कूलाम का नियम क्या है? परिभाषा, सूत्र, महत्व Coulomb’s law in hindi (Kulam ka niyam)

इस लेख में हम भौतिक विज्ञान की शाखा स्थिरवैद्युतिकी में विद्युत आवेश से संबंधित कूलाम का नियम (coulomb’s law in hindi) के विषय में पढ़ेंगे।
जैसे की कूलाम का नियम क्या है किसे कहते हैं?, कूलाम के नियम की परिभाषा,
kulam ka niyam ka महत्व , सूत्र, विमा, अनुप्रयोग, उपयोग इत्यादि के बारे में जानेंगे।

कूलाम का नियम क्या है (coulomb’s law in hindi)?

कूलाम ने दो स्थिर बिंदु आवेशों के बीच कार्य करने वाले बल के रूप में एक नियम प्रतिपादित किया जिसे कूलॉम का नियम (Coulomb’s Law In Hindi) कहते हैं।

इस नियम के अनुसार दो स्थिर बिंदु आवेशो के बीच कार्य करने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण का बल दो आवेशो के परिमाणो के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह बल बल आवेशो को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है। इले कूलाम का व्युत्कर्म वर्ग का नियम भी कहते हैं।

कूलाम के नियम की परिभाषा :-

दो बिन्दुवत एवं स्थिर आवेशो के मध्य स्थिर वैधुत बल का परिमाण आवेशो के परिमाण के गुणफल के समानुपाती एवं उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

विद्युत बल :-

दो समान प्रकृति के आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित तथा विपरीत प्रकृति के आवेश एक दुसरे को आकर्षित करते हैं। इस प्रकार दो आवेशित चालकों के बीच एक बल कार्य करता है। इसे विद्युत बल कहते हैं। आवेशो के बीच कार्य करने वाला यह बल माध्यम एवं निर्वात् दोनों में कार्य करता है।

बिन्दु आवेश (Point charge)-

यदि दो आवेशित पिण्डों की विमाए उनके बीच की दूरी की तुलना में नगण्य है तो उन आवेशो को बिन्दु आवेश कहते है।

1 कूलाम की परिभाषा :-

यदि q1 = q 2 = 1 कूलाम , r = 1 मीटर

निर्वात ने परस्पर 1 मीटर की दूरी पर स्थित दो समान परिमाण के आवेशौ के मध्य 9 × 10 न्यूटन विद्युत बल कार्यरत होता है तब प्रत्येक आवेश का परिमाण 1 कूलाम के तुल्य होता है।

कूलाम के नियम का सूत्र (Kulam ke Niyam Ka Sutra)


कूलाम के नियम का मात्रक

कूलाम के नियम का मात्रक SI पद्धति में

कूलॉम के नियम का महत्व (Importance of Coulombs Law in hindi)

यहाँ पर कूलाम का नियम का महत्व के बारे में यहाँ पर बताया गया है।

  • (i) इस नियम के लिए आवेश बिन्दुवत् एवं स्थिर होना चाहिए परन्तु सामान्यतः गोलीय आवेशों को ही प्रयुक्त करते हैं। गतिशील आवेशों के मध्य बल केवल कूलॉम के नियम से प्राप्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि गतिशील आवेशों के लिए विद्युत बल के अतिरिक्त चुम्बकीय बल भी लगता है।
  • ii) यह नियम गति के तृतीय नियम का पालन करता है।
  • (iii) प्रयोगों द्वारा निष्कर्ष निकलता है कि यह नियम 10-15 मी. से कुछ किलोमीटर की दूरी के लिये लागू होता है। इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन आदि मौलिक कणों के लिए भी यह नियम 10-15 मी. से अधिक दूरी के लिए लागू किया जा सकता है। क्योंकि इससे कम दूरियों के लिए अन्य बल जैसे नाभिकीय बल भी उपस्थित रहते हैं।
  • (iv) यह नियम केन्द्रीय बलों को व्यक्त करता है।
  • (v) कूलॉम के नियम का स्थिर विद्युतिकी में वही महत्व है जो न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम का गुरुत्वाकर्षण भौतिकी में है जबकि इनके संगत राशियाँ आवेश तथा द्रव्यमान है।

कूलॉम के नियम का अध्यारोपण का सिद्धांत (Principle of Superposition Koolam ka niyam)

कूलॉम बल दो वस्तुओं के मध्य अन्योन्य क्रिया है अर्थात दो बिन्दु आवेशों के मध्य विद्युत बल अन्य आवेशों की उपस्थिति या अनुपस्थिति से स्वतंत्र होता है अतः अध्यारोपण का सिद्धान्त मान्य है। अर्थात बहुत से बिन्दु आवेशों के कारण एक आवेशित कण पर लगने वाला बल पृथक-पृथक बिन्दु आवेशों के कारण बलों के परिणामी के बराबर होता है अर्थात्

जब कई आवेशों के बीच में स्थिरवैद्युतिकी अन्योन्य क्रिया होती है तो दिए गए आवेश पर लगने वाला कुल स्थिरवैद्युतिकी बल, अन्य पृथक पृथक आवेशों के द्वारा उस आवेश पर लगाए गए बलों के सदिश योग के तुल्य होता है।

आवेशित कणों की साम्यावस्था (Equilibrium of charged particles)

साम्यावस्था में प्रत्येक आवेशित कण पर कुल विद्युत बल शून्य होता है। केवल कूलॉम बल के प्रभाव में आवेशित कण की साम्यावस्था कभी स्थायी नहीं हो सकती है।

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नमस्कार मेरा नाम मानवेन्द्र है। मैं वर्तमान में Pathatu प्लेटफार्म पर लेखन और शिक्षण का कार्य करता हूँ। मैंने विज्ञान संकाय से स्नातक किया है और वर्तमान में राजस्थान यूनिवर्सिटी से भौतिक विज्ञान विषय में स्नात्तकोत्तर कर रहा हूँ। लेखन और शिक्षण में दिसलचस्पी होने कारण मैंने यहाँ कुछ जानकारी उपलब्ध करवाई हैं।