अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं? परिभाषा, भेद, उदाहरण Avyayibhav Samas in Hindi

नमस्कार आज हम हिंदी व्याकरण के बहुत ही महत्वपूर्ण अध्याय में से एक समास के भेद में से एक अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas in Hindi) के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे । इस अध्ययन के दौरान हम अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं? अव्ययीभाव समास की पहचान, उदाहरण इत्यादि के बारे मे चर्चा करेंगे ।

परीक्षा की दृष्टि से देखे तो यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण अध्याय है जिससे बहुत से प्रश्न पूछे जाते है । इसलिए आपको इस अध्याय को बहुत ही अधिक ध्यान से और विशेष जौर देके अध्ययन करना चाहिए ।

अव्ययीभाव समास की परिभाषा

जिस समास में एक पद अव्यय होता है उसे अव्ययीभाव समास कहा जाता है।

अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं?

जिस समास में एक पद अव्यय होता है उसे अव्ययीभाव समास कहा जाता है।

जैसे – सघोष, आजन्म, प्रतिदिन, यथा आदमी, यथा औरत

जिस समास में पूर्व पद अव्यय होता है, उसे अव्ययीभाव समास कहा जाता है।

जैसे – यथा नियम, वियोग।

जिस समास में दूसरा पद अव्यय होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।

जैसे :– दिनभर, रात भर, जीवन भर।

नोट :– अव्ययीभाव समास में पहला पद या दूसरा पद कोई सा भी अव्यय हो सकता है।

जैसे – आजीवन, एकमात्र, वर्षभर, पलभर।

नोट :– पुस्तकों में अधिकतर उदाहरण ऐसे देखे गए हैं जिनमें पूर्व पद अव्यय होता हैं। इसलिए यह कहने की परम्परा चल पड़ी कि पूर्व पद अव्यय होता है।

जिस समास में पूर्व पद मुख्य होता हैं उसे अव्ययीभाव समास कहा जाता है।

नोट :– अव्ययीभाव समास में अव्यय पद मुख्य होता है।

जैसे – बेकानून, पर्यंत (परि+अंत)

अव्ययीभाव समास की पहचान :–

यदि पूर्वपद :– यथा, सदा, तथा, वि, अनु, स, आ (तक), प्रति, परि, यावत्, अभि, निस्, निर् आदि। उपसर्ग के रूप में हो तो वहाँ अव्ययीभाव समास होता है क्योंकि यह अव्यय उपसर्ग है।

यथा = यथानियम, यथार्थ (यथा+अर्थ)।

सदा = सदैव (सदा+एव)।

तथा = तथैव (तथा+एव)।

वि = वियोग (वि+योग) ।

अनु = अनुसार, अनूदित (अनु+उदित)।

स = सघोष, सोदाहरण (स+उदाहरण)।

आ = आजीवन, आजन्म।

प्रति = प्रतिदिन, प्रतिपल।

परि = पर्यांत (परि+अंत), पर्याप्त (परि+आप्त)।

नोट :– पर्यावरण , परीक्षा, परिवार इनमें परि उपसर्ग होते हुए भी बहुव्रीहि समास के उदाहरण हैं। क्योंकि योगरूढ़ शब्द के उदाहरण हैं।

यावत् = यावज्जीवन (यावत्+जीवन)।

निस् = निस्स्वार्थ, निस्संतान।

निर् = निर्वाह (निर्+वाह), निरर्थक (निर्+अर्थक)।

अभि = अभीष्ट (अभि+इष्ट)।

नोट :– कु, सु, दुस्, उत् का आदि उपसर्ग आ जाए तो वहाँ कर्मधारय समास होता है। क्योंकि यह विशेषण उपसर्ग हैं।

जैसे:–

कुसंगति =कु।

सु = स्वागत (सु+आगत)।

दुस् = दुश्शासन।

उत् = उज्ज्वल (उत् + ज्वल)।

का = काजल।

अव्ययीभाव समास के 10 उदाहरण

यदि द्विरूक्ति (दो समान) संज्ञाओं के मध्य ‘ओ’ आ जाए :– रातोंरात, दिनोंदिन, बातोंबात।

यदि दो समान संज्ञाए एक साथ आ जाएँ :– घर–घर, परीक्षा–परीक्षा, छत्र–छात्र।

यदि दो समान विशेषण पद एक साथ आ जाएँ :– खट्टा–खट्टा, मीठा–मीठा, पीला–पीला।

यदि दो समान सर्वनाम पद एक साथ आ जाएँ :– कौन–कौन, क्या–क्या, कब–कब।

यदि दो समान संख्यापद एक साथ आ जाएँ :– एक–एक, दो–दो, चार–चार।

यदि पूर्वपद सार्थक हो और दूसरा पद निरर्थक हो :– चाय वाय, मिठाई विठाई, आदमी वादमी।

यदि दो समान क्रिया –विशेषण पद एक साथ आ जाएँ :– कभी–कभी, चलते–चलते, धीरे–धीरे।

यदि दो समान पदों के मध्य ‘आ’ आ जाएँ:– सरासर, धड़ाधड़।

यदि पूर्वपद या दूसरा उर्दू भाषा का ‘भर’ शब्द के रूप में हो :– दिनभर, भरपूर, रातभर।

यदि पूर्वपद उर्दू भाषा का ‘हर’ विशेषणपद के रूप में हो:– हरदिन, हरघड़ी, हरपल, हरवक्त।

नोट :– ‘हर’ विशेषणपद होते हुए भी अव्यय के रूप में काम करता है।

यदि पूर्वपद उर्दू भाषा का ‘बे’ बिना उपसर्ग के रूप में हो:– बेनियम, बेवक्त, बेघर।

नोट :– बेवफ़ा शब्द योगरूढ़ शब्द है और बहुव्रीहि समास का उदाहरण है। क्योंकि स्त्री विशेष के संदर्भ में रूढ़ हो गया हैं।

यदि पूर्वपद उर्दू भाषा का हो ‘बा’ (सहित) उपसर्ग के रूप में हो :– जैसे – बाका़यदा, बावज़ह, बनियम।

यदि उर्दू भाषा के दो समान उपसर्ग एक साथ आ जाएँ:– दर–दर, पल–पल।

यदि दो समान सर्वनामों के मध्य ‘ही’ निपात आ जाए :– आप ही आप, हम ही हम, तुम ही तुम।

प्रत्येक बाधक संख्याएँ अव्ययीभाव समास का उदाहरण होती है:– प्रत्येक (प्रति+एक), हरेक, एकैक।

अन्य अध्ययन सामग्री

संज्ञाकारक
सर्वनामवाक्य विचार
विशेषणवाच्य
क्रियाकाल
शब्दअविकारी शब्द
क्रिया विशेषणमुहावरे
संधिलोकोक्तियाँ
लिंगवर्ण विचार
वचनविराम चिन्ह
समासवाक्यांश के लिए एक शब्द
उपसर्गपारिभाषिक शब्दावली
प्रत्ययकारक चिन्ह
अनेकार्थी शब्दविलोम शब्द
तत्सम शब्दतद्भव शब्द
एकार्थक शब्दअन्य सभी लेख

Faq

अव्ययीभाव समास का उदाहरण क्या है?

आजीवन (आ + जीवन) = जीवन पर्यन्त निर्दोष (निर् + दोष) = दोष रहित प्रतिदिन (प्रति + दिन) = प्रत्येक दिन

अव्ययीभाव समास में कौन पद प्रधान होता है?

पूर्वपद प्रधान होता है। अव्ययीभाव समास के पहले पद में अनु, आ, प्रति, यथा, भर, हर आदि आते है।

नमस्कार, मेरा नाम अजीतपाल हैं। मैंने हिंदी साहित्य से स्नातक किया है। मेरा शुरूवात से ही हिंदी विषय के प्रति लगाव होने के कारण मैंने हिंदी विषय के बारे में लेखन का कार्य आरभ किया। हाल फ़िलहाल में Pathatu एजुकेशन प्लेटफार्म के लिए लेखन का कार्य कर रहा हूँ।

Leave a Comment