नमस्कार आज हम जीव विज्ञान के महत्वपूर्ण अध्याय ऊतक(Tissue) के विषय में अध्ययन करेंगे तथा साथ ही जानेंगे की ऊतक किसे कहते हैं? ऊतक की परिभाषा, ऊतक के प्रकार, ऊतक के कार्य एवं उदाहरण इत्यादि पर चर्चा करेंगे।
ऊतक किसे कहते हैं?
ऊतक’ शब्द बिशैट ने तथा ‘हिस्टोलॉजी’ शब्द मेयर ने दिया।
– हिस्टोलॉजी की स्थापना मार्सेलो मैल्पीघी ने की।
जीवों में एक समान कार्य करने वाली तथा समान संरचना दर्शाने वाली कोशिकाओं का समूह ऊतक (Tissue) कहलाता है।
ऊतक की परिभाषा क्या है?
जीवों में एक समान कार्य करने वाली तथा समान संरचना दर्शाने वाली कोशिकाओं का समूह ऊतक (Tissue) कहलाता है।
ऊतक द्रव्य
कोशिकाओं के बीच पाया जाने वाला तरल पदार्थ ऊतक द्रव्य (Tissue Fluid) कहलाता है, इस ऊतक द्रव्य से कोशिकाएँ पोषक पदार्थ (Nutrients) ग्रहण करती हैं तथा उत्सर्जी पदार्थों को इस ऊतक द्रव्य में त्याग देती हैं।
ऊतकों का अध्ययन (Study of Tissues) – ‘औतिकी’ (Histology), औतिकी को ‘सूक्ष्म शरीर रचना विज्ञान’ (Microscopic Anatomy) भी कहते हैं।
ऊतक के प्रकार
– ऊतक दो प्रकार के होते हैं-
1. पादप ऊतक
2. जन्तु ऊतक
1. पादप ऊतक
– पादप शरीर में कोशिकाओं के समूह को पादप ऊतक कहा जाता है।
– पादप ऊतक को दो भागों में बाँटा जाता है-
a. विभज्योतक ऊतक,
b. स्थायी ऊतक
a. विभज्योतक ऊतक:-
– कोशिकाओं का वह समूह जिसमें निरंतर विभाजन हो, उसे विभज्योतक ऊतक कहा जाता है।
– पादप ऊतक संवर्द्धन में विषाणु मुक्त पादप प्राप्त करने के लिए विभज्योतक ऊतक का उपयोग किया जाता है।
– विभज्योतक ऊतक को तीन भागों में बाँटा जाता है-
(i) शीर्षस्थ विभज्योतक ऊतक:-
– पौधों की मूल तथा तने के शीर्ष भाग में लगातार विभाजन करने वाली कोशिकाओं के समूह को शीर्षस्थ विभज्योतक ऊतक कहा जाता है।
– पौधे की लम्बाई शीर्षस्थ विभज्योतक ऊतकों के कारण बढ़ती है।
(ii) पार्श्वीय विभज्योतक ऊतक:-
– पौधों के पार्श्व भाग में लगातार विभाजन दर्शाने वाली कोशिकाओं के समूह को, पार्श्वीय विभज्योतक ऊतक कहा जाता है।
– पौधों की चौड़ाई अर्थात् द्वितीयक वृद्धि पार्श्वीय विभज्योतक ऊतकों के कारण होती है।
(iii) अन्तर्वेशी विभज्योतक ऊतक:-
– स्थायी ऊतकों के मध्य लगातार विभाजन दर्शाने वाली कोशिकाओं का समूह, अन्तर्वेशी विभज्योतक ऊतक कहलाता है। उदाहरण- पोएसी कुल (घास)।
– पशुओं के घास खाने के पश्चात् घास का पुन: बढ़ जाने का कारण अन्तर्वेशी विभज्योतक ऊतक है।
b. स्थायी ऊतक:-
– जब विभज्योतक ऊतकों में विभाजन की क्षमता समाप्त हो जाती है, तो उसे स्थायी ऊतक कहा जाता है।
– स्थायी ऊतक को दो भागों में बाँटा जाता है-
(i) सरल स्थायी ऊतक:-
– सरल स्थायी ऊतक एक ही प्रकार की कोशिकाओं से निर्मित होते हैं। उदाहरण- पेरेनकाइमा, कोलेनकाइमा तथा स्कलेरेनकाइमा।
मृदुतक (पेरेनकाइमा):-
– इनकी कोशिकाओं के मध्य अन्तराकोशिकीय अवकाश पाए जाते हैं।
– इनकी भित्ति सेलुलोज की बनी होती है।
– इनकी कोशिकाएँ समव्यासिक (आइसोडाईमेट्रिक) होती है।
– इनकी कोशिकाएँ गोल, अण्डाकार अथवा सँकरी होती है।
– पेरेनकाइमा के निम्न कार्य हैं-
1. प्रकाश संश्लेषण,
2. संचय,
3. स्रवण
स्थूलकोण ऊतक (कोलेनकाइमा):-
– यह द्विबीजपत्री पादपों की बाह्य त्वचा के नीचे पाए जाते हैं।
– इनकी कोशिकाएँ गोल, अण्डाकार तथा बहुकोणीय होती है।
– इसकी भित्ति पतली होती है परन्तु कोनों पर सेलुलोज, पेक्टीन तथा हेमीसेलुलोज पाया जाता है।
– कोलेनकाइमा के कार्य-
1. यह स्वांगीकरण का कार्य करती है।
2. यह प्रारम्भिक अवस्था में पादप को यांत्रिक सामर्थ्य प्रदान करती है।
दृढ़ोतक (स्केलेरेनकाइमा):-
– इसकी कोशिकाएँ गोल, अण्डाकार तथा बेलनाकार होती है।
– इसकी भित्ति लिग्नीन की बनी होती है।
– इसकी कोशिकाओं के मध्य गर्त पाए जाते हैं।
– इसमें मृत प्रोटोप्लाज्म पाया जाता है।
– गुदेदार पादप की फल भित्ति स्केलेरेनकाइमा की बनी होती है। उदाहरण- अमरूद, नाशपती, चीकू।
– लेग्युमिनेसी कुल के बीजों का आवरण स्केलेरेनकाइमा से निर्मित होता है।
– चाय की पत्तियाँ स्केलेरेनकाइमा से निर्मित होती है।
– यह पादप को प्रारम्भिक अवस्था में सहारा प्रदान करती है।
(ii) जटिल स्थायी ऊतक:-
– जटिल स्थायी ऊतक एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से निर्मित होते हैं।
– यह दो प्रकार के होते हैं-
1. जाइलम,
2. फ्लोएम
– जाइलम तथा फ्लोएम संवहन ऊतक है।
जाइलम:-
– जाइलम जल तथा खनिज लवणों के परिवहन का कार्य करते हैं।
– जाइलम धनात्मक प्रकाशानुवर्तन एवं ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्तन दर्शाते हैं।
– जाइलम चार प्रकार की कोशिकाओं से निर्मित होते हैं-
1. वाहिनिकाएँ,
2. वाहिकाएँ,
3. जाइलम तन्तु,
4. जाइलम पेरेनकाइमा
– जो जाइलम सबसे पहले बनता है वह प्रोटोजाइलम कहलाता है तथा प्रोटोजाइलम बनने के बाद जाइलम को, मेटा जाइलम कहा जाता है।
– तने में जाइलम मध्य आदिदारुक (प्रोटोजाइलम केन्द्र की ओर तथा मेटा जाइलम परिधि की ओर) होता है।
– मूल में जाइलम, बाह्य आदिदारुक (प्रोटोजाइलम परिधि की तरफ तथा मेटा जाइलम केन्द्र की तरफ) होता है।
फ्लोएम:-
– फ्लोएम पौधें के विभिन्न भागों में भोज्य पदार्थों के परिवहन का कार्य करता है।
– यह धनात्मक गुरुत्वानुवर्तन एवं ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन होता है।
– फ्लोएम चार प्रकार की कोशिकाओं से निर्मित होता है-
1. सहचर कोशिका,
2. चालनी नलिका,
3. फ्लोएम तंतु
4. फ्लोएम पेरेनकाइमा
– चालनी नलिका में केन्द्रक नहीं पाया जाता।
2. जन्तु ऊतक
– जन्तु औतिकी (Animal Histology) के जनक बिचेट हैं।
– जंतुओं में ऊतक चार प्रकार के होते हैं, जिनका निर्माण विभिन्न जनन-स्तरों (Germinal Layers) एक्टोडर्म (बाहर), मीसोडर्म (मध्य) तथा एण्डोडर्म (अंदर) से होता है।
ऊतक(Tissue) | निर्माण | कार्य(Functions) |
1. उपकला ऊतक (Epithelium Tissue) | एक्टोडर्म एण्डोडर्म मीसोडर्म | सुरक्षा, आवरण निर्माण, उत्सर्जन, पोषण |
2. पेशी ऊतक (Muscular Tissue) | मीसोडर्म | गति (Movements) |
3. संयोजी ऊतक (Connective Tissue) | मीसोडर्म | विभिन्न संरचनाओं को जोड़ना, परिवहन, आलंबन (Support) |
4. तंत्रिका ऊतक (Nervous Tissue) | एक्टोडर्म | संवेदना ग्रहण कर प्रतिक्रिया देना। |
(i) उपकला ऊतक (Epithelial Tissue)
– ये ऐसा ऊतक है जो किसी अन्य ऊतक पर पाया जाता है।
जैसे – त्वचा, उपकला ऊतक से निर्मित तथा ये संयोजी ऊतक (Connective Tissue) पर पाई जाती है।
– इस ऊतक में कोशिकाओं के बीच ऊतक द्रव्य (Tissue Fluid) बहुत कम मात्रा में पाया जाता है।
– इस ऊतक की कोशिकाओं के बीच रक्त नलिकाएँ नहीं पाई जाती हैं, व आधारी झिल्ली से होकर विसरण (Diffusion) द्वारा विभिन्न पोषक पदार्थ तथा ऑक्सीजन इन कोशिकाओं तक पहुँचते हैं।
– उपकला ऊतक मुख्य रूप से आवरण (Covering) के रूप में पाया जाता है।
उदाहरण – त्वचा, ग्रंथियों की नलिकाएँ, कॉर्निया, मूत्रमार्ग (Urethra), मूत्राशय (Urinary Bladder), मूत्रवाहिनी (Ureter)
उपकला के कार्य –
– सुरक्षा, अवशोषण (Absorption)
– पोषण (Nutrition)
– उत्सर्जन (Excretion) – पसीने के साथ लवण का उत्सर्जन
– श्वसन (Respiration)
– स्रवण (Secretion) – ग्रंथियों से विभिन्न स्रवण
– पुनरुद्भवन (Regeneration)
– संवेदना ग्रहण में सहायक
– वर्णक (Pigment)
(ii). पेशी ऊतक (Muscular Tissue)
– ये ऊतक गति से संबंधित है।
– इसका निर्माण मीसोडर्म से लेकिन अपवाद स्वरूप नेत्र के आईरिस से जुड़ी पेशियाँ, स्वेद ग्रंथियों (Sweat Glands) एवं स्तन ग्रंथियों (Mammary Glands) से जुड़ी पेशियाँ एक्टोडर्म से उत्पन्न।
– हमारे शरीर में तीन प्रकार की पेशियाँ पाई जाती हैं–
(a) ऐच्छिक पेशियाँ (Voluntary)
(b) अनैच्छिक पेशियाँ (Involuntary)
(c) हृदय पेशियाँ (Cardiac)
(a) ऐच्छिक पेशी
– रेखित पेशियाँ (Striated Muscles)
– अस्थियों से जुड़ी होने के कारण कंकाली पेशियाँ (Skeletal Muscles) भी कहलाती है।
– गति हमारी इच्छा से
– हाथ-पैर व गर्दन की पेशियाँ
(b) अनैच्छिक पेशी
– अरेखित पेशियाँ (non-Striated)
– आंतरांगी पेशियाँ (Visceral Muscles)
– अनैच्छिक प्रवृत्ति
– आहारनाल, ग्रंथियों से जुड़ी पेशियाँ
(c) हृदय पेशी
– इनकी संरचना रेखित पेशियों जैसी होती है जबकि ये अनैच्छिक प्रवृत्ति की होती हैं।
– हृदय की दीवारों में।
महत्त्वपूर्ण बिन्दु –
– मानव शरीर में कुल 639 पेशियाँ होती हैं।
– सबसे बड़ी पेशी – ग्लूटियस मैक्सिमस
– सबसे लंबी पेशी – सार्टोरियस
– सबसे छोटी पेशी – स्टेपीडियस
– सबसे मजबूत पेशी – मेस्सेटर
– मानव शरीर की सबसे मजबूत पेशी मेस्सेटर है, जो जबड़े में उपस्थित होती है।
– ऐच्छिक पेशियों में लगातार संकुचन-प्रसारण/गतियाँ होने से इनमें लैक्टिक अम्ल का निर्माण होने लगता है, जिससे हमें थकान का अनुभव होता है।
– जब कुछ देर विश्राम (Rest) करते हैं तो लैक्टिक अम्ल कार्बनडाइऑक्साइड व जल (CO2+H2O) में टूट जाता है।
– मृत्यु के बाद शरीर में होने वाले कंपन – रिगर मॉर्टिस
– मृत्यु के कुछ समय बाद शरीर का अकड़ना पेशी तंतुओं में कठोरता आने से होता है तथा 15-20 घंटे जब पेशियाँ अपघटित होती हैं तो शरीर पुन: सामान्य हो जाता है।
(iii) संयोजी ऊतक (Connective Tissue)
– ये शरीर में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला ऊतक जो शरीर परिवहन (Transportation), आलंबन (Support), पोषण (Nutrition) तथा भोजन संग्रहण (Food Storage) में सहायक होता है।
– इसकी उत्पत्ति मीसोडर्म से हुई है।
– संयोजी ऊतक में तीन प्रमुख संरचनाएँ हैं–
(a) अधात्री (Matrix) – ये सामान्यतया प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट से बनी होती है, इसमें जल भी होता है।
(b) कोशिकाएँ (Cells) – संयोजी ऊतक में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ इस प्रकार हैं–
– फाइब्रोब्लास्ट– ये संयोजी ऊतक में रेशे (Fibers) का निर्माण करती है।
– मास्ट कोशिकाएँ – ये हिपेरिन, हिस्टामिन एवं सिरेटॉमिन का स्रवण करती है।
– एडीपोज़ कोशिकाएँ– यह वसा संग्रहण (Fat Storage) का कार्य करती है।
– प्लाज़्मा कोशिकाएँ – एंटीबॉडीज का निर्माण करती है।
(c) रेशे (Fibers)
– कॉलेजन तंतु – श्वेत तंतु (White Fibers)
– टेण्डन/कण्डारा का निर्माण, अस्थि (Bone) व पेशी (Muscle) को आपस में जोड़ते हैं।
– इलास्टिन तंतु – पीले तंतु (Yellow Fibers)
– लिगामेण्ट (Ligament)/स्नायु अस्थि को अस्थि से जोड़ते हैं।
– रक्त एक तरल संयोजी ऊतक (Liquid Connective Tissue) है।
– अस्थियाँ (Bones) एवं उपास्थियाँ (Cartilages) ठोस संयोजी ऊतक हैं।
– त्वचा के नीचे वसा का जमाव (Storage) एडीपोज़ ऊतक में होता है।
कार्य –
– विभिन्न संरचनाओं को जोड़ना।
– परिवहन (Transportation)
– पोषण (Nutrition)
– भोजन संग्रहण (Food Storage)
– सुरक्षा (एंटीबॉडी उत्पादन)
– अंगों को निश्चित आकृति प्रदान करना।
(iv). तंत्रिका ऊतक–
– शरीर के विभिन्न अंग बाहरी उत्तेजना के अनुकूल प्रतिक्रिया करते हैं।
– इन अंगों को प्रतिक्रिया करने के लिए तंत्रिका ऊतक की कोशिकाएँ उत्तेजित करती हैं।
– तंत्रिका ऊतक की कोशिकाएँ स्वयं उत्तेजित होकर अपने द्वारा उत्तेजना को शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाती है।
– तंत्रिका तंत्र, तंत्रिका ऊतक से बना होता है।
ऊतक की खोज / खोजकर्ता
सामान्यता एक प्रश्न उठता है की ऊतक की खोज किसने की थी तो इसका जवाब है की ऊतक के खोजकर्ता यानि जनक है “जेवियर बिशैट“
ऊतक के क्या कार्य है?
ऊतक की कोशिकाएं समान नहीं होती, लेकिन वे किसी विशिष्ट क्रियाओं को करने के लिए एक साथ मिलकर कार्य करती हैं। उदाहरण के लिए, मांसपेशी ऊतक में मांसपेशी कोशिकाएं होती हैं, जो मांसपेशी को हिलाने-डुलाने के लिए संकुचित होती हैं।
अन्य अध्ययन सामग्री
मानव नेत्र क्या हैं – परिभाषा, संरचना, कार्य, भाग, आरेख, दोष
Faq
ऊतक के क्या कार्य है?
किसी विशिष्ट क्रियाओं को करने के लिए एक साथ मिलकर कार्य करती
उत्तक क्या होते हैं?
कोशिकाओं के समूह
मानव शरीर में कितने ऊतक होते हैं?
उपकला, संयोजी, मांसपेशी और तंत्रिका
MCQ
Q.1 निम्नलिखित में से किन कोशिकाओं की भित्ति लिग्निन के कारण मोटी हो जाती है?
1
मृदुतक
2
स्थूलकोणTissue
3
दृढ़ोतक
4
विभाज्योतक
Q.2 इलास्टिन तन्तु सहायक है-
1
लिगामेण्ट के निर्माण में
2
टेण्डन के निर्माण में
3
दृढ़ आलम्बन में
4
उपर्युक्त सभी
Q.3 पार्श्वीय विभज्योतक सहायक है –
1
इनके तीव्र विभाजन होने से तने व जड़ की लम्बाई में वृद्धि होती है।
2
येTissue पौधे की मोटाई बढ़ाने के लिए उत्तरदायी है।
3
ये तने की शाखाओं की वृद्धि के लिए उत्तरदायी है।
4
उपर्युक्त सभी
Q.4जाइलम (Xylem) का प्रमुख कार्य है –
1
पौधों में भोजन का परिवहन करना।
2
पौधों में जल का परिवहन करना।
3
सहारा प्रदान करना।
4
उपर्युक्त सभी।
Q.5मास्ट कोशिकाएँ किसमें होती है?
1
पेशियों में
2
तन्त्रिका तन्तु में
3
संयोजीTissue में
4
उपकलाTissue में
Q.6जिस मृदुतक की कोशाओं में हरितलवक पाया जाता है, उसे कहते हैं-
1
दृढ़Tissue
2
क्लोरेन्काइमा
3
पर्णहरित
4
स्थूलकोणTissue
Q.7 नारियल का रेशा किसTissue का बना होता है?
1
स्क्लेरेन्काइमा
2
पैरेन्काइमा
3
क्लोरेन्काइमा
4
दृढ़ कोशाओं
Q.8 एपिथीलियमीTissue का उदाहरण है-
1
वृक्कीय नली
2
आहारनली
3
रक्त वाहिनी
4
उपर्युक्त सभी
Q.9 अस्थियों से माँसपेशियों को जोड़ने का कार्य करता है-
1
टेन्डन
2
लिंगामेन्ट्स
3
कार्टिलेज
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Q.10निम्नलिखित में से जन्तु औतिकी के जनक हैं–
1
मार्सेलो मैल्पीघी
2
बिचेट
3
रयूश
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Q.11 पौधे में भोज्य पदार्थ किसTissue में एकत्र होते हैं?
1
पैरेन्काइमा में
2
स्क्लेरेन्काइमा में
3
कोलेन्काइमा में
4
फ्लोएम में
Q.12 निम्नलिखित में से संयोजीTissue नहीं है-
1
तंत्रिका कोशिका
2
उपास्थि
3
अस्थि
4
रक्त
Q.13 निम्नलिखित में से कौन-सा सरल स्थायीTissue नहीं है?
1
जाइलम
2
मृदुतक
3
स्थूलकोणोत्तक
4
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Q.14त्वचा के नीचे वसा का जमाव किसTissue में होता है?
1
एडीपोजTissue
2
पेशीTissue
3
तंत्रिकाTissue
4
संयोजीTissue
Q.15 तन्त्रिका कोशिकाएँ किस भ्रूणीय स्तर से बनती हैं?
1
एण्डोडर्म
2
मीसोडर्म
3
एक्टोडर्म
4
एक्टोडर्म एवं मीसोडर्म
Q.16मानव शरीर में सबसे मजबूत पेशी है–
1
ग्लूटियस मैक्सिमस
2
सार्टोरियस
3
स्टेपीडियस
4
मेस्सेटर
Q.17मानव की ऐच्छिक पेशियाँ में लगातार संकुचन-प्रसारण होने से इनमें किस अम्ल का निर्माण होता है?
1
यूरिक अम्ल
2
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
3
लैक्टिक अम्ल
4
एसीटिक अम्ल
Q.18स्नायु एवं कण्डराएँ कैसेTissue होते हैं?
1
उपास्थिल
2
पेशीय
3
अस्थिल
4
संयोजी
Q.19रक्त और हड्डियाँ उदाहरण हैं-
1
संयोजीTissue
2
एपिथिलियलTissue
3
मेरिस्टेमेटिकTissue
4
तंत्रिकाTissue
Q.20स्नायु जोड़ता है-
1
हड्डी को हड्डी से
2
पेशी को पेशी से
3
हड्डी को पेशी से
4
पेशी को उपास्थि से