नमस्कार आज हम भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण अध्याय में से एक प्रकाश के बारे में अध्ययन करेंगे। इस अध्ययन के दौरान हम प्रकाश की परिभाषा, अर्थ , चाल, प्रकृति एवं प्रकाश किरण (Light) इत्यादि के बारे में अध्ययन करेंगे।
प्रकाश की परिभाषा (Light)
एक प्रकाश स्रोत किसी अपारदर्शी वस्तु की तीक्ष्ण छाया बनाता है। प्रकाश के एक सरल रेखीय पथ की ओर इंगित करता है जिसे प्राय: प्रकाश किरण कहते है।
यदि प्रकाश के पथ में रखी अपारदर्शी वस्तु अत्यन्त छोटी हो तो प्रकाश सरल रेखा में चलने की बजाय इसके किनारों पर मुड़ने की प्रवृत्ति दर्शाता है। इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तन कहते है।
- उच्च कोटि की पॉलिश किया हुआ पृष्ठ, जैसे कि दर्पण, अपने पर पड़ने वाले अधिकांश प्रकाश को परावर्तित कर देता है।
- आपतन कोण, परावर्तन कोण के बराबर होता है।
- आपतित किरण, दर्पण के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण, सभी एक ही तल में होते हैं।
- ऐसे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ गोलीय है, गोलीय दर्पण कहलाता है।
- गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ अन्दर की ओर अर्थात गोले के केन्द्र की ओर वक्रित है, वह अवतल दर्पण कहलाता है।
- वह गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित होता है उत्तल दर्पण कहलाता है।
- गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के केन्द्र को दर्पण का ध्रुव कहते है।
- गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ एक गोले का भाग है। इस गोले का केन्द्र गोलीय दर्पण का वक्रता केन्द्र कहलाता है।
- गोलिय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ जिस गोले का भाग है उसकी त्रिज्या दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है।
- गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा वक्रता त्रिज्या से गुजरने वाली एक सीधी रेखा को दर्पण का मुख्य अक्ष कहते है।
- गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच की दूरी फोकस दूरी कहलाती है।
अवतल दर्पण द्वारा बिम्ब की विभिन्न स्थितियों के लिए बने प्रतिबिम्ब
क्र.सं. | बिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब का साइज | प्रतिबिम्ब की आकृति |
1. | अनन्त पर | फोकस पर | अत्यधिक छोटा बिन्दु आकार का | वास्तविक व उल्टा |
2. | C से परे | F तथा C के बीच | छोटा | वास्तविक व उल्टा |
3. | C पर | C पर | समान साइज | वास्तविक व उल्टा |
4. | C व F के बीच | C से परे | विवर्धित (बड़ा) | वास्तविक व उल्टा |
5. | F पर | अनन्त पर | अत्यधिक विवर्धित | वास्तविक व उल्टा |
6. | P तथा F के बीच | दर्पण के पीछे | विवर्धित | आभासी तथा सीधा |
उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब की प्रकृति, स्थिति, साइज
क्र.सं. | बिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब की स्थिति | प्रतिबीम का साइज | प्रतिबिम्ब की प्रकृति |
1. | अनंत पर | फोकस F पर दर्पण के पीछे | अत्यधिक छोटा, बिन्दु के साइज का | आभासी तथा सीधा |
2. | अनंत तथा दर्पण के ध्रुव P के बीच | P तथा F के बीच दर्पण के पीछे | छोटा | आभासी तथा सीधा |
– किसी लैंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा को उसकी क्षमता के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसे P द्वारा निरूपित किया जाता है।
– लैंस की क्षमता का SI मात्रक डायप्टर है।
– किसी लैंस की क्षमता उसकी फोकस दूरी का व्युत्क्रम होती है।
प्रकाश से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- प्रकाश एक विद्युत चुम्बकीय तरंग होता है। प्रकाश का गमन ‘सरल रेखीय होता है।
- सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर 500 सैकण्ड में पहुंचता है।
- प्रकाश की विद्युत चुम्बकीय प्रकृति – ‘मेक्सवेल ने बताई।
- प्रकाश का कणिका सिद्धान्त – ‘आइजक न्यूटन’।
(1666 में) द्वारा दिया गया। - प्रकाश का तरंग सिद्धान्त – ‘हाइजेन्स’ द्वारा दिया गया
- प्रकाश तरंगे- ‘दोहरी-प्रकृति की होती है। तरंग एवं बंडलों के रूप में संचरित होता है।
ये अनुप्रस्थ (Transverse) तरंगें जो निर्वात् में भी गति कर सकती है।
संचरण हेतु माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। इनमें ‘धुवण (Polarisation) का गुण पाया जाता है। - प्रकाश की सर्वाधिक चाल-3x108m/sec. (निर्वात् में)।
- चाल का क्रम – (ठोस – द्रव < गैस – निर्वात्)।
- भिन्न-भिन्न माध्यम में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती है। यह माध्यम के अपवर्तनांक पर निर्भर करता है।
- अपवर्तनांक भिन्न-भिन्न रंगों हेतु भिन्न-भिन्न होता है।
- (अपवर्तनांक अधिक-चाल कम)।
- तरंगदैर्ध्य (तरंग लम्बाई)-दो क्रमागत शृंगों या गर्तों के बीच की दूरी।
- प्रकाश की चाल = तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति (प्रति/सेकण्ड कम्पन्नों की संख्या)
- ‘Maxwell’ का सिद्धान्त ‘प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या नहीं करता, इसकी व्याख्या ‘प्लांक के क्वान्टम सिद्धान्त द्वारा अल्बर्ट आइन्सटीन’ ने की इसके लिए इन्हें ‘नोबल पुरस्कार मिला।
- मानव नेत्र सर्वाधिक संवेदनशील पीले रंग के प्रति होते हैं। जबकि प्रकाश या इन्द्रधनुष का मध्य रंग हरा होता है। क्रम – {बैनीआहपीनाला} (VIBGYOR)
- प्रकाश के स्त्रोत सूर्य (सबसे बड़ा), आग (प्रथम कृत्रिम स्त्रोत), प्रकाशीय विद्युत उपकरण, टॉर्च इत्यादि हैं।
- दीपक, विद्युत बल के जलने से प्रकाश की उत्पत्ति ताप दीप्ति, पत्थर को रगड़ने से उत्पन्न चमक घर्षण दीप्ति, अंधेरे में घड़ी के डायल का चमकना स्फुर दीप्ति, यातायात संकेत के बोर्ड का वाहनों के प्रकाश से चमकना प्रति दीप्ति एवं रात्रि में जुगनू का चमकना जैव दीप्ति कहलाता है।
छाया
- प्रकाश के सरल रेखा में गमन करने से छाया का निर्माण होता है।
धूप के साथ छाया की लंबाई में परिवर्तन होता है।
प्रातःकाल से दोपहर तक छाया की लम्बाई घटती है एवं दोपहर से सायंकाल तक छाया की लंबाई बढ़ती है। - छाया के अन्दर वाला भाग जहाँ प्रकाश नहीं होता प्रच्छाया कहलाता है।
बाहरी भाग जहाँ कुछ कम अंधकार होता है उपच्छाया कहलाता है।
छाया का बनना अपारदर्शी वस्तु की स्थल से दूरी पर निर्भर करता है।
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