language)
2. एसेम्बली कूट भाषा (Assembly Code Language
3. उच्च स्तरीय भाषाएँ (High Level Languages)
1. मशीनी कूट भाषा (Machine Code Language):-
इस भाषा (प्रत्येक आदेश के दो भाग होते हैं—आदेश कोड (Operation Code) (तथा स्थिति कोड (Location Code)। इन दोनों को 0 व 1 के क्रम ३ समूहित कर व्यक्त किया जाता है । कम्प्यूटर के आरंभिक दिनों में लोग्रामर द्वारा कम्यूटर को आदेश देने के लिए 0 तथा 1 के विभिन्न प्रमों का ही प्रयोग किया जाता था।
2. एसेम्बली भाषा (Assembly Language) :
इस भाषा में याद छे जाने लायक कोड का प्रयोग किया गया, जिसे नेमोनिक कोड कहा या। जैसे ADDITION के लिए ADD, SUBSTRACTION के नए SUB एवं JUMP के लिए JMP लिखा गया । परन्तु इस भाषा का योग एक निश्चित संरचना वाले कम्प्यूटर तक ही सीमित था, अतः उभाषाओं को निम्न स्तरीय भाषा कहा गया।
3. उच्च स्तरीय भाषाएँ (High Level Languages) :
उच्च गीय भाषाओं के विकास का श्रेय IBM कम्पनी को जाता है। फॉरट्रान FORTRA.N)नामक पहली उच्च स्तरीय भाषा का विकास इसी कम्पनी प्रयास से हुआ। इसके बाद सैकड़ों उच्च स्तरीय भाषाओं का विकास तिहा। ये भाषाएँ मनुष्य के बोलचाल और लिखने में प्रयुक्त होने वाली याओं के काफी करीब है। कुछ उच्चस्तरीय भाषाएँ निम्न हैं
कंप्यूटर के कार्य (Work of Computer)
कम्प्यूटर के प्रमुख तकनीकी कार्य चार प्रकार के -1. आंकड़ों का संकलन या निवेशन, 2. आंकड़ों का संचयन, आंकड़ों का संसाधन और 4. आंकड़ों या प्राप्त जानकारी का निर्गमन पुनर्निर्गमन । आंकड़े लिखित, मुद्रित, श्रव्य, दृश्य रेखांकित या शंत्रिक चेष्टाओं के रूप में हो सकते हैं।
अन्य अध्ययन सामग्री
कंप्यूटर की विशेषता क्या है Characteristics of Computer in Hindi
कंप्यूटर के प्रकार क्या है? Types Of Computer in Hindi (Classification) Prakar
सॉफ्टवेयर क्या है? होता है? प्रकार, What is Software In Hindi – Kya Hai
कंप्यूटर की पीढ़ियां | Generation of Computer in Hindi (Pidiya)
कंप्यूटर क्या है (Computer kya hai) FaQ
Q.1. कंप्यूटर क्या है कंप्यूटर के प्रकार?
उतर :- कंप्यूटर’ शब्द की उत्पत्ति ‘Compute’ (कम्प्यूट) शब्द से हुई है जिसका अर्थ गणना करना होता है। इसीलिए Computer को आमतौर पर एक गणना करने वाली मशीन माना जाता है जो तीव्रगति से अर्थमैटिक रूप से ऑपरेशन्स को संचालित कर सकती है।
Q.2. कंप्यूटर के कितने भाग होते हैं?
उतर :-
प्रत्येक कंप्यूटर पांच भाग होते हैं :-
(i) निवेश या इनपुट ईकाई (Input Unit)
(ii) स्मृति (Memory)
(iii) गणितीय एवं तार्किक ईकाई (ALU)
(IV) कण्ट्रोल यूनिट (Control Unit)
(V) निर्गत या आउटपुट ईकाई (Output Unit)
Q.3. कंप्यूटर का पूरा नाम क्या है?
उतर :- Commonly Operating Machine Particularly Used in Technology Education and Research.
Q.4. कम्प्यूटर कितने प्रकार के होते हैं?
उतर :-डिजिटल/अंकीय कंप्यूटर
एनालॉग या अनुरूप कंप्यूटर ( Analog Computers ):
Q.5. हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर क्या है?
उतर :- कंप्यूटर हार्डवेयर (Hardware):
कम्प्यूटर और उससे संलग्न सभी यंत्रों और उपकरणों को हार्डवेयर कहा जाता है। इसके अन्तर्गत केन्द्रीय संसाधन एकक, आंतरिक स्मृति, बाह्य स्मृति, निवेश एवं निर्गम एकक आदि आते हैं।
Computer सॉफ्टवेयर (Software) :-
कम्प्यूटर के संचालन के लिए निर्मित जाग्रामों को सॉफ्टवेयर कहा जाता है।
Q.6. विश्व का प्रथम कंप्यूटर कौन सा है?
उतर :- एनिऐक (ENIAC)
Q.7. कंप्यूटर की परिभाषा क्या है हिंदी में?
उतर :-कम्प्यूटर एक ऐसी इलेक्ट्रानिक युक्ति है जो इनपुट किये गये डाटा व निर्देशों के समूह (Instructions) को पढ़कर, इनका तीव्र गति व परिशुद्धता से प्रक्रियांकन (Processing) कर वांछित निर्गत (परिणाम-output) प्रदान करती है। कम्प्यूटर कई प्रकार के उपकरणों को जोड़कर (assemble कर) बनाई गई मशीन है।
Q.8. डब्ल्यू डब्ल्यू का फुल फॉर्म क्या होता है?
उतर :- world wide Web
Q.9. कंप्यूटर का आविष्कार कब और किसने किया था?
उतर :- चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जनक (पिता) कहा जाता हैं ।
Q.10. कंप्यूटर के जनक का नाम क्या है?
उतर :- चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जनक (पिता) कहा जाता हैं ।